Home समाचार ‘थालीकांड’ की जवाबदेही से भाग रहे हैं केजरीवाल

‘थालीकांड’ की जवाबदेही से भाग रहे हैं केजरीवाल

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दिल्ली सरकार के ‘थालीकांड’ पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। लेकिन सीएम अरविंद केजरीवाल की चुप्पी ने मामले को और गर्म कर दिया है। वहीं बीजेपी और कांग्रेस के हमले के बीचे आम आदमी पार्टी की तरफ से पुख्ता तौर पर खबरों का खंडन भी नहीं किया जा रहा है। इधर दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने पूछा कि मुख्यमंत्री और उनके साथियों ने ऐसा क्या भोजन किया था, जिसमें एक थाली की कीमत ₹16,000 रुपये थी? जनता को जवाब चाहिए। उन्होंने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के उस बयान पर भी हमला बोला जिसमें सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि एलजी दफ्तर को इस मामले में इस्तेमाल किया जा रहा है। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार जनता के पैसे की लूट पर सीधे-सीधे जवाब न देकर मामले को डायवर्ट करने में लगी है।

दावत में उड़ाए थे लाखों
दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर 11-12 फरवरी 2016 को आयोजित पार्टी में आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री, पार्टी के विधायक और नेता शामिल हुए थे। इसमें एक थाली का खर्च 12 हजार से 16 हजार रुपये था। नियमों के मुताबिक दावतों में खाने का खर्च 2, 500 रुपये प्रति थाली से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन कायदे-कानून की अनदेखी कर ताज होटल से मंगवाए गए भोजन पर 11.4 लाख रुपये का खर्च आया था।

सिसोदिया की सीनाजोरी!
एक तरफ आम आदमी पार्टी सवालों में घिरी है वहीं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सीनाजोरी दिखा रहै हैं। सिसोदिया ने कई ट्वीट करके कहा कि एमसीडी चुनावों में पार्टी की छवि खराब करने के लिए बीजेपी के इशारे पर ये साजिश रची जा रही है। इस दौरान सिसोदिया ने चुनौती देते हुए कहा है कि हिम्मत है तो बीजेपी सारे दस्तावेज उजागर करे जिसमें उन्होंने बिल के भुगतान से इंकार किया है।
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि चुनावी मौसम में बीजेपी के इशारे पर एलजी आफिस के कुछ अफसर जानबूझकर पार्टी और दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए आधी जानकारी के साथ फाइलें लीक कर रहे हैं।
बहरहाल आम आदमी पार्टी पर जनता के पैसे से ऐश करने का सिर्फ एक मामला भर नहीं है। कई ऐसे मामले उजागर हो चुके हैं जिसमें जनता के पैसे से ऐश मौज की गई है।

चाय-समोसे में गटक गए सवा करोड़
फरवरी 2015 से अगस्त 2016 के बीच केजरीवाल के कार्यालय में 1.20 करोड़ रुपये के समोसे और चाय का खर्च दिखाया गया है। आरटीआई के जरिए इस बात की सूचना सार्वजनिक हुई। आम आदमी पार्टी के अंदरखाने की हकीकत सामने आ गई। इसी आरटीआई से यह भी पता चला कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सचिवालय स्थित कार्यालय में 8.6 लाख और कैंप आफिस में 6.5 लाख रुपये का चाय और स्नैक्स में खर्च किए गए।

सैर-सपाटे में साफ कर दिए लाखों
2016 में जब दिल्ली में डेंगू का कहर था तो राज्य के डिप्टी सीएम फिनलैंड में मौज-मस्ती कर रहे थे। उपराज्यपाल की डांट पड़ी तो वापस आए। इसी तरह 11 अगस्त से 16 अगस्त, 2015 के बीच मनीष सिसोदिया ब्राजील की यात्रा पर गए। प्रोटोकॉल तोड़ अर्जेंटिना में इग्वाजू फॉल देखने चले गए। इसमें सरकार को 29 लाख रुपयों का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा। बिजनेस क्लास में सफर करने वाला ये आम आदमी सितंबर, 2015 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी गए। जून 2016 में बर्लिन की भी यात्रा की। इसी तरह मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य मंत्री, विधायक भी विदेश यात्राओं पर जनता का पैसा पानी की तरह बहाया।


इमेज चमकाने में चट कर गए करोड़ों
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी CAG की रिपोर्ट के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर करोड़ों रुपए के विज्ञापन जारी किए। सरकार की इमेज चमकाने के चक्कर में जनता के 21.62 करोड़ रुपये पानी की तरह बहाए गए। इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार ने अन्य राज्यों में भी विज्ञापन पर 18.39 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कैग के मुताबिक 2.15 करोड़ रुपये के विज्ञापन ऐसे हैं जो बेतुके हैं। शब्दार्थ नाम की प्राइवेट एड एजेंसी (आरोप है कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साले की है कंपनी) को 3.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जिसकी जरूरत नहीं थी।

अपने इलाज के लिएजनता से की ठगी
दिल्ली में बड़े-बड़े अस्पतालों को छोड़ केजरीवाल बेंगलुरू के जिंदल नेचुरोपैथी केंद्र इलाज करवाने जाते हैं। जब से वे दिल्ली के सीएम बने हैं तब से दो बार दिल्ली में वे इलाज करवाने जा चुके हैं। बीते साल तो उनका परिवार भी उनके साथ गया था। इस दौरान वे 17,000 रुपये प्रतिदिन वाले कमरे में रहे। इसका खर्च भी दिल्ली सरकार ने ही वहन किया।

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