Home पोल खोल ‘3 साल 30 तिकड़म’ में देखिए ‘तिकड़म’, खुली रह जाएगी आंखें

‘3 साल 30 तिकड़म’ में देखिए ‘तिकड़म’, खुली रह जाएगी आंखें

SHARE

जिस कांग्रेस ने देश पर 60 साल शासन किया, जिसके नेतृत्व में देश का कायाकल्प हो जाना चाहिए था लेकिन हुआ नहींं। क्योंकि, कांग्रेस भ्रष्टाचार की गंगोत्री में स्नान करती रही। अब वही कांग्रेस दूध की धुली बनकर बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि बीजेपी ने 3 साल में 30 तिकड़म किए। पर, सच तो सच होता है। जानिए ये तिकड़म हैं या विकास का सफर…

‘अच्छे दिन’ पर सवाल

वन रैंक वन पेंशन : 40 साल का इंतजार खत्म करते हुए OROP को लागू किया। 26 लाख पूर्व सैनिकोँ और 6 लाख विधवाओं को इसका तत्काल लाभ हुआ।

उज्जवला योजना : 2 करोड़ से ज्यादा बीपीएल परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन और फ्री चूल्हा दिए गये।

जनधन योजना : 28.52 करोड़ लोगों के अकाउन्ट खोले गये।

बीमा का रक्षा कवच : 13 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया।

मुद्रा योजना : 7.45 करोड़ छोटे उद्यमियों को 3.17 लाख करोड की मदद की गयी।

 

इन्हें भी पढ़ें : कांग्रेस की खुल गई पोल, पढ़िए कैसे नरेंद्र मोदी की आलोचना में पार्टी तिकड़मबाजी करने लगी

इन्हें भी पढें : मोदी सरकार के बेमिसाल तीन साल: 156 हफ्ते, 156 उपलब्धियां

इन्हें भी पढ़ें : वरिष्ठ नागरिकों के लिए अच्छे दिन, मोदी सरकार के 10 कदम

इन्हें भी पढ़ें : भारत में स्वास्थ्य क्रांति, पढ़िए तीन साल में कैसे बदली आम लोगों की जिंदगी

इन्हें भी पढ़ें : स्वस्थ भारत मिशन के लिए मोदी सरकार की बड़ी पहल

 

मोदी राज में महिला सुरक्षा

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ : इस अभियान से देशभर में लिंगानुपात में सुधार आया। हरियाणा में सेक्स रेशियो सुधर 950 हो गया।

सुकन्या समृद्धि योजना : इस योजना से 1 करोड़ से ज्यादा अकाउन्ट खोले गये। 11 हजार करोड़ रुपये बच्चे के भविष्य के लिए सुरक्षित हुए।

मुद्रा योजना : इस योजना से पौने आठ करोड़ छोटे उद्यमियों को फायदा हुआ। इनमें आधी महिलाएं हैं। 3.17 लाख करोड़ के ब्याज मुक्त ऋण दिए गये।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना : इस योजना के तहत करीब 11 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।

मातृत्व अवकाश : 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ता कर दिया गया। गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये की मदद दी जाने लगी ताकि उन्हें गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार की कमी ना हो।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान : इस अभियान के तहत 33 लाख महिलाओं का चेक हुआ है। गर्भावस्था में सुरक्षा को अभियान का रूप दिया गया।

 

इन्हें भी पढ़ें : तिकड़म है या सचमुच महिलाएं हुईं हैं सशक्त-आत्मनिर्भर?

