Home नरेंद्र मोदी विशेष …जब भावुक होकर पीएम मोदी की आंखें हुईं नम

…जब भावुक होकर पीएम मोदी की आंखें हुईं नम

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दुनिया ने उनकी प्रशासनिक तौर पर कठोर छवि देखी है। देखने में भी वे बेहद सख्त मालूम होते हैं। उनकी जुबान से निकले हर शब्द लोगों पर गहरी छाप छोड़ते हैं। उनके हर हाव-भाव राजनीतिक परिपक्वता को दिखाते हैं। उन्होंने संघर्ष को ही जीवन बनाया है और हारना नहीं सीखा है। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व का एक पहलू है। दूसरा यह है कि अंदर से वे बेहद कोमल और भावुक हैं। उनकी इस भावुकता की झलक तब भी दिखी जब पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी जी के देहांत के बाद कई बार उनकी आंखें नम हो गईं। 

दरअसल अटल जी की अंतिम यात्रा के दौरान कई ऐसे पल आए जब वे बेहद भावुक दिखे। 16 अगस्त को अटल जी के देहांत के बाद वे तीन बार AIIMS गए। इसके बाद दिन भर भाजपा कार्यालय में ही रहे। 50 महीने के उनके कार्यकाल में पहली बार ऐसा हुआ जब वे देश में रहते हुए PMO नहीं गए। उन्होंने वाजपेयी जी की अंतिम यात्रा में 6 किलोमीटर तक पैदल ही सफर तय किया। इस पूरे घटनाक्रम में उनकी आंखे कई बार नम हुईं जो कैमरे में भी कैद हुईं।  

प्रधानमंत्री बनने के बाद कई बार ऐसे मौके आए हैं जब सख्त छवि के माने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गला भर आया है। आइये हम इनपर नजर डालते हैं।

20 मई, 2014
लोकसभा चुनाव के बाद मई 2014 में भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद संसद के सेंट्रल हाल में लालकृष्ण आडवाणी के ‘नरेन्द्र भाई ने कृपा की’, वाले बयान का जिक्र करते हुए उनके आंसू छलक पड़े थे। उन्होंने रुंधे गले से कहा था कि आडवाणी जी कृपा शब्द का प्रयोग न करें। मां की सेवा कभी कृपा नहीं होती। मेरे लिए भाजपा मां के समान है।

21 मई, 2014
गुजरात विधानसभा में नरेन्द्र मोदी विपक्ष के नेताओं के शुभकामना देने पर भावुक हो गए और उनका गला रूंध गया। वे विधानसभा से विदाई लेते हुए भावुक हो गए और कहा कि मुझसे कोई गलती हुई हो और अगर मेरे व्यवहार से किसी को कष्ट पहुंचा हो तो मैं माफी मांगता हूं।

10 मई, 2015
यह वो दिन था जब पीएम मोदी पश्चिम बंगाल के दौरे के बीच बेलूर मठ में पहुंचे थे। उनके लिए मठ का वो कमरा खोला गया जो स्वामी विवेकानंद का था। यह पीएम के लिए भावुक पल था क्योंकि इसके पहले वो युवा थे तब उनकी इस अपील को मठ ने तीन बार नामंजूर किया था। पीएम मोदी ने वहां प्रार्थना की।

28 सितंबर, 2015
प्रधानमंत्री मोदी ने फेसबुक हेडक्वॉर्टर में मार्क जकरबर्ग से मुलाकात की तब जकरबर्ग ने उनके जीवन से लेकर कई सवाल पूछे थे। इस दौरान अपनी मां पर एक सवाल का जवाब देते वक्त उनकी आंखें भर आई थीं। अपनी मां के संघर्ष के बारे में बताते-बताते पीएम मोदी काफी भावुक हो गए थे।

27 अक्टूबर, 2015
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस वक्त लोकसभा में संविधान चर्चा के दौरान बोल रहे थे उस वक्त वे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि भारत इतना विविधता वाला देश है ऐसे में कानून बनाना एक बहुत बड़ा काम था। बाबासाहेब अम्बेडकर ने खुद जहर पीया और हमारे लिए अमृत छोड़कर गए। पीएम मोदी ने कहा गरीब मां का बेटा जीवन भर अपमानित होता रहा, लेकिन संविधान निर्माण में उस कड़वाहट की कहीं छाप नहीं दिखी।

22 जनवरी, 2016
हैदराबाद के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद प्रधानमंत्री मोदी जब लखनऊ में अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दिक्षांत समारोह में पहुंचे तो पीएम मोदी का दर्द उनके संबोधन में नजर आया। अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि राजनीति भी अपनी जगह होगी। लेकिन हकीकत यह है कि एक मां ने अपना लाल खोया है। यह कहते-कहते वह भावुक हो उठे।

14 जून, 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी नेताओं को नेशनल एग्जीक्यूटिव बैठक में संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधदन के दौरान उन्होंने जनसंघ नेता दीन दयाल उपाध्याय के घर चोड़ने से पहले अपने मामा को लिखे खत को पढ़ा। इस पत्र को पढ़ते हुए पीएम मोदी कुछ देर के लिए भावुक हो गए।

13 नवंबर, 2016
देश में 8 नवंबर को लागू हुई नोटबंदी के ठीक बाद पीएम मोदी गोवा दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने अपने अपने संबोधन में लोगों से बेहद भावुक अपील की थी। इस दौरान एक पल ऐसा आया जब उनका गला भर आया। उन्होंने कहा था, ‘’मैंने.. घर-परिवार सब देश के लिए छोड़ दिया।‘’

03 जनवरी, 2017
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी – अ स्टेट्समैन’ के अनावरण के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने प्रणब दा की उंगली पकड़कर दिल्ली की जिंदगी में खुद को सेट किया है। बीते तीन सालों के दौरान ऐसा एक भी मौका नहीं होगा, जब वो राष्ट्रपति मुखर्जी से मिले हों और उन्होंने उन्हें ‘पिता का प्यार’ न दिया हो। ऐसा कहते हुए वे बेहद भावुक हो गए।

29 जून, 2017
भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं की घटना पर पीएम मोदी आहत हैं और इसे अनुचित मानते हैं। 29 जून, 2017 को ने गुजरात स्थित साबारमती आश्रम के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गाय के नाम पर की जा रही हत्या की चर्चा करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा गोरक्षा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है। हमें अहिंसा के रास्ते पर चलना होगा।

08 अक्टूबर, 2017
गुजरात चुनाव के दौरान वडनगर में सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पुराने दिनों को याद करके भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने कई पुराने लोगों को देखा तो उस वक्त की यादें ताजा हो गई। कईं लोगों को देखा जो आज लाठी लेकर चल रहे हैं।

20 दिसंबर, 2017
गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में जीत के बाद संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने भाजपा के सफर को याद करते हुए कहा कि पिछले तीन सालों में भाजपा ने जितने चुनाव जीते हैं, भारत में इतने कम समय में किसी दल ने नहीं जीते हैं। गुजरात का जिक्र करने पर उनकी आंखें नम हो गई। भाजपा और संघ के पुराने साथियों को याद करते हुए भावुक हुए, जिन्होंने राज्य में पार्टी की नींव मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी।