Home नरेंद्र मोदी विशेष नोटबंदी के साहसिक कदम से पड़ी अर्थव्यवस्था में ईमानदारी की मजबूत नींव

नोटबंदी के साहसिक कदम से पड़ी अर्थव्यवस्था में ईमानदारी की मजबूत नींव

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8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाये गए नोटबंदी के कदम पर उनके विरोधी जहां गले ना उतरने वाली दलीलें देकर खोट निकालने में लगे हैं वहीं नोटबंदी के कदम को ईमानदार सोच के साथ देखने वाले खुलकर बताते हैं कि इस फैसले ने देश की वित्तीय और आर्थिक प्रणाली को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की शुरुआत की है।

भारत लेसकैश इकोनॉमी की ओर: नंदन नीलेकणि

प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि नोटबंदी के साथ लेसकैश इकोनॉमी में भारत का सफर आगे बढ़ चुका है। Live Mint में अपने लेख में नीलेकणि ने कहा: ‘’भारत डिजिटल पेमेंट से जुड़ी समस्याओं को समझता है और एक समय इसका समाधान तलाशने में विश्व  में सबसे आगे था, लेकिन यह राजनीतिक पार्टियों की प्राथमिकता में नहीं था। लेकिन नोटबंदी और उसके बाद नकद का विकल्प तलाशने की आवश्यकता ने डिजिटाइजेशन और कैशलेस पेमेंट पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया।‘’

आगे उन्होंने यह भी लिखा है:  ‘’डिजिटल पेमेंट्स तो बस पहला कदम है। अब लोग इसके जरिये आसानी से पैसों का लेनदेन कर सकते हैं। हम अब इन लोगों के लिए नई सेवाएं और उत्पाद विकसित होते देखेंगे।’’

नीलेकणि की टिप्पणी को समझेंगे राहुल गांधी?

यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि 2014 में नंदन नीलेकणि उसी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी नोटबंदी का विरोध करने में सबसे आगे हैं। हालांकि राहुल के पास विरोध का कोई ठोस आधार नहीं इसलिए वो जिस रास्ते से सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं उसमें खुद ही घिर जाते हैं। नीलेकणि के आलेख से यह जाहिर हो जाता है कि नोटबंदी के कदम को आमूलचूल सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए ना कि सिर्फ राजनीतिक कारणों से इसका विरोध किया जाना चाहिए।  

नारायण मूर्ति भी कर चुके हैं नोटबंदी की प्रशंसा

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने इस कदम को साहसिक बताते हुए कहा था कि नोटबंदी का फैसला बिलकुल सही था और ये लोगों की सोच में बदलाव लाने वाला साबित होगा। पूरे देश ने देखा कि किस तरह से प्रधानमंत्री के कदम को कुछ तात्कालिक तकलीफ झेलते हुए भी जनता ने अपना पूरा समर्थन दिया था। आज उसके कई फायदे सामने हैं और कई दूरगामी फायदे भी नजर आयेंगे।

रतन टाटा बता चुके हैं सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक

निष्पक्ष और बेलाग तरीके से अपनी बात रखने वाले देश के कई दिग्गजों ने नोटबंदी के फैसले को खुलकर अपना समर्थन दिया। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने नोटबंदी को देश के तीन सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में से एक बताया। नोटबंदी के अलावा बाकी दो हैं जीएसटी और लाइसेंस राज का खात्मा। रतन टाटा कह चुके हैं कि नोटबंदी से नकदी चालित भारत की अर्थव्यवस्था नकदीविहीन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने लगी है।डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त वृद्धि

नोटबंदी से डिजिटल पेमेंट में किस तरह की बेतहाशा वृद्धि हुई इसे एक सरल लेकिन बेहद महत्वपूर्ण आंकड़े से समझा जा सकता है। अक्टूबर 2016 में UPI/Bhim पर होने वाले पेमेंट की संख्या 1 लाख थी जो अक्टूबर 2017 में 7.7 करोड़ दर्ज की गई। उम्मीद है कि इस नवंबर में ये संख्या 10 करोड़ को पार कर जाएगी।  

अपने मूल उद्देश्य में सफल रही नोटबंदी

यह नोटबंदी ही थी जिसके चलते देश के इतिहास में सबसे ज्‍यादा कालेधन का पर्दाफाश हुआ:

  • इस दौरान देश की जनसंख्‍या के 0.00011 प्रतिशत लोगों ने कुल उपलब्ध रही कैश राशि का 33 फीसदी जमा कराया।
  • 17.73 लाख संदिग्ध मामलों का पता चला।
  • 23.22 लाख खातों में 2.68 लाख करोड़ रुपये के संदिग्ध कैश जमा हुए।
  • करीब 6 लाख करोड़ रुपये के हाई वैल्यू नोट प्रभावी रूप से कम हुए।   

इसमें कोई शक नहीं कि नोटबंदी भ्रष्टाचार और कालाधन पर शिकंजे के अपने मूल मकसद में कामयाब रही है। देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए इसने स्वच्छ और ईमानदार व्यवस्था देने का काम किया है।  

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