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दूसरों से सवाल पूछने वाले लालू यादव खुद पर उठ रहे सवालों का जवाब क्यों नहीं देते?

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लालू प्रसाद ने मंगलवार को एक ट्वीट किया जिसमें यह तंज कसा कि वे शाहजहां की बात करें तो आप जय शाह की बात करिये। जाहिर लालू ने इस बहाने भी अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की। लेकिन लालू की इस राजनीति के पीछे वो खीझ है जिसने उन्हें बिहार की सत्ता से बेदखल कर दिया है। भ्रष्टाचार और घोटालों को ‘सरकारी नीति’ बनाने वाले लालू ने कभी बिहार में अपहरण उद्योग भी खोले थे। ये तमाम चीजें उनकी आय का जरिया हुआ करती थीं। बिहार जैसे आर्थिक दृष्टि से पिछड़े राज्य में ऐतिहासिक चारा घोटाला करने वाले लालू प्रसाद ही थे। आइये हम जानते हैं कि लालू प्रसाद ने कैसे बिहार को घोटालों का अड्डा बना दिया था। कैसे मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर बिहार की जनसांख्यिकीय समीकरण बिगाड़ दिया है। कैसे अपने नौकरों से भी दान लेते रहे हैं अमीर लालू और कैसे बिहार के लोगों की गाढ़ी कमाई की लालू एंड फैमिली ने हकमारी की।

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क्या आपकी गाय से हुई इतनी आय?
लालू प्रसाद यादव आज घोषित तौर पर तो ढाई सौ करोड़ के मालिक हैं, लेकिन उनकी और उनके परिवार की बेनामी संपत्ति का आंकलन करें तो यह डेढ़ हजार करोड़ से भी अधिक हो जाती है। लालू प्रसाद एंड फैमिली ने सत्ता का दुरुपयोग करके भ्रष्ट तरीकों से हजारों करोड़ रुपये की संपत्त‌ि अर्जित की है। आलम यह है कि आज प्रदेश के आम लोग लालू एंड फैमिली को ‘बिहार का सबसे बड़ा जमींदार परिवार’ कहने लगे हैं। यहां तक कि अपने नौकरों, अधीनस्थों से भी जबरन या लालच के कारण जमीन हथियाने का आरोप लगा  है लालू एंड फैमिली पर।

क्या आपके नौकर भी आपसे अमीर हैं लालू जी?
16 अक्टूबर को एक और खुलासा हुआ है जिसमें लालू यादव पर चंद्रकांता देवी नाम की महिला से जमीन लिखवाई गई है। दरअसल चंद्रकांता देवी ने 8 दिसंबर 2006 को पटना के मनेर इलाके में 8.6 लाख रुपये कीमत की 318 डिसमिल जमीन लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को दान में दे दी। इतना ही नहीं जमीन दान के वक्‍त लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को मीसा भारती बताकर पेश किया गया, जबकि डीड में मीसा भारती का हस्ताक्षर बतौर गवाह दर्ज है। बहरहाल सवाल उठ रहे हैं कि मीसा भारती ने चंद्रकांता देवी की आखिर क्या सेवा या मदद की, जिससे खुश होकर उन्होंने अपने बच्चों के रहते यह जमीन उन्‍हें दे दी? 

मंत्री पद देकर जमीन कब्जाने का आरोप
दरअसल लालू प्रसाद पर राजद नेताओं को मंत्री पद देकर उनकी जमीन कब्जाने का भी आरोप है। इसके अलावा रेलमंत्री रहने के दौरान आम लोगों को नौकरी देकर उनकी जमीन हथियाने का आरोप है। इन मामलों में जमीनें लालू के बेटों को दान की गई हैं।

इनपर है लालू परिवार को जमीन दान का आरोप-
1. हृदयानंद चौधरी
2. प्रभुनाथ यादव
3. रघुनाथ झा
4. कांति सिंह
5. सोफिया तबस्सुम
6. ललन चौधरी
7. मोहम्मद शमीम
8. राकेश रंजन
9. सीमा वर्मा
10. सुभाष चौधरी
11. चंद्रकांता देवी

अब लोग पूछ रहे हैं क्या आपकी इतनी आय क्या गाय से हुई है? लालू प्रसाद द्वारा बिहार के गरीब-गुरबे जनता के साथ किए गए धोखे और ‘पापों’ की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसमें पूरा परिवार उलझा हुआ है। 

चारा घोटाला
1990 से 97 के दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, इसी दौरान बिहार में चारा घोटाला हुआ। इस घोटाले में बिहार सरकार के राजस्व में 1000 करोड़ की गड़बड़ी की गई। 30 सितंबर 2013 को 44 अन्य के साथ सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को इस मामले में दोषी ठहराया गया। 

रेलवे होटल घोटाला
सीबीआई ने जुलाई महीने के शुरुआत में वर्ष 2006 के एक मामले में कथित अनियमितता के आरोप में लालू यादव के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके साथ ही सीबीआई ने लालू और उनके परिवार से जुड़े 12 ठिकानों पर छापा भी मारा गया। ये सभी ठिकाने दिल्ली, पटना, रांची और गुरुग्राम में हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रांची और पुरी के दो होटलों की देखभाल और मरम्मत के लिए निकाले गए टेंडर में गड़बड़ियां पाई गई हैं। इन दोनों होटलों को टेंडर के जरिए सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था।

बिहार के लोगों की गाढ़ी कमाई पर आपके बेटे-बेटियों का हक है?

