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2019 में भारत की इकोनॉमी दुनिया में सबसे तेज होगी-मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड

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भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है। इस बात की तस्दीक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी हालिया रिपोर्ट में की है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2019 में विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी। आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार एवं शोध विभाग के निदेशक मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने भी अपने आंकलन के अनुसार कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ढांचागत सुधार के कारण नयी ऊर्जा प्राप्त कर रहा है और विकास की दिशा भी ठीक है। 

2019 में सबसे तेज होगा होगा भारत का विकास
आईएमएफ का कहना है भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्त गति अस्थायी व्यवधान की तरह है और यह बाधा बुलबुले की तरह है, जो जल्दी ही खत्म होगी। आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार एवं शोध विभाग के निदेशक मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड के अनुसार अर्थव्यवस्था में इस साल आया यह धीमापन वास्तव में उसकी लॉन्ग टर्म में पॉजिटिव इकॉनमिक ग्रोथ की तस्वीर पर एक छोटे से अस्थायी दाग की तरह है। दरअसल ऑब्स्टफेल्ड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं और उनका कहना है कि भारत की इकोनॉमी 2019 में सबसे तेज गति से विकास करने वाली होगी।

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अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक पहल
मॉरिस ऑब्स्टफे के अनुसार सरकार द्वारा किए गए ढांचागत सुधार के कारण लंबे समय में यह लाभदायक है। भारत को व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण और नियम कायदों में आवश्यकतानुसार बदलाव के कारण भारत विकास करता रहेगा। मानसून के सामान्य होने के कारण खेती-किसानी भी लाभदायक रही है जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। जीएसटी और नोटबंदी की वजह से थोड़ा व्यवधान तो हुआ है लेकिन इस स्थिति से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी।

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ढांचागत सुधार से ऊर्जा का संचार
आईएमएफ का मानना है कि अगले साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। क्योंकि नोटबंदी के कारण अस्थायी तौर पर नकदी की जो कमी हुई थी वह अब खत्म हो गई है। वर्तमान में थोड़ी अस्थिरता को आधार बनाकर उसी आइने में अर्थव्यवस्था को देखना अपरिपक्वता की निशानी है। इसे दीर्घकालिक संदर्भों में देखें तो पता लगता है कि आने वाले दशक में भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है।

विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था होगी भारत
देश की अर्थव्यवस्था में हो रहे ढांचागत बदलाव और नीतिगत सुधार के मद्देनजर वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि आगामी 10 सालों में भारतीय की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर यानि लगभग 393 खरब रुपये की हो जाएगी। स्टैनली ने यह भी उम्मीद जताई है कि अगले दशक में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की होगी।

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FDI के लिहाज से भारत आकर्षक जगह
25 सितंबर, 2014 को मेक इन इंडिया की शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमियों को संबोधित करते हुए एफडीआई का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और कहा- FDI यानि फर्स्ट डेवलप इंडिया। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया था कि वह भारत को सिर्फ एक बाजार के रूप में न देखे, बल्कि इसे एक अवसर समझे। प्रधानमंत्री की इस अपील को देशी-विदेशी उद्योग जगत ने सकारत्मक तरीके से लिया और उनमें एक नये उत्साह का संचार हुआ।

मेक इन इंडिया में बढ़ रहा विदेशी निवेश
भारत अब विश्व का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। बीते तीन सालों में 95 मोबाइल कंपनियों ने भारत में अपनी यूनिट लगायी है। मेक इन इंडिया इनिशियेटिव से पहले अगर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह की बात करें तो अप्रैल 2012 से सितंबर 2014 के तीस महीनों के दौरान 90.98 बिलयन डॉलर था। जबकि इसके मुकाबले अक्टूबर 2014 से मार्च 2017 के दौरान इसमें 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह आंकड़ा 137.44 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

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विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा है भारत
दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी आर्मको भारत में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। कंपनी ने अधिकारिक तौर पर भारत में अपना कार्यालय शुरू कर दिया। इसी तरह लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर भारत में एफ-16 के ब्लॉक 70 का निर्माण करेगी। दरअसल इस वक्त दुनिया में करीब 3000 एफ-16 विमान हैं। भारत इनकी सर्विसिंग का केंद्र बन सकता है। ऐसी ही कई बड़ी कंपनियों का भारत में अपना यूनिट लगाने की तरफ रूझान है। साफ है कि भारत विदेशी कंपनियों की पसंदीदा जगह है।

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दुनिया देख रही भारतीय शेयर बाजार का दम
13 जुलाई, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब शेयर बाजार के इतिहास में सेंसेक्स पहली बार 32000 और निफ्टी 9850 के पार पहुंच गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास था और निफ्टी करीब साढ़े छह हजार अंकों के करीब रहता था।शेयर बाजार के लिए चित्र परिणाम

 

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