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पीएम मोदी के ‘न्यू इंडिया’ विजन की प्रतिबद्धता के साथ हुआ केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार

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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट का तीसरा विस्तार हुआ। इसमें न्यू इंडिया विजन के साथ 9 नये चेहरों को शामिल किया गया और चार मंत्रियों को कैबिनेट रैंक में पदोन्नत किया गया है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में नये नामों का चयन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऊर्जा, दक्षता, पेशेवर तथा राजनीतिक कार्यकुशलता को ध्यान में रखकर किया है ताकि ‘न्यू इंडिया’  के विजन पर वे काम कर सकें।

4 पी फॉर्म्यूले के तहत मंत्रियों का चयन
प्रधानमंत्री न्यू इंडिया के अपने विजन के लिए प्रतिबद्ध हैं जो विकास और सुशासन पर आधारित होगा। इस न्यू इंडिया में गरीबों, हाशिये के लोगों और समाज के वंचित तबके का विशेष ध्यान रखा जाएगा। आज मंत्रिमंडल विस्तार में भी पीएम मोदी ने अपनी टीम के सदस्यों को उन्होंने गुण और भविष्य की क्षमता के आधार पर चुना है। दरअसल मोदी मंत्रिमंडल में नए चेहरों को 4P फॉर्मूले के आधार पर शामिल किया गया है। इस 4P का मतलब है- Passion (जुनून), Proficiency (निपुणता), Professional acumen (पेशेवर कुशाग्रता) और Political acumen (राजनीतिक कुशाग्रता)।

धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण और मुख्तार अब्बास नकवी को पदोन्नत किया गया वहीं नरेंद्र शेखावत, आरके सिंह, गजेंद्र शेखावत, अनंत कुमार हेगड़े सहित सहित 9 लोगों को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है।

नये बने राज्यमंत्री

  • शिव प्रताप शुक्ला-यूपी
  • अश्विनी चौबे-बिहार
  • डॉ वीरेंद्र कुमार-एमपी
  • अनंत कुमार हेगड़े-कर्नाटक
  • आर के सिंह -बिहार
  • हरदीप सिंह पुरी-पंजाब
  • गजेंद्र सिंह शेखावत-राजस्थान
  • डॉ. सत्यपाल सिंह-यूपी
  • अल्फोंस कन्नाथनम-केरल

पीएम के काम करने के तरीके से एक बात साफ है कि किसी पार्टी और नाम से ज्यादा काम को तवज्जो देते हैं, जो उनके कैबिनेट विस्तार में दिख भी रहा है।पीएम मोदी ने उन चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है जिनपर उन्हें भरोसा है कि वे परफॉरमेंस देंगे और न्यू इंडिया के विजन को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम होंगे।

नये बने मंत्रियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
शिव प्रताप शुक्ला
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। वह संसदीय समिति (ग्रामीण विकास) के सदस्य भी हैं। शुक्ला 1989 से 1996 तक लगातार चार बार विधायक रहे और यूपी सरकार में आठ साल तक कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और फिर 1970 के दशक में बतौर छात्र नेता राजनीति में कदम रखा। ग्रामीण विकास, शिक्षा और जेल सुधार को लेकर किए गए अपने कामों के लिए जाने जाते हैं।

अश्विनी कुमार चौबे
बिहार के बक्सर से लोकसभा सांसद हैं। वह केंद्रीय सिल्क बोर्ड के मेंबर भी हैं। वह संसदीय समिति (ऊर्जा) के सदस्य भी हैं. चौबे इससे पहले बिहार में लगातार 5 बार विधायक रहे और 8 साल तक राज्य में स्वास्थ्य, शहरी विकास और जनस्वास्थ्य, इंजिनियरिंग जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाली। चौबे पटना विश्वविद्यालय से प्राणि विज्ञान में स्नातक हैं। यहां वह छात्र संघ के अध्यक्ष रहे और जेपी आंदोलन के दौरान भी सक्रिय थे। अश्विनी कुमार चौबे ने “घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान” नारा दिया। उन्होंने महादलित परिवारों के लिए 11,000 शौचालयों का निर्माण करने में मदद की है।

