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फिर खुला बोफोर्स केस तो बढ़ सकती है गांधी परिवार की मुश्किल ?

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गांधी परिवार ने बोफोर्स दलाली कांड से अपना पिंड छुड़ाने के लिये लाखों जतन कर लिये, लेकिन इसका भूत रह-रह कर उन्हें परेशान करता रहा है। इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट इसी महीने इस केस को फिर से खोलने की अपील पर विचार कर सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि अब सीबीआई भी इस अपील का समर्थन कर सकती है। जबकि यूपीए शासन के दौरान एजेंसी ने इसका विरोध किया था। गौरतलब है कि ये याचिका 2005 से ही लंबित है।

किसने डाली है याचिका ?
राष्ट्रीय राजनीति में बोफोर्स तोप सौदे की गर्माहट फिर से लौटने का सीन बन रहा है। इस मामले में अजय अग्रवाल नाम के एक वकील ने स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) डालकर सुप्रीम कोर्ट से जल्दी सुनवाई की मांग की है। दरअसल 2005 के एक फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सौदे से जुड़े आरोपियों को बरी कर दिया था। ये मामला तभी से अदालत में विचाराधीन है।

अब केस खोलने का विरोध नहीं करेगी सीबीआई
सबसे बड़ी बात है कि अब सीबीआई ने तय किया है कि वो अजय अग्रवाल की याचिका का विरोध नहीं करेगी। खास बात ये है कि सीबीआई ने ही इस केस की जांच की थी। दस्तावेजों से पता चलता है कि 2006 में एजेंसी के तत्कालीन निदेशक (प्रॉसिक्यूशन) ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का विरोध किया था। यहां ये बताना जरूरी है कि उस समय केंद्र में सोनिया-मनमोहन की सरकार थी। दस्तावेजों के अनुसार तब सीबीआई को संबंधित मंत्रालय से सीबीआई को SLP दाखिल करने की इजाजत नहीं दी गई थी।

यूपीए सरकार ने क्या किया था ?
जानकारी के अनुसार यूपीए-1 सरकार के दौरान सीबीआई के तत्कालीन निदेशक (प्रॉसिक्यूशन) ने दलील दी थी कि आरोपियों को बरी करने का हाई कोर्ट का फैसला कानूनी लिहाज से सही है। इसीलिये उन्होंने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने लायक नहीं माना। दस्तावेजों के मुताबिक तत्कालीन कानून मंत्रालय और सॉलिसिटर जनरल ने निदेशक (प्रॉसिक्यूशन) की राय पर मुहर लगा दी थी जिससे मामला लटका ही रह गया। कहा जाता है कि गांधी परिवार को परेशानी से बचाने के लिये ही ये सारा खेल किया गया।

क्या है बोफोर्स दलाली घोटाला ?
1987 में जब करीब 64 करोड़ का ये घोटाला उजागर हुआ तब देश में सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी की सरकार थी। इस केस में राजीव गांधी पर स्वीडन से तोप खरीदने में रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। इस केस में इटली के विवादास्पद कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोकी का नाम दलाल के रूप में सामने आया था। इटली के नागरिक क्वात्रोकी के गांधी परिवार से घनिष्ठ संबंध होने के भी आरोप लगते रहे हैं। आरोप ये भी लगाया जाता है कि जब भारत के कहने पर विदेशी बैंकों में उसके अकाउंट सीज किये गये थे, तो सोनिया के दबाव में मनमोहन सरकार के दौरान उन संदिग्ध अकाउंट्स को डीफ्रिज कर दिया गया। इसका नतीज ये हुआ कि क्वात्रोकी सारा माल लेकर चंपत हो गया। आरोप तो यहां तक है कि उसे भारतीय एजेंसियों की गिरफ्त में आने से भी गांधी परिवार ने कई बार बचाने की कोशिश की है।

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