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मोदी राज में भारत का जलवा: क्लाईमेट चेंज इंडेक्स में पहली बार टॉप 10 देशों में हुआ शामिल

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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। भारत पहली बार जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) में टॉप 10 देशों में शामिल हुआ है। स्पेन की राजधानी मैड्रिड में आयोजित ‘कॉप 25’ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में मंगलवार को सीसीपीआई रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा इस्तेमाल का मौजूदा स्तर उच्च श्रेणी में नौवें स्थान पर है। सबसे बड़े वैश्विक उत्सर्जक चीन ने सूचकांक में 30वां स्थान हासिल किया है। ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब और अमेरिका खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में हैं। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सम्मेलन में कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर भारत ने ‘जो कहा है, वह कर रहा है’ और उसने अपनी जीडीपी के 21 प्रतिशत तक उत्सर्जन तीव्रता को कम किया है। उन्होंने कहा कि 2015 के पेरिस शिखर सम्मेलन में किए गए वादे के मुताबिक उत्सर्जन में 35 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए काम जारी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर संभाली है, दुनियाभर में देश की साख मजबूत हुई है। मोदी राज में पिछले पांच वर्षों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की तमाम रैंकिंग में सुधार हुआ है।

नजर डालते हैं पिछले पांच वर्षों में भारत की कुछ अहम उपलब्धियों पर-

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 14 पायदान की उछाल
ईज ऑफ डूंइंग बिजेनस की रैंकिंग में भारत ने जबरदस्त छलांग लगाई है। वर्ल्ड बैंक की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 14 पायदान चढ़कर 63वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत इस सूची में 77वें नंबर पर आ गया था। वर्ल्ड बैंक हर साल आसान कारोबार वाले देशों की सूची जारी करता है। इसमें कुल 190 देश होते हैं। साफ है मोदी राज में भारत में बिजनेस करना और आसान हो गया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, रैंकिंग के लिए किसी कारोबार को शुरू करना, कंस्ट्रक्शन परमिट, क्रेडिट मिलना, छोटे निवेशकों की सुरक्षा, टैक्स देना, विदेशों में ट्रेड, कॉन्ट्रैक्ट लागू करना, बिजली प्राप्त करना, संपत्ति का पंजीकरण करना, अल्पसंख्यक निवेशकों की रक्षा करना और दिवालिया शोधन प्रक्रिया को आधार बनाया जाता है।

भारत दुनिया में 10 सबसे बड़े सुधार करने वाले देशों में शामिल है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के सक्षम, समर्थ व स्पष्ट नेतृत्व के कारण भारत में कारोबारी माहौल बेहतर हुआ है और व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया भी सरल हो गई है।

विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में लगायी चार पायदान की छलांग
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत ने चार पायदान की छलांग लगायी है। भारत अब 44 वें स्थान पर पहुंच गया है। आईएमडी की विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मकता रैकिंग 2019 के अनुसार, भारत 2018 में 48वें स्थान से आगे बढ़कर 2019 में 44वें पर पहुंच गया है। भारत ने सभी कारकों ज्ञान, प्रौद्योगिकी और भविष्य की तैयारी के मामले में काफी सुधार दर्ज किया है। अमेरिका इस लिस्ट में पहले स्थान पर है।

वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक में 17 पायदान की छलांग
मोदी राज में वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (Economic Freedom Of the World Ranking) में 17 पायदान की लंबी छलांग लगाते हुए भारत दुनिया के 162 देशों में 79वें क्रम पर पहुंच गया है। सूचकांक में पिछले साल भारत 96वें स्थान पर था। कैनेडियन थिंकटैंक फ्रेजर इंस्टिट्यूट और भारतीय थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी द्वारा शुक्रवार को संयुक्त रूप से ‘वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2019’ जारी किया गया। यह सूचकांक दुनियाभर के देशों में सरकार के आकार, कानून व्यवस्था व संपत्ति का अधिकार, मुद्रा की सुगमता, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आजादी और नियमन आदि जैसे पांच क्षेत्रों के बाबत जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर जारी किया जाता है।

