Home विचार आतंक की फंडिंग पर मोदी सरकार की बड़ी चोट

आतंक की फंडिंग पर मोदी सरकार की बड़ी चोट

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मोदी सरकार ने आतंक की फंडिंग पर नकेल कसने का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। सरकार ने दूसरे चरण में देश में छिपे बैठे गद्दार और आतंकी संगठनों से सांठगांठ करके आतंक फैलाने वाले नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत के रूप में एनआईए ने जम्मू-कश्मीर के निर्दलीय विधायक राशिद इंजीनियर को पूछताछ के लिए समन भेजा दिया है। राशिद इंजीनियर से आतंक की फंडिंग के संबंध में पूछताछ होगी। एनआईए ने उनको घाटी में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के मामले में 3 अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया है।

जहूर वटाली से पूछताछ के बाद सामने आया नाम
रशीद इंजीनियर नाम एनआईए की जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान सामने आया था। एनआईए ने वटाली को घाटी में आतंकवादियों और अलगाववादियों को पैसे देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की हाफिज सईद के साथ सांठगांठ
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने आतंकी संगठन जमात-उल-दावा प्रमुख हाफिज सईद के साथ सांठगांठ को लेकर जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुका है। चार्जशीट के अनुसार शब्बीर शाह पाकिस्तान के आतंकी संगठन से पैसे लेकर जम्मू-कश्मीर और देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था। जांच में पाया गया कि इसके लिए वह हाफिज सईद के साथ लगातार संपर्क में था और उसके निर्देशों का पालन करता था।

शब्बीर शाह और असलम वानी न्यायिक हिरासत में 
शब्बीर शाह को आतंक की फंडिंग और हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी से रिश्तों की वजह से आरोपी बनाया गया। मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में 25 जुलाई को शब्बीर शाह और 6 अगस्त को असलम वानी की गिरफ्तारी की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज किया। शब्बीर शाह को कोर्ट में पेशी के बाद 7 दिन के लिए रिमांड पर भेज दिया गया। वहीं हवाला डीलर असलम वानी भी न्यायिक हिरासत में है। इस मामले में दोनों से पूछताछ के बाद आतंक की फंडिंग से जुड़े कई और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है।

अलगाववादियों पर केस दर्ज
एनआईए ने 30 मई को अलगाववादवादी नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन पर आतंकवादी संगठनों हिजबुल मुजाहिदीन, दुखरतान-ए-मिलत, एलईटी और अन्य आतंकी संगठनों के साथ संलिप्तता के आरोप लगे हैं। जांच एजेंसी ने एफआईआर में अलगाववादियों पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, हवाला के माध्यम से धन जुटाने, सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया था। पाकिस्तान के आतंकी संगठन जमात-उल-दावा प्रमुख हाफिज सईद को अभियुक्त के तौर पर नामित किया गया है। एफआईआर में सैय्यद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक की अगुवाई वाले दो हुर्रियत गुटों, हिज्बुल मुजाहिद्दीन, दख्तरान-ए-मिलट और अलगाववादियों के सभी महिला संगठन को भी नामित किया गया है।

अारोपियों के बयान दर्ज
आतंक की फंंडिंग के इस मामले न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दो आरोपियों के बयान दर्ज कर लिए हैं। अभियुक्तों ने इस बात की पुष्टि की कि वे बिना किसी दबाव के बयान दे रहे हैं। पूरी प्रक्रिया को वीडियोग्राफी कर ली गई है। इस मामले में एनआईए ने अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें अल्ताफ अहमद शाह, गिलानी के दामाद, वटाली, कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन तेहरीक-ए-हुर्रियत के प्रवक्ता अयाज अकबर, पीर सैफुल्ला, उदार हुर्रियत सम्मेलन के प्रवक्ता शहीद-उल-इस्लाम, मेहराजुद्दीन कलवल, नयीम खान, फारूक अहमद दार उर्फ ​​बिट्टा कराटे, फोटो पत्रकार कामरान यूसुफ और जावेद अहमद भट का नाम शामिल हैं।

मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति
मोदी सरकार आतंक की फंडिंग के जरिए कश्मीर में पत्‍थरबाजी और देशभर में आतंक फैलाने के गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेगी। इसके लिए सरकार ने एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश और पर्याप्त स्वतंत्रता दे रखी है। एनआईए को शक है वैश्विक आतंकी हाफिज सईद के अलावा भी अलगाववादी पाकिस्तान के कई अन्य आतंकी संगठनों से पैसे लेकर जम्मु-कश्मीर और देश में आतंक फैलाने का काम करते हैं। इसलिए एनआईए जम्मु-कश्मीर में आतंक फंडिंग के अन्य सूत्रों को भी खंगाल रही है। सरकार आतंक की फंडिंग को लेकर मोदी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुसार काम कर रही है।

कांग्रेस की लचड़ नीति
अब यह बात साफ हो चुकी है कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की आतंक पर लचड़ नीति के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंक की फंडिंग और पत्थरबाजी का सिलसिला शुरू हुआ था। कांग्रेस के शासनकाल के दौरान अलगाववादी नेताओं को जो ढील दी गई, कश्मीर को उसी का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके विपरित मोदी सरकार के आतंकवाद और आतंक की फंडिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। मोदी सरकार की कार्रवाई से कश्मीर में आतंकियों की जमीन खिसकने लगी है।

पत्थरबाजों और देश विरोधी नारेबाजी पर नकेल
अलगाववादियों पर सख्त कार्रवाई के जरिए मोदी सरकार कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी पर रोक लगाने में कामयाब रही है। आतंक की फंडिंग पर रोक से कश्मीर में नौजवानों की पत्थरबाजी और देश विरोधी नारेबाजी पर भी विराम लगा है। अलगाववादियों नेताओं के साथ-साथ सरकार देशविरोधी तत्वों ओर पत्थरबाजों से भी सख्ती के साथ निपट रही है।

आतंक पर वैश्विक सहयोग
भारत सरकार आतंकवाद की समस्या पर वैश्विक सहयोग नीति अपना रही है। अमेरिका और अन्य देशों के साथ आतंकवादी जानकारियां साझा कर रहा है। भारत और अमेरिका आतंक से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इससे सरकार को आतंकियों की रियल टाइम जानकारी मिलती रहेगी। आतंकवाद पर वैश्विक सहयोग नीति के अंतर्गत बडे़ आतंकी संगठनों के अलावा मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट का भी आदान-प्रदान किया जा रहा है। मोदी सरकार की सफल विदेश नीति भी आतंकवादियों पर नकेल कसने मददगार साबित हो रही है।

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