इन्हें भी पढ़ें : मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में कायापलट

इन्हें भी पढ़ें : आजादी के बाद पिछले तीन वर्षों में महिला कल्याण के लिए हुए अभूतपूर्व काम

 

पाकिस्तान को जवाब कब मिलेगा

सर्जिकल स्ट्राइक और सार्क सम्मेलन : जम्मू-कश्मीर के उरी में 18 सितंबर, 2016 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 29 सितम्बर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों और लांचपैड को तबाह किया। इस के साथ ही पहली बड़ी सफलता 28 सितंबर को तब मिली जब पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन के बहिष्कार की भारत की घोषणा के तुरंत बाद तीन अन्य देशों (बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान) ने उसका समर्थन करते हुए सम्मेलन में ना जाने की बात कही। वहीं नेपाल ने सम्मेलन की जगह बदलने का प्रस्ताव दिया और पाकिस्तान के आंतकवाद के कारण सार्क सम्मेलन न हो सका।

आतंकवाद पर अलग-थलग पड़ा पाक : आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सऊदी अरब जैसे कई देशों ने साफ कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में वे भारत के साथ हैं। मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद का मामला हो या फिर दाउद इब्राहिम का, सब मामलों में पाकिस्तान की फजीहत हुई है और विश्व बिरादरी का साथ भारत को मिला है। मोदी सरकार की नीति का ही दबाव है जो पाकिस्तान में खुल्ला घूमने वाले हाफिज सईद को खुद पाकिस्तान ने अब अलगाववादी करार दिया है।

हथियारों के बाजार में भी अलग-थलग पड़ा पाक : एक अमेरिकी थिंक टैंक ‘स्टिम्सन सेंटर’ रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार की नीतियों के कारण पाकिस्तान लंबे समय तक वैश्विक बाजार में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली तक पहुंच बनाने में सक्षम नहीं हो पाएगा। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पास चीन की सैन्य प्रणाली पर निर्भर रहने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा। ‘मिलिट्री बजट्स इन इंडिया एंड पाकिस्तान: ट्रैजेक्टरीज, प्रायोरिटीज एंड रिस्क्स’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की खरीदारी की बढ़ती क्षमता एवं बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव के कारण उच्च प्रोद्यौगिकी तक पाकिस्तान की पहुंच बाधित हो सकती है।

पीएम मोदी ने बनाया ‘मिनी सार्क समिट’: साउथ एशिया सैटेलाइट जीसैट-9 की लॉन्चिंग के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों से संपर्क साधा। पीएम मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग जरिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घानी, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के पीएम टीशेहरिंग टॉबगे, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुला यमीन, नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैथ्रीपाला सीरीसेना जुडे़। साउथ एशियाई देशों से जुड़ने के इस तरीके को ‘मिनी सार्क समिट’ माना जा रहा है।

अरब कूटनीति : भारत ने चीन और पाकिस्तान की खतरनाक जुगलबंदी को तोड़ने के लिए वियतनाम, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अन्य देशों को अपने पक्ष में लामबंद कर चक्रव्यूह तैयार कर लिया है। इस साल 2017 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को मुख्य अतिथि बनाकर एक अहम कूटनीतिक चाल चली जिससे पाकिस्तान के होश उड़ गये। सऊदी अरब की तरह संयुक्त अरब अमीरात भी पाकिस्तान का पुराना सामरिक सहयोगी है। यूएई, सऊदी अरब और पाकिस्तान ही ऐसे तीन देश थे जिन्होंने अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को मान्यता दी थी। अब इन सभी से भारत के अच्छे रिश्ते बन रहे हैं क्योंकि मोदी सरकार की कूटनीतिक नीतियों में राष्ट्र का हित सर्वोपरि है।

 

इन्हें भी पढ़ें : भारत की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी, देखिए कैसे अलग-थलग पड़ रहा है पाक (जाधव मामला)

 

चीन को लाल आंख या चीन से आंख मिचौली

सर्जिकल स्ट्राइक : चाहे म्यांमार हो या पाकिस्तान- भारत ने सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करके पड़ोसी देशों के बीच एक अलग छवि बनायी है। सैन्य ताकत का अहसास कराया है कि अब वो दिन गये जब चीन ने भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसकर जमीन हथिया लिए थे।

CPEC से दूरी : भारत ने चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध कर और BRI से दूरी बनाकर बेखोफ होने का परिचय दिया है। आर्थिक रूप से अलग समूह के रूप में खड़ा होने की भारतीय कोशिश को दुनिया देख रही है।
MTCR : मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम में भारत को जगह मिलना बड़ी उपलब्धि है। इससे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए मिसाइल तकनीक मिलना संभव हुआ है। चीन के मुकाबले यह अंतरराष्ट्री बिरादरी में पैठ बनाने की यह भारत की स्वतंत्र कोशिश है।

