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ऐतिहासिक ऊंचाई पर भाजपा, पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा विधायक पार्टी के पास

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देशभर में मोदी लहर बरकरार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा देशभर में लगातार चुनाव जीत रही है। कर्नाटक में भले ही बहुमत से थोड़ा दूर रह गई हो, लेकिन कांग्रेस को पीछे छोड़कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद अब 21 राज्यों में एनडीए/बीजेपी की सरकार हो गई है। अब अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, जबकि पांच राज्यों- बिहार, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और नागालैंड में गठबंधन की सरकार है।

क्षेत्रीय पार्टियों से भी छोटी हो गई कांग्रेस
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस आजादी के बाद सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गई है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब सिर्फ दो राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बची है। अब वह महज ढाई प्रतिशत आबादी पर ही काबिज है। कांग्रेस पार्टी की हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह कई क्षेत्रीय दलों से भी कम आबादी पर ही शासन कर रही है। राहुल गांधी का रिकॉर्ड तो ये है कि अब तक उनके नेतृत्व में जितने भी चुनाव लड़े गए उसमें से ज्यादातर कांग्रेस हारती ही चली आ रही है। दरअसल, कांग्रेस अपने अस्तित्व पर संकट के दौर से गुजर रही है और एक के बाद एक बड़ी हार के जिम्मेदार राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

ऐतिहासिक ऊंचाई पर भाजपा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू जनता के सिर चढ़ कर बोल रहा है, कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने यह एक बार फिर साबित कर दिया है। 2014 के चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। तब से लेकर अब तक प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा बरकरार है। प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में जितने भी राज्यों में चुनाव हुए, अधिकतर में भाजपा को जीत मिली और उसकी सबसे बड़ी वजह थी प्रधानमंत्री की लोकप्रियता। यानी चार साल बाद भी देश में “मोदी लहर” कायम है और अपना जलवा दिखा रही है। इस समय भाजपा के पास पिछले ढाई दशक के मुकाबले सबसे ज्यादा 1518 विधायक हैं। जबकि देशभर में कांग्रेस के मात्र 727 विधायक हैं। सन 1989 में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 1877 थी और इसी साल से कमल खिलने का ऐसा सिलसिला चला कि आज भाजपा देश की सबसे मजबूत पार्टी है।

 

साल 2014 के बाद से अब तक हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की है और कांग्रेस एक के बाद चुनाव हारती जा रही है।

महाराष्ट्र में सिर चढ़कर बोला मोदी का जादू
महाराष्ट्र में 13 अप्रैल को आए निकाय चुनाव परिणाम भी भाजपामय रहा। यहां निकाय चुनाव के तहत जामनेर, अजरा, कांकावाली, गुहागार, देवरुख और वैजापुर सीटों पर म्यूनिसिपल काउंसिल के चुनाव हुए। यहां कुल 115 सीटों पर चुनाव हुआ जिसमें अकेले भारतीय जनता पार्टी 57 सीटों पर विजयी हुई। यह सीट कुल सीटों को पचास प्रतिशत है। म्युनिसिपल काउंसिल और पंचायत अध्यक्ष की 6 सीटों में से 4 पर भाजपा की झोली में जनता ने डाल दिया।

मोदी लहर से त्रिपुरा में ढहा ‘लाल’ किला
त्रिपुरा में मोदी लहर देखने को मिली। मोदी लहर से 25 साल से सत्ता पर काबिज सीपीआईएम की सरकार धवस्त हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में त्रिपुरा के 60 सीटों में अकेले भाजपा को 35 सीटों पर जीत मिली। एक सीट पर सीपीएम के प्रत्याशी के निधन पर बाद में चुनाव हुए, वहां भी भाजपा को जीत मिली। इस तरह से त्रिपुरा में भाजपा को 60 में से 36 सीट मिली। वहीं, भाजपा के सहयोगी दल आईपीएफटी को भी आठ सीटें मिली। इस जीत पर पीएम मोदी ने हमारे लिए यह जती ‘NO ONE से WON तक की यात्रा’ है। पीएम ने ट्विटर पर लिखा था, ‘त्रिपुरा के मेरे भाइयों बहनों ने जो किया वह अविश्वसनीय है। उनके इस समर्थन और प्यार के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। हम त्रिपुरा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’ 

गुजरात और हिमाचल में चला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहा। गुजरात के 182 सीटों में से सरकार बनाने के लिए जादूई आंकड़े 92 को आसानी से पार करते हुए 99 सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। गुजरात में भाजपा की यह लगातार छठी जीत है। हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से दो-तिहाई के आंकड़े को छूते हुए 44 सीट पर भाजपा को जीत मिली। 