डॉ. वीरेंद्र कुमार
वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं। दलित समुदाय से आने वाले वीरेंद्र 6 बार से लोकसभा सांसद हैं। वह श्रम मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लेबर एंड वेलफेयर और एससी-एसटी वेलफेयर कमिटी के सदस्य भी रहे हैं। वीरेंद्र कुमार ने विद्यार्थियों की समस्याओं को हल करने के लिए एक आंदोलन शुरू किया था और उनकी सहायता के लिए एक पुस्तकालय खोला था। ये भी जेपी मूवमेंट में सक्रिय रहे और MISA के दौरान 16 महीने जेल में बिताए हैं।

अनंत कुमार हेगड़े
अनंत कुमार हेगड़े कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से सांसद हैं। वह विदेश और मानव संसाधन मामलों पर बनी संसदीय समिति के सदस्य भी हैं। हेगड़े पहली बार 28 साल की उम्र में सांसद बने थे। लोकसभा सांसद के तौर पर यह उनका 5वां कार्यकाल है। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान हेगड़े वित्त, गृह, मानव संसाधन, वाणिज्य कृषि और विदेश विभाग से जुड़ी कई संसदीय समितियों में शामिल हैं।

राज कुमार सिंह
बिहार के आरा से लोकसभा सांसद हैं। वह बिहार काडर के 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। मौजूदा समय में वह फैमिली वेलफेयर पर बनी संसदीय समिति के मेंबर भी हैं। वह देश के गृह सचिव के पद पर भी रह चुके हैं। सांसद बनने से पहले वह डिफेंस प्रोडक्‍शन सेक्रेटरी, ज्‍वाइंट सेक्रेटरी (गृह मंत्रालय) और अन्‍य कई अहम पदों पर काबिज रह चुके हैं।

हरदीप सिंह पुरी
हरदीप सिंह पुरी रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) के प्रेसिडेंट हैं। वह 1974 बैच के पूर्व आईएफएस ऑफिसर हैं। उन्‍हें विदेश नीति और राष्‍ट्रीय सुरक्षा में उनके अनुभव के लिए जाना जाता है। वह इंटरनेशनल पीस इंस्‍टीट्यूट के वाइस प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं। वह संयुक्‍त राष्‍ट्र की कई अहम समितियों में भी पद संभाल चुके हैं।

गजेंद्र सिंह शेखावत
गजेंद्र सिंह राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं। वह वित्तीय मामलों पर बनी संसदीय समिति के प्रमुख भी हैं। उन्हें उनकी सिंपल लाइफ के लिए जाना जाता है। तकनीक-प्रेमी और प्रगतिशील किसान के रूप में वह ग्रामीण समाज के लिए एक आदर्श हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के सदस्य और फैलोशिप कमेटी के अध्यक्ष हैं।

सत्यपाल सिंह
सत्‍यपाल सिंह मौजूदा समय में उत्‍तर प्रदेश के बागपत से लोकसभा सांसद हैं। सत्‍यपाल महाराष्‍ट्र काडर के आईपीएस ऑफिसर रह चुके हैं। वह महाराष्‍ट्र काडर की 1980 बैच के अधिकारी हैं। उन्‍हें अपनी सर्विस के दौरान भारत सरकार की तरफ से आंतरिक सुरक्षा सेवक पदक से भी सम्‍मानित किया जा चुका है। आंध्र प्रदेश के नक्‍सली इलाकों में उनका असाधारण काम के लिए भी उन्‍हें सम्‍मानित किया जा चुका है। वह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्‍नर भी रह चुके हैं।

अलफोंस कन्ननथन
अलफोंस केरल काडर के 1979 बैच के आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं। वह डीडीए के कमीशनर भी रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 15, 000 अवैध इमारतों का अतिक्रमण हटाया, जिसके बाद वह दिल्ली के डिमॉलिशन मैन के रूप में प्रसिद्ध हो गए। टाइम पत्रिका ने 1994 में अल्फोंस कन्ननथन का नाम 100 यंग ग्लोबल लीडर्स में शामिल किया था।

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