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भ्रष्टाचार के मामले में NDTV पर सीबीआई ने कसा शिकंजा, गिरने लगे ‘लोकतंत्र पर खतरे’ के आंसू

छापेमारी से राजनीतिक गलियारों में भी मचा हड़कंप, क्या बरखा लौटाएंगी पद्म सम्मान?

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भ्रष्टाचार के मामले में NDTV सीबीआई के लपेटे में है। NDTV प्रमुख प्रणब रॉय और राधिका रॉय के घर सीबीआई ने छापे मारी की है। ये छापा ICICI बैंक को लगभग 4 सौ करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में किया जा रहा है। इस बारे में 2010 में एमजे अकबर ने शिकायत की थी। पर NDTV ने बयान जारी कर इसे लोकतंत्र को दबाने का प्रयास और इससे उबर जाने का विश्वास जताया है।

ट्विटर पर प्रतिक्रियाओँ में भी NDTV के समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं और सीबीआई की छापेमारी की तुलना आपातकाल से कर रहे हैं।

वाह! सारा भ्रष्टाचार आप करें लेकिन सीबीआई छापा तक न डाले। अगर कुछ गलत नहीं है तो सीबीआई छापे में भी कुछ हासिल नहीं होगा। भ्रष्टाचार हो रहा हो तो वह देश और समाज विरोधी काम नहीं है लेकिन जब भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कार्रवाई होगी, तब वह लोकतंत्र विरोधी काम हो जाता है। लोकतंत्र का भ्रष्टाचार से ऐसा नाता तो न कभी पढ़ा,  कभी सुना गया।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बहुत सही कहा है कि कानून का डर होना जरूरी है और यह सब पर लागू होता है। आप कौन हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने NDTV पर भी चुटकी ली।

ऐसे व्यंग्यात्मक भी खुलकर सामने आ रहे हैं कि शशि थरूर, टाइम्स नाऊ जैसे मामलों में तो कानून को अपना काम करने देना चाहिए लेकिन NDTV के मामले में कानून को अलग तरह से सोचना चाहिए।

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि बरखा दत्त, राजदीप और NDTV में रहे दूसरे पत्रकारों को जो पद्म सम्मान मिले हैं, अब इस घटना के बाद क्या वे उन सम्मानों को लौटा देंगे?

NDTV प्रमुख के घर छापों से राजनीतिक गलियारे में भी बेचैनी है। पूर्व पत्रकार और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष को दुख है कि बाकी टीवी चैनल NDTV को अकेला क्यों छोड़ रहे हैं..

NDTV को राष्ट्रीय आंदोलन नहीं कर रहा था कि दूसरे टीवी चैनल उनका साथ दें। भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई छापा पड़ा है। यह समय सरकार का साथ देने का है न कि एजेंडा चलाने वालों का। लेकिन, ये बात उन्हें समझ में नहीं आ सकती जो खुद दिन रात एजेंडा चलाते हैं।

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