वैश्विक आर्थिक सूचकांक में हांगकांग पहले, सिंगापुर दूसरे, न्यूजीलैंड तीसरे, स्विट्जरलैंड चौथे और यूएस पांचवें क्रम पर है जबकि वेनेजुएला (162वें), लिबिया (161वें), सुडान (160वें), अल्जीरिया (159वें) और अंगोला (158वें) स्थान पर हैं। इस प्रतिष्ठित वैश्विक सूचकांक में भारत ने जहां 17 स्थानों की छलांग लगाई है वहीं इसके सभी पड़ोसी देशों की रैंकिंग में गिरावट आई है। सूचकांक में श्रीलंका को 104, नेपाल को 110, चीन को 113, बांग्लादेश को 123, पाकिस्तान को 136 और म्यांमार को 148वां स्थान प्रदान किया गया है।

विश्व यात्रा पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत ने लगाई छह पायदान की छलांग
वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में छह पायदान की छलांग लगाकर भारत 34वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2017 में भारत 40वें स्थान था, जबकि सन 2013 में 65वें स्‍थान पर था। मोदी सरकार के दौरान रैंकिंग में भारत ने 31 पायदान की छलांग लगाई है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधन के मामले में भारत का समृद्ध होना और कीमत के लिहाज से बेहद प्रतिस्पर्धी होना है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत दक्षिण एशिया में सबसे प्रतिस्पर्धी यात्रा-पर्यटन अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52वें पायदान पर भारत
दुनियाभर में इनोवेशन के मामले में भारत की रैंकिंग में 5 स्थान का सुधार हुआ है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) की सूची में भारत 52वें नंबर पर पहुंच गया है, पिछले साल भारत 57वें नंबर पर था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की स्थिति में लगातार सुधार हुआ है। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में ‘वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) 2019’ को लांच करने के अवसर पर कहा कि भारत ऊंची छलांग लगाकर जीआईआई-2019 में 52वें पायदान पर पहुंच गया है। जीआईआई रैंकिंग का प्रकाशन हर साल कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, इन्सीड और संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (विपो) तथा जीआईआई के ज्ञान साझेदारों द्वारा किया जाता है। यह 129 अर्थव्यवस्थाओं की जीआईआई रैंकिंग का 12वां संस्करण है, जो 80 संकेतकों पर आधारित है।

प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में 43वें स्थान पर भारत
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आईएमडी विश्व प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। इस रैंकिंग में भारत 43वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल भारत 44वें स्थान पर था। आईएमडी विश्व प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज वृद्धि, कंपनी कानून में सुधार और शिक्षा पर खर्च बढ़ने के कारण भारत प्रतिस्पर्धिता में रैंकिंग सुधारने में सफल हुआ हैं। 2019 की रैंकिंग में भारत कई आर्थिक मापदंडों पर अच्‍छा स्‍कोर हासिल किया है।

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार
विश्व आर्थिक मंच (WEF) के वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक 2018 में भारत पांच स्थान ऊपर चढ़कर 58वें स्थान पर पहुंच गया। विश्व आर्थिक मंच ने अपनी रिपोर्ट में भारत को 58वीं सर्वाधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था घोषित किया। WEF का कहना है कि भारत की रैंकिंग में पांच स्थान की वृद्धि जी-20 देशों के बीच सर्वाधिक बढ़ोतरी है। मंच ने यह भी कहा कि भारत दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार भारत क्षेत्रीय स्तर पर स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल के अलावा प्रतिस्पर्धा के सभी अन्य क्षेत्रों में आगे है। मंच की ओर से जारी 140 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर सिंगापुर और तीसरे स्थान पर जर्मनी है।

