सुप्रीम कोर्ट ने केरल लव जिहाद मामले की जांच NIA से कराने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस रविन्द्रन के सुपरविजन में NIA ये पता लगाएगी कि क्या दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS भारत में लव जेहाद की साजिश रच रहा है। NIA की टीम ये भी जांच करेगी कि क्या ISIS हिंदुस्तान की हिंदू और ईसाई लड़कियों को मुसलमान बनाने के बाद सीरिया बुलवाकर आतंकवादी बना रहा है। दरअसल केरल में लव जिहाद के नाम से मशहूर केस की अहमियत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले को सुना और फिर केस देखने के बाद जांच एनआईए से करवाने का निर्देश दिया। लेकिन देश के तथाकथित सेक्युलर जमात को मिर्ची लग गई है। अब तो ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी कठघरे में रखने की हिमाकत करने लगे हैं।
Whats a love jihad” case? Under what law is marrying across faiths, or religious conversion a crime. NIA was set up to investigate terrorism https://t.co/NUBjMOeSYX
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) August 16, 2017
No SIT on 60 dead children but an NIA probe into an inter-faith marriage between 2 consenting adults! Darling, yeh hai India
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) August 17, 2017
Ye hai new india https://t.co/QSdhHiHMFu
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) August 17, 2017
When the jobs are at its all time low- all we see on the prime time news debates these days is “Love Jihad”. Really- This is #NewIndia
— Sadhavi Khosla (@sadhavi) August 17, 2017
Women in India adopt husband’s name & home on marrying. But if a Hindu woman adopts her husband’s religion, it requires an NIA probe?! Shame
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) August 17, 2017
तथाकथित सेक्युलर जमात की ‘दोगली’ नीति
तथाकथित सेक्युलर जमात की तरफ से कोर्ट को कठघरे में खड़ा करने की ये कैसी कोशिश है? क्या कोर्ट को भी ये जमात मोदी का समर्थक मानने लगी है? क्या ये जमात किसी संवेदनशील मुद्दे को भी मोदी विरोध के ताराजू पर तौलती है? वास्तविकता यही है कि तथाकथित सेक्युलर जमात पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे नरसंहार-अत्याचार पर नहीं बोलती। ये जमात लाखों हिंदुओं को कश्मीर से भगा देने, हिंदू महिलाओं से बलात्कार करने वाले मुसलमानों के विरुद्ध नहीं बोलती। ये तथाकथित बुद्धिजीवी तब भी नहीं बोलते जब हिंदुओं की सरेआम लिंचिंग की जाती है, चाहे वह कर्नाटक हो या केरल में। आखिर क्यों? दरअसल लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान के तहत मिले अधिकारों का बेजा इस्तेमाल करती है ये सेक्युलर जमात। इस जमात को यह क्यों नहीं लगता कि अगर कोर्ट ने ऐसी कोई जांच बिठाई है तो वाकई में यह गंभीर मामला है?
ये है लव जिहाद मामला
केरल के कोट्टयम जिले के वाइकॉम में रहने वाली 24 साल की हिंदू लड़की अखिला का निकाह मुस्लिम युवक शफीन जहां के साथ हुआ। अखिला के पिता के एम केशवन ने इस निकाह का विरोध करते हुए केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। के एम केशवन ने आरोप लगाया कि शफीन जहां ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर पहले धर्म परिवर्तन कराया और फिर शादी करने के बाद ISIS में शामिल होने के लिए दबाव डाला। लड़की के पिता केशवन ने कोर्ट से शादी तोड़ने की मांग की थी।
हाई कोर्ट ने दिया आदेश
केरल हाई कोर्ट ने पिता की दलील पर गौर करने के बाद 25 मई को हिंदू महिला हादिया (अखिला) का निकाह रद्द कर दिया था। केरल हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेंद्र मोहन और जस्टिस अब्राहम मैथ्यू की बेंच ने उसे उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था। आरोप है कि निकाह से पहले हादिया (अखिला) को उकसाकर धर्म परिवर्तन कराया गया। साथ ही आरोप ये भी है कि महिला को आईएस ने सीरिया में अपने मिशन में भर्ती किया था और उसका पति शफी जहां मोहरा था। युवती के पिता के एम अशोकन का आरोप था कि राज्य में इस्लामिक कट्टरता और धर्मांतरण का एक रैकेट काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा केस
हादिया (अखिला) के पति शफी जहां ने पत्नी को वापस पाने के लिए हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। लेकिन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की- ”जिस तरह इंटरनेट गेम ब्लू व्हेल में किसी लड़के या लड़की को टास्क दिए जाते हैं और अंत में उसे आत्महत्या करना होती है, उसी तरह आजकल किसी को भी खास मकसद के लिए राजी करना आसान हो गया है।” सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने युवक शफी जहां की अपील पर जांच का आदेश दिया। हालांकि अखिला ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम धर्म कबूल किया है।
कोर्ट ने माना होता है ‘लव जिहाद’!
सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच NIA को सौंप दी लेकिन ऐसा ये अकेला केस नहीं हैं। केरल में पिछले दस साल के दौरान करीब दस हजार लड़कियों ने धर्म परिवर्तन किया। केरल हाईकोर्ट ने भी आशंका जताई है कि ISIS के इशारे पर लव जिहाद के जरिए लड़कियों को फंसा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। उनका ब्रेनबॉश करके उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर भेजा जा रहा है। अब जब सवाल आया कि क्या लव जिहाद होता है भी है या नहीं? लव जिहाद के बारे में लंबी बहस है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यहां तक कि शुरुआत में इसे सिरे से नकारने वाली कांग्रेस ने भी बाद में कहा लव जिहाद होता है।
ओमन चांडी ने रखे थे तथ्य
25 जून 2014 को मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि 2667 युवतियां 2006 से लेकर अब तक प्रेम विवाह के बाद इस्लाम कबूल कर चुकी हैं। वहीं केरला कैथोलिक बिशप काउंसिल ने इससे पहले 2009 में ये आंकड़ा 4500 बताया था। इसके अलावा एक अन्य संस्था ने कर्नाटक में 30 हजार लड़कियों के लव जिहाद की शिकार होने की बात कही थी। अक्टूबर 2009 में तत्कालीन कर्नाटक सरकार ने लव जिहाद को एक गंभीर मुद्दा माना और इसकी CID जांच के आदेश दिए। तत्कालीन डीजीपी जेकब पुनूज ने कहा था जांच में कई मामले आए, लेकिन लड़कियां यही कहती हैं कि वो अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल रही हैं।
केरल हाई कोर्ट ने जताई थी चिंता
9 दिसंबर 2009 को केरल हाइकोर्ट के जस्टिस के टी. शंकरन ने लव जिहाद के मामले में पकड़े गए दो मुस्लिम युवाओं की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पुलिस रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है कि 3 से 4 हजार लड़िकयों के साथ इसी तरह के प्रेम संबंधों के मामले पिछले तीन-चार सालों में आ चुके हैं। उन्होंने ये भी बताया था कि जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने के भी मामले मिलते हैं। ये भी पाया गया है कि धोखे में रखकर इन लड़कियों से ये संबंध बनाए गए। कोर्ट ने कहा था कि हजारों लड़कियों के इस तरह धर्म परिवर्तन की बात सामने आती है, लेकिन ये साबित नहीं हो पा रहा है कि ये ऑर्गेनाइज्ड तरीके से किया गया काम है।
वी एस अच्युतानंदन ने जताई थी आशंका
टाइम्स ऑफ इंडिया की 26 जुलाई 2010 को प्रकाशित एक खबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्यूतानंदन ने भी इस विषय पर चिंता जताई थी। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पॉपूलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कैंपस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रह हैं। 20 वर्षों में केरल का इस्लामीकरण करने का प्लान बना रहे हैं। वो तालिबान के अंदाज में कॉलेजों में हमला कर सकता है।
केरल सरकार ने भी जताई थी चिंता
लव जिहाद के अधिकतर मामले केरल और दक्षिण भारत मे सामने आए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी इसके पैर पसारने की खबर आई। हालांकि केरल की कई सरकारों ने (कांग्रेस और सीपीएम दोनों ने) बकायदा इस पर अपने निर्णय भी दे दिए हैं कि अब ऐसी घटनाओं को रोकने मे सरकार भी मदद करेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में हर हिन्दू और गैर मुस्लिम परिवार की पूरी सहायता की जाएगी। इतना ही नहीं केरल सरकार ने ये भी वादा किया था कि ऐसी घटनाओं की जांच सीआईडी द्वारा कराई जाएगी ।
ये होता है लव जिहाद
जानकारों को अनुसार हिन्दू लड़की या गैर मुस्लिम लड़कियों को अपने नकली प्यार मे फंसा कर धर्मांतरित करना ही इस जिहाद का मूल उद्देश्य है। इस षडयंत्र के माध्यम से हिंदू महिलाओं को मुस्लिमों की आबादी बढ़ाने के उपयोग के लिए मजबूर किया जाता है। दरअसल यह इस्लामिस्ट कट्टरपंथी जमात भारत को दारुल हरब यानि काफिरों का देश मानता है और इसे दारुल इस्लाम यानि मुसलमानों के देश में परिवर्तित करने की योजना पर काम कर रहा है जिसका एक बड़ा हथियार लव जिहाद भी है।
ऐसे किया जाता है लव जिहाद
ये भी आरोप कई संगठनों की तरफ से लगाए गए कि हाथ में कलावा और सिर पर तिलक लगाकर लव जिहादी दूसरे धर्म का होने का छलावा करते हैं। इन्हें बाइक और पैसा दिया जाता है ताकि ये लड़कियों को अपने जाल में फंसा सके। ये स्कूल-कॉलेज के इर्द-गिर्द मंडराते हैं और इन्हें इसके लिए पैसा भी दिया जाता है। बीते साल कोझीकोड लॉ कॉलेज से जहांगीर रजाक नाम के एक लव जिहादी ने 42 लड़कियों की अकेले ही फंसा लिया और उन सब को मिलाकर एक सेक्स रैकेट चलाने लगा। ऐसी ही एक लड़की थी गीता। दिल्ली की रहने वाली इस लड़की को जैसे ही पता चला कि उसका ब्वॉयफ्रेंड विशाल दरअसल मोहम्मद एजाज है, तो उसने मौत को गले लगा लिया।
अरब देशों से होती है फंडिंग
ऐसा माना जाता है कि लव-जिहाद अभियान अरब देशों द्वारा वित्त पोषित है। एक सऊदी अरब स्थित संगठन, भारतीय भाईचारे के तहत भारत आता है पर ये सब काम हवाला द्वारा चलाया जाता है। हिंदू लड़कियां जो गांवों से शहर के लिए चले गए वो आसान शिकार हो जाते हैं। कहा तो ये भी जाता है कि ऐसे लोग किसी लड़की के पीछे दो से तीन हफ्ते का समय देते हैं और यदि लड़की उनके जाल में नहीं फंसती है, तो वो दूसरे शिकार की तरफ निकल पड़ते हैं। इन बातों की सत्यता के लिए निष्पक्ष जांच और उन जांच नतीजों का सामने आना जरूरी है।