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पीएम मोदी का दिवाली गिफ्ट: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के कर्मचारियों को मिलेगा 7वें वेतन आयोग का लाभ

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के करीब 4.5 लाख सरकारी कर्मचारियों को दिवाली का जबरदस्त तोहफा दिया है। मोदी सरकार ने 31 अक्टूबर, 2019 से दोनों केंद्र शासित प्रदेशों को कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक सैलरी और भत्ते देने का निर्णय लिया है। जाहिर है कि 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे और उसी दिन वहां केंद्रीय कर्मचारियों के बरारबर वेतन और अन्य लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद वहां के कर्मचारियों को चिल्‍ड्रेन एजुकेशन भत्ता, हॉस्‍टल भत्ता, ट्रांसपोर्ट भत्ता, लीव ट्रेवल कन्‍सेशन (LTC), फिक्‍सड मेडिकल अलाउंस जैसे भत्ते दिए जाने लगेंगे। 4.5 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ पर केंद्र सरकार सालाना 4,800 करोड़ रुपये खर्च करेगी। 

जाहिर है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर, उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की थी। इस संबंध में संसद में Jammu and Kashmir Reorganisation Bill, 2019 भी पास हो चुका है। इसी के तहत मोदी सरकार ने देश के दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों की तरह ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कर्मचारियों को सभी सुविधाएं देने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अगस्त, 2019 को राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सरकारी कर्मचारियों को अन्य राज्यों के समान सातवें वेतन आयोग को लागू कर सभी वित्तीय सुविधाएं दिये जाने का आश्वासन दिया था।


मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए बनाया मंत्रियों का समूह
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों का दिल जीतने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। वह क्षेत्र में विकास करने और रोजगार पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं। इस दिशा में पहल करते हुए मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख को लेकर रोडमैप तैयार करने के लिए एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया है। इसमें कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेगा GoM

केंद्रीय मंत्रियों का यह समूह घाटी में सरकार द्वारा किए जाने वाले विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेगा। सूत्रों की मानें तो यह मंत्री समूह दोनों केंद्रशासित प्रदेश में उठाए जाने वाले विभिन्न विकास, आर्थिक और सामाजिक कदमों के बारे में सुझाव देगा। इसका फोकस युवाओं का कौशल विकास होगा। सितंबर के पहले सप्ताह में इस मंत्री समूह की पहली बैठक होने की संभावना है।

युवाओं के लिए नौकरियां पैदा करने पर फोकस

मोदी सरकार कश्मीरी युवाओं के लिए बड़े स्तर पर नौकरियों के मौके पैदा करने के लिए भी विचार-विमर्श के साथ योजना बना रही है। मंगलवार (27 अगस्त, 2019) को अल्पसंख्यक मंत्रालय का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन के लिए कश्मीर के दौरे पर रवाना हुआ, जो घाटी में ऐसे इलाकों की पहचान करेगा,जहां विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स शुरू किए जा सकते हैं। इनमें नए स्कूल-कॉलेज की स्थापना शामिल है।

85 विकास योजनाओं की शुरुआत

इससे पहले मंगलवार को 15 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर नई दिल्ली में चर्चा की थी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि बैठक में जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन और सामान्य स्थिति बहाल करने के कदमों पर चर्चा की गई। यही नहीं बैठक में लद्दाख क्षेत्र में सर्दियों की शुरुआत से पहले आवश्यक वस्तुओं को स्टॉक करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई। 25 अगस्त,2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना और स्टैंड-अप इंडिया जैसी 85 विकास योजनाओं की शुरुआत की। सरकार का लक्ष्य है कि 21 मंत्रालयों के तहत आने वाली इन योजनाओं के 100 प्रतिशत कवरेज को एक महीने (30 सितंबर) के भीतर पूरा कर लिया जाए।

