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रसातल में डूबी अर्थव्यवस्था से देश को निकालकर बनाए रोजगार सृजन के अवसर: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर है। युवाओं के लिए रोजगार हो या फिर अर्थव्यवस्था की मजबूती हर मोर्चे पर मोदी सरकार ने गंभीरता से काम किया है। पिछले चार वर्षों में जो भी कार्य किए गए हैं, प्रधानमंत्री मोदी उनका तथ्यों के साथ जवाब भी दे रहे हैं। स्वराज्य मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, “जब हम देश में रोजगार के ट्रेंड को देखते हैं तो हमें आज इस बात को दिमाग में रखना चाहिए कि युवाओं की दिलचस्पी और महत्वाकांक्षाएं अलग-अलग हैं।“ उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए गांवों में 3 लाख Village-Level Entrepreneurs कॉमन सर्विसस सेंटर संचालित कर रहे हैं, यह भी रोजगार है। देश में 15 हजार स्टार्ट अप चलाने में सरकार सहयोग कर रही है, इन स्टार्ट अप में हजारों युवाओं को रोजगार मिला है।

इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 48 लाख नए उद्यमियों का पंजीकरण तथा मकानों, रेलवे तथा राजमार्गों के निर्माण में रोजगार सृजित हुए हैं। आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक संगठित क्षेत्र में 41 लाख रोजगार सृजित हुए। पिछले एक साल की बात की जाए तो ईपीएफओ के आंकड़ों से पता चलता है कि एक साल में 70 लाख से अधिक रोजगार संगठित क्षेत्र में सृजित हुए हैं।

रोजगार सृजन को लेकर बहस निरर्थक
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस निरर्थक है। हमारे पास राज्यों की तरफ से रखे गये आंकड़े हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘उदाहरण के लिए पूर्व की कर्नाटक सरकार ने 53 लाख रोजगार सृजित करने का दावा किया। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उनके पिछले कार्यकाल में 68 लाख रोजगार सृजित हुए। अब अगर राज्य अच्छी संख्या में रोजगार सृजित कर रहे हैं, तो क्या यह संभव है कि देश में रोजगार सृजित नहीं हो रहे? क्या यह संभव है कि राज्यों में तो नौकरी सृजित हो रही है लेकिन केंद्र में रोजगारविहीनता की स्थिति है।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘असंगठित क्षेत्र में करीब 80 फीसदी रोजगार पैदा होते हैं। हम यह भी जानते हैं कि संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन का असंगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन पर भी बड़ा असर होता है। अगर संगठित क्षेत्र में 8 महीनों में 41 लाख रोजगार सृजित हुए हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि संगठित और असंगठित क्षेत्र को मिलाकर कितने रोजगार के मौके पैदा हुए होंगे।‘

नौकरी के मोर्चे पर विफलता के आरोप खारिज
प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरियों के मोर्चे पर सरकार के विफल रहने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि रोजगार के लेकर डेटा के अभाव के कारण यह मुद्दा बना है। उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रतिद्वंद्वी निश्चित रूप से अपनी रुचि के हिसाब से तस्वीर बनाने के लिए अवसर का उपयोग करेंगे। रोजगार के मुद्दे पर आरोप लगाने को लेकर हम अपने प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप नहीं लगाते। किसी के पास भी रोजगार को लेकर वास्तविक डेटा नहीं है। रोजगार को आंकने का जो पंरपरागत तरीका था, वह इतना बेहतर नहीं था कि जिससे नए भारत की नई अर्थव्यवस्था में सृजित हो रहे नए रोजगार का पता लगाया जा सके।’

रसातल में गई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लेकर आए
प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर अपनी सरकार के तौर-तरीकों को मजबूती के साथ सामने रखा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में ‘अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री’ तथा ‘सर्वज्ञाता वित्त मंत्री’ ने अर्थव्यवस्था को जिस रसातल में पहुंचा दिया था, उनकी सरकार उसे बाहर निकालकर पटरी पर लाई है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया में तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है और इसकी मजबूत बुनियाद इसे गति प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब थी। यहां तक कि बजट के आंकड़ों को लेकर भी संदेह था। उन्होंने कहा कि सरकार में आने के बाद उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर श्वेत पत्र नहीं लाकर राजनीति के ऊपर राष्ट्रनीति को तवज्जो दी। उन्होंने कहा कि 2014 में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर राजनीति करना काफी आसान और राजनीतिक रूप से लाभप्रद था पर सरकार की सोच थी कि सुधारों की जरूरत है और हमने ‘इंडिया फर्स्ट’ को तरजीह दी।

अर्थव्यवस्था में सुधार और मजबूती पर दिया जोर
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने मुद्दों को टालना नहीं चाहा बल्कि हमारी रुचि समस्याओं के समाधान करने में ज्यादा थी। हमने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, उसे मजबूत बनाने तथा रूपांतरण पर जोर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘हमने कई राजनीतिक आरोपों को बर्दाश्त किया, हमने राजनीतिक नुकसान को स्वीकार किया, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि देश को कोई नुकसान नहीं हो।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विदेशी निवेश अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। जीएसटी से कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया और भारत कारोबार करने के लिहाज से एक बेहतर जगह बना है, जबकि ऐसा पहले कभी नहीं था।