महाराष्ट्र भी मोदीमय
महाराष्ट्र में 7 अक्टूबर, 2017 को हुए विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र और पश्चिमी महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत चुनाव के परिणाम आए थे। इसमें बीजेपी ने लगभग 50% सीटों पर कब्जा जमा लिया था।

मीरा-भायंदर महानगर पालिका भाजपामय 
पंचायत चुनाव से पहले मीरा-भायंदर महानगर पालिका के चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना और कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया था। चुनाव में बीजेपी 61 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव परिणाम में बीजेपी को 61, शिवसेना को 22, कांग्रेस को 10 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि एनसीपी का खाता भी नहीं खुला था। 

केएएसी, असम चुनाव में भी भाजपा को भारी बहुमत
कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद (केएएसी) चुनाव में भाजपा भारी बहुमत से जीती थी। भाजपा को 26 सीटों में से 24 सीटों पर सफलता मिली। बाकी दो सीटों पर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले आर टकबी और डी उफिंग मासलाई के खाते में गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। असम के पहाड़ी जिले कार्बी आंग्लांग के केएएसी चुनाव में कांग्रेस के साथ अगप और स्थानीय पार्टी एचएसडीसी का भी खाता नहीं खुला था। 

एमसीडी में प्रचंड जीत
दिल्ली नगर निगम चुनाव (एमसीडी) में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली थी। बीजेपी को तीनों एमसीडी में बहुमत मिला था। दिल्ली नगर निगम की 270 सीटों में से बीजेपी को 184, आम आदमी पार्टी को 45, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव में कांग्रेस के 92 और आम आदमी पार्टी के 40 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

जम्मू-कश्मीर के उच्च सदन में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
जम्मू-कश्मीर विधान परिषद चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य विधानपरिषद के चुनाव परिणाम के अनुसार 34 सीटों वाले जम्मू-कश्मीर के उच्च सदन में बीजेपी 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में भाजपा की लहर
महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों के लिए हुए चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज की। बीएमसी की 227 सीटों में बीजेपी को 82 सीटें मिली। पुणे में बीजेपी को 74, 
नागपुर में 70, नासिक में 33, पिंपरी चिंचवाड़ में 70, इसी तरह उल्हासनगर में 34, सोलापुर में 49, अकोला में बीजेपी को 48 और अमरावती मे 45 सीटें मिली। 1514 जिला परिषद चुनाव में बीजेपी को 403, शिवसेना को 269, कांग्रेस को 300, एनसीपी को 344 सीटें मिली। महाराष्ट्र की चंद्रपुर और लातूर महानगरपालिका चुनावों में बीजेपी को भारी सफलता मिली। लातूर में पिछली बार बीजेपी को एक भी सीट नही मिली थी। इस बार 41 सीटों पर कामयाबी मिली। आजादी के बाद पहली बार यहां कांग्रेस को करारी हार मिली।

ओडिशा में भी जय-जयकार
ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। 

चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले
नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई। 

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में भाजपा अव्वल
महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी को 51 सीटें मिलीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में। 

गुजरात के निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत
गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया था। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं थीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

उपचुनाव में जीत
प्रधानमंत्री मोदी के जलवे के चलते पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में भी जोरदार झटका लगा। दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही है और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। 

असम- नोटबंदी के बाद लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान बरुआ को जीत मिली। बैथालांगसो विधानसभा सीट पर भाजपा के ही मानसिंह रोंगपी ने जीत हासिल की।

मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह और नेपानगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू ने जीत दर्ज की।

अरुणाचल प्रदेश- नोटबंदी के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी भाजपा की लहर देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी देसिंगू पुल को हायूलियांग विधानसभा सीट से जीत मिली।

त्रिपुरा- यहां उपचुनाव के बाद भाजपा का वोट शेयर 1% से बढ़कर पूरे 21% तक पहुंच गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 41% से घट कर मात्र 2% हो गया है।

पश्चिम बंगाल- नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और तामलुक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। कूचबिहार लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 16.4 से बढ़कर 28.5 फीसदी हो गया। वहीं तामलुक लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 6.4 से बढ़कर 15.25 फीसदी तक पहुंच गया। दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा तृणमूल कांग्रेस के सामने खतरा बनकर उभरी है।

कर्नाटक के नतीजों के बाद और मजबूत हुआ ‘ब्रैंड मोदी’

