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मोदी सरकार में अच्छे दिन: एक साल में 8.6 % बढ़कर 1.13 लाख रुपये हुई प्रति व्यक्ति आय

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सिर्फ देश ही तरक्की नहीं कर रहा है, बल्कि देश के हर नागरिक की आर्थिक उन्नति हो रही है। आंकड़े गवाह हैं कि देश में निराशा का वातावरण खत्म हो गया है और उमंग-उत्साह का माहौल तैयार हुआ है। मोदी सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,12,835 रुपये प्रतिवर्ष पहुंच गई है। पिछले वर्ष की प्रति व्यक्ति आय 1,03,870 रुपये की तुलना में यह 8.6 प्रतिशत अधिक है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी वार्षिक आय के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक ‘‘2017-18 में वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,12,835 रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े 1,03,870 रुपये की तुलना में यह 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।’’ प्रति व्यक्ति आय को देश में समृद्धि का प्राथमिक संकेतक माना जाता है। आधार वर्ष 2011-12 के स्थिर मूल्यों की यदि बात की जाये तो वास्तविक आधार पर 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय 5.4 प्रतिशत बढ़कर 86,668 रुपये रही, जो 2016-17 में 82,229 रुपये पर थी।
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान कीमत पर 2017-18 में देश की सकल राष्ट्रीय आय 10 प्रतिशत बढ़कर 165.87 लाख रुपये पर पहुंच गई , जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 150.77 लाख रुपये थी।

मोदी सरकार के कदमों से जीवन बना आसान, आय के श्रोत बढ़े
26 मई को मोदी सरकार के चार साल पूरे हो गए  इन चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे आम लोगों का जीवन आसान बना है। रोजमर्रा के जीवन में असर डालने वाले इन फैसलों पर हालांकि अधिकतर लोगों का ध्यान नहीं जाता है, लेकिन इन फैसलों से सभी को बहुत सहूलियत हुई है। नौकरियों में स्वप्रमाणित सर्टिफिकेट को मान्यता, सरकारी की तरफ से आर्थिक मदद और सब्सिडी का सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर, मुफ्त में बिजली और गैस कनेक्शन, बिना मतलब के सैकड़ों कानूनों को खत्म करने जैसे कई फैसले हैं, जो कदम-कदम पर लोगों को होने वाली मुश्लिकों को कम कर रहे हैं और आय के नए स्रोत भी बना रहे हैं। डालते हैं मोदी सरकार के उन कदमों पर नजर, जिनसे आम भारतीयों का जीवन आसान हुआ है और उनकी इनकम भी बढ़ी है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
युवाओं में स्वरोजगार बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की थी। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई है। इस योजना के तहत 12,78,08,464 लाभार्थियों को 5,93,841करोड़ रुपये का ऋण दिया जा चुका है। सबसे खास बात यह है कि मुद्रा योजना के तहत लाभ पाने वालों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। यानी इस योजना के माध्यम से 8 करोड़ से अधिक महिलाओं ने अपना उद्यम शुरू किया है।

गरीबों को जन-धन खातों के जरिए बैंकों से जोड़ा
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत मोदी सरकार ने आजादी के इतना वर्षों बाद बैंकिंग व्यवस्था के दूर रहने वाले करोड़ों को इससे जोड़ा। इस योजना के तहत 18 मई, 2018 तक 31.60 करोड़ जन-धन खाते खोले जा चुके हैं और इन खातों में 81,203 करोड़ रुपयों से अधिक रकम जमा है।

डीबीटी से रुका भ्रष्टाचार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी योजना का दायरा बढ़ाया। मोदी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, खाद्य सब्सिडी, फर्टिलाइजर सब्सिडी समेत कई सरकारी योजनाओं के तहत लोगों को मिलने वाली आर्थिक मदद को अब सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है और करोड़ों फर्जी लाभार्थी गायब हो गए हैं। पहले सिर्फ 28 योजनाएं डीबीटी से जुड़ी थीं, अब 433 सरकारी योजनाएं डीबीटी से जुड़ी हैं। मार्च, 2018 केंद्र सरकार ने डीबीटी के जरिए रिकॉर्ड 83,000 करोड़ रुपये बचाए हैं।

मुफ्त गैस कनेक्शन
मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र खासकर महिलाओं की जिंदगी बदलने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लॉन्च की। इस योजना के तहत केंद्र सरकार ग्रमीण परिवारों को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन और गैस का चूल्हा उपलब्ध कराती है। सरकार अब तक 3,95,77,000 मुफ्त एलपीजी कनेक्श दे चुकी है। सरकार ने इस योजना के तहत 2020 तक 8 करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पहले यह लक्ष्य 2019 तक 5 करोड़ गैस कनेक्शन देने का था।

