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मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ नीति को दी तेज गति, नेवी के लिए 111 हेलीकॉप्टर बनाने की मंजूरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत रक्षा क्षेत्र में रोज नए झंडे गाड़ रहा है। इस नीति के मूल में सशस्त्र सेना की जरूरतों के साजो-सामान का स्वदेशी तकनीक से निर्माण या कम से कम भारत में ही निर्माण पर जोर देना है। इसी कड़ी में अब सरकार ने सामरिक साझेदार मॉडल के तहत देश में रक्षा निर्माण के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी है। इस फैसले से भारतीय कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में काम कर रही विदेशी कंपनियों के साथ सामरिक साझेदारी में सैन्य साजो-सामान बनाने का अवसर मिलेगा। हालांकि, रक्षा क्षेत्र में इससे पहले जितने भी नीतिगत फैसले लिए गए हैं, उसमें भी मेक इन इंडिया नीति की झलक देखी जा सकती है। गौरतलब है कि पिछले 4 वित्त वर्षों में रक्षा खरीद का 1,19,000 करोड़ रुपये का ठेका भारतीय विक्रेताओं को ही दिया गया है। दरअसल, सरकार की कोशिश अगले 10 वर्षों में भारत को दुनिया के पांच बड़े सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों में शामिल करना है।

‘सामरिक साझेदार मॉडल’ से बदलेगी सेना की सूरत
न्यूज पोर्टल बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने सामरिक साझेदार मॉडल के आधार पर पहली मंजूरी नेवी के लिए 111 हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए दी है। ये हेलीकॉप्टर भारत में ही बनाए जाएंगे और इसपर 21,738 करोड़ रुपये की लागत आएगी। मई 2017 में बनकर तैयार हुए सामरिक साझेदार मॉडल का मकसद ऐसा ढांचा तैयार करना है, जिसके तहत भारतीय कंपनियां विदेशी वेंडर से तकनीक लेकर भारत में ही निर्माण करें और धीरे-धीरे इसमें महारत हासिल कर लें। इस नीति के तहत नेवी के लिए यूटिलिटी हेलीकॉप्टर के अलावा, लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल/ मेन बैटल टैंक भी बनाए जाने हैं। जानकारी के मुताबिक इसी नीति के तहत देश में ही एयर फोर्स के लिए 110 मध्यम लड़ाकू विमान, नेवी के लिए 123 मल्टी रोल हेलीकॉप्टर और 6 परंपरागत पनडुब्ब‍ियां भी तैयार की जाएंगी। इसके अलावा कोस्ट गार्ड के लिए 8 तेज गति से चलने वाले गश्ती जहाज खरीदने को भी मंजूरी दी गई है। करीब 8 सौ करोड़ रुपये के इन जहाजों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से अपने देश में ही किया जाएगा।

दो तरह के स्वदेशी शक्तिशाली मल्टी फ्यूल इंजन सेना के सुपूर्द
तीन दिन पहले ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में बने 2 तरह के बेहद शक्तिशाली मल्टी फ्यूल इंजन भारतीय सेना को सुपूर्द किया था। न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक दोनों इंजनों का निर्माण अवाडी स्थित इंजन फैक्ट्री में हुआ है, जो मेक इन इंडिया की सोच के तहत ही बनाई गई है। इन दोनों इंजनों में लगे सारे पार्ट्स भारत में बने हैं। 1000 HP का पहला इंजन-V92S2 T-90 भिस्म टैंक के लिए है और दूसरा V-46-6 इंजन T-72 अजेय टैंक में इस्तेमाल के लिए है। इस प्रयास से हर वर्ष देश के 80 करोड़ रुपये बचेंगे, क्योंकि पहले इसके पार्ट्स रूस से मंगवाने पड़ते थे।

देश में ही 15 हजार करोड़ रुपये के हथियार और टैंक निर्माण को मंजूरी
इससे पहले केंद्र सरकार ने सेना की जरूरतों को देखते हुए 15 हजार करोड़ के हथियार निर्माण प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट के तहत देश में ही महत्वपूर्ण तकनीक वाले हथियार और टैंक बनाए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट का मकसद हथियारों के आयात या विदेशों पर निर्भरता को खत्म करना है। इस प्रोजेक्ट से 30 दिन तक लगातार चलने वाले युद्ध में भी हथियारों का जखीरा कम नहीं पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना के इस प्रोजेक्ट में 11 निजी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसकी निगरानी रक्षा मंत्रालय और सेना के शीर्ष अधिकारी करेंगे। इस प्रोजेक्ट को 10 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना में रॉकेट्स और ग्रेनेड लॉन्चर, एयर डिफेंस सिस्टम, आर्टिलरी बंदूकें और लड़ाई के लिए जरूरी गाड़ियां बनाई जानी हैं।

सेना के जवानों के लिए देश में ही बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का करार
केंद्र सरकार ने हाल ही में सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने का अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी। मात्र 1.5 किलोग्राम वाले इस जैकेट के चलते न सिर्फ सरकार के 20 हजार करोड़ रुपये बचेंगे, बल्कि इसे 57 डिग्री के तापमान में भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा।  

भारत में ही होगा क्लाश्निकोव राइफल का निर्माण
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असाल्ट राइफल एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।

लॉकहीड मार्टिन भारत में बनाना चाहती है लड़ाकू विमान
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी बनाने की इच्छा जताई है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट जो ला मार्का ने कहा कि भारत ने अगर हमें चुना तो हम उम्मीद करते हैं कि एफ-16वी का निर्माण कुछ दशकों में शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर लॉकहीड मार्टिन भारत में कारखाना लगाती है तो भविष्य में बाहर से होने वाला कोई भी ऑर्डर भारत से ही पूरा करेगी।

