Home चार साल बेमिसाल मोदी सरकार के 4 वर्ष: देश के अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने...

मोदी सरकार के 4 वर्ष: देश के अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने की दिशा में एक नहीं, अनेक ठोस पहल

SHARE

मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों में देश में कृषि और किसान दोनों की स्थितियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कई प्रकार की पहल की है। यह सरकार ऐसे हरसंभव प्रयासों को जमीन पर उतारने में लगी है जिनसे देश की कृषि रफ्तार में रहे और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

फसल की लागत से डेढ़ गुना मूल्य का प्रावधान

किसानों की सबसे बड़ी समस्या यही रही है कि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इसके लिए मोदी सरकार ने किसानों के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए उन्हें उनकी लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का संकल्प जताया है। मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में बाकायदा इस बारे में घोषणा की गई। सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों को डेढ़ गुना मूल्य देने के लिए बाजार मूल्य और MSP में अंतर की रकम सरकार वहन करेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधार किसानों की पूरी लागत को बनाया जाएगा। इसमें दूसरे श्रमिक के परिश्रम का मूल्य, किसानों के अपने मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, सभी तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया रेवेन्यू, लीज की जमीन के लिए दिया गया किराया और अन्य कई खर्च शामिल हैं। सरकार का प्रयास है कि खेत से उपभोक्ता तक सामान की जो कीमत बढ़ती है उसका लाभ किसानों को मिले।

किसानों को निर्बाध बिजली देने की व्यवस्था

बिजली की उपलब्धता आधुनिक तरीके से समुन्नत खेती की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। खेतों में ट्यूबवेल चलाने के साथ पर्याप्त सिंचाई के लिए बिजली जरूरी है। देश में किसानों के लिए बिजली की अलग फीडर लाइन पर पिछले डेढ़ दशक से चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के दखल के बाद इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। देश में ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ का फायदा खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में होगा, लेकिन किसानों को बिजली का असली फायदा देने के लिए अब फीडर लाइन को अलग करने की योजना है। अलग बिजली फीडर होने से किसानों को बिजली सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था शुरू करने में भी काफी आसानी होगी। साथ ही किसानों को समय पर पर्याप्त बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी।

नीतिगत पहल से खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाने के साथ ही कारगर नीतियों पर जोर दिया है। खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन होना इसी के एक बड़े परिणाम के रूप में सामने आया है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि पिछले तीन वर्षों  में सरकार द्वारा की गई अनेक नीतिगत पहल के परिणामस्‍वरूप ही पिछले वित्त वर्ष में देश में खाद्यान्‍न का रिकॉर्ड उत्‍पादन हुआ। वर्ष 2017-18 के लिए देश में कुल 275.68  मिलियन टन खाद्यान्‍न उत्‍पादन हुआ है जो कि वर्ष 2013-14 में हासिल 265.04 मिलियन टन खाद्यान्‍न उत्‍पादन की तुलना में 10.64 मिलियन टन (लगभग 4 प्रतिशत) ज्‍यादा है।

सॉयल हेल्थ कार्ड से बढ़ा उत्पादन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चला रखी है। सॉयल हेल्थ कार्ड के तहत सॉयल हेल्थ में सुधार और उसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों की उचित मात्रा की जानकारी के साथ खेतों की पोषण स्थिति के बारे में किसानों को बताया जाता है। देश में अब तक 12.5 करोड़ से अधिक सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। देश के 19 राज्यों में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि सॉयल हेल्थ कार्ड के आधार पर खेती करने की वजह से केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई है। इससे उत्पादन में भी 5 से 6 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। 

