Home तीन साल बेमिसाल मोदी राज में 22 प्रतिशत कम हुआ भ्रष्टाचार

मोदी राज में 22 प्रतिशत कम हुआ भ्रष्टाचार

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नोटबंदी के विरोध में हंगामा मचाने वालों को सीएमएस की ताजा रिपोर्ट से झटका लग सकता है। नीति आयोग के थिंकटैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज यानी सीएमएस की 11 वीं रिपोर्ट बता रही है कि देश में भ्रष्टाचार का स्तर 22 प्रतिशत कम हो गया है। 2005 के मुकाबले पुलिस, न्यायिक सेवाओं में भी घूसखोरी तेजी से घटी है। जाहिर है घूसखोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार की कोशिशें रंग लाती नजर आ रही हैं।

सीएमएस इंडिया करप्शन स्टडी के ये नतीजे 20 राज्यों के 3 हजार परिवारों के अनुभव के आधार पर हैं। दस सार्वजनिक सेवाओं, जैसे-बिजली, राशन की दुकान, स्वास्थ्य सेवाएं, पुलिस, न्यायिक सेवाओं, पानी आदि पर आधारित हैं।

100 में 56 ने कहा-कम हुआ भ्रष्टाचार
सीएमएस ने नोटबंदी के बाद इस साल जनवरी के दौरान 20 राज्यों में फोन पर एक सर्वे कराया। रिपोर्ट के मुताबिक, 2005 में जहां करीब 53 फीसदी परिवारों ने सार्वजनिक सेवाओं में पूरे साल में कम से कम एक बार भ्रष्टाचार से रूबरू होने की बात मानी थी, वहीं 2017 में ये संख्या घटकर 33 फीसदी रह गई। 2005 में जहां 73 फीसदी परिवारों का मानना था कि सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार बढ़ा। 2017 में ऐसी राय सिर्फ 43 फीसदी परिवारों की है।

20 राज्यों की 10 सार्वजनिक सेवाओं में जहां 2005 के दौरान करीब 20 हजार 5 सौ करोड़ रुपये बतौर घूस दिए गए, वहीं 2017 में ये रकम घटकर 6350 करोड़ रुपये रह गई। सर्वे में 56 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबंदी की वजह से भ्रष्टाचार में कमी आई है जबकि 12 फीसदी की राय इससे उलट रही। 21 फीसदी की मुताबिक कोई बदलाव नहीं हुआ जबकि 11 फीसदी लोगों ने अपनी राय नहीं दी।

 नोटबंदी का ग्रोथ रेट पर असर नहीं
वित्त वर्ष की उस तिमाही में जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था, देश की तरक्की की रफ्तार 7 फीसदी रही है। इस रफ्तार में एक्सीलेटर का काम किया है कृषि क्षेत्र ने, जिसकी विकास दर 3.8 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी रिकॉर्ड की गयी है। जीडीपी में शामिल इंडस्ट्री ग्रोथ, माइनिंग सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में भी जोरदार उछाल दर्ज किया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016-17 में तरक्की की रफ्तार 7.1 फीसदी की दर पर रहने का अनुमान है।

निर्यात में बढ़ोतरी से बदली तस्वीर
अर्थव्यवस्था में वैश्विक मंदी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। नोटबंदी के असर से अप्रभावित भारत की 7 प्रतिशत से ज्यादा आर्थिक वृद्धि दर है। वहीं जीएसटी लागू होने की दहलीज पर खड़े देश के व्यापार संतुलन में भी सुधार देखने को मिल रहा है और लगभग सभी क्षेत्रों के निर्यात में बड़ी बढ़ोतरी हुई है।

पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 69 प्रतिशत की छलांग वहीं इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में 47 का उछाल आया। मार्च में देश के निर्यात में 27.59 फीसदी की तेजी आई, जो पिछले पांच साल में सर्वाधिक वृद्धि है। वहीं आयात में भी सांकेतिक ही सही कमी आई है। लेकिन आयात में ये सांकेतिक कमी भी देश की अर्थव्यवस्था की नई मजबूती को बताने के लिए काफी हैं।

निर्यात में सकारात्मक वृद्धि
इधर मार्च 2017 के महीने के व्यापार आंकड़े संकलित कर लिए गए हैं। 2016-17 के दौरान कुल निर्यात 274.65 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य का रहा है जो 2015-16 की तुलना में 4.71% की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कर रहा है। मूल्य के संदर्भ में देखें तो यह अप्रैल 2014 से दर्ज किए गए उच्चतम निर्यात है।

आयात में 0.17 प्रतिशत की कमी
मार्च 2016 में यूएस डॉलर 27.31 बिलियन के मुकाबले मार्च 2017 के लिए आयात 39.67 अरब डॉलर है। जाहिर है 45.25% की वृद्धि दर का सकारात्मक दर दिखा रहा है। अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक यूएस डॉलर 380.37 अरब के दौरान संचयी आयात में 2015-16 की इसी अवधि की तुलना में 0.17% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।

नोट बैन के बाद क्या-क्या बदला
नोटबंदी के बाद बैंक और डाकखानों में 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा हुए। इसके अलावा खुदरा और थोक महंगाई दर में कमी हुई। वहीं डिजिटल वॉलेट कंपनियों का रोजगार बढ़ा, जबकि डिजिटल पेमेंट में 30 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई। सोने के दामों में गिरावट से लेकर प्रॉपर्टी की कीमतों में जबरदस्त कमी हुई। 3300 करोड़ रुपये से ज्यादा कालाधन बरामद किया गया और 400 करोड़ रुपयों का जाली नोट के कारोबार पर लगाम लग गया।

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