भारत में ही बनी ‘करंज’ पनडुब्बी
मेक इन इंडिया के तहत हाल ही में स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। लगभग डेढ़ महीने के अंदर स्कॉर्पीन श्रेणी की कलवरी और खांदेरी पंडुब्बियां  के बाद करंज तीसरी पनडुब्बी है, जो नौसेना में शामिल हुई है। करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इस पनडुब्‍बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में संचालित किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन वजनी है।

आईएनएस ‘कलवरी’ भी भारत में बनाई गई 
इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया और मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में ही तैयार किया गया। इसे प्रधानमंत्री मोदी ने लॉन्च किया था। आईएनएस कलवरी के बाद स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को लांच किया गया था। आईएनएस कलवरी देश में बनी पहली परमाणु पनडुब्बी है जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है।

‘मेक इन इंडिया’ अभियान से ग्लोबल मैन्युफेक्चरिंग हब बन रहा है भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुआ ‘मेक इन इंडिया’ अभियान परवान चढ़ता जा रहा है। धीरे-धीरे प्रधानमंत्री की इस महात्वाकांक्षी योजना का परिणाम भी सामने आने लगा है। पीएम मोदी ने दूसरे क्षेत्रों के साथ ही रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी स्वदेशी की बढ़ावा देना शुरू किया था। प्रधानमंत्री ने मिसाइल, गोला-बारूद, टैंक आदि निर्मित करने के लिए विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों को तरजीह देने के निर्देश दिए थे। आज ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए रक्षा मंत्रालय ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है। रक्षा मंत्रालय की तमाम ऐसी परियोजनाएं हैं जिन्हें स्वदेशी कंपनियों को दिया गया है और आने वाले दिनों में इनसे अरबों रुपये की बचत होगी। बात सिर्फ बचत की नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की वजह से भारत रक्षा क्षेत्र में ग्लोबल मैन्युफेक्चरिंग हब बनता जा रहा है।

स्वदेशी को बढ़ावा देने से आयुध कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की वजह से स्वदेशी आयुध निर्माण कंपनियों की आर्थिक स्थिति काफी सुधर रही है। पहले जिन प्रोजेक्टों के लिए विदेश कंपनियों को पैसा दिया जाता था, वो आज स्वदेशी कंपनियों के पास जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी ने पहले मनोहर पर्रिकर, अरुण जेटली और अब निर्मला सीतारमण, जिन्हें भी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है, वह भी स्वदेशी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के समर्थक रहे हैं। सरकार ने विदेशी कंपनियों की बजाय जिन प्रोजेक्ट्स के लिए डीआरडीओ पर भरोसा किया उसमें आर्मी और नेवी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली छोटी रेंज की मिसाइल (SR-SAMs), आर्मी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली और जल्दी एक्शन लेने वाली (QRSAM), आर्मी के लिए एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM), हेलिकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली एंटी टैंक मिसाइल आदि शामिल हैं।

नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय आज जो स्वदेशी को बढ़ावा देकर अरबों रुपये की बचत कर रहा है, उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई नीतियां जिम्मेदार हैं। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

पीएम मोदी और मेक इन इंडिया के लिए चित्र परिणाम

इजरायल से 500 मिलियन डॉलर का सौदा रद्द किया
रक्षा उत्पादन में स्वदेशी को बढ़ाने के मकसद से हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने इजरायल के साथ हुए 500 मिलियन डॉलर की सौदे को रद्द कर दिया। भारत और इजरायल के बीच यह डील मैन-पॉर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) के लिए की गई थी। रक्षा मंत्रालय को लगता है कि बगैर किसी दूसरे देश की तकनीकी सहायता के भारतीय आयुध निर्माता अगले 3-4 साल में इसे बनाने मे सक्षम हो जाएंगे। भारत को यह स्पाइक एटीजीएम मिसाइलें, राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम बनाने वाली इजरायली कंपनी सप्लाई करने वाली थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस डील को रद्द करने का निर्णय स्वदेशी कार्यक्रमों की रक्षा करने के लिए गया है। अगर ये मिसाइल विदेशी कंपनियों से मंगाई जाती तो जाहिर है कि डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन पर असर पड़ता।

स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस
मेक इन इंडिया के जरिये लगातार रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पिछले कुछ सालों में इसका बहुत ही अधिक लाभ भी मिल रहा है। रक्षा मंत्रालय ने भारत में निर्मित कई उत्पादों का अनावरण किया है, जैसे HAL का तेजस (Light Combat Aircraft), composites Sonar dome, Portable Telemedicine System (PDF),Penetration-cum-Blast (PCB), विशेष रूप से अर्जुन टैंक के लिए Thermobaric (TB) ammunition, 95% भारतीय पार्ट्स से निर्मित वरुणास्त्र (heavyweight torpedo) और medium range surface to air missiles (MSRAM)।

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मेक इन इंडिया के दो युद्धपोत
अभी तक सरकारी शिपयार्डों में ही युद्धपोतों के स्वदेशीकरण का काम चल रहा था, लेकिन देश में पहली बार नेवी के लिए प्राइवेट सेक्टर के शिपयार्ड में बने दो युद्धपोत पानी में उतारे गए। रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 25 जुलाई, 2017 को गुजरात के पीपावाव में नेवी के लिए दो ऑफशोर पैट्रोल वेसेल (OPV) लॉन्च किए, जिनके नाम शचि और श्रुति हैं।

 

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