Home पश्चिम बंगाल विशेष घुसपैठियों का साथ देकर देश तोड़ने की साजिश रच रहीं ममता बनर्जी

घुसपैठियों का साथ देकर देश तोड़ने की साजिश रच रहीं ममता बनर्जी

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असम में एनआरसी ड्राफ्ट सामने आने के बाद ममता बनर्जी, राहुल गांधी मायावती और अरविंद केजरीवाल सरीखे नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकनी शुरू कर दी है। वे घुसपैठियों के समर्थन में खुलकर खड़े हो गए हैं। ममता कह रही हैं कि सभी घुसपैठियों को वे पश्चिम बंगाल में शरण देंगी, वहीं मायावती ने कहा कि एक को भी नहीं जाने देंगे, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जारी एनआरसी पर सवाल खड़ा किया तो अरविंद केजरीवाल ने कहा कि घुसपैठियों को जाने नहीं देंगे।

ये सभी नेता एक सुर में जो कह रहे हैं उसके विपरीत पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल की जनता अगर भाजपा को बंगाल में मौका देती है तो असम की तरह प्रदेश में भी एनआरसी लागू किया जाएगा और घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि असम में नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजंस यानि एनआरसी ड्राफ्ट के अनुसार दो करोड़ 89 लाख लोग भारतीय नागरिक हैं और करीब 40 लाख लोग ऐसे हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं। पूरे देश में ये संख्या तीन करोड़ के आस-पास मानी जा रही है।

बहरहाल असम में तो घुसपैठियों की संख्या 40 लाख है परन्तु बंगाल में तो इनकी संख्या एक करोड़ से भी ज्यादा है। इनके कारण बंगाल के कई इलाके मुस्लिम बहुल हो चुके हैं और हिंदुओं का इन इलाकों में जीना भी दूभर हो गया है। हिंदू अपने त्योहार भी नहीं मना पाते हैं, अपने शवों का अंतिम संस्कार करने में भी समस्या आती है।

ये हालात तो तब हैं जब पश्चिम बंगाल में 30 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। जाहिर है  आने वाले समय में बंगाल में और हालात खराब होंगे।

गौरतलब है कि असम में हिंदुओं की आबादी 65 प्रतिशत से भी नीचे आ गई, और देखते ही देखते मुसलमान 35 प्रतिशत से ज्यादा हो गए। बंगाल की स्थिति भी असम जैसी ही है।  प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 2001 में 75 प्रतिशत थी, जो 2011 में 70 प्रतिशत हो गई, और आज 2018 में हिंदुओं की आबादी 68 प्रतिशत ही है।

कुछ महीने पहले ही मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने ऐसे खुलासे किए हैं जो हैरान करने वाले हैं। उन्होंने अपने लेख The Muslim Takeover of West Bengal में आशंका व्यक्त की है कि पश्चिम बंगाल जल्द ही एक इस्लामिक देश बन जाएगा!

बंगाल में उठने लगी मुगलिस्तान की मांग
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि भारत का एक और विभाजन होगा और वह भी तलवार के दम पर। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल में अब गृहयुद्ध होगा और अलग देश की मांग की जाएगी। बड़े पैमाने पर हिंदुओं का कत्लेआम होगा और मुगलिस्तान की मांग की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह सब ममता बनर्जी की सहमति से होगा। जेनेट लेवी ने कहा है कि 2013 से पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी है। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

बंगाल में बिगड़ गया आबादी का समीकरण
जेनेट लेवी ने इसके लिए कई तथ्य पेश किए हैं और इसके लिए मुख्य जिम्मेदार बंगाल में बिगड़ते जनसांख्यिकीय संतुलन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने हिंदुओं की घटती और मुस्लिमों की तेजी से बढ़ती आबादी का जिक्र करते हुए देश के एक और विभाजन की तस्वीर प्रस्तुत की है। 

उन्होंने तथ्य के साथ दावा किया है कि स्वतंत्रता के समय पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत थी, लेकिन यह घटकर अब महज 8 प्रतिशत हो गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। इतना ही नहीं कई जिलों में तो यह आबादी 63 प्रतिशत तक है।

उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक शरिया कानून की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं।

अरब देशों के पैसे से चल रहा जिहादी खेल
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि इस्लामिक देश बनाने की सूत्रधार ममता बनर्जी बनने जा रही हैं। उन्होंने अपने दावे में तथ्य भी दिए हैं और कहा है कि यह सब अरब देशों की फंडिंग से होने जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि ममता सरकार ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

मुस्लिमों के लिए अलग अस्पताल-स्कूल
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। इनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं।

हिंदुओं का सरकार द्वारा जारी है बहिष्कार
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि हिंदुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते। यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहां भी हिंदुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। ये वे जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। जेनेट लेवी ने दावा किया है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को कई सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं दिया जाता।

हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाएंगे कट्टरपंथी मुसलमान
जेनेट लेवी ने दुनिया भर की कई मिसालें देते हुए दावा किया है कि, मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा है कि आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया कानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो। जेनेट ने दावा किया है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लेसफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल
1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।  मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है। हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके।

गौरतलब है कि हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है। दरअसल लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं।

जेनेट लेवी के मुताबिक बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां बसा रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडेगा।

खतरा सिर्फ बंगाल पर नहीं है, देश के कई प्रदेशों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को एक साजिश के तहत फैलाया जा रहा है। इनकी आबादी अब तीन करोड़ के आसपास है। आप समझ सकते हैं कि किसी भी देश में तीन करोड़ की अतिरिक्त आबादी उस देश के संसाधनों पर कितना बोझ बढ़ा सकती है। बहरहाल हम बिहार के चार जिलों की बात करते हैं जहां के चार जिलों  में इन घुसपैठियों के कारण आबादी का समीकरण बिल्कुल ही बदल गया है। किशनगंज में मुस्लिम सबसे अधिक हैं। इस जिले की कुल जनसंख्या 16.90 लाख है, जिनमें मुस्लिम 11.49 लाख और हिंदू 5.31 लाख हैं। कटिहार की कुल जनसंख्या 30.71 लाख है, जिसमें मुसलमानों की आबादी 13.65 लाख है। पूर्णिया की जनसंख्या 32.84 लाख है, जिसमें मुसलमानों की हिस्सेदारी 12.55 लाख है। अररिया की कुल जनसंख्या 28.11 लाख है, जिसमें मुसलमानों की हिस्सेदारी 12.07 लाख है।

बिहार के 50 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी ही तय कर रही है कि कौन उनका एमएलए होगा। जाहिर है यह संकेत देश की धर्मनिरपेक्षता के लिहाज से तो सही नहीं है। ऊपर से देश के नेताओं द्वारा धर्म की राजनीति को तूल देना और अवैध घुसपैठियों के साथ खड़े होना यह साबित कर रहा है कि देशहित से खिलवाड़ किया जा रहा है जो एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। 

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