मुफ्त बिजली कनेक्शन
देश के 4 करोड़ घरों आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। मोदी सरकार ने सौभाग्य योजना के तहत अंधेरे में रहने को मजबूर 4 करोड़ परिवारों को 31 मार्च, 2019 तक मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक 58,56,584 घरों में बिजली कनेक्शन दिया जा चुका है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जोरशोर से काम चल रहा है। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने 18000 गांवों में बिजली पहुंचाने का भी काम किया है और अब देश का एक भी गांव बिना बिजली का नहीं है।

स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोदी सरकार ने देशभर में स्वच्छता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब देश की बागड़ोर संभाली थी तब देश में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा करीब 40 फीसदी था, जो अब बढ़कर 80 प्रतिशत से अधिक हो गया है। 2 अक्टूबर, 2014 के बाद से अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में 7,21,62,000 से अधिक शौचालयों को निर्माण हो चुका है। इतना ही नहीं 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है। देश में अब तक कुल 385 जिलों और 3,61,693 गांवों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

नीम कोटेड यूरिया
खेती के लिए यूरिया आवश्यक है, लेकिन पहले यूरिया की कालाबाजी होती थी इससे किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाती थी और उन्होंने इसके लिए भारी परेशानी होती थी। मोदी सरकार ने नीम कोटेड यूरिया लाने का फैसला किया। इस फैसले ने किसानों की सबसे बड़ी परेशानी को खत्म कर दिया है। अब नीम कोटेड यूरिया की कालाबाजारी नहीं हो सकती है, साथ ही इसकी सब्सिडी की रकम भी सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।

एमएसपी को डेढ़ गुना किया
मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है। इसी के मद्देनजर मोदी सरकार ने एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने का फैसला लिया है। इसके तहत किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य उपलब्ध कराया जा रहा है। इस फैसले से देशभर के करोड़ों किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

मैटर्निटी लीव बढ़ाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कामकाजी महिलाओं को बढ़ी राहत दी है। सरकार ने मैटर्निटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया। इतना ही नहीं 50 से अधिक कर्मचारियों वाले दफ्तर में कैच रखना भी अनिवार्य किया गया है, ताकि महिला कर्मचारी अपने बच्चों को साथ में रख सकें।

स्वप्रमाणित सर्टिफिकेट
मोदी सरकार ने सरकारी नौकरियों या शिक्षण संस्थाओं में एडमीशन के वक्त किसी गैजटेड अधिकारी से सत्यापित प्रमाणपत्रों के नियम को खत्म किया। सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने स्वप्रमाणित यानी सेल्फ अटेस्टेड सर्टिफिकेट को मान्यता देने का नियम बनाया। केंद्र सरकार के इस फैसले से युवाओं और छात्रों की बहुत बड़ी परेशानी खत्म हो गई।

ग्रुप सी और ग्रुप डी में इंटरव्यू खत्म किया
मोदी सरकार ने ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों में साक्षात्कार की बाध्यता को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला किया। इस निर्णय के बाद ग्रुप सी और ग्रुप डी की सरकारी नौकरियों में सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया और इंटरव्यू के दौरान भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी खत्म हो गईं।

बेकार के कानून खत्म किए
मोदी सरकार ने एक और बहुत बड़ा काम किया है, वह बेकार के कानूनों को खत्म करना। मोदी सरकार ने कुल 1827 ऐसे कानूनों की पहचान की है, जिनका आज के माहौल में कोई मतलब नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि केंद्र सरकार 1175 ऐसे कानूनों को खत्म कर चुकी है और बाकी कानूनों को भी खत्म करने की प्रक्रिया चल रही है।

देश में अब रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं और युवाओं को अपनी मनचाही नौकरी मिल रही है। एक नजर डालते हैं उन क्षेत्रों में जहां नौकरियां मिल रही हैं और मोदी सरकार के उन कदमों पर जिनकी वजह से यह बदलाव हो रहा है।

मोदी राज में बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसर, साल के अंत तक ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में लाखों नौकरियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की ओर अग्रसर है। एक तरफ जहां अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश प्रतिदिन नए मुकाम हासिल कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर भी मिल रहे हैं। वैश्विक स्टाफिंग रिपोर्ट के अनुसार भारत के फ्लेक्सी स्टाफिंग बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार बीएसफएसआई, ई-कॉमर्स, खुदरा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में इस साल के अंत तक 10 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) के अनुसार वाहन, खुदरा और ई-कॉमर्स और बुनियादी ढांचा उन शीर्ष 15 क्षेत्रों में शामिल हैं, जिसमें 81 प्रतिशत औपचारिक क्षेत्रबल कार्यरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऑटोमेशन और इनोवेशन की वजह से कार्य प्रकृति बदल रही है। देश के स्टाफिंग बाजार का आकार 3.6 अरब यूरो का है।