भारत की ईज ऑफ ट्रैवल रैंकिंग में सुधार
भारत की ईज ऑफ ट्रैवल रैंकिंग में सुधार हुआ है। भारत ने 2019 के लिए जारी की गई हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में 80वां स्थान हासिल किया है। पिछले साल 2018 में भारत 81वें स्थान पर था और 2015 में जब बार इलेक्ट्रॉनिक वीजा या ई-वीजा की शुरुआत की गई थी तब भारत 88वें स्थान पर था। अब भारतीय पासपोर्ट धारक 60 देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकते हैं।

भारतीय पासपोर्ट ने लगाई 10 पायदान की छलांग
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय पासपोर्ट वैश्विक स्तर पर और ज्यादा मजबूत हो गया है। ग्लोबल पासपोर्ट इंडेक्स रैंकिंग में भारत ने 10 अंकों की छलांग लगाई है। ग्लोबल पासपोर्ट इंडेक्स में 199 देशों की सूची में भारत 67वें स्थान पर पहुंच गया है। भारतीय पासपोर्ट पिछले 5 वर्षों में लगातार मजबूत हुआ है। यह भारतीय पासपोर्ट की बढ़ती ताकत ही है कि अब आपको वीजा ऑन अराइव से उस देश में पहुंचने के बाद आपको हाथों-हाथ वीजा मिल जाता है।

ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स में चीन से आगे निकला भारत
भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स में दो पायदान ऊपर चढ़कर 76 वें स्थान पर आ गया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। चीन अब 82वें स्थान पर आ गया है। 115 देशों की सूची में स्वीडन पहले स्थान पर है। ब्रिक्स देशों में ब्राजील के अलावा सिर्फ भारत ही ऐसा है जिसकी स्थिति में सुधार देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने उर्जा सुधार की दिशा में सराहनीय कार्य किए हैं। अमर उजाला के अनुसार भारत में अक्षय उर्जा की क्षमता 73 गीगावाट है। जो देश की कुल उर्जा उत्पादन का 20 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में अक्षय उर्जा का उत्पादन अब परंपरागत उर्जा को पीछे छोड़ने लगा है। आने वाले दिनों में भारत इस क्षेत्र में और तेजी से विकास करेगा।

विश्व के सबसे भरोसेमंद देशों में शामिल हुआ भारत
भारत अब कारोबार, सरकार, एनजीओ और मीडिया के मामले में विश्व के सबसे भरोसेमंद देशों में शामिल हो गया है। ‘एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर-2019’ रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक विश्वसनीयता सूचकांक में तीन अंक के सुधार के साथ भारत 52 अंक पर पहुंच गया है। ये रिपोर्ट 27 बाजारों में किये गए ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें 33,000 से अधिक लोगों के जवाब शामिल किये गए हैं।

मोदी सरकार दुनिया की तीन सबसे भरोसेमंद सरकारों में
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार को दुनिया की तीसरी सबसे भरोसेमंद सरकार बताया गया है। WEF के सर्वे के अनुसार करीब तीन चौथाई भारतीयों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा जताया। यह सर्वे अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक बदलाव और भ्रष्टाचार मामलों को लेकर किये गए थे। सर्वे के नतीजों में बताया गया है कि देश में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और टैक्स सुधारों के कारण मौजूदा सरकार में भरोसा बढ़ा है।

ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में टॉप पर भारत
मोदी राज में भारत वैश्विक उपभोक्ता विश्वास (ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फिडेंस) सर्वे में पहले पायदान पर है। नेल्सन के सर्वे के अनुसार भारत में वैश्विक उपभोक्ता विश्वास सबसे ज्यादा है। इस सर्वे के परिणाम दर्शाते हैं कि भारत में उपभोक्ता का विश्वास दो साल के शीर्ष पर है। नेल्सन के इस सर्वे में 64 देशों के 32 हजार उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया। भारत कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) में 133 अंकों के साथ पहले पायदान पर है। सर्वे में 131 अंकों के साथ फिलीपिंस दूसरे और 127 अंकों के साथ इंडोनेशिया तीसरे पायदान पर है।

