भ्रष्टाचार खत्म करने और नए शिष्टाचार के निर्माण के नाम पर राजनीति करने आए आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल झूठ और फरेब की राजनीति करेंगे, इसका अनुमान किसी को नहीं था। अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ पकड़ा गया है। नया झूठ दिल्ली विधानसभा में दिल्ली उपराज्यपाल अनिल बैजल पर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर है। केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है।
दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया है। दिल्ली विधानसभा में रिपोर्ट पेश करने वाले मंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाते हुए एलजी बैजल ने कहा कि ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा सलाहकार बोर्ड’ की फाइल बिना कोई कारण बताए दो साल से अधिक (768 दिनों से) समय से शिक्षा विभाग में लंबित है।
यह कोई पहली बार नहीं है कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी सरकार अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। देखिए कब-कब बोला झूठ
सरकार के मुख्य सचिव से मारपीट का मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 फरवरी, 2018 की आधी रात को अपने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक के बहाने बुलाया। फिर दो विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ मारपीट करा दिया। मामला उजागर होने पर केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे जबकि उनके सलाहकार ने स्वीकार कर लिया था कि केजरीवाल के सामने मारपीट हुई। इस मामले को लेकर 20 फरवरी, 2018 को अंशु प्रकाश ने कई अन्य आईएएस अफसरों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके इसकी जानकारी दी थी। अंशु प्रकाश की शिकायत पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्ला खां और प्रकाश जरवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में, केजरीवाल एंड कंपनी ने दलित का एंगल देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें विधायकों का आरोप है कि मुख्य सचिव ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे।
बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा। आप भी देखिए केजरीवाल के झूठ का वीडियो –
ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।
इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे।
अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
करीब एक दर्जन से ज्यादा मानहानि के मामलों का सामना कर रहे आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ आप नेता आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने भी अरुण जेटली से माफी मांगी है। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंप दिया। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।
नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस लेने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की है।
कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।
CM @ArvindKejriwal has tendered an apology to me in the court,for all the baseless&false allegations he & his party levelled against me in drug https://t.co/Fl679yeKHW mother suffered the most due to all this&this apology is vindication of her faith in Waheguru’s power of justice pic.twitter.com/YXs3f710eu
— Bikram Majithia (@bsmajithia) March 15, 2018
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर लगाए आरोपों से लिया यू-टर्न
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।
राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-
कांग्रेस से समर्थन न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।
सरकारी सुविधाएं न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।
जनलोकपाल देने के वादे पर मारा यू-टर्न
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।
शीला दीक्षित के खिलाफ जांच पर मारा यू-टर्न
शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब चुप हैं। उन्होंने कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ 370 पन्नों का सबूत है और सीएम बना तो वो 2 दिन में जेल जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।
दिल्ली छोड़कर न जाने पर यू-टर्न
सत्ता को अपनी मर्जी से चलाने की ऐसी सनक सवार थी कि जब उन्होंने देखा कि केन्द्रशासित राज्य दिल्ली में शासन करना आसान नहीं है, तो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली का काम सौंप कर पंजाब में चुनाव प्रचार करने चल दिए। प्रचार अभियान में खुलासा हुआ कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बनेगें। इससे दिल्ली के लोग नाराज हो गये क्योंकि उनका मुख्यमंत्री किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहा था जबकि दिल्ली में समस्याओं का अंबार लगा था।
