पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की हालत ऐसी हो गई है कि वहां राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार करना भी असंभव है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तानाशाही के चलते पूरे राज्य में अभूतपूर्व हिंसा हो रही है और राज्य के लोगों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब तो चुनाव आयोग ने भी मान लिया है कि राज्य की कानून-व्यवस्था चुनाव प्रचार के लिए उपयुक्त नहीं है। इसी कारण देश के चुनावी इतिहास में पहली बार आयोग ने निर्धारित समय सीमा से पहले प्रचार बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। बुधवार शाम बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैली में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हिंसा का जो तांडव किया और ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी, उसके बाद से पूरे राज्य में भयंकर तनाव है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 324 को लागू कर बुधवार को राज्य के नौ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार बृहस्पतिवार को रात 10 बजे समाप्त करने का आदेश दे दिया। आयोग ने पश्चिम बंगाल के दो प्रमुख अधिकारियों को भी उनके पदों से हटाने का आदेश दिया है।
ममता के करीबी अधिकारियों पर गाज
चुनाव आयोग ने जिन दो अधिकारियों को उनके पद से हटाया है, उनमें राजीव कुमार शामिल हैं, जिनको लेकर बीते दिनों ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गई थीं। इसके अलावा प्रधान गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य को छुट्टी पर भेजा गया है, क्योंकि राज्य की कानून व्यवस्था का पूरा जिम्मा इन्हीं के ऊपर है और ममता राज में प्रशासनिक अधिकारी भी पार्टी कैडर की तरह काम कर रहे हैं।