बौद्धिक संपदा सूचकांक में लगाई आठ अंकों की छलांग
बौद्धिक संपदा सूचकांक में भारत आठ स्थानों की छलांग लगाकर 36वें पायदान पर पहुंच गया है। 2018 में भारत 44वें स्थान पर था। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के वैश्विक नवोन्मेषण नीति केंद्र (जीआईपीसी) के 2019 के इस सूचकांक में शामिल 50 देशों में भारत की स्थिति में सबसे ज्यादा सुधार आया है। इस सूचकांक में अमेरिका पहले, ब्रिटेन दूसरे, स्वीडन तीसरे, फ्रांस चौथे और जर्मनी पांचवें स्थान पर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की स्थिति में यह सुधार भारतीय नीति निर्माताओं के जरिए घरेलू उद्यमियों और विदेशी निवेशकों के लिए समान रूप से एक सतत नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के प्रयासों को दर्शाता है। जीआईपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पैट्रिक किलब्राइड ने कहा कि लगातार दूसरे साल भारत का स्कोर सबसे अधिक सुधरा है।

वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक में सुधरी भारत की रैंकिंग
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पिछले साढ़े चार वर्षों में देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक भी इसकी पुष्टि कर रहा है। 2018 के वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक के मुताबिक भारत की रैंकिंग सुधरी है। भ्रष्टाचार-निरोधक संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी वार्षिक सूचकांक के मुताबिक भारत में अब पहले की तुलना में कम भ्रष्टाचार है। इस सूचकांक में भारत तीन स्थान के सुधार के साथ 78वें पायदान पर पहुंच गया है। पहले भारत इसमें 81वें पायदान पर था। वैश्विक संगठन ने कहा कि आगामी चुनावों से पहले भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2017 में भारत को 40 अंक प्राप्त हुए थे, जो 2018 में 41 हो गए।

भारत ने पहली बार 60 अर्थव्यवस्थाओं के ‘ब्लूमबर्ग इनोवेशन इंडेक्स’ में बनाई जगह
दुनियाभर में इनोवेशन के मामले में भारत ने पहली बार 60 अर्थव्यवस्थाओं के ‘ब्लूमबर्ग इनोवेशन इंडेक्स’ में जगह बनाई है। भारत ने 60 अर्थव्यवस्थाओं के ‘2019 ब्लूमबर्ग इनोवेशन इंडेक्स’ में 100 में से 47.93 के स्कोर के साथ 54वां स्थान प्राप्त किया है। भारत के लिए यह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। ब्लूमबर्ग इनोवेशन इंडेक्स में 87.38 के कुल स्कोर के साथ दक्षिण कोरिया शीर्ष पर रहा। 

विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाले टॉप 10 शहरों में सभी भारत के
आर्थिक विकास के मामले में विश्व के शीर्ष 10 शहरों की बात आने पर भारत अगले दो दशकों तक हावी रहने वाला है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाले शीर्ष दस शहरों में सभी शहर भारत के हैं। ऑक्सफोर्ड के वैश्विक शहरों के शोध के प्रमुख रिचर्ड होल्ट के मुताबिक गुजरात की हीरा नगरी और व्यापार केंद्र सूरत में 2035 तक 9 प्रतिशत से अधिक की औसत के साथ सबसे तेजी से विस्तार देखेने को मिलेगा। शीर्ष के 10 शहरों में- सूरत, आगरा, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, तिरुपुर, राजकोट, तिरुचिरापल्ली चेन्नई और विजयवाड़ा शामिल है।

फोटो सौजन्य

ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार हालांकि सूची में शामिल कई भारतीय शहरों का इकोनॉमिक आउटपुट दुनिया के बड़े मेट्रोपॉलिटन शहरों से कम रहेगा, लेकिन एशिया के सभी शहरों का कुल जीडीपी 2027 तक उत्तरी अमेरिका और यूरोप के प्रमुख शहरों से कई गुना आगे निकल जाएगा। 2035 तक यह उत्तर अमेरिका और यूरोप महाद्वीपों से 17 प्रतिशत अधिक हो जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा योगदान चीनी शहरों का होगा।