‘2014 में ही चिन्हित कर ली गई थीं बैंकों की समस्याएं’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बैंकों में समस्याओं को 2014 में ही चिन्हित कर लिया गया था और उन्हें कर्ज देने के मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से छूट दी गई। सरकार दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता लेकर आयी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कर्ज नहीं लौटाने वालों को अपनी कंपनी से हाथ धोना पड़ेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार कच्चे माल की लागत में कमी लाकर, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित कर, उत्पादकता बढ़ाकर तथा आय सृजन के अन्य अवसर सृजित कर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये काम कर रही है।

 

यह सच्चाई है कि मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं की वजह से पिछले चार वर्षों में देश में रोजगार के करोड़ों मौके पैदा हुए हैं। एक नजर डालते हैं

सितंबर से अप्रैल के बीच सृजित हुए 41 लाख से अधिक रोजगार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का आर्थिक माहौल पूरी तरह से बदल गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से रोजगार के बंपर मौके भी बन रहे हैं। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानि सीएसओ की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सितंबर 2018 से इस वर्ष अप्रैल के बीच आठ महीनों में 41,26,138 नौकरियां सृजित हुई हैं। इतना ही नहीं सिर्फ अप्रैल महीने में ही 6,85,841 लोगों को नया रोजगार मिला है और इनका EPFO में पंजीकरण हुआ है। अप्रैल महीने में सबसे अधिक 18 से 21 वर्ष के 1,87,221 युवाओं को रोजगार मिला हैं, वहीं 22 से 25 वर्ष के वर्ग में 1,80,892 युवाओं को रोजगार मिला है। सीएसओ ने इस वर्ष पहली बार आधिकारिक आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकडों से साफ है कि देश का कारोबारी माहौल नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव से बाहर आ चुका है। 

रोजगार सृजन के मामले में मोदी सरकार ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री मोदी को आज पूरी दुनिया एक ग्लोबल लीडर के तौर पर जानती है। उनकी विदेश नीति हो या देश के भीतर किए गए क्रांतिकारी बदलाव, हर मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने जन सामान्य तक अपनी पैठ बनाई है। लेकिन रोजगार को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसने भी दुनिया के लिए नजीर पेश की है। रेलवे में चाहे दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी भर्ती का वर्ल्ड रिकॉर्ड हो या फिर मुद्रा योजना, स्टार्ट अप और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम के तहत करोड़ों लोगों को रोजगार देना हो, मोदी सरकार की नीतियां युवाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। हम सरकारी आंकड़ों, सर्वे और रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार की एक-एक योजना और उससे उत्पन्न रोजगार के अवसर की चर्चा करेंगे, लेकिन उससे पहले ये बताते हैं कि कैसे एक चायवाले ने देश के सबसे बड़े आर्थिक विशेषज्ञ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दस साल को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के मामले में मात दे दी।

मोदी सरकार के 4 साल यूपीए के 10 वर्षों पर भारी
भारत में रोजगार देने के मामले में जो सरकारी आंकड़ें, रिसर्च और सर्वे प्राप्त हुए हैं, उससे चौंकाने वाली जानकारी हासिल हुई है। अर्थशास्त्री के रूप में मशहूर मनमोहन सिंह ने अपने 10 सालों में जितना रोजगार दिया है, उसके कई गुना रोजगार मोदी सरकार की सिर्फ एक योजना ने चार साल में ही दे दिया है। जनवरी 2014 में प्रकाशित NSSO के सर्वेक्षण के अनुसार यूपीए सरकार के शासन में 2004-05 से जनवरी 2012 तक 53 million यानि 5 करोड़ 30 लाख रोजगार सृजित हुए। जबकि सिर्फ मुद्रा लोन से 3 साल में 13 करोड़ लोगों को रोजगार मिला।

यही नहीं सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए के दो टर्म से पहले वाजपेयी सरकार में भी नौकरियां की बहार रही। सर्वेक्षण के मुताबिक 1999-2000 से 2003-04 के दौरान एनडीए की सरकार के दौरान इससे अधिक 60 million यानि 6 करोड़ रोजगार सृजित हुए थे।

मुद्रा लोन ने 3 साल में 13 करोड़ लोगों को दिए रोजगार
8 अप्रैल, 2015 को शुरू किया गया मुद्रा लोन योजना आज देश में सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए रोजगार ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास भी लेकर आया है। सिर्फ सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 13 करोड़ नए ऋण दिए गए हैं। जाहिर है एक ऋण से अगर एक भी नौकरी सृजित हुई होगी तो चार साल में 13 करोड़ रोजगार का सृजन हुआ। इस योजना के तहत सरकार ने 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिया है। इसमें 55 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी SC/ST और OBC कैटेगरी से हैं। खास बात ये है कि 13 करोड़ लोगों में से 28 प्रतिशत यानी सवा तीन करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार लोन लिया है। एक और विशेष बात ये है कि इनमें से 75 प्रतिशत यानी 9 करोड़ लाभार्थी महिलाएं हैं।

