Home विचार जीएसटी के असर से बेअसर रहे धनतेरस पर बाजार

जीएसटी के असर से बेअसर रहे धनतेरस पर बाजार

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नरेंद्र मोदी सरकार के जीएसटी लागू करने के बाद यह पहली दिवाली है। इस दिवाली के लिए कई ‘विशेषज्ञों’ और ‘बाजार के पंडितों’ ने घोषणा की हुई थी कि जीएसटी लागू होने के कारण यह दिवाली ‘काली दिवाली’ सिद्ध होगी। यह और बात है कि इस दिवाली पर बाजार में जो उछाल देखने को मिला, रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी देखने को मिली, उसने इन लोगों की बोलती बंद करके रख दी है। पिछले कई वर्षों के मुकाबले सर्राफा बाजार, मोबाइल-खरीद, दोपहिया वाहनों की खरीद आदि जैसे कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां बिक्री में अच्छी-खासी बढ़त देखने को मिली। लोगों का यह रुख इस सत्य को और मजबूती से साबित करता है कि जीएसटी लागू करना मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में, बिना व्यावहारिक तथ्यों को समझे लिया गया फैसला नहीं था। इसके पीछे गहन चिंतन और दूरदर्शिता पूर्ण नीति काम कर रही थी। स्वाभाविक है कि इस फैसले का प्रभाव न तो बाजार पर पड़ना था, न पड़ा।

दमका सर्राफा बाजार


केंद्र सरकार द्वारा 50 हजार से अधिक मूल्य के आभूषणों की खरीद पर केवाईसी की अनिवार्यता समाप्त होने के चलते सर्राफा बाजार में खूब चांदी चमकी। धनतेरस के अवसर पर आभूषण खरीदे जाते हैं, कई दूसरी वस्तुओं की खरीदारी होती है, केवल यही परंपरा ही इस बढ़त का कारण नहीं थी, बल्कि यह उन तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित करने वाला कदम था, जो दिवाली से पहले विपक्ष द्वारा व्यक्त की जा रही थीं। मालाबार गोल्ड और डायमंड सहित सर्राफा बाजार के कई बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों के हवाले से यह बात कही गई कि उनके यहां कि बिक्री कहीं से भी पिछले वर्ष की तुलना में कमतर नहीं रही। स्थिति तो यह थी कि कुल खरीद उम्मीद से भी बढ़कर थी। यदि आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो धनतेरस के अवसर पर अकेले लखनऊ में ही 95 किलो सोना और 400 किलो चांदी की बिक्री दर्ज की गई।

वाहनों की खरीद ने पकड़ी रफ्तार


जीएसटी का असर बाइकों के बाजार पर इस रूप में पड़ा कि उसके दाम में गिरावट दर्ज की गई थी, जिसके चलते ग्राहकों की चांदी ही चांदी रही। बाइक के खरीदारों से बाजार की रौनक देखने लायक थी। कार और दोपहिया वाहनों के शोरूम खरीदारों के भीड़ से अटे पड़े थे। मोटे तौर पर होंडा सिटी कार पर 40 प्रतिशत, होंडा डब्ल्यू आरवी पर 25 प्रतिशत और दोपहिया वाहनों पर 25 प्रतिशत की तेजी देखी गई। ग्राउंड लेवल पर ट्रेंड पूरी तरह से सकारात्मक रहा और मंदी की आशंका कोरी बयानबाजी साबित हुई। जानकार सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई कि धनतेरस वाले दिन देर शाम तक केवल में ही खरीद का आंकडा 1800 करोड़ को पार कर चुका था। वहां दो हजार से ज्यादा कारें और पांच हजार से ज्यादा बाइक बिकीं।

होम अप्लाइंसेस से भरे घर


इलेक्ट्रॉनिक्स अप्लाइंसेस के बाजार में भी यही स्थिति बरकरार थी। इस समय के विभिन्न प्रकार के ऑफर्स के चलते लोगों में वैसे भी खासा उत्साह देखने को मिलता है। उस पर अधिकांश उत्पादों के मूल्यों में आई गिरावट ने खरीदारों के लिए उत्साहवर्धन का कार्य किया। बाजार के जानकारों के अनुसार यह बढ़त 10 से 15 प्रतिशत रही। यहां तक कि केवल पटना में हुआ कुल कारोबार 150 करोड़ रुपये का रहा।

मोबाइल के बाजार में भी रही तेजी


ऑल इंडिया मोबाइल डीलर एसोसिएशन के कुछ वरिष्ठों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस समय पर होने वाली बिक्री ने 5 से 10 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार किया है। लखनऊ के केवल श्रीराम टॉवर में हुई बिक्री लगभग 5 करोड़ है। मोबाइल कंपनियों द्वारा दिए जा रहे 4G ऑफर ने भी इस कारोबार में अहम भूमिका निभाई। इसके चलते पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार का कारोबार 20 गुना ज्यादा है।

बर्तन-कपड़ा उद्धोग भी निखरा


जीएसटी के किसी भी बुरे परिणाम से परे कपड़ों की खरीद पर भी लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसका असर कपड़ा व्यापारियों के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है। एक हजार रुपये से अधिक की खरीद पर इस समय जीएसटी 12 की बजाय 5 प्रतिशत ही लिया गया, जिसका लाभ बड़े पैमाने पर कपड़ा कारोबारियों को मिला। धनतेरस के अवसर पर बर्तनों की खरीद भी पूरे भारत में उत्साह जनक रही।

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