पड़ोसी देशों के साथ संबंध : नेपाल, श्रीलंका, यूएई, कनाडा, अफगानिस्तान, भूटान समेत पड़ोसी देशों के साथ मेहमान बनकर या फिर मेजबान बनकर भारत ने रिश्तों की नयी परिभाषा लिखी है।

SAS : साउथ एशियाई सैटेलाइट के जरिए भारत ने पडोसी देशों को उपहार दिया है। उनके साथ तकनीक साझा करने और मिलकर विकास करने का संकल्प जताया है। पाकिस्तान इससे अलग रहा, जबकि चीन ने इसमें शामिल नहीं होने पर अफसोस जताया। SAS भारत की बड़ी उपलब्धि है।

 

इन्हें भी पढ़ें : मोदी से क्यों डरता है ड्रैगन

 

आधार कार्ड 

बहुमूल्य हुआ आधार कार्ड : मोदी सरकार ने आधार कार्ड को महज शो पीस रहने नहीं दिया। बल्कि, इसे पीडीएस, एलपीजी सब्सिडी, मनरेगा, रेलवे टिकट बुकिंग, बीमा योजना, डिजिटल योजना, जनधन योजना, उज्जवला योजना हर चीज से जोड़ दिया। इस तरह एक सामान्य आधार कार्ड को मोदी सरकार ने बहुमूल्य आधार कार्ड में बदल दिया।

आधार से सफल हुआ डीबीटी : आधार कार्ड के जरिए डायरेक्ट बैलेंस ट्रांसफर आसान हो गया। सब्सिडी हो या लोन के पैसों का ट्रांसफर या फिर सरकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों के एकाउन्ट में ट्रांसफर, अब ये आसान हो चुका है। आम लोगों को सीधे उनके अकाउन्ट में लाभ पहुंच रहा है।

आधार ने खत्म किए बिचौलिए : सरकारी पैसे गरीबों तक पहुंचे में सबसे बड़ी दिक्कत बिचौलिए रहे हैं। कांग्रेस राज में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी कह चुके थे कि महज 15 पैसे ही आम लोगों तक पहुंच पाते हैं।

आधार पर कांग्रेस सरकार ने खाई थी डांट : आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार को फटकारा था। अरबों रुपये के इस प्रोजेक्ट महज चुनाव तक उसने सीमित कर दिया था,जबकि इस काम के लिए पहले से वोटर आईडी थे ही। अब वही आधार कार्ड मोदी सरकार में देश की जरूरत बन चुका है।

इन्हें भी देखें : पीएम मोदी वैसे ही नहीं देते आधार पर जोर, देखिए ये मानवीय पहलू

इन्हें भी देखें : आधार से लिंक कराने पर मिल रही है लीकेज कम करने में मदद

 

आदर्श ग्राम योजना

गांवों में रोशनी : आजादी के 70 साल बाद भी 18456 घरों में बिजली नहीं थीं, उनमें दो तिहाई यानी 13457 घरों तक बिजली पहुंचाई गयी। अंधेरा दूर हुआ।

सड़कों से जुड़े गांव : 3 साल में 1 लाख 20 हजार किमी सड़कों का निर्माण हुआ। अकेले 2016-17 में 133 किमी प्रति दिन की दर से 48 हजार किमी ग्रामीण सड़कें बनीं।

सबके लिए आवास : 2022 तक हर भारतीय के घर पर छत योजना प्रगति पर।

28 करोड़ खाते खुले : मोदी सरकार में आजादी के बाद पहली पर घर-घर तक पहुंचाई गई बैंकिंग सेवा। जन धन योजना के तहत खोले गए 28 करोड़ से अधिक बैंक खाते।

डायरेक्ट बैलेंस ट्रांसफर : सीधे खाते में धन भेजने की इस प्रक्रिया का सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीणों को हुआ। सब्सिडी के रुपये हों या योजनाओं का लाभ उनके खाते में सीधे उन्हें मिलने लगे।