एशिया पैसिफिक में सबसे तेज प्रगति करने वाला देश बना भारत
एशिया प्रशांत देशों में भारत सबसे तेजी से तरक्की करने वाला देश बन गया है। अंतरराष्ट्रीय थिंक-टैंक लेगाटम इंस्टीट्यूट के 12वें सालाना वैश्विक समृद्धि सूचकांक में भारत 19 पायदान की लंबी छलांग लगाते हुए 94 स्थान पर पहुंच गया है। दुनिया सबसे समृद्ध देश की पहचान के लिए सौ से ज्यादा मानदंडों पर सभी देशों के परखा गया था। 2013 में भारत इस सूची में 113वें नंबर था और पांच वर्षों के दौरान भारत अभूतपूर्व प्रगति के साथ 94 नंबर पर पहुंच गया है।

मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा हाल में जारी ताजा मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण एशिया में भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.640 है। यह दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1990 से 2017 के बीच सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय में 266.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। भारत की क्रय क्षमता के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय करीब 4.55 लाख रुपये पहुंच गई है। जो पिछले साल से 23,470 रुपये अधिक है। इसके साथ ही जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत की स्थिति बेहतर हुई है। भारत में जीवन प्रत्याशा 68.8 साल है जबकि 1990 में 57.9 साल थी।

ग्लोबल पीस इंडेक्स में 4 पायदान सुधार के साथ 137वें नंबर पर भारत
इसके साथ ही ग्लोबल पीस इंडेक्स-2017 में भारत चार पायदान ऊपर चढ़कर 137 वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत अब 163 देशों में पिछले साल की रैंकिंग 141 की तुलना में चार पायदान सुधार के साथ 137वें नंबर पर है। ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग सुधरने का कारण हिंसक घटनाओं में आई कमी को बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कानून-व्यवस्था सुधरी है। रिपोर्ट के अनुसार आइसलैंड दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण देश है, जबकि सीरिया दुनिया का सबसे कम शांति वाला देश है।

ग्लोबल फायर पॉवर रैंकिंग
हाल ही में ग्लोबल फायर पॉवर रैंकिंग में भारत को चौथा स्थान मिला है। ग्लोबल फायर पॉवर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे स्थान पर है। यह रैंकिंग 55 से अधिक मानदंडों के आधार पर की गयी है।

भारत बना दुनिया का छठा सबसे धनी देश
भारत 8,230 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ विश्व का छठा सबसे धनी देश है। अफ्रएशिया बैंक की वैश्विक संपत्ति पलायन समीक्षा (AfrAsia Bank Global Wealth Migration Review) रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका 62,584 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ शीर्ष पर है। रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक भारत, ब्रिटेन और जर्मनी को पछाड़ दुनिया का चौथा सबसे धनी देश बन जाएगा।

बैंक की समीक्षा में किसी देश के हर व्यक्ति की कुल निजी संपत्ति को आधार माना गया है। 24,803 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ चीन दूसरे और 19,522 अरब डॉलर के साथ जापान तीसरे स्थान पर है। भारत में संपत्ति सृजन के कारणों में उद्यमियों की काफी संख्या, अच्छी शिक्षा प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी का शानदार परिदृश्य, कारोबारी प्रक्रिया की आउटसोर्सिंग, रियल एस्टेट, हेलथकेयर और मीडिया क्षेत्र शामिल है। पिछले 10 वर्ष में इनकी संपत्ति में 200 गुना तेजी दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार विश्व में अभी 1.52 करोड़ ऐसे लोग हैं जिनकी संपत्ति 10 लाख डॉलर से अधिक है। एक करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या 5.84 लाख और एक अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले लोगों की संख्या 2,252 है।

 

