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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल में विकास और रोजगार पर दिया जोर, गठित की दो कमेटियां

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भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार और रोजगार को लेकर मोदी सरकार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने आर्थिक विकास, निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए दो कैबिनेट समितियों का गठन किया है। दोनों समितियों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ही करेंगे।

इसके साथ ही सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण भी कराने की तैयारी में है। इस सर्वेक्षण से इकोनॉमी और विकास योजनाओं के हालात की बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इस सर्वे में पहली बार ठेले और रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा।

इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ कमिटी

इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ से जुड़ी समिति में पांच सदस्य हैं, जिसमें होम मिनिस्टर अमित शाह, फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण, रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे एंड ऑफ एमएसएमई मिनिस्टर नितिन गडकरी और रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं।

जॉब एंड स्किल डेवलपमेंट कमिटी

रोजगार एवं कौशल विकास समिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, कृषि व किसान कल्याण ग्रामीण विकास व पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, दक्षता व उद्यम मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, श्रम राज्य मंत्री संतोष सिंह गंगवार और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।

सबसे बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी

मोदी सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है, जिससे इकोनॉमी और विकास योजनाओं की हालत की बेहतर तस्वीर सामने आ पाएगी। राज्यों की आबादी के हिसाब से लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा, कुल 25 करोड़ परिवारों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया जाएगा। इनमें ज्यादातर गरीब, अति गरीब और मध्यम वर्ग के लोग होंगे। इस सर्वे के लिए 12 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी और इसके बाद एनएसएसओ और लुघ उद्योग मंत्रालय इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे। यह आर्थिक सर्वेक्षण 5 जून को बजट पेश होने और उसके पारित हो जाने के बाद किया जाएगा। अगले छह महीनों में इसकी रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

पहली बार सर्वे में शामिल होंगे ठेले और रेहड़ीवाले

रोजगार के विभिन्न आयामों को समझने के लिए सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है, इसके तहत अगले छह महीनों में सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने जा रही है। इस सर्वे में सड़क किनारे चाट-पकौड़ा बेचने वाले, स्टॉल लगाने वाले वेंडर, फेरीवाले आदि की गिनती होगी। अब तक किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षणों में बड़े संस्थानों और संस्थाओं को शामिल किया जाता था, लेकिन ठेले और रेहड़ीवालों लगाने वालों की गिनती नहीं होती थी। सरकार चाहती है कि इस सर्वे में इस बार इन छोटे उद्यमियों, हॉकर, चाट-पकौड़ा बेचने वालों और सड़क किनारे स्टॉल लगाने वालों की भी गिनती की जाए।

विरोधियों को तबज्जो देते हैं पीएम मोदी

सरकार का मानना है कि रोजगार और निवेश बढ़ाने के इन नए तरीकों से देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। इसके साथ ही जनता के सामने रोजगार को लेकर सरकार की मंशा पर भी स्थिति साफ होगी। मेगा इकोनॉमिक सर्वे की कवायद से रोजगार के मुद्दे पर उठने वाले सवालों का भी जवाब दिया जा सकेगा। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने पीएम मोदी को रोजगार को लेकर सबसे अधिक निशाना बनाया था। हालांकि विपक्ष का हमला मोदी के जवाब के आगे बेअसर साबित हो गया। लेकिन इस बार विरोधियों की शंकाओं को निर्मूल करने के लिए पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल शुरू करने के एक सप्ताह के भीतर ही रोजगार के मामले को सबसे अधिक तबज्जो दिया है। इससे साफ है कि पीएम मोदी अपने विरोधियों द्वारा उठाए मसलों की उपेक्षा नहीं करते बल्कि तबज्जो देकर उनकी शंकाओं का समाधान करते हैं।

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