106 केंद्रीय कानून हो जायेंगे लागू

मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में 106 केंद्रीय कानून 31 अक्टूबर, 2019 से पूरी तरह लागू हो जाएंगे। बदलाव की इस अवधि के दौरान 30 अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय और राज्य कानून दोनों लागू रहेंगे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले सप्ताह श्रम, बिजली, अक्षय ऊर्जा और मानव संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के 12 से अधिक मंत्रियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में पुनर्गठित जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए परियोजनाओं और कोष की जरूरत पर चर्चा हुई थी। केंद्र सरकार को बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून, 2009 पर अमल करने के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। जम्मू-कश्मीर के लोगों को विभिन्न लाभ और सब्सिडी के प्रत्यक्ष ट्रांसफर के लिए केंद्र सरकार को वहां आधार को भी लागू करना होगा।

जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में फिर चमकेगा पर्यटन 

जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने मेगा प्‍लान तैयार किया है। इसके लिए पर्यटन मंत्रालय की एक टीम घाटी में भेजी जा रही है, यह टीम उन जगहों की पहचान करेगी, जो टॉप के टूरिज्‍म डेस्टिनेशन बन सकते हैं। साथ ही मोदी सरकार राज्य के टूरिस्ट गाइड को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण देगी। टूरिस्टों को राज्य में कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल के साथ टीम पहले लेह जाएगी फिर घाटी की यात्रा करेगी।

जम्मू-कश्मीर के 15 पर्वत चोटियों पर ट्रैकिंग की छूट

मोदी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के इरादे से हिमालय की 137 पर्वत चोटियां विदेशी पर्यटकों के लिए खोल दी हैं, जिनमें 15 चोटियां जम्मू-कश्मीर की हैं। जिनमें 6400 मीटर ऊंचे माउंट कैलाश भी शामिल है। अब इन चोटियों पर पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के लिए विदेशी पर्यटकों को सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। 

हर्बल औषधि उद्योग

पर्यटन मंत्रालय की टीम माउंटेन स्पोर्ट्स, गाइड प्रशिक्षण, ट्रैकिंग के लिए पोर्ट्स प्रशिक्षण और होटल के वैकल्पिक अवसरों के बारे में भी पता लगाएगी ताकि स्थानीय निवासियों को इसका लाभ मिल सकें। हर्बल औषधि उद्योग की शुरुआत भी की जाएगी। अब मंत्रालय, बौद्ध धर्म और इसकी शिक्षाओं का अनुभव कराने के लिए लद्दाख को एक पर्यटन केंद्र बनाने की पहल करेगा।

अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में होगा बड़ा निवेश सम्मेलन

केंद्र सरकार ने अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा निवेश सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें देश के नामी-गिरामी कारोबारी हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन का आयोजन दशहरे के आसपास किया जाएगा, क्योंकि सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने से इलाके में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। 

निवेश में बड़ा बाधक था अनुच्छेद 370

सरकार ने कहा कि प्रदेश के विकास के मार्ग में यह अनुच्छेद सबसे बड़ा बाधक था, क्योंकि इसके कारण कश्मीर के बाहर के लोग प्रदेश में जमीन-जायदाद में निवेश नहीं कर पाते थे। इस कारण उद्योगपति अपना कारखाना नहीं लगा पाते थे। सरकार ने कहा कि यह अनुच्छेद राज्य में निजी या वैश्विक निवेश के मार्ग में बाधक था। अधिकारियों को उम्मीद है कि हालात जब सुधरेंगे और शांति बहाल होगी, तब लोगों को समझ में आएगा कि विशेष दर्जा समाप्त करना उनके हित में था। 

