Home तीन साल बेमिसाल अल्पसंख्यक मंत्रालय: एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इम्पावरमेंट से सबका साथ-सबका विकास

अल्पसंख्यक मंत्रालय: एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इम्पावरमेंट से सबका साथ-सबका विकास

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‘विकास पर सबका हक है’ की मूल सोच के साथ पिछले तीन साल में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने समावेशी विकास की कई नीतियां और योजनाएं धरातल पर उतारी हैं। बदलते दौर में अल्पसंख्यक समुदाय विकास की रेस में कहीं पिछड़ न जाएं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों की बुनियादी विकास की नीतियों को ‘3ई’ के जरिये गति प्रदान की है। एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इमपावरमेंट- को आधार बनाकर विकास की मुख्यधारा में अल्पसंख्यक समुदायों के गरीबों, पिछड़ों तथा निर्बल वर्गों को शामिल करने की सोच के साथ कई योजनाएं आगे बढ़ रहीं हैं।

सरकार की योजनाएं-
‘गरीब नवाज कौशल विकास केन्द्र’, ‘उस्ताद’, ‘नई मंजिल’, ‘नई रोशनी’, ‘सीखो और कमाओ’, ‘पढ़ो प्रदेश’, ‘प्रोग्रेस पंचायत’, ‘हुनर हाट’, बहुउद्देशीय ‘सदभाव मंडप’, ‘प्रधानमंत्री के नये 15 सूत्री कार्यक्रम’, ‘बहु-क्षेत्रवार विकास कार्यक्रम’, लडकियों के लिए ‘बेगम हजरत महल छात्रवृत्ति’।

  • पिछले तीन वर्षों के दौरान 578 करोड़ रुपये के व्यय से विभिन्न रोजगारोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के तहत लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं समेत 5.2 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया ।
  • 2017-18 में, 2 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार परक ट्रेनिंग देने की योजना है।

प्रधानमंत्री का 15 सूत्रीय कार्यक्रम 

    • अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक विकास और सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री का नया 15-सूत्रीय कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
    • इस योजना में 11 मंत्रालयों और विभागों की 24 योजनाएं शामिल हैं। विभिन्न मंत्रालय अपने फंड का लगभग 15 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के विकास पर खर्च कर रहे हैं।
    • बजट 2017-18 में इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा खर्च किये जाने वाले बजट में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

हज यात्रा पारदर्शी व सरल हुई

  • हज आवेदन की प्रक्रिया को डिजिटल कर दिया गया है।
  • दिसंबर, 2016 में हज की नई वेबसाइट लांच कर दी गई।
  • 2 जनवरी, 2017 को मोबाइल एप भी लांच कर दिया गया।
  • 2016 की हज यात्रा के दौरान भारत के 21 ठिकानों से लगभग 99,903 हज यात्री जेद्दा गए। इसके अतिरिक्त 36 हजार हज यात्री निजी टूर आपरेटरों के मार्फत जेद्दा गए।
  • 2017 हज के लिए भारत से 1,70,025 हज यात्री जेद्दा जायेंगे। इसमें से 1,25,025 हज यात्री भारत की हज समिति के माध्यम से और 45 हजार हज यात्री निजी टूर आपरेटरों के माध्यम से जायेंगे।
  • हज कोटा में वृद्धि से सभी राज्यों को लाभ हुआ है। राज्यों का हज कोटा पूरी पारदर्शिता के साथ 2011 की जनगणना के अनुसार राज्यों की आबादी के आधार पर निर्धारित किया गया है।
  •  गुजरात के लिए हज कोटा वर्ष 2016 में 7044 था जो 2017 हज के लिए बढ़कर 10877 हो गया। उत्तर प्रदेश का हज कोटा 21,828 से बढ़कर 29,017 हो गया है। हरियाणा का कोटा पिछले वर्ष के 1011 से बढ़कर 1343, जम्मू कश्मीर का कोटा 6359 से बढ़कर 7960 और कर्नाटक का कोटा पिछले साल के 4477 से बढ़कर 5951 हो गया है। महाराष्ट्र में पिछले वर्ष के 7357 की तुलना में 9780 हज यात्री जायेंगे। तमिलनाडु का कोटा 3189 से बढ़ाकर 2399, पश्चिम बंगाल का कोटा 8905 से बढ़ाकर 9940, तेलंगाना का कोटा 2532 से बढ़ाकर 3367, राजस्थान का 3525 से बढ़ाकर 4686, मध्य प्रदेश का 2708 से बढ़ाकर 3599,दिल्ली का 1224 से बढ़ाकर 1628, आन्ध्र प्रदेश का कोटा 2052 से बढ़ाकर 2728 और झारखंड का कोटा 2719 से बढ़ाकर 3306 कर दिया गया है।

