अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने पाकिस्तान में सुनाई गई कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है। वह अभी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। हेग स्थित अदालत में भारत ने 8 मई को अपील की थी। भारत ने कहा था कि जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई।
#ICJ PRESS RELEASES: #India institutes proceedings against Pakistan and requests provisional measures https://t.co/tYNEF7LY8k pic.twitter.com/sKWX5EmI9N
— CIJ_ICJ (@CIJ_ICJ) May 9, 2017
भारत ने इस मामले पर पाकिस्तान पर विएना समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया था। जबकि पाकिस्तान ने जाधव पर जासूसी और संदिग्ध मामलों में शामिल होने का आरोपी बताया था। इसे भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस मामले पर पाकिस्तान जिस तरह से कदम बढ़ा रहा था और भारत की कोई बात सुनने को तैयार नही था, उससे लग था कि वह जल्द ही जाधव को फांसी देकर एक चुनौती खड़ा कर देगा। लेकिन मोदी सरकार ने पाकिस्तान को हर तरह से जबाब देने की रणनीति अपनाते हुए उसे चारों तरफ से घेर दिया है।
आइए एक नजर डालते हैं पाकिस्तान को अलग-थलग करने की राजनीति में मोदी सरकार को मिली कूटनीतिक कामयाबी पर-
सर्जिकल स्ट्राइक और सार्क सम्मेलन
जम्मू-कश्मीर के उरी में 18 सितंबर, 2016 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 29 सितम्बर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों और लांचपैठ को तबाह किया। इस के साथ ही पहली बड़ी सफलता 28 सितंबर को तब मिली जब पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन के बहिष्कार की घोषणा के तुरंत बाद तीन अन्य देशों (बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान) ने उसका समर्थन करते हुए सम्मेलन में ना जाने की बात कही। वहीं नेपाल ने सम्मेलन की जगह बदलने का प्रस्ताव दिया और पाकिस्तान के आंतकवाद के कारण सार्क सम्मेलन न हो सका।
अरब कूटनीति
भारत ने चीन और पाकिस्तान की खतरनाक जुगलबंदी को तोड़ने के लिए वियतनाम, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अन्य देशों को अपने पक्ष में लामबंद कर चक्रव्यूह तैयार कर लिया है। इस साल 2017 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को मुख्य अतिथि बनाकर एक अहम कूटनीतिक चाल चली जिससे पाकिस्तान के होश उड़ गये। सऊदी अरब की तरह संयुक्त अरब अमीरात भी पाकिस्तान का पुराना सामरिक सहयोगी है। यूएई, सऊदी अरब और पाकिस्तान ही ऐसे तीन देश थे जिन्होंने अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को मान्यता दी थी। अब इन सभी से भारत के अच्छे रिश्ते बन रहे हैं क्योंकि मोदी सरकार की कूटनीतिक नीतियों में राष्ट्र का हित सर्वोपरि है। मोदी जब से सत्ता में आए हैं, उनके विदेश दौरों में मध्य पूर्व प्रमुखता से छाया रहा है। दोनों देश आतंकवाद से जंग और सिक्योरिटी के मसले पर एक-दूसरे को हरसंभव सहयोग कर रहे हैं।
ईरान ने दी पाक को धमकी
ईरान और अफगानिस्तान ने हाल ही में पाकिस्तान से आतंकवादी घटनाओं को काबू में करने की चेतावनी दी है। ईरान ने साफ कहा कि वो पाकिस्तान के अंदर घुसकर सुन्नी आतंकवादी ठिकानों और लांचपैठ को तबाह कर देगा। हाल ही में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने ईरान के दस सीमा सुरक्षा सैनिकों को मार गिराया है।
सार्क सैटेलाइट से पाक पर चोट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उम्दा कूटनीति की मिसाल है दक्षिण एशिया संचार उपग्रह। इसकी पेशकश उन्होंने 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन में की थी। यह उपग्रह सार्क देशों को भारत का तोहफा है। सार्क के आठ सदस्य देशों में से सात यानी भारत, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव इस परियोजना का हिस्सा बने जबकि पाकिस्तान ने अपने को इससे यह कहकर अलग कर लिया कि इसकी उसे जरुरत नहीं है वह अंतरिक्ष तकनीक में सक्षम है। 5 मई 2017 के सफल प्रक्षेपण के बाद इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जिस तरह खुशी का इजहार करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया उससे उपग्रह से जुड़ी कूटनीतिक कामयाबी का संकेत मिल जाता है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने अलग-थलग पड़ने का दोष भारत पर यह कहते हुए मढ़ दिया कि भारत परियोजना को साझा तौर पर आगे बढ़ाने को राजी नहीं था।
चीन पाकिस्तान कॉरिडोर
चीन की अहम वन बेल्ट वन रोड की रणनीति के तहत बनने वाले चीन पाकिस्तान कॉरिडोर में भारत के साथ मामला उलझ गया है। भारत ने चीन से दो टूक शब्दों में कह दिया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने वाली इस परियोजना से भारत की संप्रभुता पर प्रश्न खड़ा करती है। इसलिए भारत इस परियोजना से संबंधित 14 मई को बींजिग में आयोजित होने वाले सम्मेलन में शामिल नहीं लेगा। भारत के ना आने से चीन परेशान है क्योंकि इस परियोजना की सफलता खटाई में पड़ सकती है। इसलिए भारत को रिझाने के लिए भारत में चीन के राजदूत लीयूचेंग ने आधिकारिक रुप से कहा कि इस कॉरिडोर का नाम भारत पाकिस्तान चीन कॉरिडार किया जा सकता है, जिससे भारत की संप्रभुता वाली शंका का समाधान किया जा सकता है।
विश्व सेवक दिवस
पाकिस्तान का हर फोरम में साथ देने वाले चीन को को चुनौती देने के लिए भारत अब सांस्कृतिक कूटनीति का भी सहारा ले रहा है। अभी हाल ही में अरुणाचल में दलाई लामा का दौरा उसी की एक कड़ी है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 मई को श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित विश्व सेवक दिवस पर दुनियाभर से आए बौद्ध धर्म के अनुयायियों को संबोधित करेगें। बौद्ध धर्म चीन की कमजोर नस है।