मार्केट कैपिटलाइजेशन में बना 8वां बड़ा बाजार बना भारत
मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से भारत, टॉप 10 की सूची में दुनिया का 8वां बड़ा बाजार बन गया है। दरअसल भारतीय शेयर बाजार में आई जबरदस्त तेजी का दौर मार्केट कैपिटलाइजेशन की रैंकिंग में लगातार बड़े बदलाव कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय शेयर बाजार ने अपने मार्केट कैपिटलाइजेशन में आई 49 % की तेजी के चलते कनाडा को पीछे छोड़कर यह स्थान बनाया है। पिछले महीने 13 दिसंबर को भारत का मार्केट कैपिटलाइजेशन कनाडा के 2.21 लाख करोड़ डॉलर के मुकाबले 2.28 लाख करोड़ डॉलर रहा। इस बढ़ोत्तरी की तीन मुख्य वजहें बताई जा रही हैं। बेंचमार्क इंडेक्स यानी सेंसेक्स का 24% बढ़ना, रुपये में डॉलर की तुलना में 12% की मजबूती और आईपीओ मार्केट की बढ़ी हुई गतिविधि। पिछले साल 82 भारतीय कंपनियों में आईपीओ के माध्यम से लगभग 71,687 करोड़ रुपये जुटाए गए।

ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप इंडेक्स में भारत 68 वें स्थान पर
ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप इंडेक्स में एक पायदान ऊपर चढ़कर भारत 68वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत रैंकिंग में जबरदस्त 29 स्थानों की बढ़त के साथ 69 वें स्थान पर रहा था। 137 देशों की इस सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है। प्रत्येक देश को अपने ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप इंडेक्स (जीईआई) स्कोर के हिसाब से स्थान दिया गया है।

विश्व प्रतिभा रैंकिंग में भारत पहुंचा और ऊपर
विश्व स्तर पर भारत प्रतिभा आकर्षित करने, उसे विकसित करने और उसे अपने यहां बनाए रखने के मामले में तीन पायदान ऊपर आ गया है। स्विट्जरलैंड स्थित International Institute for Management Development (IMD) की ओर से तैयार की गई इस रैंकिंग में भारत अब 54वें से 51वें स्थान पर आ गया है। रैंकिंग में ऊपर आना इस बात का प्रमाण है कि मौजूदा सरकार देश की प्रतिभाओं में सकारात्मक भाव पैदा करने में सफल रही है। इस सूची में स्विटजरलैंड पहले स्थान पर है और टॉप 10 में भी यूरोपीय देश ही हैं।

विदेशियों की नजर में बेहतर हुआ भारत में रहने का माहौल
विदेशियों की नजर में भारत में रहने का माहौल बेहतर हुआ है। रहने और काम करने के हिसाब से भारत की स्थिति में 12 पायदान का उछाल आया है। विदेशियों की नजर में भारत की रैकिंग सुधरने से ग्लोबल रैंकिंग में भारत 14वें स्थान पर पहुंच गया है। इस तरह से कह सकते हैं कि विदेशियों के रहने और काम करने के लिहाज से भारत की रैंकिंग में जबर्दस्त उछाल आया है। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था, अनुभव और पारिवारिक मानकों के संयुक्त पैमाने पर इस साल भारत 12 स्थान ऊपर आया है। काम और वित्तीय अवसर की तलाश में भारत आने वाले विदेशी अपने परिवार के लिए भी इसे बेहतर जगह मान रहे हैं। पेशेवर तरक्की के मामले में भारत प्रवासियों की पसंद के टॉप 10 देशों में शामिल हो गया है।

EPT में जबरदस्त जम्प
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ईज ऑफ पेइंग टैक्स में भारत 53 स्थानों की छलांग लगाकर 119वें स्थान पर आ गया है। इससे पहले भारत का स्थान 172वां था। Resolving insolvency की रैंकिंग में भारत का स्थान 136वां था, जो कि अब 33 नंबर के उछाल के साथ 103वें पर आ गया है। नया व्यापार शुरू करने के लिहाज से भारत 156वें स्थान पर है लेकिन कई ऐसी इनीशिएटिव्स हैं जिनपर काम किया जा रहा है। हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक ऐसा देश है, जो संरचनात्मक सुधारों का काम कर रहा है।

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