2022 तक सभी को घर देने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए मोदी सरकार दिलोजान से काम कर रही है। ताजा घटनाक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से अफोर्डेबेल हाउसिंग स्कीम के लिए बेकार पड़ी सरकारी जमीनों को खोजने के लिए कहा है। सरकार को पता है कि ये काम बहुत बड़ा है और समय सीमा के भीतर सबको घर मुहैया कराना तभी संभव है जब इस विजन को लेकर मिशन मोड में काम किया जाए।पांच साल बाद देश के हर नागरिक के पास अपना घर हो, ये सोच जितना व्यापक है, उसे मूर्त रूप देने का काम भी उतना ही विशाल है। इसके लिए सरकार ने बेकार पड़ी सरकारी जमीनों का लैंड बैंक तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से कहा है कि वो पहले उन जमीनों की तलाश करें जो विकसित सरकारी कॉलोनियों में बेकार पड़ी हुई हैं। सरकार की सोच है कि एकबार जमीन का इंतजाम हो जाए तो इस योजना पर आगे का काम आसान हो जाएगा।
केंद्र सरकार को भरोसा है कि इस तरीके से राज्यों को अफोर्डेबेल हाउसिंग स्कीम के लिए जमीन की कमी के कारण आने वाली दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस योजना को गति देने के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने विकसित सरकारी कॉलोनियों में जमीन खोजने का काम भी शुरू कर दिया है। इससे होगा ये कि घर बनाने के लिए वहां जरूरी सुविधाएं पहले से ही मौजूद रहेंगी और मंजूरी की समस्या भी पैदा नहीं होगी। केंद्र ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अबतक 90,000 करोड़ रुपये के हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इसमें 16.42 लाख अफोर्डेबल हाउसेज के निर्माण का काम शामिल है, जिसमें सबसे अधिक 2.27 लाख तमिलनाडु में, 1.94 लाख आंध्र प्रदेश में और 1.81 लाख मध्य प्रदेश में है। इस स्कीम को लेकर केरल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में कमजोर प्रगति सरकार के लिए अबतक चिंता का विषय बना हुआ था। लेकिन उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनने के बाद वहां भी आशा के अनुरूप काम में तेजी आने की संभावना बनी है। इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार एक अधिकारी ने बताया है कि,”पूरी प्रगति पर पीएमओ बारीकी से नजर रख रहा है। हमारा अनुभव है कि कुछ राज्य दूसरों की तुलना में बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने लाभार्थियों की सूची तैयार कर ली है और भूमि की उपलब्धता को लेकर भी वहां कोई समस्या नहीं है। इसलिए अब सभी मंत्रालयों को आदेश दिए हैं कि वे एक लिस्ट तैयार करें कि किन कॉलोनियों में नए घरों का निर्माण किया जा सकता है।“ इस योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा था, “देश की आजादी के इतने सालों के बाद 5 करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिनके लिए आवास निर्माण आवश्यक है। करीब 2 करोड़ शहरों में हैं, 3 करोड़ गावों में हैं और ये वो लोग हैं कि अपने बल बूते पर मकान बना पाएं संभव नहीं है, न उसके पास जमीन है न उसके पास पैसा है।”
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में 2022 तक 2 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है यानी 30 लाख मकान हर साल। ये मकान पक्के होगें, जिनमें पानी, शौचालय के साथ-साथ 24 घंटे बिजली की व्यवस्था होगी। काम को समय पर पूरा करने के लिए सरकार प्राइवेट बिल्डरों को भी इससे जोड़ रही है और उनके लिए कई तरह की रियायतों और टैक्स में छूट का भी प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 20 नवंबर, 2016 को PMAY-G की शुरुआत की। इन घरों में रसोई घर, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन और जलापूर्ति की सुविधा होगी। साथ ही लोग अपनी जरूरतों के अनुसार घरों को तैयार करवा सकेंगे। इस योजना के तहत 2016-17 में 44 लाख घरों को मंजूरी दी गई, जिसमें पिछले वित्त वर्ष तक कुल 32.14 लाख मकानों का निर्माण किया जा चुका है और दिसंबर 2017 तक उसे पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। जबकि 2016-2019 में कुल 1.35 करोड़ मकान बनाने की योजना है, जिससे 2022 तक सभी को मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा हो सके।