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मोदी सरकार के 4 वर्ष : देश के विकास की मुख्य धारा से जुड़े दलित और आदिवासी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा केंद्र सरकार ने बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के सपने को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों में दलितों और आदिवासियों के कल्याण के लिए कई ऐसी योजनाओं को जमीन पर लागू कर दिखाया है जिनसे समाज के ये वर्ग विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।   

दलित उत्पीड़न रोकने के लिए कानून को अधिक सख्त बनाया

दलितों की सुरक्षा से किसी भी तरह का खिलवाड़ ना हो, यह बात मोदी सरकार के कामकाज की प्राथमिकताओं में से एक है। इस सरकार ने 2015 में दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए कानून को और सख्त बनाया। इसके तहत दलितों पर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट में अलग-अलग अपराधों की संख्या को 22 से बढ़ाकर 47 कर दिया गया। जब मौजूदा सरकार ने इस कानून को संशोधित किया था, तब आरोपियों को अग्रिम जमानत न देने के प्रावधान को यथावत रखा गया था। यहां तक कि पीड़ितों को मिलने वाली राशि भी इसी सरकार ने बढ़ाई। इस कानून का कड़ाई से पालन हो, इसके लिए मोदी सरकार ने पहले की सरकार के मुकाबले दोगुने से ज्यादा राशि खर्च की। 

दलित-आदिवासियों को तेज इंसाफ दिलाने की पहल

कांग्रेस ने अपने पांच दशक से ज्यादा के शासन में दलितों को एक वोट बैंक से अधिक कुछ ना समझा। वहीं मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों के दौरान कानून के माध्यम से सामाजिक संतुलन को स्थापित करने का निरंतर प्रयास किया है। SC/ST पर अत्याचार से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया जा रहा है। 13 अप्रैल को अम्बेडकर मेमोरियल के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था: ‘’मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस कानून को हमारी सरकार ने ही सख्त किया है, उस पर प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा। अपने दलित भाई-बहनों, पिछड़ों-आदिवासियों के सम्मान के लिए, उनके अधिकार के लिए हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।‘’

SC समुदाय के लिए बजट राशि में भारी बढ़ोतरी

देश के वंचित वर्गों के विकास के लिए चल रही योजनाओं में किसी भी तरह की कमी ना आए इसलिए मोदी सरकार ने उनके लिए आवंटित धन पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दिया है। अभी अनुसूचित जाति के 279 कार्यक्रम चल रहे हैं। इन कार्यक्रमों के लिए 2018-19 में बजट राशि को बढ़ाकर 56,619 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 2017-18 में 52,719 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, जबकि 2016-17 में 34,334 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। यानि दो वर्षों में अनुसूचित जाति के कार्यक्रमों में रफ्तार भरने के लिए बजट राशि में 22,285 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। 

ST समुदाय के विकास के लिए भी भरपूर आवंटन 

अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए भी मौजूदा बजट में भरपूर धन का आवंटन किया गया है। आदिवासियों की बेहतरी के लिए मोदी सरकार द्वारा 305 कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में इन कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक संचालन के लिए बजट राशि को बढ़ाकर 39,135 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 2017-18 में यह राशि 32,508 करोड़ रुपये थी, जबकि 2016-17 में 21,811 करोड़ रुपये थी। यानि पिछले दो वर्षों में आदिवासियों के कल्याण के लिए बजट राशि में कुल 17,324 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। विशेष बात यह भी है कि पब्लिक फाइनेंशियल सिस्टम को लागू करके जनजातीय कार्य मंत्रालय जारी की गई धनराशि के सदुपयोग और पारदर्शिता पर भी ध्यान रख रहा है।

50 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले हर क्षेत्र में एकलव्य स्कूल

मोदी सरकार ऐसे हर कदम उठा रही है जिससे SC और ST वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार को बढ़ावा मिले। मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में इस सरकार ने एकलव्य आवासीय स्कूल योजना को लेकर नया लक्ष्य रखा है। अनुसूचित जनजाति की 50 प्रतिशत आबादी और उनकी कम से कम 20 हजार की संख्या वाले प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे। पिछले तीन वर्षों में 51 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल  बनाए गए। 2017-18 में 14 ऐसे स्कूलों को मंजूरी दी गई जिसके लिए 322.10 करोड़ की राशि जारी की गई थी। अब 190 से बढ़ाकर ऐसे 271 स्कूलों की मंजूरी दी जा चुकी है।

जनजातीय आबादी के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में तेजी

जनजातीय मंत्रालय ने जनजातियो के सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए अपना प्रयास लगातार जारी रखा है। जनजातीय समाज की उचित शिक्षा, भवन, और अन्य जरूरी योजनाओं से समाज में व्याप्त अंतर को कम करने की कोशिश की जा रही है। इस वर्ग के स्टूडेंट्स की बेहतर शिक्षा के लिए प्रीमैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के मद में आर्थिक सहायता भी बढ़ाई जा चुकी है। इस छात्रवृत्ति को हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है। इसके साथ ही जनजातीय विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुदान एवं छात्रवृत्ति योजना भी है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अनुदान योजना को यूजीसी से अपने हाथो में ले लिया है ताकि विद्यार्थियों तक पैसा समय से पहुंचे । अनुदान में दिव्यांगों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लाभार्थियों में 2.16 करोड़ दलित अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोग अपने कारोबारों को बढ़ावा दे सकें या अपना कारोबार शुरू कर सकें, इस पर मोदी सरकार का लगातार बल रहा है। तीन वर्ष पहले प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत भी इसी मकसद से की गई। इस योजना के तहत अब तक 12 करोड़ से ज्यादा के लोन स्वीकृत किए गए हैं। मुद्रा योजना के अब तक के लाभार्थियों में 2 करोड़ 16 लाख से ज्यादा दलित हैं। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के असीमित द्वार खुलना संभव हुआ है।  

