तीन राज्यों में सरकार बदलने के साथ ही कांग्रेसी कल्चर फिर से लौट आई है। जनता को वही दिन देखने पड़ रहे हैं, जिसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लोग कब के भूल चुके थे। आइए आपको दिखाते हैं कि इन तीनों राज्यों की जनता को सरकार बदलने के क्या-क्या साइड इफेक्ट झेलने पड़ रहे हैं।
विधायक की धमकी के 4 घंटे के अंदर कलेक्टर का तबादला
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर के झोबट सीट से विधायक बनीं कलावती भूरिया ने अपने समर्थकों के बीच कलेक्टर को बोरिया-बिस्तर समेटने की सरेआम धमकी दी थी। इसका नतीजा ये हुआ कि उनकी धमकी के चार घंटे के अंदर वहां के कलेक्टर का तबादला कर दिया गया।
WATCH | A Congress MLA was caught on camera threatening a district collector in Madhya Pradesh. & just hours later, in a mega administrative reshuffle by the State government, the bureaucrat was transferred pic.twitter.com/NycAhej2W6
— TIMES NOW (@TimesNow) December 22, 2018
कांग्रेसी धोखे के चलते एक और किसान ने की खुदकुशी
मध्य प्रदेश के खंडवा में एक किसान ने खुदकुशी कर ली है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने राज्य में जो कर्ज माफी का दावा किया है, उसका लाभ उस जैसे हजारों किसानों को नहीं मिलना था। इसी से निराश होकर उसने आत्म हत्या कर ली है। खबरों के मुताबिक कमलनाथ सरकार ने सिर्फ उन्हीं किसानों की कर्ज माफी की बात कही है, जिन्होंने इस साल 31 मार्च से पहले लोन लिया था। जाहिर है कि इस धोखेबाजी के चलते हजारों किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
Khandwa, MP: A farmer has committed suicide. The family has alleged that the reason for the suicide is that he was not entitled to the farm loan waiver pic.twitter.com/vKKeSu0PjY
— TIMES NOW (@TimesNow) December 22, 2018
यूरिया का गोलमाल
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार में वापसी के साथ ही गुजरे जमाने वाला यूरिया का संकट फिर से शुरू हो गया है। यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी को लेकर किसान सड़कों पर उतर आए हैं। जगह-जगह यूरिया खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। जबकि, केंद्र सरकार ने साफ किया है कि राजस्थान समेत सभी राज्यों में रबी मौसम की जरूरतों को देखते हुए आवश्यकता से अधिक यूरिया आपूर्ति की गई है। यानि राजस्थान में दिसंबर के लिए 1.74 लाख टन यूरिया की आवश्यकता थी, जबकि करीब 2.08 लाख टन यूरिया उपलब्ध कराया गया है।पहले देश बांटा, अब संविधान की मूल भावना को बांटने का खेल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता संभालते ही अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने ऐलान किया है कि राज्य में स्थापित उद्योगों को 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को ही रोजगार देना होगा। गौरतलब है कि हमारा संविधान अपने नागरिकों को राज्य में कहीं भी नौकरी या व्यवसाय करने की छूट देता है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के निशाने पर यूपी और बिहार के लोग हैं।
लूटेरों की सरकार
दरअसल, जैसे ही कांग्रेसियों को लगा कि उनकी सरकार बनने जा रही है, उन्होंने लूटपाट का अपना पुराना धंधा फिर से शुरू कर दिया था। इस वीडियो में देखिए कि एक कांग्रेस दफ्तर के बाहर एक गरीब के ठेले पर रखे फल को कांग्रेस कार्यकर्ता कैसे लूट रहे हैं।
दंगाइयों के लौटे दिन?
आपको याद होगा कि जब कांग्रेस राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्रियों के नाम तय नहीं कर पा रही थी, तो नेताओं के समर्थक किस तरह बवाल कर रहे थे। सवाल है कि जिस पार्टी के अंदर इतनी कट्टरता और आक्रामकता है, उस पार्टी की सरकार में दंगाइयों की राह कितनी आसान हो जाएगी।
अब ईमानदारों की खैर नहीं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनाव प्रचार के दौरान से ही ईमानदार अफसरों को धमकाते आ रहे थे। सत्ता में आते ही उन्होंने अपनी धमकी को अमलीजामा पहनाना भी शुरू कर दिया। बीते गुरुवार को एक ही झटके में 42 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए गए, इनमें 26 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। गौरतलब है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान खुलेआम कहा था- ‘याद रखें कमलनाथ की चक्की देर से चलती है, पर बहुत बारीक पीसती है।’
महंगाई पर भी जनता से दगाबाजी शुरू
विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने जीएसटी और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को लेकर खूब राजनीतिक की थी। लेकिन, जैसे ही सत्ता मिली है, वह जनता के लिए इनके रेट कम किए जाने का विरोध करने लगी है। जबकि, चुनाव के दौरान पार्टी के नेता केंद्र सरकार पर ही आरोप लगा रहे थे।
Pic 1: Before election
Pic 2: After election pic.twitter.com/qYdTIwculO— Aashish Chandorkar (@c_aashish) December 22, 2018