Home विचार धर्मांतरण के जरिये देश में नफरत फैला रही हैं ईसाई मिशनरियां

धर्मांतरण के जरिये देश में नफरत फैला रही हैं ईसाई मिशनरियां

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एडिशनल सेशन जज कृष्णकांत की पत्नी रितु की हत्या और बेटे ध्रुव को गोली मारने के पीछे जो कारण सामने आ रहे हैं वो देश के लिए चौकाने वाले हैं। अब तक की तफ्तीश में जो बात सामने आई है उसमें ये बात पता चलती है कि महिपाल यादव ईसाई बन चुका था, और जो अपने साथ वालों को भी कन्वर्ट होने को कहता था। उसकी बात नहीं मानने पर वह आक्रामक हो जाया करता था। आपको बता दें कि वह इतना कट्टर बन चुका था कि जज की पत्नी और बेटे को मारने के बाद उसने जज को फोन किया था। उसने कहा, मैंने तेरे बेटे और बीबी को गोली मार दी है, ये हर ईसाई का मजहब है कि वह शैतानों को खत्म करे।

आपको बता दें कि महिपाल ने अपना धर्म बदला था और लोगों को वह कन्वर्ट होने के लिए दबाव बनाता था। ऐसी खबरें भी सामने आई है कि महिपाल ने 2 दर्जन से अधिक लोगों को कन्वर्ट भी करवाया था। जज की पत्नी और बेटे को भी वह कन्वर्ट करना चाहता था। दरअसल वह ईसाई मिशनरियों द्वारा फैलाए जा रहे नफरत की साजिश का शिकार हो गया है। आपको बता दें कि ईसाई मिशनरियां देश में नफरत का खेल, खेल रही हैं। हाल में आपने देखा होगा कि जगह जगह हिंदू देवी देवताओं का सार्वजनिक तौर पर अपमान किया जाता है। हिंदुओं को दकियानूसी ठहराया जाता है और हिंदू धर्म का अपमान किया जाता है। इन सबके पीछे ईसाई मिशनरियों का बड़ा हाथ है। सबसे खास ये है कि ईसाई मिशनरियों को कांग्रेस पार्टी की ओर से संरक्षण मिलता रहा है। 

जबरन धर्मांतरण का सोनिया गांधी कनेक्शन और सेक्यूलर जमात का मौन समर्थन
देश में धर्मांतरण का एक बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है। इस कारण देश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है। हिंदुओं के देश में ही आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। इसमें सबसे बड़ी भूमिका ईसाई मिशनरियों की सामने आती रही है। आरोप है कि इन मिशनरियों को कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की शह है। अरुणाचल प्रदेश में तो उनका इंट्रेस्ट जगजाहिर है।

दरअसल सोनिया गांधी पर बीते 10 साल में ईसाई मिशनरियों के जरिये खुद वहां पर रहने वाली आदिवासी जातियों का धर्मांतरण करवाने के आरोप हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 प्रतिशत हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 प्रतिशत से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।

ईसाईयों मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण से बिगड़ गया देश में आबादी का समीकरण
कांग्रेस के कार्यकाल में ईसाई धर्म का लगातार विस्तार होता रहा है। देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। कभी चंद हजार ईसाई की संख्या थी परन्तु आज 2.80 करोड़ से अधिक ईसाई हैं। दरअसल कांग्रेस ने हमेशा से ईसाई धर्म को बढ़ाने के लिए कार्य किए हैं और हिंदुओं का विभाजन कर इस कार्य को अंजाम देते रहे हैं। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल से ही सोनिया गांधी ने पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों के फैलने में मदद की जिसने उन क्षेत्रों में आबादी का संतुलन ही बिगाड़ दिया। इसी का परिणाम है कि आज मेघालय में 75 प्रतिशत, मिजोरम में 87 प्रतिशत, नागालैंड में 90 प्रतिशत, सिक्किम में 8 प्रतिशत और त्रिपुरा में 3.2 प्रतिशत ईसाई आबादी हो गई है। इस साजिश को अंजाम देने के लिए कांग्रेस ने कभी माफी नहीं मांगी। वहीं केरल में भी करीब 24 प्रतिशत आबादी ईसाईयों की है।

कांग्रेस की शह पर होता रहा धर्मांतरण!
जाति और अर्थ की असमानता का फायदा लेकर धार्मिक और आतंकवादी संगठन अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने और मसूंबों को पूरा करने का प्रयास सालों से इस देश में करते रहे हैं, लेकिन धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगकर सत्ता में बने रहने के आसान फार्मूले पर चलने वाली कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से ही देश के हितों की अनदेखी करते हुए इन संगठनों के क्रियाकलापों पर कभी रोक लगाने का प्रयास नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी ने देशहित को सर्वोपरि रखते हुए कई हजार ऐसी स्वयंसेवी संस्थाओं पर अंकुश लगा दिया है, जो देशहित के खिलाफ कांग्रेस के समय से काम कर रहे थे।

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इतना ही नहीं फॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत मिलने वाले विदेशी फंड का बड़ा हिस्सा झारखंड में धर्मांतरण कराने में उपयोग किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में झारखंड में धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूलों को 3.10 अरब रुपए दान में मिले हैं।

गरीब बच्चों को ‘अच्छे’ जीवन देने के नाम पर धर्मांतरण
अभी हाल में अमेरिका की एक स्वयंसेवी संस्था Compassion India पर पाबंदी लगायी गयी । यह संस्था देश के 300 अन्य संस्थाओं को धन देकर धर्मार्थ काम करने का दावा करती थी। गरीब और दलित समाज के बीच में काम करने वाली Compassion India का घोषित उद्देश्य था कि “children in poverty to become responsible and fulfilled Christian adults”। दुनिया को दिखाने के लिए ये गरीब बच्चों की सेवा कर रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर देश के संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम कर रहे थे।

भारत का संविधान देश के नागरिकों को अपनी पसंद का धर्म स्वीकार करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन उसका अर्थ यह नहीं है कि कोई संस्था या व्यक्ति गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन देने के नाम पर उसका धर्म परिवर्तित करवा दे। Compassion India संस्था पिछले तीस सालों से गरीबों बच्चों के सेवा के नाम पर धर्म परिवर्तन का काम करती रही और जिसे कांग्रेस गरीबों की मदद के नाम पर प्रोत्साहित करती रही।

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