बेनामी संपत्तियां
20 जून को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों की जब्त की गई संपत्ति की एक सूची जारी की। आईटी डिपार्टमेंट ने लालू के रिश्तेदारों की 12 संपत्तियां जब्त की हैं। इनमें कुछ लालू की बेटी मीसा भारती की और उनके पति शैलेश कुमार की हैं। साथ ही बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, रागिनी और चंदना यादव की हैं। जब्त की गई संपत्तियों में दिल्ली का एक फॉर्म हाउस और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित एक बंगला भी है। इन संपत्तियों का मार्केट वैल्यू 175 करोड़ से ज्यादा का है, जबकि इनको 9.32 करोड़ में खरीदा गया था।

मनी लॉड्रिंग केस
मई महीने में ईडी ने लालू यादव की बेटी मीसा भारती की कंपनी से जुड़े एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को गिरफ्तार किया। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इन पर 8 हजार करोड़ रुपये की मनी लॉड्रिंग का आरोप है।

तेजस्वी के खिलाफ केस
लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ बिहार के सबसे बड़े मॉल का प्रमोशन कर रही कंपनी में भारी शेयर रखने का आरोप है।

तेज प्रताप के खिलाफ केस
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के खिलाफ कथित तौर पर जमीन कब्जाने और पेट्रोल पंप रखने का आरोप है।

मीसा, रागिनी और हेमा के खिलाफ केस
लालू की तीन बेटियों के खिलाफ भी शेल (मुखौटा) कंपनियों में डायरेक्टर होने का आरोप है।

15 सालों में बिहार में कितना काम काज किया?
लालू प्रसाद सामाजिक बदलाव के प्रतीक  के तौर पर बिहार की सत्ता में आए थे। लेकिन उन्होंने समाजिक परिवर्तन के इस राजनीतिक अवसर को अपनी फैमिली की सुख समृद्धि को बढ़ाने के लिए ही उपयोग किया। धीरे-धीरे बिहार जंगलराज  में तब्दील हो गया था। जंगलराज से मतलब नेताओं, नौकरशाहों, व्यापारियों, अपराधियों के आपराधिक सांठगांठ से है। लालू-राबड़ी के शासन में भी ऐसे ही नेक्सस बने थे। अराजक शासन की नजीर बन गया बिहार लगातार विकास के हर मानक पर पिछड़ता चला गया। सड़कों के निर्माण के लिए आए अलकतरा में घोटाला, चारा घोटाला, स्टाम्प घोटाला, बाढ राहत घोटाला, चरवाहा विद्यालय घोटाला… न जाने कितने ही घोटाले-फर्जीवाड़े।

राबड़ी देवी और लालू यादव (फाइल फोटो)

अपहरण बन गया था उद्योग
अपहरण उद्योग बन गया और लगातार बिहार अपराधियों का अड्डा बनता चला गया। ऐसे में लालू यादव का काम काज को लेकर किया जाने वाला सवाल कितना जायज है?   बिहार का चप्पा-चप्पा अपहरण, हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, रंगदारी, भ्रष्टाचार आदि की घटनाओं से लबरेज था।  बिहार का चप्पा-चप्पा अपहरण, हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, रंगदारी, भ्रष्टाचार आदि की घटनाओं से लबरेज था। विरोधियों ने तो यहां तक कह दिया कि लालू-राबड़ी के शासन में किडनैपिंग को उद्योग का दर्जा मिल गया। जब जिसे जैसे इच्छा होती थी, बेरोकटोक किसी को उठा लेता था। खासकर, डॉक्टर, इंजिनियर और बिजनसमेन अपहरणकर्ताओं के निशाने पर रहते थे।

बिहार पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक, साल 2000 से 2005 की पांच साल की अवधि में 18,189 हत्याएं हुईं। इस आंकड़े को ध्यान में रखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि 15 सालों में 50 हजार से ज्यादा लोग मौत के घाट उतार दिए गए। हैरानी की बात यह है कि सिर्फ घोषित अपराधी ही मर्डर नहीं किया करते बल्कि सांसदों-विधायकों के इशारों पर भी हत्याएं होती थीं। सीवान के सांसद शहाबुद्दीन की करतूतों को भला कौन भूल सकता है। 1992 से 2004 तक बिहार में किडनैपिंग के 32,085 मामले सामने आए। कई मामलों में तो फिरौती की रकम लेकर भी बंधकों को मार दिया जाता था।

हिंदुओं का विरोध क्यों, मुस्लिमों का तुष्टिकरण क्यों?
हिंदुओं का विरोध और मुस्लिमों का तुष्टिकरण लालू यादव की राजनीतिक विशेषता बन गई है। यादव जाति के जनाधार बनाते हुए बिहार को लगातार गर्त में धकेला जा रहा है। आज आलम यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण बिहार के चार जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं। किशनगंज में 75 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है, अररिया में 52 प्रतिशत, कटिहार में 42 प्रतिशत तो पूर्णिया में 39 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की हो गई है। इनमें से 80 प्रतिशत आबादी यहां के स्थानीय मुस्लिम नहीं बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं। बंगाल की तर्ज पर बिहार में भी बांग्लादेशियों का प्रकोप जारी है और वोट बैंक की चिंता में लालू यादव मुस्लिम तुष्टिकरण करते हुए इस पर चुप्पी लगा के बैठे रहे।

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