बीज से बाजार’ तक की व्यवस्था

किसानों को सशक्त करने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ मोदी सरकार की एक अनुपम पहल है। जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, इस पहल के अंतर्गत पूरे फसल चक्र में किसानों के लिए कृषि कार्य को आसान बनाने की व्यवस्था है। यानि किसानों के लिए बीज हासिल करने से लेकर उपज को बाजार में बेचने तक का प्रावधान है। इस व्यवस्था में सबसे पहले बुआई से पहले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है जिसमें कृषि ऋण की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में कृषि ऋण के रूप में रिकॉर्ड 11 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। किराए पर जमीन लेकर यानि बंटाई की खेती करने वाले किसानों को आसानी से कर्ज दिलाने के लिए केंद्र, राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस सिलसिले में देश की सारी प्राइमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी के कंप्यूटरीकरण का काम भी तेजी से किया जा रहा है।

हर खेत को पानी’ के विजन के साथ कार्य

किसानों की फसलों को पर्याप्त पानी मिले, इसके लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता उसके प्रयासों में साफ नजर आती है। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत हर खेत को पानी के विजन के साथ कार्य किया जा रहा है। देश में 86 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करके 99 सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा रही हैं। इसके साथ ही सिंचाई के पानी की कमी से जूझ रहे 96 जिलों को चिन्हित कर 2,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। 

प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ उठा रहे किसान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अब तक लगभग 3.5 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। पिछले वर्ष इस योजना के तहत 11 हजार करोड़ रुपये की क्लेम राशि किसानों को दी गई है। अगर प्रति किसान या प्रति हेक्टेयर दी गई क्लेम राशि को देखा जाए तो ये पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। इस योजना में बीमा का प्रीमियम कम किया गया है, रिस्क का अमाउंट बढ़ाया गया है साथ ही बीमा राशि में कैपिंग खत्म कर दी गई है। किसानों के लिए यह बीमा योजना फसलों के नुकसान से होने वाले डर को खत्म करने वाली साबित हुई है। 

Operation Greens में ‘TOP’ के उत्पादकों को बढ़ावा

मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में Operation Greens का ऐलान किया है। यह भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। ये फल और सब्जियां पैदा करने वाले और खासतौर पर TOP यानि Tomato, Onion और Potato उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा। यह अभियान सरकार को विषम परिस्थितियों में टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सक्षम बनाएगा। इस मिशन के लिए केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न किसान उत्पाद संगठनों (FPOs), Agri Logistics Processing Facilities और Professional Management को प्रोत्साहित किया जाएगा।

उपज की उचित बिक्री के लिए बाजार तक पहुंच 

देश में 86 प्रतिशत से ज्यादा छोटे या सीमांत किसान हैं। इनके लिए मार्केट तक पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए सरकार इन्हें ध्यान में रखकर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने में लगी है। इसके लिए सरकार 22 हजार ग्रामीण हॉट को ग्रामीण कृषि बाजार में बदलने की तैयारी है जिसके बाद इन्हें APMC और e-NAM प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेट कर दिया जाएगा। 2,000 करोड़ रुपये से कृषि बाजार और संरचना कोष का गठन होगा। e-NAM को किसानों से जोड़ा गया है, ताकि किसानों को उनकी उपज का ज्यादा मूल्य मिल सके। अब तक देश की लगभग 585 मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा चुका है। e-Nam से जुड़ने वाली हर मंडी को 75 लाख रुपये की मदद का प्रावधान है। इसके साथ ही कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी सरकार ने रखा है। 

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से सप्लाई चेन को मजबूती

मोदी सरकार प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के जरिए, खेत से लेकर बाजार तक, पूरी सप्लाई चेन को मजबूत कर रही है और आधुनिक एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादों की कमियों को पूरा करना, खाद्य प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण करना और कृषि के दौरान संसाधनों के अनावश्यक नुकसान को कम करना है। 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से वर्ष 2019-20 तक करीब 334 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादों का संचय किया जा सकेगा। इससे देश के 20 लाख किसानों को लाभ होगा और 5,30,500 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।  यह योजना किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्‍य दिलाने और आय को दुगुना करने में भी मददगार बनने वाली है। गौर करने वाली बात है कि इस योजना में फूड प्रोसेसिंग को विशेष बढ़ावा दिया गया है। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में 100 प्रतिशत FDI के सरकार के फैसले से भी नया बल मिल रहा है।

