जाकिर नाईक इस्लामिक आतंकवादी है और वह कई देशों में आतंकवाद को प्रश्रय देने का आरोपी है। उसके फॉलोअर्स कट्टर होते हैं और वे पूरी दुनिया में इस्लाम की स्थापना करना चाहता है। वह अपने पीस टीवी के जरिए लोगों को भड़काने का काम करता है। बांग्लादेश में हुए आतंकवादी हमलों में जाकिर नाइक का कनेक्शन सामने भी आ चुका है इसलिए बांग्लादेश और भारत समेत कई देशों ने उसपर बैन लगा रखा है। बुधवार को इसी आतंकवादी जाकिर नाइक को लेकर ये खबर सामने आई कि मलेशिया सरकार जाकिर नाईक को भारत को सौंप सकती है।
हालांकि यह खबर तथ्यों से दूर है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। दरअसल वह मोदी सरकार की सख्ती से डरा हुआ है और कह रहा है कि उनके मनमाफिक कोई सरकार आएगी तो वे भारत आएंगे।
जाकिर नाइक की इस बात में यह पीड़ा जाहिर हो रही है कि मोदी सरकार के आगे वह बेबस है और भागा भागा फिर रहा है। यह पीड़ा सिर्फ जाकिर नाइक को ही नहीं हो रही बल्कि कांग्रेस के लोग भी जाकिर नाइक की इस दुर्गति से आहत महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला ने इस बात पर अपनी बौखलाहट निकाली है। उन्हें जाकिर नाइक के विरुद्ध सरकार की सख्ती नागवार गुजर रही है।
उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार सिर्फ जाकिर नाइक के खिलाफ ही सख्ती क्यों दिखा रही है, क्यों नहीं नीरव मोदी, माल्या जैसों के खिलाफ सख्ती दिखाई जाती?
The govt of India must show the same spine & zeal in the extradition of Mehul Bhai, Mallya bhai, Nirav Bhai Modi & Lalit Bhai Modi as they showed for Zakir Naik.
— Tehseen Poonawalla (@tehseenp) 4 July 2018
आपको बता दें की माल्या और नीरव मोदी के खिलाफ सरकार ज्यादा सख्त है। माल्या तो कुछ ही दिनों पहले पैसे वापस करने को लेकर रो रहा था। दूसरी तरफ पिछले ही दिनों इंटरपोल ने भारत सरकार के कहने पर नीरव मोदी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। लेकिन कांग्रेस जाकिर नाइक के लिए इतना फिक्रमंद है कि कह रही है कि मोदी सिर्फ जाकिर नाइक पर ही सख्ती क्यों दिखा रहे हैं।
असल बात यह है कि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं को डर है कि पीएम मोदी जाकिर नाइक को भारत ले आए तो कहीं दिग्गज कांग्रेस नेताओं का नाम टेरर लिंक और टेरर नेटवर्क में न आ जाए। दरअसल जाकिर नाइक और कांग्रेस के पुराने संबंध हैं। कांग्रेस पार्टी के कई नेता उसका समर्थन करते हैं और उसे मसीहा और शांति दूत भी बताते रहे हैं। कांग्रेस के राज में ही जाकिर नाइक का आतंकी नेटवर्क पूरे भारत में फैला था।
कट्टरपंथी आतंकियों का समर्थन करती रही है कांग्रेस
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था।
दरअसल कांग्रेस अपने राजनीति लाभ के लिए आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती रही है। इस क्रम में वह कभी आतंकियों की फांसी का विरोध करती है तो कभी पत्थरबाजों का समर्थन करती है। अलगाववादियों और सिमी जैसे संगठनों से रिश्ते में गुरेज नहीं करती है। आइये हम एक नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ वाकयों पर-
आतंकी इशरत जहां के नाम पर भी कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेंद्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।
खालिस्तान समर्थकों का हौसला कांग्रेस ने बढ़ाया
आतंकवादी भिंडरावाले ने कांग्रेसी सिख नेताओं, खास तौर से ज्ञानी जैल सिंह की शह पर स्वर्णमन्दिर परिसर में स्थित अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया था और वहां सैकड़ों हथियारबन्द आतंकियों ने अपना अड्डा बना लिया था। यह 1982-83 का समय था, जब पंजाब में कांग्रेस के दरबारा सिंह की ही सरकार थी। बात जब देश के टुकड़े करने तक बढ़ गई तो ऑपरेशन ब्लू स्टार करना पड़ा, जिसमें 492 आतंकवादी ढेर किए गए थे, जबकि देश के 83 सैनिक भी शहीद कर दिए गए थे।
पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।
कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में लगातार बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।