Home समाचार मोदी राज में छोटे व्यापारियों को राहत, जनवरी 2020 से लागू होगी...

मोदी राज में छोटे व्यापारियों को राहत, जनवरी 2020 से लागू होगी इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की कोशिश टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और प्रगतिशील बनाने की रही है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार जनवरी 2020 से इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस को लागू करने की तैयारी कर रही है। जीएसटी काउंसिल की गोवा में आयोजित 37वीं बैठक में ई-इनवॉयस के लिए स्टैंडर्ड व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। फिलहाल इसको लेकर कोई विशेष नियम या स्टैंडर्ड नहीं है, जिसकी वजह से अलग-अलग सॉफ्टवेयर अपने-अपने तरीके से इनवॉयस तैयार करता है।

हर इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस पर मिलेगा खास नंबर

GSTN की तरफ से कहा गया कि वह छोटे टैक्सपेयर्स को मुफ्त में अकाउंटिंग और बिलिंग सॉफ्टवेयर देगा, जिससे आने वाले दिनों जीएसटी इकोसिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, हर इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस पर एक खास नंबर दिया जाएगा। बाद में इसका मिलान सेल्स रिटर्न में दिखाए गए इनवॉयस से करना होगा।

टर्नओवर के आधार पर तय होंगे नियम

GSTN इस विकल्प पर विचार कर रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस निकालने की अनिवार्यता को मूल्य के हिसाब से नहीं, बल्कि टर्नओवर की सीमा के आधार पर तय करने की जरूरत है, नहीं तो यह संभव है कि कंपनियां एक बिल को छोटे-छोटे बिलों में बांट दे और टैक्स की चोरी करे। वर्तमान में 50 हजार से ज्यादा ट्रांजैक्शन पर ई-बिल निकालना जरूरी है।

टैक्स रिटर्न फाइल करने में होगी आसानी

इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस व्यवस्था लागू हो जाने के बाद व्यापारियों को भी टैक्स रिटर्न फाइल करने में परेशानी नहीं होगी। वेबसाइट पर जाकर जब वह रिटर्न फाइल करेंगे, उस दौरान संबंधित इनपुट डेटा उनके सामने होगा। इससे टैक्स अधिकारियों और कर्मचारियों का काम आसान होगा।

टैक्स चोरी पर लगेगा लगाम

स्टैंडर्ड ई-इनवॉयस की मदद से टैक्स चोरी पर भी लगाम लगाया जा सकेगा। GSTN की तरफ से इसको लेकर कहा गया कि नए सिस्टम से टैक्सपेयर्स को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। व्यापारी अपना सारा काम उसी तरह करते रहेंगे, जैसा वे करते आ रहे थे, लेकिन स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर की मदद से डेटा शेयरिंग की पूरी प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

आइए एक नजर डालते हैं मोदी सरकार के उन फैसलों पर जिनसे टैक्सपेयर्स, कारोबारियों और कॉर्पोरेट सेक्टर को राहत मिली और कारोबार करना आसान हुआ।

आयकर अपीलों की मौद्रिक सीमा में बढ़ोतरी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने करदाताओं की शिकायतों/मुकदमों को प्रभावी तरीके से कम करने और विभाग की सहायता करने के लिए अपीलीय अदालतों के समक्ष विभागीय अपील दर्ज करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ा दी गई है। अब आयकर अपीलीय प्राधिकरण में अपील की मौद्रिक सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दी गई है। इसी तरह उच्च न्यायालय में 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ और सुप्रीम कोर्ट में अपील की मौद्रिक सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ कर दी गई है। इससे मामले का निपटारा जल्द और तेजी से होने की उम्मीद है।

कॉरपोरेट इनकम टैक्स में कटौती

दिवाली से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कारोबार जगत को बड़ा गिफ्ट दिया। मोदी सरकार की ओर से कॉरपोरेट इनकम टैक्स में कटौती कर दी गई, तो वहीं मिनिमम अल्टरनेट टैक्स से राहत दी गई। इसके अलावा भी निवेशकों को भी बड़ा तोहफा दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान करते हुए कहा कि घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी लगेगा। वहीं इसमें सरचार्ज और सेस जोड़ने के बाद कंपनी को 25.17 फीसदी टैक्‍स देना होगा।

नई घरेलू कंपनियों को भी राहत 

मोदी सरकार ने निवेश करने वाली नई घरेलू कंपनियों को भी राहत दी। 1 अक्टूबर, 2019 के बाद मैन्युफैक्चरिंग कंपनी स्थापित करने वाले कारोबारियों को 15 प्रतिशत की दर से इनकम टैक्स देने का प्रावधान किया गया। पहले नए निवेशकों को 25 प्रतिशत की दर से टैक्‍स देना होता था।

पूंजीगत लाभ पर उपकर को वापस लेने का फैसला

मोदी सरकार ने प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयरों की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर बजट में प्रस्तावित उपकर को भी वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-उपकर समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है। वित्तमंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी धनाढ्य-उपकर नहीं देना होगा।

कंपनियों को अब दो प्रतिशत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) इनक्यूबेशन, आईआईटी, एनआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं पर खर्च करने की भी छूट दी गयी है। सीतारमण ने कर में छूट से मेक इन इंडिया में निवेश आने तथा रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने का भरोसा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि इससे अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

 

Leave a Reply