नीम कोटेड यूरिया से बढ़ी पैदावार

टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक आधार पर कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देने का ही परिणाम है कि आज खाद की खपत कम हुई है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ा है। मोदी सरकार ने नई फर्टिलाइजर नीति बनाई जिससे यूरिया की खपत में तो कमी आई ही है, किसानों के लिए खेती की लागत में भी कमी आई है। नीम कोटेड यूरिया की पहल जमीन पर रंग ला रही है। यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग किए जाने से खेती ने नई रफ्तार पकड़ी है। वहीं किसानों के हित में महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सरकार यूरिया पर सब्सिडी को 2020 तक बढ़ाने का फैसला ले चुकी है। इस सब्सिडी पर कुल 1,64,935 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। गौर करने वाली बात है कि उर्वरक मंत्रालय सालाना आधार पर यूरिया सब्सिडी मंजूर करता है, लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए पहली बार तीन वर्षों के लिए यूरिया सब्सिडी को मंजूरी दी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने का भी निर्णय लिया है।

ऑर्गेनिक खेती से आएगी नई समृद्धि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स के लिए ई-मार्केटिंग पोर्टल का सुझाव रखा था जिसका बहुत कम समय के भीतर उद्घाटन भी किया जा चुका है। यह E-Marketing Portal, जैविक या Organic उत्पादों को खेत से बाजार तक और बाजार से उपभोक्ता के द्वार तक पहुंचाने में बड़ा रोल निभाएगा। Products की जानकारी, उसके मार्केट और सप्लाई चेन की जानकारी अब किसानों को और उपभोक्ताओं को, आसानी से उपलब्ध होगी। आज देश में 22 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर ऑर्गेनिक खेती होती है। नॉर्थ ईस्ट को विशेष तौर पर ऑर्गेनिक खेती के हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री का मानना है कि हम जितना ज्यादा ऑर्गेनिक रिवॉल्यूशन पर ध्यान देंगे, उतनी ही इसमें किसानों की भूमिका बढ़ेगी।

नेशनल बैम्बु मिशन भी बनेगा किसानों की आय का स्त्रोत

किसानों के हित में मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में नेशनल बैम्बु मिशन के लिए 1290 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस मिशन के तहत एक पूरी मूल्य श्रृंखला बनाकर और किसानों का उद्योग के साथ कारगर संपर्क स्थापित करके बांस क्षेत्र का संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जाएगा। मिशन में बांस उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास पर फोकस किया जाएगा। इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों और बांस के क्षेत्र में काम करने वालों को लाभ होगा। ये कदम पूर्वोत्तर और मध्य भारत के किसानों और जनजातीय लोगों के लिए कृषि आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

किसानों की आय दोगुनी करने की प्रतिबद्धता

दरअसल मोदी सरकार का उद्देश्‍य कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्‍पादन केन्द्रित’ के बजाय ‘आय केन्द्रित’ बनाने का है। इस महत्‍वाकांक्षी उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ‘बहु-आयामी सात सूत्रीय’ रणनीति के सुझाव को अपनाने पर बल दिया गया है। ये सात सूत्र हैं:

  • ‘Per Drop More Crop’ के सिद्धांत पर पर्याप्‍त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल
  • हर खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार क्वालिटी बीज एवं पोषक तत्‍वों का प्रावधान
  • कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्‍ड चेन में बड़ा निवेश
  • खाद्य प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से मूल्‍य संवर्धन को प्रोत्‍साहन
  • राष्‍ट्रीय कृषि बाजार का क्रियान्‍वयन एवं सभी 585 केन्‍द्रों पर कमियों को दूर करते हुए ई-प्‍लेटफॉर्म की शुरुआत
  • जोखिम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत
  • डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्‍खी-पालन, हर मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना 

Leave a Reply