मार्च तक सात महीने में 39 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रोजगार के मोर्चे पर बेहतरीन काम कर रही है। मोदी सरकारी की नीतियों का ही असर है कि संगठित क्षेत्र में नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ताजा रोजगार आंकड़ों के अनुसार मार्च तक समाप्त सात महीने की अवधि में 39.36 लाख नए रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। इन आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ मार्च महीने में ही 6.13 लाख नए रोजगार का सृजन हुआ है। यह फरवरी की तुलना में अधिक है, फरवरी में 5.89 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा हुए थे।

ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार इनमें से आधी नौकरियां एक्सपर्ट सर्विस सेगमेंट में सभी आयु वर्ग में पैदा हुईं हैं। जिन क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से रोजगार पैदा हुए उनमें इलेक्ट्रिक, मेकेनिकल इंजीनियरिंग, भवन एवं निर्माण उद्योग, ट्रेडिंग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और टेक्सटाइल सेक्टर शामिल हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि संगठित क्षेत्र में जो रोजगार सृजित हुए उनमें से आधी नौकरियां महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में पैदा हुईं हैं। ईपीएफओ द्वारा रोजगार आंकड़ों का पहला सेट पिछले महीने जारी किया गया था।

अनुभवी कर्मचारियों के लिए नौकरियों की कमी नहीं –सर्वे
जीनियस कंसल्टेंट लिमिटेड के एक सर्वे में सामने आया है कि विभिन्न उद्योगों से जुड़ीं शीर्ष कंपनियों के चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों की संख्या में 15 प्रतिशत की वृद्धि करने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि 42 प्रतिशत कंपनियों के अपने कर्मचारियों की संख्या में एक से 15 प्रतिशत के बीच वृद्धि करने का अनुमान है। सर्वेक्षण में सीमंस इंडिया , मारुति सुजुकी , भारती एयरटेल , बार्कले , ग्लैक्सो , एडेलवाइस , शापोरजी एंड पल्लोनजी जैसी 881 कंपनियों को शामिल किया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2018-19 में पुरुष और महिलाओं की भर्ती आंकड़ा 57.77 प्रतिशत और 42.23 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। करीब 21 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि जॉब पोर्टल बड़े पैमाने पर उम्मीदवारों की आपूर्ति करेंगी। वहीं , 35.17 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि 2018-19 में नई नौकरियों के सबसे ज्यादा अवसर एक से पांच वर्ष तक के अनुभव वाले लोगों को मिलेंगे।

टेलिकॉम सेक्टर में बहार, मिलेंगे नौकरियों के लाखों अवसर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जहां एक तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है, वहीं केंद्र की नीतियों की वजह से टेलिकॉम सेक्टर में वृद्धि देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक दूरसंचार क्षेत्र जिस रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहा है, उससे आने वाले दो-तीन वर्षों में इस सेक्टर में रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 तक इस क्षेत्र में लगभग 9 लाख स्किल्ड युवाओं के लिए नौकरी के अवसर पैदा होंगे।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार ‘टेलिकॉम मंथन 2018’ में टेलिकॉम सेक्टर के विशेषज्ञों ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र को लेकर सकारात्मक राय व्यक्त की है। सेमिनार के दौरान टेलिकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ ले.ज. डॉ एसपी कोचर ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की देश के विकास में अहम भूमिका है और वर्ष 2018 भारत के दूरसंचार उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष है, क्योंकि इस क्षेत्र में नई चुनौतियां और अवसर होंगे। श्री कोचर के मुताबिक दूरसंचार क्षेत्र में नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, जिसके लिए डिजिटल युग में कुशल जनशक्ति की आवश्यकता होगी। अनुमान है कि 2021 तक इस क्षेत्र में लगभग 8,70,000 लोगों के लिए नौकरी के नए रास्ते खुलेंगे।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में सृजित होंगी लाखों नौकरियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोर हमेशा ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों को विकसित करने पर रहा है। सौर ऊर्जा और विंड एनर्जी के क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए मोदी सरकार ने कई नीतिगत फैसले लिए हैं। इन्हीं फैसलों का असर है कि अब भविष्य में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र लाखों युवाओं को रोजगार देने में सक्षम होंगे। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईओएल) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए आने वाले दिनों में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आईओएल का कहना है कि 2030 तक भारत समेत दुनिया भर में करीब 2.4 करोड़ नए पद सृजित होंगे। रिपोर्ट में ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद और नेशनल रिसोर्सज डिफेंस काउंसिल के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों, डेवलपरों और विनिर्माताओं के सर्वेक्षण के आधार पर भारत में सौर तथा पवन ऊर्जा क्षेत्र में तीन लाख से अधिक श्रमिकों की नियुक्ति होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लक्ष्य को पूरा करने के लिए पवन ऊर्जा परियोजनाओं और सौर ऊर्जा के कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाना होगा।

