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भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का चौतरफा हमला, देश में भ्रष्टाचार पर लगी लगाम

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भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी समस्या है। इसके कारण किसी देश का न तो समग्र विकास हो पता है, और न ही योजनाओं का उचित लाभ आम जनता को मिल पाता है। इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए दुनियाभर में 09 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाया जाता है।

भारत में भ्रष्टाचार की समस्या काफी गंभीर थी। ज्यादातर लोग मान चुके थे कि भ्रष्टाचार जीवन का हिस्सा है और इसे खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र में सत्ता संभालते ही इस धारणा को खत्म कर दिया। उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट बैठक से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दी।

भारत जैसे विशाल देश में नोटबंदी जैसा निर्णय कोई आसान नहीं था, लेकिन पीएम मोदी ने साहस दिखाया और देश की जनता ने उनका साथ दिया। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि भ्रष्टाचारी चाहे देश में हो या विदेश में कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो बख्शा नहीं जाएगा। पीएम मोदी के सख्त रुख ने भ्रष्टाचारियों की रातों की नींद उड़ा दी। इसका असर देश ही नहीं विदेश में भी दिखने को मिला। स्विस बैंक भी भारतीय खाताधारकों का नाम साझा करने लगा है।

पीएम मोदी ने हर वो तरीका अपनाया, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो जाए। कानूनों को सख्त किया, डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया, तमाम सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन किया और सब्सिडी को सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंचाने की शुरुआत की। डीबीटी योजना से केंद्र सरकार को 1.4 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। इन्हीं सब कदमों का परिणाम है कि बीते पांच वर्षों में देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी है।

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