 

इन्हें भी देखें : न्यू इंडिया के सपने को पूरा करेंगे गांव, विकास की राह पर बढ़ रहे हैं कदम

इन्हें भी देखेंं : मोदी सरकार अभियान- हर घर हो जल, घर-घर शौचालय का हो निर्माण

 

जीएसटी (GST)

एक देश, एक कर, एक बाजार : यह सपना पूरा मोदी सरकार पूरा करने जा रही है। देश भर में सबकी सम्मति GST एक जुलाई से लागू होने जा रहा है।

विकास दर 4.2 प्रतिशत बढ़ेगी: अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम संस्था का मानना है कि ग्रोथ रेट में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है यानी अर्थव्यवस्था में करीब-करीब 6.5 लाख करोड़ का उछाल आ सकता है।

मल्टीपल टैक्स से आजादी : जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों से लेकर आम लोगों को टैक्स के भारी जाल से मुक्ति मिलेगी। करीब 18 से ज्यादा टैक्सों से मुक्ति मिल जाएगी और पूरे देश में सिर्फ एक टैक्स रह जाएगा।

बढ़ेगा सरकारी खजाना : जीएसटी लागू होने के बाद पारदर्शी तरीके से टैक्सों का भुगतान होगा। टैक्स कलेक्शन का दायरा बढ़ेगा और सरकारी खजाने में आमदनी बढ़ेगी।

कारोबार होगा आसान : टैक्स कम्प्लायंस तेज और आसान होगा। लागत घटेगी। इंडस्ट्री और कंज्यूमर को फायदा होने के साथ मालढुलाई भी 20 फीसदी सस्ती हो जाएगी।

इन्हें भी पढ़ें : GST से बदल जाएगी भारत की आर्थिक तस्वीर

 

बेरोजगारी बेशुमार

मुद्रा योजना : इस योजना के तहत पौने 8 करोड़ छोटे उद्यमियों को ब्याज मुक्त लोन दिए गये। कुल 3.17 लाख करोड़ रुपये मुद्रा योजना के तहत इन्हें दिए गये।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना : इसके तहत 52.8 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। चार साल में 1 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया जाना है।

स्टार्ट अप योजना : 10 हजार करोड़ के फंड से शुरू हुई इस योजना में लाखों लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए मदद की गयी है।

GST से पैदा होंगी 40 लाख नौकरियां : जीएसटी लागू होने भर से देश में 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में ई-कॉमर्स, रिटेलिंग, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज, लॉजिस्टिक्स, सप्लाई चेन, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में बहुत सी नौकरियां आएंगी। हर चीज कंप्यूटराइज्ड होगी इसीलिए आईटी का भी बहुत बड़ा रोल होगा।

रोजगार ही रोजगार : मेक इन इंडिया, एफडीआई का प्रवाह, शिक्षा, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में निर्माण, हाऊसिंग का विकास, बैंकिंग और कैशलेस की ओर देश के बढ़ने से हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।

 

इन्हें भी पढ़ें : तीन साल मोदी सरकार, रोजगार के खुल गए द्वार

इन्हें भी पढ़ें : तीन साल बेमिसाल: रोजगार के लिए सरल माहौल और श्रम का हुआ सम्मान

 

किसानों की लाचारी

रिकॉर्ड फसल का अनुमान : रिकॉर्ड 271.98 मिलियन टन अनाज के उत्पादन होने का अनुमान है, इसी तरह चावल, गेहूं, और दूसरी फसलों के भी रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। इसलिए किसान मजबूत हो रहे हैं, लाचार नहीं।

सॉयल हेल्थ कार्ड : इस योजना में 7 करोड़ किसानों के कार्ड बने हैं। इससे उन्हें फसल के हिसाब से पोषक तत्वों और फर्टिलाइजर की जरूरत का पता चलता है। खेती में इस मदद से उत्पादन में लगातार सुधार हो रहा है