निवेशक शिखर सम्मेलन में निवेश का होगा ऐलान
जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार के कदम का स्वागत करते हुए एशिया की सबसे बड़ी हेलमेट निर्माता कंपनी स्टीलबर्ड हाई-टेक इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष सुभाष कपूर ने कहा कि पीएम मोदी की ओर से आर्टिकल 370 को खत्म करना एक बहुप्रतीक्षित कदम है। कंपनी के एमडी राजीव कपूर ने कहा कि हम अक्टूबर के महीने में आगामी निवेशक शिखर सम्मेलन के अनुसार विनिर्माण सुविधा के साथ आने की योजना बना रहे हैं। हमें उम्मीद है कि ये सभी फैसले घाटी में समान नियमों के तहत कारोबार और निर्माण क्षेत्र को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की अनुमति देंगे।

जल्द कई बड़े प्रोजेक्ट्स का होगा ऐलान

बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर के लिए नए तरीके से विकास का खाका खींचने का काम करेगी। अगले कुछ दिनों में ही जम्मू-कश्मीर के लिए फूड पार्क, रेलवे और हाइवे के कई बड़े प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया जाएगा। इससे राज्य में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

जम्मू-कश्मीर में बढ़ेंगे नौकरियों के अवसर 
माना जा रहा है कि कंपनियों के निवेश करने से जम्मू-कश्मीर का आर्थिक विकास बढ़ेगा। साथ, ही स्थानीय लोगों को नौकरियों के अवसर भी बड़ी तादाद में मिलेंगे। स्टीलबर्ड हाई-टेक इंडिया लिमिटेड के प्रेसिडेंट सुभाष कपूर ने कहा कि उनकी कंपनी ने जम्मू और कश्मीर में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की पेशकश की है। स्टीलबर्ड का इरादा लगभग 1000 रोजगार के अवसरों को स्थापित करना है। सुभाष कपूर ने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने से जम्मू और कश्मीर अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। दशकों से राज्य की अर्थव्यवस्था का जो ठहराव था, वह पूरी तरह से बदल जाएगा। साथ ही, यह पूरे भारत के छात्रों के लिए भी एक वरदान है जो घाटी में रोजगार की तलाश में हैं और हम अपने प्लांट के माध्यम से घाटी में बड़ी संख्या में रोजगार भी पैदा करेंगे।

‘करनी होगी इकॉनमी की रिस्ट्रक्चरिंग’ 

इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम के अध्यक्ष बीके गोयनका ने बताया कि यह ऐतासिहक कदम है। भारतीय कंपनियां अब मुस्तैदी के साथ जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिए तैयार है। एक तरह से वहां अर्थव्यवस्था की रिस्ट्रक्चरिंग करनी होगी, क्योंकि जम्मू-कश्मीर को देश के मुख्य आर्थिक विकास से जोड़ना है।

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश को प्राथमिकता
बीके गोयनका ने बताया कि इस वक्त जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को मजबूत बनाने की जरूरत है। यह बात सभी जानते हैं कि वहां औद्योगिक गतिविधियों की हालत काफी ज्यादा खराब है। ऐसे में सबसे पहले इसी सेक्टर पर फोकस किया जाएगा।

रियल एस्टेट भी नहीं है पीछे 
रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नेरेडको के नेशनल चेयरमैन डॉ. निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि रियल एस्टेट कंपनियों को जम्मू-कश्मीर में इस सेक्टर में निवेश की काफी संभावनाएं दिखाई दे रही है। साथ ही अन्य संभावनाओं को अब तलाशा की जाएगी। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश की रणनीति बनाकर निवेश को बढ़ाया जाएगा।

प्रॉपर्टी के रेट में करीब 50 फीसदी के उछाल का अनुमान

जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी के रेट में करीब 50 फीसदी के उछाल का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल, मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारत में रहने वाला कोई भी नागरिक अगर चाहे तो वो जम्मू-कश्मीर में घर, प्लॉट, खेती की जमीन, दुकान वगैरह खरीद सकेगा। पहले केवल राज्य का निवासी ही संपत्ति को खरीद सकता था और भारतीयों को संपत्ति खरीदने पर रोक थी। इससे जम्मू-कश्मीर के रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त उछाल की उम्मीद की जा रही है।

 

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