स्किल डेवलपमेंट से 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार
15 जुलाई, 2015 को शुरू की गई मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्किल डेवलपमेंट मिशन ने युवाओं की किस्मत बदलने का काम किया है। Skill Development and Entrepreneurship (MSDE) मंत्रालय के अंतर्गत पिछले वर्ष तक ही 2.5 करोड़ युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके थे, जिनमें से एक करोड़ तो अकेले 2017 में ही प्रशिक्षित हुए थे। Skill Development के लिए युवाओं को घर से अधिक दूर नहीं जाना पड़े इसके लिए सरकार ने पिछले वर्ष तक 27 राज्यों के 484 जिलों में 527 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र बनाया। जो युवा Long Term Training करना चाहते हैं, उनके लिए उनके आवश्यकता के अनुरूप भी व्यवस्था की गई है।

पिछले वर्ष तक कुल 13,912 ITI स्थापित की गई। मात्र पिछले वर्ष ही इनकी Seating Capacity 77,040 बढ़ाकर कुल 22.82 लाख कर दी गई। पिछले वर्ष अकेले ITI Ecosystem से 12.12 लाख युवाओं को प्रशिक्षण का अवसर मिला। सरकार ने अब इस स्कीम की सफलता को देखते हुए 2020 तक 1 करोड़ युवाओं के कौशल विकास का लक्ष्य रखा है। साथ ही सरकार इसमें 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

स्टार्टअप इंडिया से 1 लाख 17 हजार लोगों को रोजगार
भारत में दुनिया का बहुत बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित हो चुका है। 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 419 जिलों में 9, 750 स्टार्टअप पंजीकृत हुए हैं। सर्वे के मुताबिक एक स्टार्टअप में औसतन 12 लोगों को रोजगार मिलते हैं। यानि 1 लाख 17 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। 2013-14 में लगभग 68,000 ट्रेड मार्क रजिस्टर होते थे, लेकिन चार साल में ही अब ये आंकड़ा ढाई लाख से भी ऊपर पहुंच गया है। स्टार्ट-अप के तहत पेटेंट रजिस्ट्रेशन पूर्व के प्रति वर्ष चार हजार की तुलना में अब 11, 500 पेटेंट रजिस्टर हो रहे हैं। गौरतलब है कि चार साल पहले भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्ट्रियां थीं, आज 120 फैक्ट्रियां मोबाइल बना रहीं हैं। विशेष बात यह है कि 45 प्रतिशत स्टार्टअप महिलाओँ द्वारा शुरू किए गए हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती रेलवे में, 1.1 लाख लोगों को रोजगार
रोजगार के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही मोदी सरकार अब सरकारी नौकरी देने में भी दुनिया का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाने जा रही है। भारतीय रेलवे ने दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती करने का ऑफर निकाला है। एक साथ 1 लाख 10 हजार लोगों को रेलवे सरकारी नौकरी देगी। हालांकि पहले इसके लिए 90 हजार नौकरियां निकाली गई थीं। इसमें ग्रुप डी, ग्रुप सी (टेक्नीशियन व असिस्टेंट लोको पायलट) के अलावा आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) और आरपीएसएफ (रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स) के रिक्त पद शामिल हैं।

सात महीनों में 39 लाख नए लोगों को मिला रोजगार
22 मई, 2018 को नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़े मोदी सरकार द्वारा रोजगार दिए जाने की स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि EPFO के अनुसार पिछले सात महीने में देश में 39.36 लाख नए लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। EPFO के अनुसार सिर्फ मार्च, 2018 में ही नए रोजगार के 6.13 लाख मौके बने फरवरी में नए रोजगार के 5.89 लाख अवसर पैदा हुए थे। रोजगार के ये आंकड़े सभी आयु वर्ग के हिसाब से PF खाते में योगदान करने वाले सदस्यों के हैं।

IT सेक्टर में 39 लाख लोगों को रोजगार
NASSCOM के अनुसार भारत में आईटी कंपनियों में 39 लाख लोग वर्तमान में काम कर रहे हैं। इसी वर्ष भी एक लाख और लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे यह आंकड़ा 40 लाख हो जाएगा। NASSCOM का अनुमान है कि 2025 तक देश में आईटी क्षेत्र का कारोबार 350 करोड़ डॉलर का होगा और जिसमें 25 से 30 लाख और अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। इस वर्ष एक लाख नई नौकरियों के साथ ही देश के समग्र आईटी-बीपीओ उद्योग का आकार 14-16 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा।

डिजिटल इंडिया के तहत 10 लाख रोजगार
डिजिटल इंडिया से युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं। 2014 में जहां देश में मात्र 83 हजार Common Services Centres (CSC) थे, मार्च 2018 तक उनकी संख्या 2 लाख 92 हजार तक पहुंच चुकी थी। इस समय देश में 1 लाख 83 हजार ग्राम पंचायतों तक डिजिटल सेवाएं उपलब्ध हैं। इन सेवाओं में बैंकिंग, बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और आधार आधारित दूसरी सुविधाएं भी शामिल हैं। इन केंद्रों में से 52 हजार केंद्र महिला उद्यमियों द्वारा संचालित हो रहे हैं और वहां 10 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। 

