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हामिद अंसारी ने अपना असली चेहरा दिखा दिया- वो पहले मुस्लिमों के प्रवक्ता थे, फिर उपराष्ट्रपति

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जाते-जाते हामिद अंसारी ने जता ही दिया कि वो पहले मुस्लिमों के प्रवक्ता हैं, उसके बाद ही भारतीय नागरिक या उपराष्ट्रपति। उन्होंने कहा है कि देश के मुसलमानों में घबराहट का भाव है और वो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लिमों की कथित मॉब लिंचिंग और घर वापसी के मामले को फिर से तूल देकर देश की कथित चिंताजनक परिस्थिति का रोना रोया है। अंसारी ने अपने आखिरी इंटरव्यू में जितनी ओछी बातें कही हैं, वो न तो उनके पद की गरिमा के अनुकूल है और न ही किसी सुलझे हुए भारतीय की मानसिकता। सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने इस हरकत के लिये अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले राज्यसभा टीवी का ही इस्तेमाल किया है।

क्या कहा है हामिद अंसारी ने ?
खबरों के अनुसार राज्यसभा टीवी को दिये इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने कहा है कि, ‘ ये कहना सही है कि देश के मुस्लिम समुदाय में आज बेचैनी और असुरक्षा का भाव है। देश के अलग-अलग भागों में मुझे ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं। भारतीय समाज सदियों से बहुलतावादी समाज रहा है, लेकिन सबके लिये स्वीकार्यता का माहौल अब संकट में है। लोगों की भारतीयता पर सवाल उठाने की प्रवृत्ति बहुत ही चिंताजनक है।’ उन्होंने कहा कि, ‘भीड़ के द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाएं कथित घर वापसी और तर्कवादियों की हत्याएं भारतीय मूल्यों में आ रहे विघटन के उदाहरण हैं।’

माहौल बिगाड़ने से पहले आईना देखें अंसारी
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है। वो किसी प्रांत, समाज, समुदाय, धर्म, जाति के लिये नहीं सोच सकता। 125 करोड़ भारतीयों का कल्याण ही उसकी सोच रहनी चाहिये। लेकिन अंसारी शायद कभी एक मुसलमान से ऊपर उठ ही नहीं पाये। अन्यथा अगर उन्हें कुछ तथाकथित मुसलमानों का दर्द महसूस हुआ, तो बाकी करोड़ों-करोड़ भारतीयों की तकलीफ भी जरूर महसूस हुई होती। यहां हम दिखा रहे हैं कि क्या हामिद अंसारी ने कभी इन घटनाओं पर सार्वजनिक रूप से चिंता जताई-

  • केरल में हाल में वामपंथियों द्वारा हुई आरएसएस कार्यकर्ता राजेश की निर्मम हत्या। बर्बरता में इस घटना ने खुंखार से खुंखार आतंकी संगठनों को भी पीछे छोड़ दिया।
  • पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में इसी साल जून में फेसबुक पोस्ट पर कुछ लिखने के लिये मुसलमान एक नाबालिग के खून के प्यासे बन गये थे। उन्होंने कई जिलों में दंगा भड़काया। वो आरोपी को शरिया के तहत पत्थरों से पीट-पीटकर कत्ल करने की मांग कर रहे थे।
  • पश्चिम बंगाल के बर्दवान में हिंदू महिला बच्चा चोर समझकर मुसलमानों द्वारा मॉब लिंचिंग में मार डालने की घटना।
  • महाराष्ट्र के पंढरपुर में 17 साल के हिंदू लड़के सावन राठौड़ को सिर्फ हिंदु होने के कारण सरेआम जला देने की घटना। इस घटना के सारे आरोपी मुस्लिम थे।
  • 21 मई, 2017 को महाराष्ट्र के उल्हास नगर में कुछ मुसलमानों ने आठ वर्ष के दो दलित बच्चों की चकली मांगने पर पिटाई कर दी। इतना ही नहीं उनके बाल काट दिए गये और चप्पलों की माला पहना कर सड़कों पर घुमाया।
  • तमिलनाडु के कोयंबटूर में 18 मार्च, 2017 को एक मुसलमान एच फारुक को सिर्फ इसलिए मुस्लिमों की भीड़ ने मार दिया क्योंकि उसने अपने धर्म (इस्लाम) के बारे में एक तर्कसंगत विचार रखा था।
  • नवंबर, 2016 को पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में इंद्रजीत दत्ता को मुसलमानों की भीड़ ने सिर्फ इसलिये मार डाला कि उसने मोहर्रम का चंदा देने से मना कर दिया था।
  • 11 मई, 2016 को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक हिंदू आईआईटी स्टूडेंड कौशिक पुरोहित को भैंस चोरी का आरोप लगाकर मुसलमानों की भीड़ ने मार डाला।
  • दिल्ली में के विकासपुरी में 24 मार्च, 2016 को एक डेंटिस्ट डॉ पंकज नारंग को मामूली से बात पर लगभग 15 मुसलमानों की भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। इस घटना को उनके मासूम बेटे और पत्नी के सामने अंजाम दिया गया था।
  • 16 फरवरी 2016 को आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ता पीवी सुजीत की केरल के कन्नूर में उनके घर में बेरहमी से हत्या।
  • पश्चिम बंगाल के जुरानपुर में 3 मई, 2015 को मुस्लिम जिहादियों द्वारा तीन हिंदुओं की निर्ममता पूर्वक मॉब लिंचिंग।
  • पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के शांतिपुर में 45 साल के गरीब मछुआरे को मुसलमानों की भीड़ ने मार डाला।
  • यूपी के आगरा में एक हिंदू दलित नेता अरुण कुमार की मुसलमानों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर की गई हत्या की घटना।
  • पश्चिम बंगाल में जेहादी मुसलमानों द्वारा साजिश के तहत ईसाई नाम रखकर हिंदू महिलाओं से रेप की वारदातों को अंजाम देना।
  • 24 अक्टूबर, 2015 को यूपी कन्नौज में मुसलमानों की भीड़ ने दुर्गा पूजा के जुलूस को ही रोक दिया और एक हिंदू युवक का बेरहमी से कत्ल कर दिया।
  • 9 अक्टूबर 2015 को गोकशी का विरोध करने पर कर्नाटक के मूडबिद्री में प्रशांत पुजारी की हत्या।
  • यूपी के रामपुर में मुसलमानों की खेत में गाय चराने को लेकर हुई मामूली घटना पर मुस्लिमों ने 15 साल के बच्चे की गोली मारकर हत्या कर दी और उसके घर में आग लगा दी।
  • 5 अक्टूबर 2015 को यूपी में भाजपा नेता और एक पूर्व सरपंच, कपूरचंद ठाकरे को एक सड़क हादसे के बाद मुसलमानों की भीड़ ने पहले बेरहमी से पिटाई की। बाद में गोली मारकर हत्या भी कर दी।
  • जुलाई 2014 में सीपीएम कैडर द्वारा त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला ।
  • 20 जुलाई 2013 को भाजपा के राज्य महासचिव के अकाउंटेंट वी रमेश की तमिलनाडु के सलेम में निर्मम हत्या।