अल्पसंख्यकों के लिए बजट में वृद्धि

  •  सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए 2017-2018 के बजट को बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपये कर दिया गया जो कि 2016-2017 के 3827.25 करोड़ रुपये के बजट की तुलना में 368.23 करोड़ रुपये अधिक है।
  •  2012-2013 के दौरान मंत्रालय का बजट 3135 करोड़ रुपये, 2013-2014 में 3511 करोड़ रुपये, 2014-2015 में 3711 करोड़ रुपये एवं 2015-2016 के बजट में 3713 करोड़ रुपये था।
  • 2017-2018 के बजट का लगभग 70 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक सशक्तिकरण एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों/योजनाओं के लिए है।
  •  मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप पर 393.5 करोड़ रुपये, प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप पर 950 करोड़ रूपए, पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप पर 550 करोड़ रुपये, “सीखो और कमाओ” पर पिछले साल के मुकाबले 40 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ 250 करोड़ रुपये, “नई मंज़िल” पर 56 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ 176 करोड़ रुपये, मौलाना आज़ाद फेलोशिप स्कीम पर 100 करोड़ रुपये दिए हैं।
  • मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के लिए 113 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से छात्रवृति

  • छात्रवृति का भुगतान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर – प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) मोड से किया जाता है।
  • अनियमितताओं के चलते छात्रों को कई स्रोतों से छात्रवृति प्राप्त होती थी, जबकि कुछ छात्र इसके लाभ से वंचित रह जाया करते थे। पोर्टल से पारदर्शिता और छात्रवृति प्राप्त करने में सरलता बढ़ी है।
  • पिछले तीन वर्षों के दौरान 4740 करोड़ रुपये के बराबर की छात्रवृत्तियां 1.82 करोड़ छात्रों को उपलब्ध करायी गयी।
  • 2017-18 में 35 लाख से ज्यादा छात्रों को विभिन्न स्कॉलरशिप दी जाएगी।

पांच विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना

    • छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पांच विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हो रही है जो देश भर में तकनीकी, चिकित्सीय, आयुर्वेद, यूनानी आदि क्षेत्रों में शिक्षा देगा।
    • इन संस्थानों का रोडमैप तैयार करने के लिए 10 जनवरी 2017 को गठित उच्च स्तरीय समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है। मोदी सरकार का लक्ष्य इन संस्थानों को इस साल से आरंभ कर देने का है।
    •  इन संस्थानों में लड़कियों के लिए 40 प्रतिशत आरक्षण होगा।

‘सद्भाव मंडप’/ ‘गुरुकुल’

  • अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में नवोदय विद्यालय प्रकार के स्कूल ।
  • 262 करोड़ की लागत से 200 से ज्यादा “सद्भाव मंडप” और लगभग 24 ‘गुरुकुल’ प्रकार के आवासीय स्कूलों को बनाये जाने की योजना पर काम हो रहा है।
  • अभी तक 16 ‘गुरुकुल’ प्रकार के स्कूलों को स्वीकृति दी जा चुकी है जिनमें तेलंगाना में 7, आंध्र प्रदेश में 6, कर्नाटक में 2 और झारखण्ड में एक है। 
  • ‘सद्भाव मंडप’ विभिन्न प्रकार के सामाजिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक एवं कौशल विकास की गतिविधियों का संपूर्ण केंद्र हैं साथ ही यह किसी आपदा के समय राहत केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं
  • 2017-18 के बजट में ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ (MsDP) के लिए पिछले बार से 141 करोड़ रुपये अधिक बढ़ाकर इस बार के बजट में 1200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
  • एमएसडीपी का उद्देश्य अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में आधारभूत सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, सड़क, ‘सद्भाव मंडप’ आदि इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना है।

मदरसों/शिक्षण संस्थानों में शौचालयों का निर्माण

  • स्वच्छ भारत मिशन को मजबूती देने के लिए मोदी सरकार ने देश भर के एक लाख मदरसों/शिक्षण संस्थानों में शौचालयों के निर्माण का काम चल रहा है।

आधारभूत अवसंरचनाओं का निर्माण

  •  पिछले तीन वर्षों के दौरान 33 डिग्री कॉलेजों, 1102 विद्यालय भवनों, 15,869 अतिरिक्त वर्ग कक्षाओं, 676 छात्रावासों, 97 आईटीआई, 16 पॉलिटेक्निक्स, 1952 पीने के पानी की सुविधाएं, 8532 आंगनबाड़ी केन्द्रों, 2090 स्वास्थय केन्द्रों, 223 सद्भाव मंडपों, 18 गुरूकुल प्रकार के आवासीय विद्यालयों जैसी अवसंरचना का निर्माण मोदी सरकार ने किया है।