इसके अलावा महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि 2014 में देश में मोबाइल फोन और उससे जुड़े Accessories बनाने के मात्र 2 यूनिट कार्य कर रहे थे। सिर्फ 3 वर्षों में यह संख्या बढ़कर 120  तक पहुंच गई। इनमें से अकेले मोबाइल हैंडसेट बनाने की आज 59 यूनिट काम कर रही हैं।  सिर्फ इस क्षेत्र ने देश में मात्र 3 वर्षों में ही साढ़े 4 लाख रोजगार का अवसर सृजित किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना से 52 करोड़ श्रम दिवस का रोजगार
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के एक स्टडी के अनुसार ग्रामीण आवास योजना ग्रामीण इलाकों में अकुशल और कुशल मजदूरों के लिए रोजगार के बड़े अवसर लेकर आया है। 12 जून तक के आंकड़ों के अनुसार दो साल में 52 करोड़ श्रम दिवस के रोजगार सृजित हुए हैं। इनमें से 20.85 करोड़ व्यक्ति कुशल और अकुशल श्रम के लिए 31.62 करोड़ व्यक्ति हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) 2016 में शुरू की गई थी।

राजमार्ग योजना से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में राजमार्गों के निर्माण कार्यों में तेजी आई है। आज राजमार्ग के साथ-साथ रोजगार के भी अवसरों की भरमार है। 83 हजार किलोमीटर के राजमार्गों के निर्माण और चौड़ीकरण की योजना को लागू करने के लिए 7 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है । इस योजना के साथ 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार युवाओं को मिलेगा।

दीन दयाल कौशल्य योजना से साढ़े तीन लाख रोजगार
दीन दयाल ग्रामीण कौशल्य योजना में 7 लाख 88 हजार लोगों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के तहत 5 लाख 70 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें से 3 लाख 48 हजार से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है।

पर्यटन क्षेत्र में बढ़े रोजगार के अवसर
सत्ता संभालने के बाद से ही मोदी सरकार ने पर्यटन पर फोकस किया। इसका परिणाम है कि केपीएमजी और फिक्की की टूरिज्म सेक्टर पर ‘Expedition 3.0: Travel and hospitality gone digital’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2017 में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में 2 करोड़ 59 लाख रोजगार के अवसर मिले हैं। इतना ही नहीं टूरिज्म सेक्टर ने जीडीपी में 141.1 बिलियन का योगदान दिया है। फरवरी, 2017 की तुलना में फरवरी, 2018 के दौरान विदेशी पर्यटकों के आगमन में 10.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

योग बना रोजगार और करियर का बड़ा क्षेत्र
भारत आज योग के ब्रांड के रूप में उभरकर सामने आया है और देश-विदेश में रोजगार के लिए भी एक बड़ा क्षेत्र बन गया है। एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 20 करोड़ लोग योग सीख रहे हैं। भारत में योग ट्रेनिंग का कारोबार लगभग 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसमें योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। योग टीचर प्रति घंटे 400 से लेकर 1500 रुपये तक की फीस लेते हैं। रुपये से हिसाब लगाएं तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में योग गुरु 3 से 5 घंटे के योग सेशन की फीस 2 से 3 लाख के बीच वसूलते हैं।

‘मेक इन इंडिया’ से 2020 तक 10 करोड़ रोजगार 
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत की थी। यही वह योजना है जो रोजगार के क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत रखती है। ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य है।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 7-8 लाख रोजगार
Confederation of Indian Industries (CII) और ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट से यह अनुमान सामने आया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सात से आठ लाख नौकरियां निकलने जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया और मनोरंजन की सामग्रियों को लेकर रुझान काफी बढ़ा है जिसके चलते इस सेक्टर में रोजगार के अवसर काफी बढ़ने वाले हैं।

एक नजर डालते हैं देश की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक विशेषज्ञों और रेटिंग एजेंसियों की टिप्पणियों पर-

उम्मीद से अधिक 7.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट: नीति आयोग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती की तरफ बढ़ रही है। मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश की इकोनॉमी वृद्धि कर रही है। नीति आयोग का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 7.5 प्रतिशत से ऊपर रह सकती है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में कम से कम 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और यह 7.8 प्रतिशत के स्तर को छू सकती है। उन्होंने कहा कि यह आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की ओर से लगाए गये अनुमान से ज्यादा रहने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि क्योंकि वित्त 2018 की आखिरी तिमाही ग्रोथ रेट 7.7 प्रतिशत के स्तर पर रहा है इसलिए उन्हें लगता है कि आने वाली तिमाहीयों में ये इससे नीचे नहीं जा सकता।

दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि कर रही है। दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां और संस्थाएं भारत की इकोनॉमी को लेकर सकारात्मक टिप्पणी कर रही हैं। हालांकि भारत में विपक्षी दलों के नेता पेट्रोल-डीजल के दाम, जीएसटी आदि को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इन्हीं विपक्षी नेताओं को जवाब देते हुए हाल ही में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में हासिल हुई 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से एक बार फिर से यह स्थापित हो गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा है कि अभी यह रुख कई और साल तक बना रहेगा।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे केंद्रीय मंत्री श्री जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों और जीएसटी के क्रियान्वयन और इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड को लागू करने की वजह से हमें दो तिमाही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। जिन लोगों ने यह अनुमान लगाया था कि जीडीपी में 2 प्रतिशत की गिरावट आएगी वे गलत साबित हुए। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘हमने प्रत्येक भारतीय को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया है। अब अतीत की तुलना में भविष्य अधिक उज्ज्वल दिख रहा है। यह रुख अगले कुछ साल तक जारी रहेगा। 

वहीं रोजगार के मुद्दे पर सरकार की आलोचनाओं का जवाब देते हुए श्री जेटली ने कहा, ‘डेटा विश्लेषण साफ दिखाता है कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर दोहरे अंकों के साथ बढ़ रहा है। यह रोजगार देने वाला सेक्टर है। निवेश बढ़ रहा है। घरेलू निवेश में भी तेजी आई है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अप्रत्याशित स्तर पर है।’ श्री जेटली के मुताबिक ‘मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि हो रही है। सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर बहुत पैसा खर्च कर रही है। रूरल प्रॉजेक्ट्स पर काफी खर्च बढ़ा है। सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं, खासकर वित्तीय समावेशन से स्वरोजगार का माहौल बना है। ये सभी रोजगार उत्पन्न करने वाले सेक्टर हैं।’

विदेशी मुद्रा भंडार 88 करोड़ डॉलर बढ़कर हुआ 413 अरब डॉलर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जून को समाप्त सप्ताह में 87.95 करोड़ डॉलर बढ़कर 413 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, 08 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 87.54 करोड़ डॉलर बढ़कर 388.39 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार 21.19 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब के करीब था।

फिच ने आर्थिक ग्रोथ का अनुमान 7.4 प्रतिशत तक बढ़ाया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार सुधर रही है और मजबूत हो रही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही फिच ने 2019-20 के लिए वृद्धि दर का पूर्वानुमान 7.5 प्रतिशत तय किया है। फिच ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा, ‘हमने 2018-19 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर मार्च के 7.3 प्रतिशत के पूर्वानुमान से संशोधित कर 7.4 प्रतिशत कर दी है।’ भारतीय अर्थव्यवस्था 2017-18 में 6.7 प्रतिशत और जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।

अगले 5 वर्षों में चीन को पीछे छोड़ देगा भारतः फिच
फिच ने इसके पहले कहा था कि भारत विकास के मामले में अगले 5 वर्षों में चीन को पीछे छोड़ देगा। फिच के अनुसार भारत अगले 5 वर्षों में चीन को पीछे छोड़ देगा। इसके साथ ही भारत सबसे तेजी से विकास करने वाला देश भी बन जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत फिच रेटिंग ग्लोबल इकॉनोमिक आउटलुक में शामिल 10 सबसे बड़े उभरते बाजारों की सूची में शीर्ष पर है। फिच ने बताया कि अगले 5 सालों में चीन की जीडीपी जहां 5.5 प्रतिशत रहेगी वहीं भारत की जीडीपी विकास दर 6.7 रहेगी। फिच ने बताया कि पूरी दुनिया में इस समय सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या भारत में है। युवा आबादी के ही चलते भारत अगले 5 सालों में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।

7 प्रतिशत से ज्यादा रहेगी ग्रोथ: सीआईआई
भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज सीईओ को लेकर किए गए सीआईआई के सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में इकनॉमिक ग्रोथ 7 प्रतिशत से ज्यादा रह सकती है। सर्वेक्षण में शामिल इन सीईओ का कहना है कि इससे घरेलू बाजार में निवेश को खासा बढ़ावा मिल सकता है। सीआईआई के अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कहा कि उद्योग जगत को अगले दो साल जीडीपी ग्रोथ 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उनका कहना है कि सरकारी खजाने से होनेवाले खर्च के मोर्चे पर समझदारी दिखाने, मैक्रो इकनॉमिक मैनेजमेंट और स्ट्रॉन्ग रिफॉर्म्स प्रोसेस से ग्रोथ की ठोस बुनियाद बनी है। पुणे में सीआईआई की हालिया बैठक में 80 से ज्यादा सीनियर कॉरपोरेट लीडर्स की मौजूदगी में यह सर्वे हुआ। सर्वे में शामिल 82% कॉरपारेट दिग्गजों का मानना है कि 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7% से ज्यादा रह सकती है। लगभग 10% कॉरपोरेट लीडर्स ने इकनॉमिक ग्रोथ 7.5% से ज्यादा रहने का अनुमान जताया है।

सुधार सही दिशा में- सीआईआई
इसके पहले हाल ही में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरा होने पर सीआईआई ने कहा कि पिछले चार साल में सरकार ने चरणबद्ध तरीके से कारोबार सुगमता, बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियम, ढांचागत निर्माण और असफल उद्यमों का निस्तारण जैसी अर्थव्यवस्था की मुख्य दिक्कतों को दूर किया है। जीएसटी के सुचारू होने और सुधारों के मजबूती से सही दिशा में रहने से अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।

