Home योग विशेष नमो विजन से आगे बढ़ रहा ‘स्वस्थ तन-स्वस्थ मन’ का अभियान

नमो विजन से आगे बढ़ रहा ‘स्वस्थ तन-स्वस्थ मन’ का अभियान

21 जून को होने वाले अतंर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष रिपोर्ट

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दवाओं से मुक्ति मिले और तेज रफ्तार जिंदगी ऊर्जा से भरपूर हो तो ये आज के दौर का सबसे बड़ा उपहार होगा। प्राचीन समय से भारतीय जीवन शैली का हिस्सा रहा योग ऐसी ही प्रक्रिया है जिसमें तन स्वस्थ होने के साथ मन को भी प्रसन्न रखने की शक्ति है। देश-दुनिया मे योग का प्रसार करने के पीछे का उद्देश्य भी यही है कि पूरी दुनिया एक हो जाए और सभी स्वस्थ हों। दरअसल योग का अर्थ है जुड़ना यानि शामिल होना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में जब अतंर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था तो उनके मन में योग के जरिये दुनिया को जोड़ने की इच्छा थी।

योग के अभ्‍यास से एकता की भावना- मन, शरीर और बुद्धि की एकता- पैदा होती है। हमारे परिवारों के साथ एकता, हम जिस समाज में रहते हैं उसके साथ, साथी मानव के साथ, सभी पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे, जिनके साथ हम अपने सुंदर ग्रह को साझा करते हैं, के साथ एक होना ही योग है। ‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा ही योग है। व्‍यक्ति से समष्टि तक यह यात्रा है। मैं से हम तक की यह अनुभूति, हम से वयम तक का यह भाव विस्‍तार, यही तो योग है।-नरेंद्र मोदी

21 जून, 2015 को बना इतिहास
ऐसा विश्व इतिहास में कभी-कभार ही होता है जब पूरी दुनिया में कोई एक कारण हो और हर तरह की सीमा टूट जाए। 21 जून, 2015 को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने धर्म, राष्ट्र से लेकर अमीर-गरीब तक की सारी सीमाओं को तोड़ दिया। पेरिस से लेकर न्यूयार्क तक, सिडनी से लेकर तंजानिया तक, इटली से लेकर बीजिंग तक के निवासियों ने न सिर्फ योग शिविरों में हिस्सा लिया बल्कि भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत को सही साबित किया। यहां तक कि चालीस इस्लामी देश समेत करीब 192 देशों ने योग को अपना लिया।


भारतीय सभ्यता-संस्कृति का प्रसार
योग उस आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म,जैन धर्म और हिंदू धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बंधित है। योग भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया और अब तो पूरी दुनिया इस प्रक्रिया से परिचित है।

कनाडा के स्कूलों में योग
कनाडा सरकार ने अपने विद्यार्थियों को योग शिक्षा देने का निर्णय लिया है। ब्रिटिश कोलंबिया राज्य के सेंट्रल ओकानागान विद्यालय में योग की शिक्षा देना शुरू भी कर दिा गया है। ‘योग एवं अच्छा आरोग्य’ नाम से चलाई जा रही इन कक्षाओं में अभ्यास, प्रणायाम, ध्यानधारणा, योगसूत्र, संस्कृत परिभाषा, मंत्र पठन और आयुर्वेद की शिक्षा दी जा रही है।

ब्रिटेन में योग हुआ ‘पॉपुलर’
ब्रिटेन में योग शब्द को 15 सबसे ज्यादा बोले जाने वाले शब्दो में शामिल किया गया है. इससे पता चलता है कि वहां योग के लिए लोगो की दिलचस्पी बढ़ रही है। योग ने फेसबुक और ट्विटर जैसे शब्दों में अपनी जगह बनाई है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और लैंकस्टर यूनिवर्सिटी ने अपने एक अध्ययन में यह बात कही है।

योग से बढ़ रहा रोजगार
अमेरिका योग के एक बड़े बाजार के रुप में विकसित हो रहा है। इस बाजार को योग सिखाने वाले शिक्षकों की मांग देश ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बढ़ रही है। Yoga Alliance की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 76,000 रजिस्टर्ड योगशिक्षक है और इसके साथ 7000 योग के स्कूल जुड़े हुए हैं। Yoga Alliance से 2014 से 2016 के बीच 14000 नये योग शिक्षक जुड़े।