हुनर हब

  • अल्पसंख्यक समाज की पुश्तैनी शिल्पकारी-दस्तकारी को आधुनिक युग की जरूरत के हिसाब से कौशल विकास के जरिये तराशने हेतु बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है जिनमें राजगीर, बढ़ई, जरदोजी, टेलरिंग, हाउस कीपिंग, आधुनिक-ऑर्गेनिक कृषि, कुम्हार, ज्वेलरी, यूनानी-आयुर्वेद अनुसन्धान, ब्रास, कांच, मिटटी से निर्मित सामग्री का निर्माण शामिल है।
  • इस विरासत को मार्केट-मौका मुहैया कराने के लिए सभी राज्यों में ‘हुनर हब’ हैं।  
  • देशभर के अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों का ‘डेटा बैंक’ तैयार किया जा रहा है।
  • 2017-18 के बजट में अल्पसंख्यक समुदायों के हुनर को बढ़ावा देने, उन्हें देश-विदेश के बाजार मुहैय्या कराने के लिए ‘उस्ताद’ योजना के तहत 22 करोड़ रुपये दिए गये हैं।
    ‘उस्‍ताद’ योजना (पारंपरिक कलाओं/शिल्‍पों में विकास के लिए कौशल और प्रशिक्षण का उन्‍नयन)
  • 14 मई 2015 से वाराणसी में शुरु की गई योजना पारंपरिक दस्‍तकारों के विकास सुनिश्चित करती है।
  • यह योजना पारंपरिक कलाओं/शिल्‍पों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और पारंपरिक दस्‍तकारों/शिल्‍पकारों की क्षमता के निर्माण के लिए लांच की गई ।
  • केन्‍द्र सरकार द्वारा वित्‍त पोषित यह योजना बड़ी कम्‍पनियों के साथ प्रतिस्‍पर्धा के लिए कुशल एवं अकुशल दस्‍तकार और शिल्‍पकार तैयार करेगी।

मानस योजना

  •  मानस का गठन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम द्वारा 11 नवम्बर, 2014 को किया गया, ताकि ‘स्किल इंडिया’ का विचार सफल हो और मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ का लक्ष्य पूरा हो सके।
  • मानस देश के अल्पसंख्यक समुदायों के कौशल विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक सांस्थानिक व्यवस्था है।
  •  मानस अपनी तरह का पहला और अनोखा कदम है जिसके तहत विभिन्न कौशल क्षेत्रों में शानदार काम करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति कौशल विकास परियोजनाओं में सहयोग करते हैं, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों के वंचित वर्गों को बहुत लाभ मिलता है।
  • अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित ऐसे कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ मौजूद हैं जो विभिन्न कौशलों और गतिविधियों में बड़ा स्थान रखते हैं। ये जानेमाने लोग हैं और अपने कौशल के लिए पूरे देश में इन्हें जाना जाता है। इसमें से कई लोग प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं और उनका उच्च सामाजिक स्तर है। पूरे देश में और बाहर भी इनकी कला बेजोड़ है और वे अब केवल धन कमाने के लिए काम नहीं कर रहे हैं।
  • इनमें से ज्यादातर लोग अपने समुदायों की मदद करने के लिए इच्छुक हैं ताकि अपने अपने क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता से उनके समुदायों के वंचित वर्ग और समाज के लोग लाभ उठा सकें।
  • भारत में हेयर स्टाइल संबंधी कला में क्रांतिकारी विकास करने वाले जावेद हबीब दिल्ली के ओखला केन्द्र में उन्हें व्यवस्थित प्रशिक्षण देते हैं जो व्यक्ति सौन्दर्य विज्ञान में रुचि रखते हैं।
  • दरियागंज केन्द्र में सुश्री शहनाज हुसैन प्राकृतिक सुविधा एवं उपचार में प्रशिक्षण देती हैं।
  • मदरसों, मकतबों और अल्पसंख्यकों के अन्य पारंपरिक शिक्षा संस्थानों को मानस के जरिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के कौशल विकास कार्यक्रम से जोड़ा गया है।

वक्फ बोर्ड एवं वक्फ संपत्तियां में सुधार

  • सभी वक्फ बोर्ड एवं वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलकरण रहा है।
  • कंप्यूटराइजेशन से वक्फ बोर्ड एवं वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड पारदर्शी हो जायेंगे।
  • वक्फ संपत्तियों की शिकायतों/विवादों के निपटारे हेतु केंद्र स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय “बोर्ड ऑफ एडजूडिकेशन” का गठन किया गया है।
  • इसी तरह राज्यों में 3 सदस्यीय न्यायाधिकरण की स्थापना की जा रही है। लगभग 24 राज्यों में इनका गठन किया जा चुका है।
  • पंजीकृत और गैर-पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या लगभग 4,49,314 है। रिकॉर्डों के कंप्यूटराईजेशन के बाद यह संख्या और बढ़ सकती है।
  • बजट 2017-18 में वक्फ संपत्तियों के कंप्यूटराईजेशन के लिए 3 करोड़ 30 लाख, राज्य वक्फ बोर्डों के विकास के लिए 9 करोड़ 70 लाख के अलावा वक्फ को ग्रांट-इन-एड के रूप में 3 करोड़ 18 लाख रुपये की राशि दी गई है।

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