7.5 प्रतिशत की दर के बढ़ेगी जीडीपी- क्रिसिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। जीएसटी प्रणाली के सुचारू हो जाने तथा सुधारों के सही दिशा में होने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है और चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत तक रह सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार विकास की गति जारी रहेगी और वित्त वर्ष 2019 में ग्रोथ को 7.5 प्रतिशत तक ले जाएगी। इसमें कहा गया कि ग्रोथ को निवेश के सहारे के साथ खपत में बढ़ोतरी का साथ मिलेगा। वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही यानी जनवरी-मार्च में कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन की बदौलत देश की विकास दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले सात तिमाही यानी करीब पौने दो साल में सबसे तेज है।

आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान- केयर रेटिंग्स
उद्योग एवं कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 7.5 प्रतिशत रह सकती है। रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘हम 2018-19 में जीडीपी में 7.5 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।’ जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत थी।

चौथी तिमाही में 7.4% हो सकती है जीडीपी- इक्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA)ने कहा है कि 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो तीसरी तिमाही के 7.2 प्रतिशत से अधिक है। इक्रा ने कहा है कि, ‘2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत से बढ़कर 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इक्रा के अनुसार उद्योग और कृषि , वानिकी, मत्स्य और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी के चलते पिछली तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में सुधार होगा।

7.6 प्रतिशत रहेगी ग्रोथ रेट: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट चीन से ज्यादा मजबूत रहेगी और मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। यूएन वर्ल्ड इकनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉसपेक्ट्स (डब्ल्यूईएसपी) की रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत और 2018-19 में 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना है।

अगले साल 7.8 प्रतिशत विकास दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था- आईएमएफ
अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की तारीफ करते हुए कहा है एशिया आने वाले वर्षों में वैश्‍विक अर्थव्‍यवस्‍था के विकास का मुख्‍य इंजन होगा। आईएमएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था साल 2018 में 7.4 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगी और नोटबंदी और जीएसटी के असर से उबर चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था अगले साल 7.8 फीसदी की विकास दर से आगे बढ़ेगी। आइएमएफ ने हाल ही में कहा था कि भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस मामले में भारत ने फ्रांस को पीछे छोड़ दिया है। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2.6 ट्रिलियन डॉलर (करीब 170 लाख करोड़ रुपये) की हो गई है, जो फ्रांस की इकोनॉमी से अधिक है।

2018 में 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा भारत- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इसके पहले भी कहा है कि इस वर्ष भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। आईएमएफ ने यह भी कहा है कि 2019 में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इस अवधि में भारत एक बार फिर विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में उभरेगा। आईएमएफ का कहना है कि मजबूत रफ्तार, अनुकूल बाजार धारणा के साथ अन्य कारणों से वैश्विक वृद्धि दर बेहतर रहेगी। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में निवेश में सुधार, उभरते एशिया में मजबूत वृद्धि, उभरते यूरोप में उल्लेखनीय सुधार और कई जिंस निर्यातकों की स्थिति सुधरने से वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बढ़ेगी।

भारत अगले दशक की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था- हार्वर्ड
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि भारत अगले 10 साल दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर बना रहेगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय विकास केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर सालाना 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस लिहाज से भारत की वृद्धि दर चीन और अमेरिका से अधिक रहेगी। हार्वर्ड की रिपोर्ट ने 2026 में चीन की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत और अमेरिका की वृद्धि दर तीन प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ सालों में जो सुधार हुए उससे अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की संभावना पैदा हो रही है।

दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा- हार्वर्ड
इसके पहले की भारत की अर्थव्यवस्था की गति और इसकी मजबूती पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में माना गया है कि भारत चीन से आगे बढ़कर वैश्विक विकास के आर्थिक स्तंभ के रूप में उभरा है और आने वाले दशक में वो नेतृत्व जारी रखेगा। सेंटर फॉर इंटरनेशल डेवलपमेंट (CID) ने 2025 तक सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में भारत को सबसे ऊपर रखा है। CID के अनुमान के अनुसार भारत 2025 तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे ऊपर है। CID के रिसर्च से ये निकलकर आया है कि वैश्विक आर्थिक विकास की धुरी अब भारत है। चीन की तुलना में दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा है, जो आने वाले एक दशक से अधिक समय तक कायम रह सकता है।

7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जीडीपी
देश की अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबर आ रही है। मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डॉयचे बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि, ‘वित्त वर्ष 2018-19 के लिए हमारा आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 7.5 प्रतिशत का है, जो कि बीते वित्त वर्ष 2017-18 के 6.6 प्रतिशत की ग्रोथ के मुकाबले जीडीपी की संभावनाओं में और सुधार करेगा।’

