Home तीन साल बेमिसाल भ्रष्टाचार मुक्त मोदी सरकार, न्यू इंडिया की ठोस बुनियाद

भ्रष्टाचार मुक्त मोदी सरकार, न्यू इंडिया की ठोस बुनियाद

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26 मई 2014 से पहले, ऐसा कोई भी दिन नहीं होता था जब यूपीए सरकार के मंत्रियों का भ्रष्टाचार उजागर नहीं होता हो। भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी मनमोहन सिंह की सरकार अनिर्णय के ऐसे चक्रव्यूह में फंसी कि देश में निराशा और नकारत्मकता का माहौल पैदा हो गया था। किसी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि ऊंचे स्तर पर मौजूद भ्रष्टाचार को कैसे खत्म किया जाए? यह देश की गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से भी बड़ी समस्या बन चुकी थी। आखिरकार स्थिति यहां तक आ गई कि देश का युवा सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध में सड़कों पर उतर आया।

2014 के लोकसभा चुनावों में यूपीए सरकार के कारनामों से परेशान मतदाताओं ने मनमोहन सिंह के नाम वाली सोनिया गांधी की सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया था। इन्हीं परिस्थितियों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने और सबके साथ सबके विकास के विचारों से जनता का विश्वास जीतने में सफल रहे। लोगों ने उनकी बात पर भरोसा किया। भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए दिल्ली में एक मजबूत चौकीदार चुनकर भेजने का निर्णय कर लिया। तीन साल के अपने कार्यकाल में पीएम मोदी ने जनता के भरोसे को और बढ़ा दिया है। उनके नेतृत्व में लोग पूरी तरह सुरक्षित बैठे हैं। उन्हें भरोसा है कि पीएम मोदी के रहते हुए कोई भी सरकारी खजाने पर पंजा नहीं मार सकता। लेकिन जनता के इस भरोसे को जीतना पीएम मोदी के लिए आसान नहीं था। उन्होंने तीन साल में ऐसे कार्य ही किए हैं जो जनता को उनपर खुद से ज्यादा भरोसा हो गया है।

शीर्ष स्तर का भ्रष्टाचार मिटाया
तीन साल बाद, देश में सकारात्मकता का माहौल है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी है। हर समस्या के समाधान के लिए समृद्ध भारत के विजन साथ तेजी से निर्णय लिए जा रहे हैं। लेकिन इन सबके साथ सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि केन्द्र की सरकार में ऊंचे स्तरों पर भ्रष्टाचार पूरी तरह से खत्म हो चुका है। यानि पीएम मोदी ने तीन साल के छोटे समय में वो कर दिखाया है, जो देखने-सुनने के लिए देश की जनता तरस गई थी। ये इतनी बड़ी उपलब्धि है जिसे विरोधी भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं। सवाल उठता है कि ऐसा क्या हो गया कि सत्ताशीर्ष का भ्रष्टाचार एक झटके में खत्म हो गया? क्योंकि न तो नौकरशाही बदली है और न ही सिस्टम में बैठे लोग बदले हैं। यानि अगर नेतृत्व सही हो, उसके पास देश के लिए काम करने का ईमानदार इरादा हो, भारत माता के प्रति अगाध प्रेम और आस्था हो तो फिर भ्रष्टाचार भी खत्म हो सकता है और पीएम मोदी ने वो कर दिखाया है।

कालाधन,भ्रष्टाचार मिटाने के लिए उठाए कदम
प्रधानमंत्री ने आधुनिक तकनीकों के भरपूर उपयोग के साथ-साथ व्यवस्था में छोटे-छोटे बदलाव लाकर भ्रष्टाचार पर नकेल कस दी। अब उनका लक्ष्य आम जनता के लिए बनाई गई सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार को खत्म करना है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कई कदम उठाए हैं—

कालेधन पर SIT: अपने कैबिनेट की पहली ही बैठक में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कालेधन की जांच के लिए SIT गठित की।

जन धन योजना: इसके तहत गरीबों के 28.5 करोड़ खाते खोले गए। सरकारी योजनाओं में सब्सिडी बिचौलियों के हाथों से दिये जाने के बजाय सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगे।

कर बचाने में मददगार देशों के साथ कर संधियों में संशोधन: मॉरीशस के साथ कर संधि में संशोधन कर लिया गया है। दूसरे देशों के साथ बातचीत चल रही है।

कालाधन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) एवं कराधान कानून, 2015: विदेशों और कर बचाने के लिए मददगार देशों में जमा कालेधन को स्वदेश लाने के लिए यह योजना चलाई गई थी। योजना के खत्म होने के बाद पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ जुर्माने और कड़ी सजा का प्रावधान किया गया।

आय घोषणा योजना, 2016: इस योजना के तहत करीब 65,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा।

नोटबंदी: कालेधन पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम 08 नवंबर 2016 को उठाया। नोटबंदी के जरिए कालेधन के स्रोतों का पता लगा।

बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून: ताजा रिपोर्ट के अनुसार करीब 600 से अधिक बेनामी मामलों की जांच जारी है।

फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई: सीबीआई ने छद्म कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने के कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। देश में करीब तीन लाख ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपनी आय-व्यय का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करती हैं।

रियल एस्टेट कारोबार में 20,000 रुपये से अधिक कैश में लेनदेन पर जुर्माना: रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थी। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

राजनीतिक चंदा : राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से ज्यादा कैश में चंदा देने पर पाबंदी। इसके लिए बॉन्ड का प्रावधान।

स्रोत पर कर संग्रह: 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इससे ऊपर के लेनदेन चेक,ड्राफ्ट या ऑनलाइन ही हो सकते हैं।

‘आधार’ को पैन से जोड़ा: कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों की भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है।

सब्सिडी में भ्रष्टाचार पर नकेल: गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी 30 जून 2017 के बाद से सीधे खाते में देकर हर साल लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की बचत करने की पहल हो रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि निचले स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह को ये कैसे खत्म कर देगा।

ऑनलाइन सरकारी खरीद: मोदी सरकार ने सरकारी विभागों में सामानों की खरीद के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू कर दी है। इसकी वजह से पारर्दशिता बढ़ेगी और खरीद में होने वाले घोटले रुक जाएंगे।

प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी: मोदी सरकार ने सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का खजाना लुट गया था।

आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जियोटैगिंग: सड़कों, शौचालयों, भवनों, या ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सभी निर्माण की जियोटैगिंग कर दी गई है। इसकी वजह से धन के खर्च पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।

इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पक्के इरादों से इन्हीं परिस्थितियों और व्यवस्था में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का रास्ता निकाल ही लिया है। उनके ये सारे कदम भ्रष्टाचार की जंग में मील का पत्थर साबित होने वाले हैं।

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