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मोदी सरकार की पैनी नजर, पकड़ी गई 20 हजार करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को चौकीदार बोलते हैं। यही वजह है कि वह देश के भीतर या सीमा पर लगातार नजर बनाये रखते हैं। जहां पीएम मोदी रात भर जागकर सर्जिकल स्ट्राइक-2 के तहत देश के दुश्मनोंं पर कार्रवाई की निगरानी करते हैं, वहीं देश के भीतर जीएसटी चोरों पर भी उनकी नजर है। इसका प्रमाण 11 माह में 20 हजार करोड़ रूपये की कर चोरी के पकड़ में आने से मिलता है।

10 हजार करोड़ रुपये की कर चोरी की वसूली

चालू वित्त वर्ष में अब तक 20,000 करोड़ रुपये मूल्य की जीएसटी चोरी पकड़ी जा चुकी है। इसमें से 10 हजार करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है। इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम ड्यूटी मेंबर (इन्क्वायरी) जॉन जोसेफ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि धोखाधड़ी रोकने के लिये और कदम उठाए जाएंगे।

पकड़ा गया 1500 करोड़ रुपये का फर्जी इनवॉयस

टैक्स ऑफिसर्स ने मंगलवार को 1,500 करोड़ रुपये का फर्जी (इनवायस) का पता लगाया। इसका उपयोग अवैध तरीके से 75 करोड़ रुपये के जीएसटी क्रेडिट के लिये किया गया। इसमें से 25 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।

5-10% कंपनियां ही तोड़ रही कानून

जोसेफ के मुताबिक सिर्फ 5-10 फीसदी कंपनियां ही ऐसी हैं जो नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अनुपालन बढ़ाने के लिये कदम उठाएगी और कर चोरी करने वालों के खिलाफ इस रूप से कार्रवाई करेगी जिससे सही तरीके से काम कर रही कंपनियों को कोई नुकसान नहीं हो।

मोदी सरकार ने बीते पांच वर्षों में भ्रष्टाचार और सरकारी धन की लूट-खसोट रोकने के लिए जो कदम उठाए हैं, उसपर एक नजर डाल लेते हैं-

डीबीटी से बचाए 90 हजार करोड़
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में जब देश की बागडोर संभाली थी, तभी उन्होंने ऐलान कर दिया था कि उनकी सरकार की नीति भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की है। इस सरकार ने एक-एक कर भ्रष्टाचार के सभी रास्तों को बंद कर दिया है। सरकारी पैसे की लूट अब नहीं हो पाती है। पहले जहां सरकारी मदद और सब्सिडी, पेंशन आदि का पैसा अपात्रों के हाथों में चला जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। डायरेक्ट बैलेंस ट्रांसफर यानि डीबीटी योजना के बाद से केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया पैसा सीधे जरूरतमंद के हाथों में पहुंचने लगा है। आधार से जुड़ी इस योजना के जरिए मार्च, 2018 तक केंद्र सरकार को 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है।यह वो रकम है, जो पहले जरूरतमंदों के हाथों में न पहुंच कर अपात्रों के हाथों में जाता था और भ्रष्टाचार की भेंच चढ़ जाता था। डीबीटी प्रकोष्ठ ने आरटीआई के तहत पिछले चार वर्षों की मांगी गई सूचना में यह जानकारी दी है। केंद्र सरकार एलपीजी, खाद्यान्न, खाद, कई समाजिक पेंशन समेत 400 से अधिक योजनाओं का पैसा डीबीटी के जरिए सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करता है।

मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

नोटबंदी से तीन लाख फर्जी कंपनियों का धंधा बंद
08 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का निर्णय लिया। कालेधन पर, प्रधानमंत्री मोदी का यह सबसे घातक स्ट्राइक था। इसने देश में जाली नोटों के कारोबार को पूरी तरह से बंद कर दिया। कालेधन और जाली नोटों से चलने वाले उग्रवादी और आतंकवादी संगठनों की कमर टूट गई। नोटबंदी ने देश की तीन लाख फर्जी कंपनियों को बेनकाब कर दिया। इन कंपनियों का पता चलते ही सरकार ने इन्हें खत्म कर दिया और कंपनियों के निदेशकों को आजीवन ब्लैकलिस्ट कर दिया। नोटबंदी ने देश में  टैक्स देने वालों की संख्या को दोगुना कर दिया।

डिजिटल पेमेंट से कालेधन का स्रोत खत्म
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भीम एप लॉन्च किया। इस एप से 89 बैंकों में लेनदेन करने के लिए डिजिटल सुविधा जनता के हाथों में पहुंच गई, बैंकिंग के काम सरल और देश में हर जगह सुलभ हो गए। UPI के जरिए लेनदेन देश में तेजी से बढ़ रहा है। अगस्त 2016 से 27 फरवरी, 2019 तक 4 अरब 81 करोड़ से अधिक लेन देन हो चुके हैं। इसी तरह से क्रेडिट, डेबिट कार्ड और चेक के जरिए होने वाले लेनदेन ने आर्थिक व्यवस्था को पारदर्शी बना दिया है, जो 2014 के पहले एकदम से ही नहीं थी।

सरकारी खरीद और नीलामी में ऑनलाइन व्यवस्था ने भ्रष्टाचार खत्म किया
कांग्रेस सरकार ने कोयला, स्पेक्ट्रम, जमीन और अयस्कों की नीलामी में जिस तरह से लाखों करोड़ रुपये का घोटाला किया था, उसकी पुनरावृत्ति को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी को ऑनलाइन कर दिया। व्यवस्था पारदर्शी बन चुकी है। अब सरकार के विभिन्न विभागों में सामानों की खरीदारी के लिए ऑनलाइन मार्केट GeM बना चुका है, जिस पर लाखों करोड़ की खरीददारी होती है और सरकारी कामों में बिचौलियों के राज का अंत हो चुका है।

कालाधन रखने वालों की जानकारी एकत्रित
कांग्रेस सरकार में 2004-14 के दौरान, देश में भ्रष्टाचार चरम पर था। 2009 में सर्वोच्च न्यायालय में कालेधन पर एक लोकहित याचिका दायर की गई। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई गई कि देश में पैदा हो रहे कालेधन को जिसे विदेशी बैंकों में जमा किया जा रहा है, उसकी छानबीन की जाए और उस पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इस याचिका पर, 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने तब की केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कालेधन के बारे में पता लगाने के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुछ विशेष लोगों के दबाव में एसआईटी का गठन नहीं किया। 26 मई, 2014 को नई सरकार बनने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने पहली कैबिनेट बैठक मे ही न्यायाधीश एम बी शाह की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी अबतक सरकार और सर्वोच्च न्यायालय को कई रिपोर्ट्स के साथ कालेधन के मालिकों की लिस्ट दे चुकी है। इन जानकारियों के ही आधार पर सरकार ने कालेधन पर नकेल कसने के लिए कई सारे कदम उठाये हैं ।

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