ई-नाम : इस प्लेटफॉर्म 36.43 लाख किसान 250 मंडियों से लाइव जुड़े हैं। उनके साथ 84,631 कारोबारी और 42,109 कमीशन भी जुड़े हुए हैं। यहां वे अपना उत्पाद उचित दाम में बेच रहे हैं।

नीम कोटेड यूरिया : इस पहल से यूरिया की कालाबाजारी और किल्लत खत्म हो गयी है। यूरिया का दुरुपयोग बंद हो गया है। अब यूरिया का संकट ही खत्म हो गया है।

ऑर्गेनिक खेती : तीन साल में 5 लाख एकड़ भूमि में 10 हजार क्लस्टर बने हैं जहां ऑर्गेनिक खेती हो रही है।

ऋण की उपलब्धता : खेती के लिए ऋण की सुविधा किसानों के लिए बढ़ाकर 10 लाख करोड़ कर दी गयी है।

 

इन्हें भी पढ़ें : मोदी सरकार ने बदली किसानों की किस्मत

इन्हें भी पढ़ें : किसान विरोधी बताने वाले नेताओं के गाल पर तमाचा है यह रिपोर्ट (ढाई साल जनवरी तक)

 

फसल बीमा योजना

न्यूनतम प्रीमियम, अधिकतम लाभ : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना न्यूनतम प्रीमियम पर अधिकतम लाभ उपलब्ध कराता है।

प्रीमियम पर हजारों करोड़ खर्च : 2016-17 में 13,240 करोड़ रुपये प्रीमियम पर खर्च किए गये।

फसल बीमा के लिए बजट में आवंटन : 2017-18 में 9000 करोड़ रुपये फसल बीमा योजना के लिए आवंटित किए गये।

अब 33 फीसदी नुकसान पर ही मिलता है बीमा : 50 फीसदी फसल के नुकसान पर नहीं, बल्कि 33 फीसदी फसल के नुकसान पर ही मिलता है बीमा।

पकी फसल नष्ट हो, तब भी मिलता है लाभ : तैयार फसल भी नष्ट हो जाए, तब भी मिलता है फसल बीमा योजना का लाभ

इन्हें भी पढें : मोदी सरकार ने बदली किसानों की किस्मत

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य का झूठ

खरीफ

अरहर : समर्थन मूल्य 4,625 रुपये से 5,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

उरद : 4,625 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल

मूंग : 4850 रुपये प्रति क्विंटल से न्यूनतम समर्थन मूल्य 5250 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

रबी

चना:  का न्यूनतम समर्थन मूल्य कीमत 3500 रुपये से 4000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

मसूर का समर्थन मूल्य 3400 रुपये से 3950 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

इन्हें भी पढ़ें : मोदी सरकार ने बदली किसानों की किस्मत

 

गुलाबी क्रांति

अवैध बूचड़खानों पर नकेल : नरेंद्र मोदी की सरकार ने गुलाबी क्रांति के नाम पर गोवध को कानून के दायरे में लाने का काम किया है। गैरकानूनी बुचड़ खानों पर कार्रवाई की गयी है।

गो-पालन को बढ़ावा : वहीं गोमांस को हतोत्साहित किया गया है।गो-पालन और गोवंश की रक्षा के लिए भी मोदी सरकार ने देशभर में प्रयास किए हैं।

 

मेक इन इंडिया

भारत ने चीन को पीछे छोड़ा : मेड इन कंट्री इंडेक्स (MICI-2017) में भारत ने उत्पादों के गुणवत्ता के मामले में चीन को सात स्थान पीछे धकेल दिया है। यूरोपीय यूनियन और दुनिया के 49 देशों को लेकर जारी इस इंडेक्स में चीन आखिर से दूसरे यानी 49वें स्थान पर है, जबकि भारत 42वें स्थान पर है।

एफडीआई बढ़ा : 2014 से 2016 के बीच एफडीआई का इनफ्लो 46 फीसदी बढ़कर 61.58 करोड़ डॉलर हो गया।

इजराइल से समझौता : इजराइल के साथ मिलकर भारतीय कंपनी पुंज लॉय़ घातक राइफल बनाने जा रही है।