हर वर्ष 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी
एसोचैम की जून 2015 की रिपोर्ट के अनुसार देश में योग की मांग आने वाले वर्षों में 30-40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है। जबकि एसोचैम की जून 2016 की रिपोर्ट के अनुसार कॉरपोरेट जगत से योग सीखने वाले लोगों में 35-40 प्रतिशत की वृद्धि 2016 में हुई । यही वृद्धि 2015 में 20 प्रतिशत ही रही थी। एसोचैम की इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि योग की शिक्षा देने वालों की मांग 30-35 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है।

शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर काम
योग के लिए योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए Quality Council Of India के तहत अभियान चल रहा है। इसके तहत बाहर और देश में योग के शिक्षकों की योग्यता को परख कर Certificate दिया जा रहा है। देश से बाहर योग सिखाने जाने वालों के लिए QCI का प्रमाणपत्र आवश्यक कर दिया गया है।


योग और आयुर्वेद उत्पादों का बढ़ता बाजार
जैसे-जैसे योग का प्रचार-प्रसार हुआ यह बाजार की भी मांग हो गया। योग के बाजार में आयुर्वेदिक उत्पादों की भी मांग बढ़ रही है। भारत के आयुर्वेदिक पदार्थों की मांग सबसे अधिक पश्चिमी यूरोप, रुस, अमेरिका, कजाकिस्तान, यूएई, नेपाल, यूक्रेन, जापान, फिलीपींस और केन्या जैसे देशों में सबसे ज्यादा है।
एक अनुमान के अनुसार विश्व में आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों का 2015 में 83 बिलियन यूएस डॉलर का व्यापार हुआ जो 2020 तक 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर तक हो जाएगा।

  • बाबा रामदेव की पंतजलि का 31 मार्च 2017 तक 10, 561 करोड़ रुपये का व्यापार रहा ।
  • मेक इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में ‘स्वस्थ रहने’ के उद्योग का भारत में बाजार लगभग 49,000 करोड़ रुपये का रहा।
  • इसी तरह से विश्व में ‘स्वस्थ रहने’ के उद्योग का बाजार 80 बिलियन डालर का रहा।
  • Yog Alliance की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में अमेरिका में 3 करोड़ 60 लाख लोग योग से स्वस्थ रहने के तरीकों को अपना रहे हैं।
  • Yog Alliance रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत अमेरिकी योग के बारे में जानते हैं, जबकि 2012 में 70 प्रतिशत को ही इसके बारे में जानकारी थी।
  • 2016 में योग सीखने वालों ने अमेरिका में 16 बिलियन डॉलर मात्र योग से जुडे सामानों जैसे कपड़े, मैट और योग सीखने के लिए खर्च किये। 2012 से इसमें 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • अमेरिका में योग के बाजार की कुल कीमत लगभग 27 बिलियन डॉलर है। 2012 की तुलना में यह 76 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है
  • आयुर्वेदिक उत्पादों के विकास के लिए शोध के लिए एम्स जैसे संस्थानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

   लाइफस्टाइल से बढ़ती बीमारियां

  • देश का एक बड़ा खर्च और नुकसान स्वास्थ्य को लेकर है। अगर योग को हम सही ढंग से लागू कर पाएं तो बड़ी बचत हो सकती है। वर्तमान आर्थिक तंत्र , तकनीक के विकास और शहरीकरण के दौर का प्रभाव लोगों के जीवन में बढ़ते तनाव के रूप में दिख रहा है। तनाव ही कई प्रकार की ‘लाइफस्टाइल’ बिमारियां जैसे ह्दय रोग, मधुमेह, उच्चरक्तचाप, उदर की बिमारियां बढ़ रही है।
  • ऐसोचैम ने अपनी जून 2016 की रिपोर्ट में बताया है कि कॉरपोरेट जगत के 60-से 65 प्रतिशत अधिकारी तनाव से जुड़ी हुई बिमारियों से ग्रसित हैं।
  • इस तनाव से दूर रहने के लिए देश में ही नहीं विश्व में भी लोग जिम, नृत्य, संगीत,सफारी, खेल, योग आदि तरीकों को अपना रहे हैं।
  • इससे ‘स्वस्थ रहने’ का एक बड़ा बाजार तैयार हो रहा है, और इस बाजार की मांग को पूरा करने के लिए उद्योग बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है।

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