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मोदी सरकार में बेहतर हुआ कारोबारी माहौल

मोदी सरकार की सुधारात्मक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतिगत सुधारों और बिजनेस के लिए अनुकूल माहौल बनाने के सकारात्मक परिणाम अब धरातल पर दिखने लगे हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दौरान (एफडीआई) में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये बढ़कर अब 60.08 अरब डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। एफडीआई में वृद्धि का मुख्य कारण सरकार द्वारा एफडीआई व्यवस्था को व्यावहारिक बनाने के लिए किए गए साहसिक और नीतिगत सुधार हैं। दूसरी तरफ डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती, बैंकों में रिकॉर्ड रकम जमा होने जैसी बातें अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत हैं। वहीं यूएन ने भी भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज रहने का अनुमान जताया है। 


‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति से बढ़ा निवेश
वित्त वर्ष 2015-16 के 55.56 डॉलर के मुकाबले ये रकम 2016-17 में बढ़कर 60.08 डॉलर हो गया। दरअसल एफडीआई नीति में बदलाव तथा विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मंजूरी की सीमा में वृद्धि और देश में ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति को बढ़ावा देने से एफडीआई में बढ़ोतरी हुई है। एफडीआई इक्विटी प्रवाह वित्त वर्ष 2016-17 में 43.48 अरब डॉलर रहा, जो किसी एक वित्त वर्ष में यह सर्वाधिक है।


बैंकों में जमा रकम में बढ़ोतरी
11 नवंबर 2016 से 3 मार्च 2017 के दौरान बैंकों के समग्र जमा में 4.27 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। हालांकि, नकदी की निकासी पर लगी बंदिश को सरकार ने 13 मार्च 2017 से पूरी तरह से हटा लिया था। फिर भी, जनवरी 2017 से मार्च 2017 के बीच औसत निकासी के स्तर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। इस गिरावट का कारण लगभग 1.7 लाख करोड़ रूपये जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तकरीबन 1.1 प्रतिशत है, का बैंकिंग प्रणाली में प्रविष्ट होना है। इन आंकड़ों में विमुद्रीकरण के बाद अर्थव्यवस्था में आई मजबूती साफ तौर पर दिख रही है।


डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत
नये वित्त वर्ष 2017-18 के आगाज के साथ ही रुपये में डॉलर के मुकाबले मजबूती आनी शुरू हुई वो अब तक जारी है। रुपये में मजबूती आने की वजह अर्थव्यवस्था में सुधार आना, केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदम, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) बिल के राह के रोड़े साफ किया जाना हैं।

2018 में भारत की विकास दर 8 प्रतिशत-UN 
संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले साल बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो जाएगी।  16 मई को जारी ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक परिस्थिति व परिदृश्य’ रिपोर्ट (मध्य 2017) में यह निष्कर्ष निकाला गया है।  इसके अनुसार 2017 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहना अनुमानित है।

2030 तक 7250 अरब डॉलर होगी भारतीय अर्थव्यवस्था-नीति आयोग
नीति आयोग ने अनुमान जताया है कि देश में 8 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के हिसाब से अर्थव्यवस्था का आकार 2030 तक तीन गुना से अधिक 7250 अरब डॉलर या 469 लाख करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। 


स्वीडन ने माना अनुकूल हुआ माहौल
भारत में व्यवसाय करने के लिए अब ज्यादा अनुकूल माहौल है, ये कहना है स्वीडन की कंपनियों का। स्वीडन ने बेहतर हुए माहौल को देखते हुए भारत में अपना निवेश बढ़ाने की बात कही है। स्वीडन ने कहा है कि पिछले दो साल के दौरान स्वीडिश कंपनियों और निवेशकों के रोजगार में 20 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। दरअसल बीते तीन सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जो कदम उठाए हैं मोदी सरकार

सर्वेक्षण से निकला निष्कर्ष
स्वीडन-भारत कारोबारी माहौल को लेकर किये गए नौवें सर्वे में यह निष्कर्ष सामने आया है। दरअसल भारत में स्वीडिश चैंबर ऑफ कामर्स हर साल व्यावसायिक माहौल को लेकर सर्वे करता है। इसमें भारत स्थित स्वीडन का दूतावास और मुंबई स्थित स्वीडन का महावाणिज्य दूतावास भी मदद करता है। इस बार किये गये सर्वेक्षण में भारत में काम कर रही 170 स्वीडिश कंपनियों में से 160 ने भाग लिया।

भारत में है बेहतर संभावनाएं
स्वीडन विदेश मंत्रालय में यूरोपीय संघ मामलों और व्यापार मंत्री एन लिंडे ने कहा कि भारत और स्वीडन के बीच व्यापार बढ़ रहा है। हमें भारत में उर्जा, पर्यावरण, स्मार्ट सिटी, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटाइजेशन, स्वास्थ्य और जीव विज्ञान के क्षेत्र में काम रही कंपनियों के लिये काफी संभावनाएं दिखाई देतीं हैं। भारत में व्यावसायिक वातावरण आज पहले के मुकाबले काफी सकारात्मक है। दस में से आठ कंपनियों ने अगले साल भी निवेश की मंशा जताई है।

भारत में निवेश बढ़ाएगा स्वीडन
स्वीडन ने कहा है कि भारत में कारोबारी माहौल आज पहले के मुकाबले काफी बेहतर है और भारत में काम कर रही स्वीडन की कंपनियों की सोच यहां कारोबार को लेकर काफी सकारात्मक है। स्वीडन की ज्यादातर कंपनियां कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली एनसीआर में हैं। इन स्वीडिश कंपनियों और निवेशकों के रोजगार में 20 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।

भारत-स्वीडन के रिश्ते मजबूत
भारत में काम कर रही स्वीडन की कंपनियों में करीब 1,85,000 लोग प्रत्यक्ष रूप से और 13,00,000 लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। भारत में स्वीडन के राजदूत हेराल्ड सेंडबर्ग ने कहा कि भारत-स्वीडन के रिश्ते लगातार मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि स्वीडन के इनोवेशन और भारत की भविष्य की जरुरतों के बीच बेहतर तालमेल बैठता है।

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