भारतीय कंपनियों पर खर्च बढ़ा : 2 साल में भारतीय कंपनियों पर पूंजीगत खर्च में 60 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है। विक्रेताओं से खरीद पर 1.05 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय हुए हैं।

बड़ी खरीद को मंजूरी : भारतीय कंपनयों को 2.46 लाख करोड़ की 96 बड़ी खरीद को मंजूरी दी गयी।

इंडस्ट्रियल लाइसेंस जारी : रक्षा हथियार उत्पादन के लिए मेक इन इंडिया के तहत 116 इंडस्ट्रियल लाइसेंस जारी किये जा चुके हैं।

 

SKILL INDIA का क्या हुआ

सिंगल विंडो सिस्टम : सरकार ने स्किल डेवलपमेंट को 20 मंत्रियों और विभागों के बजाए इसे एक मंत्रालय के अंतर्गत ला दिया। 50 स्किल डेवलपमेंट योजनाएं और कार्यक्रमों पर इसे लागू किया गया।

एक करोड़ को प्रशिक्षण की योजना : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 4 साल में 1 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया जाना है। अब तक नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) ने 52.8 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया है।

 

कांग्रेस का काम, अपना नाम  

कांग्रेस के इस आरोप का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में जवाब दे चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस कहती थी कि वो मोबाइल लेकर आए। अब उन्हीं मोबाइल पर जब कैशलेस सिस्टम लागू किया जा रहा है तो वे कह रहे हैं कि भारत के लोगों के पास मोबाइल कहां है।

इसी तरह फाइबर बिछाने का काम पूरे देश में हो रहा है। इसे शुरू कांग्रेस के जमाने में जरूर किया गया था, लेकिन इतना सुस्त काम था कि कभी देश को फायदा नहीं मिला। यहां तक कि आजादी के 70 साल बाद भी गांवों तक बिजली नहीं पहुंची।

पीएम मोदी ने संसद में कांग्रेस से कहा था कि काम कैसे किया जाता है वो बीजेपी सरकार से सीखें जो दस सिलेंडर का सांसदों को कोटा नहीं, 5 करोड़ गरीबों के घर मुफ्त में गैस कनेक्शन चूल्हे के साथ दे रही है। इसके बावजूद कांग्रेस ने पुराना राग फिर छेड़ दिया है।

 

15 लाख का वादा

15 लाख हर अकाउन्ट में भेजने की बात बीजेपी के मुंह में ठूंसने का प्रयास करती रही है। बीजेपी ये जरूर कहा था कि कालाधन भारत आ जाए तो ये इतनी बड़ी रकम है कि हर भारतीय के पास 15 लाख रुपये हो जाएं। पर, इस मुद्दे को हर चुनाव में कांग्रेस उठाती रही है, जबकि जनता उनके इस मुद्दे को नकारती रही है। एक बार फिर कांग्रेस ने 15 लाख का मुद्दा उठाने की कोशिश की है।

 

बिहार/कश्मीर का पैकैज

बिहार और कश्मीर के पैकेज देने बात कहते हुए मोदी सरकार पर कांग्रेस ने हमला किया है। पर कांग्रेस भूल रही है कि मोदी सरकार ने अब तक बिहार सरकार को लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये दिए हैं। इसी तरह कश्मीर को भी एक लाख करोड़ से ज्यादा की रकम दी जा चुकी है। इसके अलावा कश्मीर में टनल के निर्माण से लेकर चार धाम की सड़क समेत कई योजनाओं पर खर्च किए जा रहे हैं। मगर, कांग्रेस को इन चीजों को देखने की फुर्सत कहां।

 

इन्हें भी देखें : बिहार के विकास के लिए मोदी सरकार ने खोल दिया खजाना

 

ओलंपिक में मेडल

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि ओलंपिक में मेडल नहीं ला सके। वैसे ओलंपिक में मेडल लाने में कभी भारत ने बहुत बड़ी सफलता हासिल नहीं की थी। फिर भी इस बार मोदी सरकार में अच्छी कोशिश हुई। 119 सदस्यों की टीम भेजी गयी। उन्हें विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ अभ्यास कराया गया। ऐसा पहली बार देश में हुआ। खेल में अक्सर ऐसा होता है कि पहले प्रयास में सफलता नहीं मिलती। इसके बावजूद पीवी सिंधु और साक्षी ने भारत की लाज रखी।