भ्रष्टाचार से उत्पन्न कालेधन को खत्म करने पर यू-टर्न
केजरीवाल के अन्ना आंदोलन का मूल उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना था। इस भ्रष्टाचार की जड़ में देश का कालाधन था जिसे खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी अभियान शुरू किया। लेकिन केजरीवाल ने इसका जमकर विरोध किया क्योंकि उन्हें पीएम मोदी का विरोध करना था। ममता बनर्जी के साथ मिलकर नोटबंदी के खिलाफ जनसभा की और मोर्चा निकाला, जिसकी हवा निकल गई। केजरीवाल ने ट्विटर पर झूठी बातों का प्रचार किया।
जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति करने पर यू-टर्न
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यू टर्न ले लिया। केजरीवाल ने एलान किया है कि पंजाब में उनकी पार्टी जीती तो प्रदेश को पहला डिप्टी दलित सीएम मिलेगा। इसी तरह से वह धर्म की भी राजनीति करने के लिए कोई अवसर नहीं छोड़ते। मोदी का विरोध करने के लिए कभी वह हिन्दू और कभी मुस्लिमों की राग छेड़ देते हैं।
देशभक्ति की भावना पर केजरीवाल का यू-टर्न
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। जिसको लेकर सोशल मिडिया पर उनकी काफी थू-थू हुई।
भष्टाचारियों का न साथ देने पर मारा यू-टर्न
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के लिए लगातार उंगली उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल बिहार में चुनाव के दौरान यू-टर्न लेते दिखे, जब वो सार्वजनिक मंच पर लालू से गले मिले।
गडकरी पर लगाये आरोपों पर मारा यू-टर्न
बीजेपी अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, पर जब मानहानि के केस का सामना करना पड़ा तो मामला वापस ले लिया। गडकरी मानहानि केस में ही अरविन्द केजरीवाल ने ज़मानत के लिए 10 हज़ार रुपये के बॉन्ड भरने से इनकार कर दिया और 21 मई, 2014 को उन्हें जेल जाना पड़ा। फिर अपने रुख से यू-टर्न लेते हुए बॉन्ड भरने को राजी हुए। आखिरकार 26 मई, 2014 की शाम नरेन्द्र मोदी सरकार के शपथ लेने के दो घंटे बाद रात 8 बजे केजरीवाल जेल से बाहर आ सके।
पार्टी को मिले दान को लेकर लिया यू-टर्न
राजनीति को पाक-साफ करने के इरादे से आई आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने पार्टी की वेबसाइट से दानदाताओं की सूची गायब कर दी। चंदे को लेकर दूसरी पार्टियों पर सवाल उठाने वाली आम आदमी पार्टी ने वेबसाइट रीलांच के नाम पर दानदाताओं की लिस्ट के ऑप्शन ही हटा दिया है। इससे पहले डोनर लिस्ट ऑप्शन पर क्लिक करने पर टेक्लिकल प्रॉब्लम बताकर पेज नहीं खुलता था। हालांकि वेबसाइट में चंदा देने के लिए डोनेशन का ऑप्शन रखा गया है। इस तरह से केजरीवाल ने डोनेशन के मामले में यू-टर्न ले लिया है।
धारा 144 लगाने पर केजरीवाल का यू-टर्न
केजरीवाल ने 23 दिसम्बर, 2012 को ट्वीट करते हुए धारा 144 को गलत बताया था। आगे भी अपने और साथियों के खिलाफ इस धारा के इस्तेमाल को गलत करार दिया था। लेकिन सत्ता में आने पर उन्होंने खुद अपने ही पूर्व साथियों के खिलाफ इस धारा का तब इस्तेमाल किया जब विधानसभा के बाहर वो प्रदर्शन कर रहे थे।
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर केजरीवाल का यू-टर्न
विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब को ललचाई नजर से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।
‘ठुल्ला’ पर यू-टर्न
मुख्यमंत्री रहते अरविन्द केजरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में पुलिस के जवानों को ठुल्ला कहा था, बवाल होने पर यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया था। अपने कहे पर उन्होंने माफी भी मांगी।
उप राज्यपाल को ड्राफ्ट्स भेजने पर यू-टर्न
केजरीवाल सरकार विधानसभा में पेश करने से पहले बिल ड्राफ्ट्स को उप-राज्यपाल के पास नहीं भेजने पर अड़ी थी। बाद में सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा और सारे ड्राफ्ट्स उप-राज्याल के पास भेजे जाने लगे।
समर्थन पर यू-टर्न
केजरीवाल ने बिहार चुनाव में किसी भी दल या नेता का समर्थन करने से इनकार किया, लेकिन बाद में नीतीश कुमार के लिए दिल्ली में रह रहे बिहारियों से वोट करने की अपील की।
पानी पर यू-टर्न
दिल्लीवासियों को 700 लीटर पानी रोज मुफ्त देने का वादा आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने किया था। इस वादे के बदले दिल्ली वालों को उन्होंने ऐसा पानी पिलाया कि पहले से भी दुगना-तिगुना बिल देना पड़ रहा है।
पक्की नौकरी पर यू-टर्न
ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी का वादा भी केजरीवाल ने किया था, पर अब उस वादे से भी यू-टर्न ले चुके हैं।
चुनावी वादों पर यू-टर्न
चुनावी वादों को पूरा करने पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यू टर्न लिया। पहले कहा करते थे कि सभी वादों को पूरा करूंगा लेकिन दिल्ली में एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि पांच साल में 100 फीसदी नहीं भी हो तो 40-50 फीसदी वादे पूरा करना भी काफी होगा।