अगले तीन साल में पैदा होंगे एक करोड़ रोजगार के अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रोजगार के क्षेत्र में रोज नए अवसर खुल रहे हैं और आने वाले दिनों में ये मौके और बढ़ेंगे। स्टाफिंग फर्म टीमलीज सर्विसेज की हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में आने वाले तीन साल में बिक्री कारोबार के क्षेत्र में एक करोड़ रोजगार सृजित हो सकते हैं। फर्म की कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा है कि श्रम कानूनों में सुधार सहित विभिन्न नियामकीय सुधारों को आगे बढ़ाकर हम अगले तीन साल में बिक्री करने के काम में एक करोड़ नौकरियां सृजित कर सकते हैं। यह भारत के लिए एक अवसर है, जो कि इस समय अहम जनसांख्यकीय मोड़ पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण, मध्यम वर्ग के विस्तार, खुलकर खर्च करने वाली युवा पीढ़ी तथा सरकार की जीएसटी जैसी पहलों से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

2017-18 में 67 लाख नौकरियों का सृजन: SBI का आकलन
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की टीम के एक अध्ययन के अनुसार पिछले वित्त वर्ष यानि 2017-18 में देश में करीब 67 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं। यह आकलन SBI के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. सौम्या कान्ति घोष की टीम के सर्वेक्षण से सामने आया है। आर्थिक मुद्दों पर समय-समय पर शोध प्रकाशित करने वाली SBI की टीम ने नौकरियों की यह तादाद सरकार की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), नई पेंशन स्कीम (NPS) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की तरफ से दिए गए आंकड़ों के आधार पर ही निकाला है।

आंकड़े नकारात्मकता फैलाने वालों को खामोश करने वाले
गौर करने वाली बात है कि SBI के डॉ. घोष की टीम ने जब वित्त वर्ष 2018 में 70 लाख नई नौकरियों के सृजित होने का अनुमान लगाया था तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं और कुछ अर्थशास्त्रियों को यह हजम नहीं हो रहा था। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी सरकार का मजाक उड़ाया था। मोदी सरकार में रोजगार के लिए बन रहे स्थायी माहौल से नौकरियां की संख्या ने अनुमानित लक्ष्य के पास पहुंचकर हर सकारात्मक पहलुओं पर नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले राजनेताओं और अर्थशास्त्रियों को खामोश कर दिया है।

मौजूदा वित्त वर्ष में भी रोजगार के लाखों नए अवसर
रोजगार के हिसाब से मौजूदा वित्त वर्ष में भी नौकरियों की बहार बनी रहेगी। रिक्रूटमेंट कंपनी माइकल पेज ने इंडिया सैलरी बेंचमार्क 2018 रिपोर्ट में यह दावा किया है कि इकनॉमिक ग्रोथ तेज होने के कारण भारत में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के मेक इन इंडिया, रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की ग्रोथ तेज होने और टेक्नॉलजी का रोल बढ़ने से हायरिंग में बढ़ोतरी होगी। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, हर क्षेत्र में अच्छी लीडरशिप स्किल वाले प्रोफेशनल की मांग रहेगी। ई-कॉमर्स और इंटरनेट, एनर्जी, प्रोफेशनल सर्विसेज और केमिकल्स कंपनियां अधिक हायरिंग कर सकती हैं। 2018 में इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और ई-कॉमर्स सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी कंपनियां निवेश बढ़ा रही हैं। इनमें लोगों को आसानी से नौकरी मिलेगी। हेल्थकेयर, एफएमसीजी मैन्युफैक्चरिंग या इंडस्ट्रियल, ई-कॉमर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी रोजगार के लिहाज से टॉप इंडस्ट्रीज होंगी। इसके साथ ही सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट कंपनियों, एग्रीगेटर्स, फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियों में ऐसी स्किल रखने वालों लोगों की अच्छी मांग रहेगी।