 

नमामि गंगे

नमामि गंगे परियोजना की 231 योजनाओं पर हरिद्वार और वाराणसी में काम चल रहा है। ये योजना दिसंबर 2016 में शुरू हुईं। इस योजना में गंगोत्री से शुरू कर बंगाल तक गंगा के किनारे घाटों, नलों का गंदा पानी, स्वच्छता आदि पर ध्यान दिया जाएगा। इस योजना का लाभ दिखने में अभी वक्त लगेगा। माना जा रहा है कि 2018 से योजना का फायदा नजर आने लगेगा। पर, कांग्रेस है कि आरोप लगाने के चक्कर में अधीर हुई जा रही है।

इन्हें भी पढ़ें : स्वच्छ भारत अभियान ने जमाई दुनिया भर में धाक

सभी को घर

केंद्र सरकार 2022 तक हर भारतीयों को घर का सपना पूरा करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है। अब तक केंद्र ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90,000 करोड़ रुपये के हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इसमें 16.42 लाख अफोर्डेबल हाउसेज के निर्माण का काम शामिल है, जिसमें सबसे अधिक 2.27 लाख तमिलनाडु में, 1.94 लाख आंध्र प्रदेश में और 1.81 लाख मध्य प्रदेश में है।

इन्हें भी पढ़ें : अब पूरा होगा सस्ते घर का सपना, मिडिल क्‍लास को सस्ते होम लोन का तोहफा

इन्हें भी पढें : विकास को रफ्तार दे रहा शहरी विकास मंत्रालय

 

डिजिटल इंडिया

देश को कैशलेस बनाने के लिए डिजिटल इंडिया का सपने पर केंद्र सरकार काम कर रही है। भीम एप की पहल इस दिशा में बड़ा कदम है। डायरेक्ट बैलेंस ट्रांसफर भी इसी की कड़ी है। करोड़ों लोगों ने भीम एप और दूसरे एप करो अपनाया है। इसके जरिए वे डिजिटल लेन-देन कर रहे हैं। सरकार ने मजदूरी का भुगतान भी बैंकों के जरिए करना अनिवार्य कर दिया है। इससे कम मजदूरी देने और शोषण के मामले भी खत्म हो जाएंगे।

 

पेट्रोल डीजल के बेलगाम दाम

पेट्रोल और डीजल के दाम अब नियंत्रित नहीं रह गये हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि दाम केवल बढ़ रहे हैं। दाम हर पंद्रह दिन में तय किए जाते हैं और जरूरत के मुताबिक कभी घटते या बढ़ते हैं। सब्सिडी मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते देश के लिए यह जरूरी कदम है जिस पर मोदी सरकार चल रही है।

 

दाल के दाम ने दहलाया

जिस दाल के दाम को लेकर कांग्रेस आज हायतौबा मचा रही है, वह काफी दिनों से स्थिर है। यह भी देखना होगा कि दालों का समर्थन मूल्य सरकार ने बढ़ाया है। किसानों को इसका फायदा हुआ है। महंगाई स्थिर है। मुद्रास्फीति की दर न्यूनतम स्तर पर चल रही है। ऐसे में दाल के दाम की चिंता में कांग्रेस दुबली हुई जा रही है जो उसकी अवसरवादिता को बताता है।

 

गिरता रुपया

कांग्रेस कह रही है कि रुपया कमजोर हो रहा है। सच इसका उल्टा है। मनमोहन सरकार में रुपया गिरकर डॉलर के मुकाबले 70 रुपये को भी पार गया था। आज यह 64 से 65 रुपये के बीच है। ऐसे में ये आरोप भी कहीं नहीं ठहरता। सच तो ये है कि विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले तीन साल में जो बढ़ोतरी हुई है वह मनमोहन सरकार के 5 साल में भी नहीं हुई थी।

 

