नकद में लेनदेन से कालाधन और नकली धन भी अर्थव्यवस्था में प्रवेश करता है। इसी पर रोक लगाने का बड़ा माध्यम है डिजिटल ट्रांजेक्शन्स। बीते कुछ महीनों में देश ने जिस तरह से डिजिटल ट्रांजेक्शन्स को अपनाया है उससे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया का सपना सच होने की दिशा में अग्रसर है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन्स का सुपर पावर होगा।
23 गुना बढ़ गए डिजिटल ट्रांजेक्शन
प्रधानमंत्री डिजिटल सोसाइटी बनाने का हमेशा आह्वान करते रहे हैं और देश के लोगों पर इसका कितना असर हो रहा है अब उसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आने लगे हैं। नीति आयोग के मुताबिक मार्च 2017 में 63,80,000 डिजिटल ट्रांजेक्शन्स हुए जिनमें 2,425 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुआ। नवंबर 2016 से अगर इसकी तुलना की जाए तो उस वक्त 2,80,000 डिजिटल लेनदेन हो रहे थे जिनमें 101 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुआ था। यानि इसमें 23 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जाहिर है पांच महीने में बढ़ोतरी दर्शाता है कि लोग डिजिटल ट्रांजेक्शन्स के साथ सहज होते जा रहे हैं।
लेस कैश व्यवस्था बनाना मकसद
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है। इससे पता चलता है कि लेस कैश के अभियान में सरकार ना सिर्फ सफल रही है बल्कि बिना हिसाब-किताब वाले धन की जमाखोरी में भी तेजी से गिरावट आई है ।
कैश ट्रांजेक्शन्स में लगातार कमी आती जा रही है। वर्ष 2016-17 के दौरान के कुछ आंकड़े नीचे दिये गए हैं-
- 2016-17 के दौरान डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से क्रमश: 110 करोड़ और 240 करोड़ ट्रांजेक्शन्स हुए। जिनमें क्रमश: 3.3 लाख करोड़ और 3.3 लाख करोड़ की रकम थी। जबकि 2015-16 में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से क्रमश: 1.6 लाख करोड औरर 2.4 लाख करोड़ का लेनदेन हुआ था।
- प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के साथ लेनदेन का कुल मूल्य 2015-16 में 48,800 करोड़ रुपये से 2016-17 में 83,800 करोड़ रुपये हो गया है। पीपीआई के माध्यम से ट्रांजेक्शन की कुल मात्रा लगभग 75 करोड़ से बढ़कर 196 करोड़ हो गई है।
- 2016-17 के दौरान, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) ने 160 करोड़ के लेनदेन का संचालन किया, जो कि 120 लाख करोड़ रुपये का था। पिछले वित्त वर्ष में करीब 130 करोड़ ट्रांजेक्शन से पिछले वर्ष 83 लाख करोड़ रुपये था।
मोबाइल वॉलेट लेन-देन में भी बढ़ोतरी
डिजिटल भुगतान सर्वव्यापी बनने के साथ मोबाइल वॉलेट ग्राहकों को माइक्रो क्रेडिट की पेशकश के जरिए वित्तीय समावेशन को मजबूत कर रहे हैं। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स के साथ मॉबाइल वॉलेट का क्रेज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसी को बढ़ावा देने के लिए बीएसएनएल ने भी मोबाइल वॉलेट लॉन्च किया है।
एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रफ्तार आनेवाले दिनों में और तेज होगी। कंसल्टेंसी कंपनी डिलॉयट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 126 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए मूल्य के हिसाब से मोबाइल वॉलेट से लेनदेन 2022 तक 32,000 अरब रुपये पर पहुंच जाएगा। मोबाइल वॉलेट से लेनदेन की संख्या में हर साल 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है।
एक अरब+एक अरब+एक अरब विजन
जनधन, आधार और मोबाइल यानि JAM की ‘त्रिमूर्ति’ से सामाजिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र सरकार की निगाह अब एक अरब-एक अरब-एक अरब पर है। यानि एक अरब आधार नंबर जो एक अरब बैंक खातों और एक अरब मोबाइल फोन से जुड़े हों। इससे सभी भारतीय साझा वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल क्षेत्र में आ चुके हैं। यह कुछ उसी तरीके से है जिससे वस्तु एवं सेवा कर (GST) से एकीकृत बाजार बना है।
73 करोड़ अकाउंट JAM योजना से जुड़े
जनधन, आधार और मोबाइल यानि (JAM)ने देश में फाइनेंशियल, इकोनॉमिक और डिजिटल क्रांति लाने का काम किया है। अभी तक 52.4 करोड़ आधार, 73.62 करोड़ अकाउंट्स से जोड़े जा चुके हैं। यह संख्या अब जल्दी ही एक अरब तक पहुंच जाएगी। यानी एक अरब आधार, मोबाइल और अकाउंट्स से जुड़ जाएंगे। जाहिर है मात्र इस कदम से देश के लोग स्वत: फाइनेंशियल और डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएंगे।
हर महीने ट्रांसफर होते हैं छह हजार करोड़
GST ने एक टैक्स, एक मार्केट और एक देश बनाया। अब JAM रेवोल्यूशन से भारत को फाइनेंशियल, इकोनॉमिक और डिजिटल ग्रोथ मिलेगी। JAM महज सोशल क्रांति इसलिए है कि इससे सरकार, इकोनॉमी और खासकर गरीबों को फायदा है। वर्तमान में सरकार सालाना 35 करोड़ खातों में 74 हजार करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर कर रही है। इसमें से एक महीने में 6 हजार करोड़ ट्रांसफर होते हैं। पैसों का ये ट्रांसफर सरकार की पहल, मनरेगा, वृद्धावस्था पेंशन और स्टूडेंट स्कॉलरशिप योजनाओं में होता है।