हकीकत तो ये है कि पिछले तीन साल के राज्यों के आपराधिक रिकॉर्ड्स के अनुसार मॉब लिंचिंग की ज्यादातर घटनाएं केरल, पश्चिम बंगाल, यूपी (अखिलेश सरकार) और कर्नाटक जैसे विपक्षी पार्टियों की सत्ता वाले राज्यों में ही हुई हैं। केरल, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में तो राजनीतिक हत्याओं में साजिशपूर्ण तरीके से सिर्फ हिंदुओं का ही मारा जा रहा है। केरल में तो ऐसी घटनाएं अब चरम पर पहुंच चुकी हैं। लेकिन हामिद अंसारी को इन तमाम घटनाओं में असहिष्णुता क्यों नहीं दिखी ?

सोशल मीडिया पर हामिद अंसारी की ऐसी की तैसी
अंसारी ने जो हरकत की है उससे देश की जनता की भावना बहुत आहत हुई है। लोगों ने सोशल मीडिया पर अंसारी की हरकत के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली है

‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को भी नहीं समझे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र के साथ ही सभी योजनाओं और परियोजनाओं पर काम किया है। देश गवाह है कि मोदी सरकार ने किसी योजना पर अमल करने में कभी भेदभाव का सहारा नहीं लिया है। लेकिन हामिद अंसारी को ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे प्रधानमंत्री के मंत्र पर भी भरोसा नहीं है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में उन्होंने नारे को तो अच्छा बताया है, लेकिन उसमें ‘सबका विकास’ जैसे शब्द पर संदेह जताने की भी कोशिश की है।

उपराष्ट्रपति पद के लायक ही नहीं थे अंसारी ?
दरअसल हामिद अंसारी के आचरण को देखकर सवाल उठने स्वभाविक हैं कि क्या वो उपराष्ट्रपति बनने लायक थे ? देश, देश की संस्कृति, राष्ट्रीयता इन सभी मसलों पर हामिद अंसारी का आचरण पहले से ही संदिग्ध रहा है। लेकिन जाते-जाते उन्होंने जो मुद्दा उठाया है वो कत्तई उचित नहीं माना जा सकता। उन्हें उपराष्ट्रपति के तौर पर विदाई लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने एक कठ-मुल्ले की तरह विदाई लेने का फैसला किया। उनकी भाषा देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी 125 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व किया ही नहीं। वो तो सिर्फ मुसलमान के प्रतिनिधि बनकर ही आये थे और सिर्फ उन्हीं के लिये सोचते-सोचते 10 साल काट लिये।

सच्चाई तो यही है कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत उन्हें ये पद दिला दिया, जिसकी मर्यादा को जाते-जाते उन्होंने तार-तार कर दिया। क्या ज्ञान, मान और सम्मान में वो कभी पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम के आसपास भी फटक सकते हैं ? लेकिन क्या कभी कोई डॉक्टर कलाम से ऐसी विचारों की कल्पना भी कर सकता था ? क्या वो सच्चे मुसलमान नहीं थे ? वो सच्चे मुसलमान थे। लेकिन वो एक देशभक्त मुसलमान थे। राष्ट्र की आन-बान और शान के लिये ही उन्होंने अपना सारा जीवन न्योछावर कर दिया। अंसारी को सीखना ही था तो डॉक्टर कलाम से कुछ सीख कर जाते !!!

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