मुद्रा योजना के उद्देश्य को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा था: ‘’बैंक से कर्ज, सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाले लोगों को ही मिले, अपने दम पर कुछ करने का सपना देख रहा नौजवान, बैंक गारंटी के नाम पर भटकता रहे, ये स्थिति ठीक नहीं। इसलिए हमारी सरकार ने बिना बैंक गारंटी लोन लेने का विकल्प दिया। स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली मुद्रा योजना भी दशकों से हो रहे अन्याय को खत्म करने का काम कर रही है।‘’ 

बड़ी योजनाओं के केंद्र में दलित और वंचित

प्रधानमंत्री जन धन योजना – आजादी के कई दशक बाद भी देश की करीब आधी जनसंख्या के पास बैंक अकाउंट न होना एक बड़ा सामाजिक अन्याय था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना के साथ इस अन्याय को खत्म करने का बीड़ा उठाया। आज हर पांच में से चार भारतीयों के बैंक खाते हैं। वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी की गई Global Findex की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2014  तक सिर्फ 53 प्रतिशत भारतीयों के पास बैंक खाते थे जबकि 2017 तक 80 प्रतिशत भारतीय बैंक खाताधारी हो चुके थे।

स्वच्छ भारत अभियान – देश के करोड़ों घरों में शौचालय न होना भी सामाजिक अन्याय का ही एक पहलू था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोदी सरकार ने देश भर में अब तक करीब 7 करोड़ शौचालय बनवाए हैं। इनमें से लगभग सवा दो करोड़ शौचालय ग्रामीण इलाकों में रहने वाले दलित और आदिवासियों के घरों में बने हैं। पिछले चार वर्षों में शौचालयों के निर्माण ने समाज में समानता लाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

हर गांव में बिजली का वादा पूरा – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले के प्राचीर से एक समयसीमा तय कर देश के उन गांवों में बिजली पहुंचाने का वादा किया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत बीते 28 अप्रैल तक देश के प्रत्येक गांव तक बिजली पहुंचा दी गई है। यानि काम समयसीमा से पहले ही पूरा हो गया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत देश के 4 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना – देश में गांवों में दशकों तक कुछ घरों में ही गैस कनेक्शन था। लेकिन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मोदी सरकार ने योजना लॉन्च होने के दो साल के भीतर ही देश में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन मुफ्त दिए हैं। अब इसका लक्ष्य बढ़ाकर 8 करोड़ कनेक्शन कर दिया गया है। ‘उज्ज्वला’ को सामाजिक न्याय स्थापित करने वाली सबसे लोकप्रिय योजना माना जा रहा है।

आयुष्मान भारत योजना – मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का ऐलान किया जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। आयुष्मान भारत योजना को सामाजिक असंतुलन दूर करने की दिशा में बहुत बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार, देश के लगभग 11 करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोगों को हेल्थ एश्योरेंस देने जा रही है। गरीब परिवार में अगर कोई बीमार पड़ता है, तो इस योजना से उसका 5 लाख रुपए तक का इलाज सुनिश्चित होगा।

बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थस्थलों का विकास

कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के देश के प्रति योगदान को हमेशा दबाने का काम किया। लेकिन मोदी सरकार ने डॉ. अम्बेडकर से जुड़े कई ऐसे मंचों को जनसामान्य के लिए उपलब्ध कराने का काम किया है जिनसे वे सामाजिक समरसता के पुरोधा रहे बाबासाहेब के जीवन और उनके विचारों से पूरा लाभ उठा सकें। केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बाबासाहेब अम्बेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित किया है। ये पंच तीर्थ हैं:

1)मध्य प्रदेश के महू में बाबासाहेब की जन्मभूमि 

2)लंदन में डॉक्टर अम्बेडकर मेमोरियल- उनकी शिक्षाभूमि 

3)नागपुर में दीक्षाभूमि 

4)मुंबई में चैत्यभूमि

5) दिल्ली में नेशनल मेमोरियल- उनकी महापरिनिर्वाण भूमि। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. अम्बेडकर से जुड़े पांच तीर्थस्थलों को लेकर कहा था: ‘’ये स्थान, ये तीर्थ, सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत संस्थाएं हैं, आचार-विचार के सबसे बड़े संस्थान हैं।‘’ 

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालयों का निर्माण

मोदी सरकार जनजातीय समुदाय से जुड़े महापुरुषों से जुड़े संग्रहालयों के निर्माण पर भी काम कर रही है। सरकार जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण उन राज्यों में कर रही है जहां ये लोग रहे, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और सिर झुकाने से इनकार किया। सरकार ऐसे राज्यों में प्रतीक रूप में जनजातीय संग्रहालय बनाएगी जिससे आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि किस प्रकार हमारी ये जनजातियां देश के लिए बलिदान देने में आगे रही थीं।

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