भीड़ को वोट में बदलने की महारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे जन नेता हैं, जिन्हें सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं। श्री मोदी की रैलियों पर नजर डालें तो साबित हो जाएगा कि आयोजनकर्ता जितने लोगों की भीड़ का अनुमान लगाकर तैयारी करते हैं, रैली में उससे अधिक लोग पहुंचते हैं। हाल के वर्षों में किसी और राजनेता की रैलियों में इतनी भीड़ जुटने की मिसाल नहीं मिलती है। सबसे अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली में जो भीड़ उमड़ती है वो वोट में भी तब्दील होती है। यह कर्नाटक में चुनाव प्रचार के आंकड़ों से स्पष्ट हो जाएगा। कर्नाटक में श्री मोदी ने कुल 21 चुनावी रैलियां संबोधित की, इन रैलियों के प्रभाव क्षेत्र में से 89 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों को जीत मिली है। आपको बता दें कि कर्नाटक में भाजपा को कुल 104 सीटें मिली हैं।

जनता से संवाद बनाने में पीएम मोदी का जवाब नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खासियत है कि चुनावी रैलियों में वह सिर्फ एकतरफा संवाद नहीं करते हैं, बल्कि जनता से दोतरफा संवाद करते हैं। श्री मोदी रैलियों में अपनी बात कहते हैं और फिर उस पर जनता की प्रतिक्रिया भी लेते हैं। उनकी इस अदा के चलते ही रैलियों में मौजूद जनता उन्हें पूरी तन्मयता से सुनती है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी जहां भी होते हैं, वहां की समस्याओं पर फोकस रखते हैं, इससे भी जनता खुद को जुड़ा हुआ महसूस करती है।

जनता का भरोसा जीतने का हुनर
प्रधानमंत्री मोदी की एक और खासियत है कि वो कभी भी हवा में बातें नहीं करते हैं। वह हमेशा तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर अपनी बात रखते हैं। यही वजह है कि भाषण में कही गई उनकी बातें सीधे जनता के दिल में उतरती हैं और असर करती हैं। इसका असर यह होता है कि, जो भी व्यक्ति एक बार प्रधानमंत्री की बातों को सुन लेता है, वो उनका होकर रह जाता है।

अपने दम पर चुनाव जिताने की काबिलियत
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पहले भाजपा की स्थित मजबूत नहीं थी। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भाजपा की स्थित डांवाडोल बता जा रही थी। हालांकि संगठन के स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक के चुनाव प्रचार में उतरे पहली रैली से ही चुनाव की फिजा बदल गई। जैसे-जैसे उनकी रैलियां होती गईं कर्नाटक में चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष में बदलता गया और नतीजा सबके सामने है। इससे पहले भी श्री मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान अपने दम पर भाजपा के लिए स्थितियां बेहतर कर दी थीं।

विरोधियों को उन्हीं की भाषा में जवाब
‘ब्रैंड मोदी’ के लगातार मजबूत की बड़ी वजह है पीएम मोदी की परिपक्व राजनीतिक समझ और सियासी नब्ज पर अच्छी पकड़। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के समय जब भाजपा पर विपक्ष ने दलित और गरीब विरोधी होने का आरोप लगाया तो पीएम मोदी ने उसी पिच पर विरोधियों को जवाब देना शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी ने जब एक-एक कर आरोपों का जवाब देना शुरू किया और अपनी खास शैली में विपक्षियों को ही कठघरे में खड़ा किया, तो स्थितियां बदलती चली गईं और नतीजा सबके सामने हैं।

पार्टी कैडर से सीधा संवाद और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
किसी भी नेता को बनाने और पार्टी को चमकाने में कार्यकर्ताओं को अहम योगदान होता है। प्रधानमंत्री मोदी इसे बाखूबी समझते हैं। कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान श्री मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल करते हुए श्री मोदी ने एप के माध्यम से भाजपा कार्यकर्ताओं और फ्रंटल संगठनों के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया, उनके सवालों का जवाब दिया। जाहिर है जब इतना बड़ा नेता जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करता है, तो उनमें उत्साह का संचार होता है और फिर वह कार्यकर्ता अपने नेता के लिए जी-जान से जुट जाता है।

विकासपुरुष के तौर पर बनी पहचान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता के आने के बाद आम लोगों, गरीबों, वंचितों, आदिवासियों, महिलाओं के कल्याण के लिए इतनी क्रांतिकारी योजनाएं चलाई हैं, जो पहले कभी नहीं चलाई गईं। देश में सड़क, रेल, हवाई मार्ग आदि के विकास यानि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पिछले 4 वर्षों में जो भी कार्य किए गए हैं, इतने बड़े स्तर पहले कभी नहीं किए गए। आज प्रधानमंत्री मोदी की पहचान एक विकास पुरुष के रूप में बन चुकी है, और इस पहचान ने भी ब्रैंड मोदी को मजबूत किया है।

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