Home समाचार कांग्रेस के ताबूत में गुजरात की आखिरी कील…

कांग्रेस के ताबूत में गुजरात की आखिरी कील…

SHARE

 

गुजरात कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। दो दिनों के अंदर 6 विघायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव में 8 विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बाद इन विधायकों का पार्टी छोड़कर जाना सोनिया और राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है। कांग्रेस अभी बिहार में महागठबंधन के सदमे से उबर भी नहीं पायी थी की गुजरात में बगावत का बिगुल बज उठा।

कांरवा गुजर गया…
गुजरात कांग्रेस में बगावत का यह दौर, कांग्रेस के कद्दावार नेता शंकर सिंह वाघेला के 21 जुलाई को पार्टी छोड़ कर जाने के बाद से शुरू हुआ। 28 जुलाई को पार्टी के एक और बड़े दिग्गज नेता बलवंतसिंह राजपूत भाजपा में शामिल हो गये। सदन में पार्टी के चीफ व्हीप राजपूत अपने साथ दो अन्य विधायक तेजाश्री पटेल और प्रहलाद पटेल को भी साथ लेकर भाजपा में चले गये। इन तीनों को छोड़कर गये हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि पार्टी के तीन और विधायक रामसिंह परमार, मानसिंह चौहान और छन्नाभाई चौधरी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ते हुए विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया।

विधायकों का पार्टी छोड़कर जाने का सिलसिला उस समय शुरु हुआ है, जब राज्यसभा की तीन सीटों के लिए आठ अगस्त को चुनाव होने वाले हैं। इससे सोनिया गांधी के सचिव अहमद पटेल का राज्यसभा में जाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने राज्यसभा के लिए 28 जुलाई को अपना नामांकन पत्र भरा है। कांग्रेस पार्टी के अंदर इस उथल-पुथल में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव में हारने की एक और सबसे बड़ी वजह यह उत्पन्न हुई है कि बलवंतसिंह राजपूत को भाजपा ने राज्यसभा का टिकट दे दिया है।

राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए 47 विधायकों का समर्थन चाहिए। लेकिन जिस तरह से 8 विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग की और 6 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं, उससे लगता है कि 8 अगस्त को चुनाव के दिन कांग्रेस के अन्य विधायक बलवंतसिंह राजपूत का साथ दे सकते हैं। इससे भाजपा के बलवंतसिंह राजपूत के साथ अहमद पटेल की सीधी टक्कर होगी। राजपूत को भाजपा के विधायकों का समर्थन मिलना तय है जबकि अहमद पटेल को 47 विघायकों का समर्थन मिलना बहुत ही मुश्किल लग रहा है। ऐसे में संभावना है कि बलवंतसिंह राजपूत चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंच जाएंगे।

कश्ती वहां डूबी, पानी जहां कम था
अहमद पटेल की हार का सीधा मतलब है… कांग्रेस हाईकमान की हार। कांग्रेस हाईकमान की हार ऐसे वक्त होगी जब बिहार में लालू के साथ बना महागठबंधन बिखर चुका है, एक सशक्त और ईमानदार छवि के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी का साथ देने के लिए एनडीए का साथ कर लिया है।

राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद, बिहार में महागठबंधन का बिखराव और गुजरात में पार्टी के अंदर बगावत के साथ उपराष्ट्रपति के 5 अगस्त के चुनाव में होने वाली निश्चित हार से कांग्रेस के राजनीतिक अस्तित्व पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। अब तक बिहार को मॉडल बनाकर अन्य राज्यों में भी महागठबंधन की लाठी के सहारे 2019 के महासमर में उतरने का सपना देख रही कांग्रेस के सामने अपने वजूद को बनाये रखने की चुनौती खड़ी हो गई है।

Leave a Reply