विजय माल्या फरार

विजय माल्या के फरार होने का मसला कांग्रेस ने उठाया है। पर, कांग्रेस इस बात को भुला रही है कि विजय माल्या के खिलाफ कांग्रेस सरकार में केस ही कमजोर बनाया था। पूरा मौका दिया गया कि वो कानून की जद से बच सकें। जबकि बीजेपी सरकार ने पूरी कोशिश की है कि विजय माल्या को देश में लाया जाए। इसके लिए अदालती प्रक्रिया चल रही है। इसलिए विजय माल्या मामले में मोदी सरकार को लपेटने की कांग्रेस की कोशिश भी परवान चढ़ेगी, ऐसा नहीं लगता।

 

लोकपाल

लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस को बोलने का कोई हक नहीं। देश जानता है कि लोकपाल के लिए हुए अन्ना आंदोलन को किस तरह कांग्रेस ने कुचलने की कोशिश की थी। आखिरकार जब आंदोलन के सामने सरकार को झुकना पड़ा तब लोकपाल बिल पास हुआ। बीजेपी का इस बिल को पारित कराने में बड़ा योगदान रहा है। तकनीकी खामी की वजह से लोकपाल लागू नहीं हो पाया है। लोकपाल में विपक्ष के नेता को शामिल किया जाने का जिक्र है, जबकि देश में जनता ने किसी को विपक्ष का दर्जा दिया ही नहीं। इस वजह से लोकपाल की नियुक्ति में देरी हुई।

 

मनरेगा

मनरेगा के तहत काम 2017-18 के बजट में 11 हजार करोड़ की बढोतरी की गयी। अब मनरेगा का बजट 48 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया। मनरेगा में इस साल भी पांच लाख तालाब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिस पर काम चल रहा है। ऐसी स्थिति में मनरेगा को लेकर कोई सवाल बनता नहीं है। कांग्रेस बस खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे की कहावत पर चल रही है।

 

दलितों का दमन

दलितों का दमन कांग्रेस का जुमला भर है जो वह बीजेपी पर हथियार के तौर पर आजमा रही है। सच तो ये है कि कांग्रेस के शासनकाल में दलितों का दमन सबसे ज्यादा हुआ है। बीजेपी के शासन में दलित दमन के मुद्दे पर हंगामा जरूर खड़ा किया गया है। रोहित वेमुला सबसे बड़ा उदाहरण है जो दलित था भी नहीं, लेकिन उसे दलित के तौर पर पेश कर पूरे देश को दलित-गैरदलित सियासत में बांटने की साजिश हुई और मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया गया।

 

 

 

इन्हें भी पढ़ें : गरीब, पिछड़ों और दलितों के मसीहा बने मोदी (जनवरी तक ढाई साल)

इन्हें भी पढ़ें : पिछले ढाई साल में बढ़ा आदिवासियों (जनजातीय) का सम्मान

 

शिक्षकों के निर्यात का झूठ

देश में शिक्षा को लेकर सरकार आमूल-चूल परिवर्तन करने जा रही है। बड़े पैमाने पर विश्वविद्यालयों का निर्माण, पाठ्यक्रम में बदलाव, शिक्षकों की कमी को दूर करना जैसे मुद्दों पर काम कर रही है। सरकार को उम्मीद है कि जल्द है देश में शिक्षकों की कमी की स्थिति से निपट लिया जाएगा। पर, पता नहीं कांग्रेस ने ‘शिक्षकों के निर्यात’ जैसे शब्द गढ़कर क्या बताना चाहती है।

इन्हें भी पढ़ें : मोदी सरकार ने देश में शिक्षा का किया कायाकल्प

नोटबंदी

नोटबंदी से भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद और ड्रग्स के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी गयी। पर, विपक्ष इसे मानने को तैयार नहीं है। नोटबंदी के बाद के हर चुनाव में इस मुद्दे को विपक्ष ने उठाया है लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। कांग्रेस को नोटबंदी का दर्द अब भी साल रहा है।

इन्हें भी पढ़ें : नोटबंदी के बाद दिखने लगा है सकारात्मक असर… तेज हुई विकास की रफ्तार 

Leave a Reply