पहली छमाही में भारत की औसत वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहेगी- नोमूरा
जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश और उपभोग में सुधार से इस साल की पहली छमाही में जीडीपी की औसत वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहेगी। नोमूरा के अनुसार निवेश और उपभोग मांग में बढ़ोतरी से मुख्य रूप से वृद्धि दर को रफ्तार मिलेगी। नोमूरा का कहना है कि 2018 की पहली छमाही में जीडीपी की औसत वृद्धि सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी, जो अक्तूबर-दिसंबर, 2017 में 7.2 प्रतिशत रही है। नोमुरा ने इसके पहले भी भारत की ग्रोथ के बारे में पॉजिटिव रिपोर्ट दी थी।

BRICS देशों में भारत की आर्थिक विकास दर सर्वाधिक: केपीएमजी
पेशेवर सेवा प्रदाता कंपनी केपीएमजी ने कहा है कि ब्रिक्स देशों में भारत सर्वाधिक आर्थिक विकास दर वाला देश है। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। केपीएमजी की रिपोर्ट ‘इंडिया सोर्स हायर’ के अनुसार, सुधार के कुछ कदमों के कारण वित्त वर्ष-2018 की पहली तिमाही में विकास की रफ्तार धीमी रहने के बावजूद भारत की विकास दर 2018 में 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर और वैश्विक आर्थिक विकास क्रमश: दो और तीन प्रतिशत है। केपीएमजी इंडिया के चेयरमैन व सीईओ अरुण एम. कुमार ने कहा कि भारत आज टिकाऊ विकास की ओर अग्रसर है।

इस साल 7.3 प्रतिशत की रफ्तार से दौड़ेगी अर्थव्यवस्था: एडीबी
एशियाई विकास बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 प्रतिशत जबकि अगले वित्त वर्ष 2019-20 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। बैंक का अनुमान है कि जीएसटी के कारण उत्पादन में वृद्धि और बैंकिंग के क्षेत्र में सुधार के कारण निवेश से आर्थिक विकास दर को गति मिलेगी। रेटिंग एजेंसी फिच का भी यही अनुमान है। वैसे भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार माजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की दर 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है।

मजबूत है विदेशी मुद्रा भंडार- एडीबी
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने हाल ही में यह भी कहा है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा संग्रह है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होने के कारण भारत को रुपये में उतार-चढ़ाव से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। सवादा ने कहा कि, ‘विदेशी मुद्रा भंडार समय के साथ बढ़ ही रहा है इसमें गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं इसीलिए मुझे लगता है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से हमें खास परेशान नहीं होना चाहिए।’ प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल, 2018 को समाप्त सप्ताह में अबतक के सर्वकालिक उच्च स्तर 426.082 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब के करीब था।

2018 में चीन को पछाड़ भारत बनेगा सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्था
इसके पहले सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत 2018 में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 में भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और वह चीन के मुकाबले आगे निकल जाएगा। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2018 में ही इक्विटी मार्केट के मामले में भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे समय जब विकसित देशों की जीडीपी 2 से 3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहे हों, भारत की अर्थव्यवस्था 7.5 की दर से विकास करेगी, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जारी रहेगा

ब्रिटेन-फ्रांस को पछाड़ दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्था में होगा भारत
सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2018 में ब्रिटेन और फ्रांस को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तैयारी कर रहा है। सीईबीआर के डिप्टी चेयरमैन डोगलस मैकविलियम ने कहा कि वर्तमान में अस्थायी असफलताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था फ्रांस और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के बराबर टक्कर दे रही है। अगर भारत की अर्थव्यवस्था इसी क्रम में बढ़ती रही तो भारत अगले साल 2018 में फ्रांस और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देगा। इतना हीं नहीं अगले साल भारत दोनों देशों को पछाड़कर दुनिया की शीर्ष पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

एसोचैम का अनुमान
वहीं एसोचैम ने कहा है कि 7% विकास दर का उसका अनुमान प्रधानमंत्री मोदी सरकार की नीतियों में स्थिरता, अच्छे मॉनसून, औद्योगिक गतिविधियों एवं ऋण वृद्धि में तेजी और स्थिर विदेशी मुद्रा दर के अनुमानों पर आधारित है। 2018 के लिए जारी एसोचैम के आउटलुक में कहा गया है कि, ‘2017-18 की दूसरी तिमाही में 6.3 फीसद पर पहुंची भारत की जीडीपी विकास दर की तुलना में सितंबर 2018 की तिमाही तक आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।’

भारत 8 फीसदी दर से करेगा विकास : गोल्डमैन सैक्स
प्रसिद्ध निवेश संस्था गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत 8 फीसदी की दर से विकास करेगा। इसके पीछे का मुख्य कारण होगा, बैंकों का पुनर्पूंजीकरण। गोल्डमैन का मानना है कि बैंकों के पूंजीकरण से देश के क्रेडिट डिमांड और निजी निवेश को मजबूती मिलेगी। गोल्डमैन के मुताबिक, ‘हम भारत की जीडीपी विकास को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 8 फीसदी पर निर्धारित कर रहे हैं। 2017-18 में हालांकि जीडीपी विकास 6.4 फीसदी पर रहा, जिसका मुख्य कारण नोटबंदी और जीएसटी का शुरुआती प्रभाव रहा, लेकिन बैंकों का पुनर्पूंजीकरण जीडीपी के विकास में मददगार साबित होगा।’

सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाला देश होगा भारत: मॉर्गन स्टेनली
भारत अगले 10 वर्षों में दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगा। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने दावा किया है कि डिजिटलीकरण, वैश्वीकरण और सुधारों के चलते आने वाले दशक में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि डिजिटलीकरण से जीडीपी वृद्धि को 0.5 से 0.75 प्रतिशत की बढ़त मिलेगी और अनुमान है कि 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6,000 अरब डॉलर की हो जाएगी। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार आने वाले दशक में भारत की सालाना जीडीपी वृद्धि दर 7.1 से 11.2 के बीच रहेगी।

7.5 की विकास दर हासिल करेगा भारत: मूडीज
अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग संस्था मूडीज के इंवेस्टर सर्विस सर्वे में पता चला है कि भारत की विकास दर अगले 12 से 18 महीने के दौरान 6.5 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। सर्वेक्षण में 200 से ज्यादा मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि संभावना को लेकर विश्वास व्यक्त किया। सर्वे में शामिल सभी लोगों का मानना था कि जीएसटी के लागू होने से 12 से 18 माह में आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी। मूडीज को विश्वास है कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार अगले 3-4 साल में बढ़कर 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच जाएगी। मूडीज के सहायक प्रबंध निदेशक मैरी डिरोन का कहना है कि भारत में चल रहे आर्थिक और संस्थागत सुधारों और आने वाले समय में होने वाले बदलावों को देखते हुए नोटबंदी से पैदा हुई अल्पकालिक अड़चन के बावजूद अगले कुछ महीनों के दौरान भारत उसके जैसे दूसरे देशों के मुकाबले अधिक तेजी से वृद्धि करेगा।

आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत हो जाएगी: स्टैंडर्ड चार्टर्ड
स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने आर्थिक परिदृश्य-2018 के बारे में एक शोध पत्र में कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का बुरा समय बीत चुका है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान भी व्यक्त किया है। उसने कहा, ‘प्रमुख नीतिगत बदलावों का असर समाप्त हो जाने के बाद हमें अगली चार से छह तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि में क्रमिक सुधार की उम्मीद है।’ अगली कुछ तिमाहियों में वृद्धि दर सात प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र ने बताया अर्थव्यवस्था के विकास को सकारात्मक
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को सकारात्मक बताया है। यूएन ने साल 2018 में भारत की विकास दर 7.2 और 2019 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर जारी रिपोर्ट में यूएन ने कहा गया है कि भारी निजी उपभोग, सार्वजनिक निवेश और संरचनात्मक सुधारों के कारण साल 2018 में भारत की विकास दर वर्तमान के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो जाएगी और ये विकास दर साल 2019 में 7.4 प्रतिशत तक पहुंचेगी।‘वर्ल्ड इकोनोमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट 2018’ रिपोर्ट में यूएन ने कहा है कि कुल मिला कर दक्षिण एशिया के लिए आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल नजर आ रहा है।

अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ रहा भारत- अलीसा एयर्स
एक अमेरिकी टॉप थिंक-टैंक काउंसिल में भारत, पाकिस्तान और साउथ एशिया मामलों की वरिष्ठ सदस्य अलीसा एयर्स ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उसे व्यापक वैश्विक महत्व और देश की सैन्य क्षमताओं के विस्तार तथा आधुनिकीकरण के लिये ऊर्जा दे रही है। अलीसा के अनुसार, ‘भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर वैश्विक उछाल दिया है। इसकी मदद से भारत अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है।’ फोर्ब्स में छपे आर्टिकल में अलीसा कहती हैं, ‘पिछले वर्षों में भारत दुनिया भर में विदेशी और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों के संदर्भ में एक बड़ा कारक बनकर उभरा है और अब वैश्विक मंच पर अब भारत ज्यादा मुखर दिखाई दे रहा है। दरअसल भारत खुद को एक ‘प्रमुख शक्ति’ के रूप में देख रहा है।’

‘सपनों’ के साथ आगे बढ़ रहा भारत
मध्य पूर्व और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विश्लेषक फ्रिट्ज लॉज ने ‘द सिफर ब्रीफ’ में एक लेख में भी भारत की प्रशंसा की है और पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की है। फ्रिट्ज लॉज ने लिखा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक, सैन्य, भू-राजनीतिक शक्ति से योग्य बनाने के अपने सपने के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’

भारत बना विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह- चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए खूब आकर्षण बन रहा है। अखबार ने एक लेख में कहा है कि कम लागत में उत्पादन धीरे-धीरे चीन से हट रहा है। अखबार ने लिखा है कि भारत सरकार ने देश के बाजार के एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया है। यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने वाला है। इस नई टैक्स व्यवस्था से मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि इसमें राज्य और केंद्र के विभिन्न करों को मिला दिया गया है। लेख में कहा गया है कि आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक सुधार जीएसटी से फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनी भारत में निवेश करने के अपने वादे के साथ आगे बढ़ेंगी।

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