रेलवे में नौकरियों की बहार
रेलवे में भी इन दिनों लगातार वैकेंसी निकल रही है। रेलवे जल्द ही 20 हजार और पदों पर भर्तियां करेगा। रेलवे ने 90 हजार रिक्तियों के लिए आवेदन पहले ही आमंत्रित किए थे। इस तरह कुल रिक्तियों की संख्या बढ़कर 1 लाख 10 हजार हो गई है। 20 हजार अतिरिक्त पदों के लिए अधिसूचना मई 2018 में जारी की जाएगी। आने वाले दिनों में रेलवे में और वैकेंसी आने की उम्मीद है। रेलवे में फिलहाल 2 लाख 40 हजार नॉन गेजटेड पद खाली पड़े हैं जिन पर जल्द ही भर्ती की तैयारी है।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 7-8 लाख रोजगार
Confederation of Indian Industries (CII) और ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट से यह अनुमान सामने आया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सात से आठ लाख नौकरियां निकलने जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया और मनोरंजन की सामग्रियों को लेकर रुझान काफी बढ़ा है जिसके चलते इस सेक्टर में रोजगार के अवसर काफी बढ़ने वाले हैं। CII के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा था: “डिजिटल प्लेटफॉर्म का काफी विस्तार हो रहा है और इस सेक्टर में इतने अवसर बनने जा रहे हैं जितने पहले कभी नहीं बने। विशेष रूप से रचनाकार, कथाकार और टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वालों  के लिए बहुत सारे मौके उभरेंगे।”

मेट्रो ही नहीं छोटे शहरों में भी बढ़े नौकरी के अवसर
यह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों का ही असर है कि रोजगार के अवसर सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि छोटे शहरों में नौकरी के समान अवसर पैदा हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक आठ मेट्रो शहरों में से सात में नौकरी के अवसर बढ़े हैं, इसके अलावा छोटे शहरों में नौकरियां बढ़ रही है। अगर अनुभव के आधार पर देखें तो फ्रेशर से लेकर तीन साल के एक्सपीरियेंस वाले युवाओं को 21 फीसदी ज्यादा नौकरी मिली है। वहीं 16 साल से ज्यादा तजुर्बे वाले पेशेवरों को भी 21 फीसदी ज्यादा नौकरी के मौके मिले हैं।

‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ रोजगार पैदा होंगे
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत की थी। यही वह योजना है जो रोजगार के क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत रखती है। हाल ही में नीति आयोग के महानिदेशक (डीएमईओ) और सलाहकार अनिल श्रीवास्तव ने कहा था कि ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि हम चौथे तकनीकी रेवॉल्यूशन के दौर से गुजर रहे हैं। सरकार मेक इन इंडिया के जरिए 2020 तक 10 करोड़ युवाओं को रोजगार देने के मिशन के साथ काम कर रही है।  

प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं से रोजगार के स्थायी मौके
जब भी नौकरियों की बात होती है तो सामने आता है कि युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरियां आईटी सेक्टर में मिल रही हैं, लेकिन इस बार यह ट्रेंड बदला हुआ है। इस बार आईटी सेक्टर के अलावा दूसरे क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर ज्यादा सृजित हुए हैं। यह इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा योजना, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी जो योजनाएं चलाई गई हैं, जमीनी स्तर पर उनका असर दिखने लगा है। अब देशभर में ज्यादातर सेक्टरों में एक समान तरीके से विकास हो रहा है, और युवाओं को नौकरियां भी मिल रही है। आने वाले महीनों में इन सब योजनाओं रोजगार और नौकरी के मौके बढ़ेंगे। सरकार के हर क्षेत्र में ई- क्रांति के कदम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांवों और गैर महानगरीय शहरों को नये उत्पाद और सेवा देने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है। इसी तरह पर्यटन के क्षेत्र में भी डिजिटल क्रांति ने नये बाजार खोलकर युवाओं को रोजगार के काफी अवसर दिए हैं।

राजमार्ग योजना से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार
देश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कृत-संकल्प हैं। इस संकल्प की सिद्धि के लिए वे लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिनसे सभी को रोजगार के अवसर मिलें और सबका विकास सुनिश्चित हो सके। इसी को ध्यान में रखते हुए, 83 हजार किलोमीटर के राजमार्गों के निर्माण और चौड़ीकरण की योजना को लागू करने के लिए 7 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई । इस योजना के साथ 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार युवाओं को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में राजमार्गों के निर्माण कार्यों में तेजी आई है। आज राजमार्ग के साथ-साथ रोजगार के भी अवसरों की भरमार है।

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