Home तीन साल बेमिसाल पीएम मोदी ने युवाओं का कौशल बुना, रोजगार बढ़े कई गुना

पीएम मोदी ने युवाओं का कौशल बुना, रोजगार बढ़े कई गुना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले जब देश की बागडोर संभाली तो उन्हें पता था कि देश का सारा दारोमदार युवाशक्ति पर टिका है। देश में काम करने वाले लोगों में युवा बहुसंख्या में हैं और ये संख्या अगले कई और दशकों तक लगातार बढ़ती रहने वाली है। उन्होंने महसूस किया कि भारतीय युवाओं में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, अगर किसी बात की आवश्यकता है तो उस टैलेंट को एक दिशा देने की। इसके लिए उन्होंने देश की टैलेंटेड युवा शक्ति के कौशल विकास का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये दूर्दर्शी सोच रंग लाने लगी है। लाखों-लाख की तादाद में युवा अपने मनचाहे क्षेत्र में ट्रेनिंग लेकर देश की तरक्की के योगदान में जुट गए हैं, जिसपर न्यू इंडिया के निर्माण की नींव खड़ी हो रही है।

कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय
देश में चुनौतियों की भरमार है। भारत में 54 प्रतिशत लोग 25 साल से कम उम्र के हैं। जबकि 62 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कामकाजी उम्र के लोगों की है। जानकारी के अनुसार 2022 तक देश में सभी 24 महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में 10.9 करोड़ से अधिक मानव संसाधनों की आवश्यक्ता होगी। यानि आवश्यकता और उपलब्ध मानव संसाधनों के बीच अगर सही तालमेल न रखा गया तो देश आर्थिक और सामाजिक विकास की दौर में पिछड़ सकता है। इसी सोच के साथ मई 2014 में सरकार बनते ही अलग से इसके लिए एक मंत्रालय का गठन कर दिया गया। इसके लिए देश भर में 21 मंत्रालयों और 29 राज्यों में चल रहे 70 से ज्यादा कौशल विकास कार्यक्रम को इसी मंत्रालय के अंदर ले आया गया।

कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय नीति
देश में उपलब्ध कौशल को उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम में बदलने के लिए 2015 में पहली बार एक राष्ट्रीय नीति बनाई गई। देश में कौशल विकास और उद्यमशीलता को लेकर इससे पहले कभी कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई थी। यानि सरकार ने इस क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ कदम बढ़ाना शुरू किया और उसी का नतीजा है कि देश की युवाशक्ति आज जिस क्षेत्र में भी जा रही है उस क्षेत्र का कायापलट होता जा रहा है।

भारतीय कौशल संस्‍थान
युवाओं को अधिक रोजगार पाने योग्‍य एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए 19 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में देश के पहले ‘भारतीय कौशल संस्‍थान’ की आधारशिला रखी। इस संस्‍थान का विचार प्रधानमंत्री के सिंगापुर के इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍निकल एजुकेशन की यात्रा के दौरान पैदा हुआ था। यह संस्‍थान प्रशिक्षण के सिंगापुर मॉडल से प्रेरित है और उसी के साथ साझेदारी में बनाने का फैसला हुआ। देश में ऐसे 6 संस्‍थान खोलने की योजना है।

भारतीय कौशल विकास सेवा
यही नहीं भारत सरकार ने 4 जनवरी 2017 को भारतीय कौशल विकास सेवा (ISDS) की स्‍थापना भी कर दी है। ISDS ग्रुप A की सेवा है, जिसके लिए UPSCअभियांत्रिकी सेवा परीक्षा के माध्‍यम से चयन करेगा। यह सेवा युवा और प्रतिभाशाली प्रशासकों को कौशल विकास की दिशा में आकर्षित करने का काम करेगा। ये ऑल इंडिया सर्विस है जिसमें 263 पद होंगे। इस सेवा में तीन पद वरिष्‍ठ प्रशासनिक ग्रेड के, 28 पद कनिष्‍ठ प्रशासनिक ग्रेड के, 120 पद वरिष्‍ठ टाइम स्केल और 112 पद कनिष्‍ठ टाइम स्‍केल के होंगे। जबकि राष्‍ट्रीय कौशल विकास संस्‍थान में इसके अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 2022 तक 50 करोड़ लोगों को कुशल बनाने के लक्ष्‍य को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
इस योजना के तहत 2016 से 2020 के दौरान एक करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई है। 13 मई 2017 के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत 55,70,476 लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है, जबकि 23,88,09 लोग ट्रेनिंग लेकर प्लेसमेंट भी पा चुके हैं। ये प्रशिक्षण देशभर में फैले 3,222 सेंटर में दिए जा रहे हैं। प्रशिक्षुओं को वित्तीय सहायता, यात्रा भत्ता, आवास और भोजन की लागत के रूप में दी जा रही है।


अंतर्राष्‍ट्रीय कौशल मानकों की शुरुआत
‘मेक इन इंडिया’और ‘स्किल इंडिया’ जैसे मोदी सरकार के दो महत्वपूर्ण पहल को वैश्विक स्‍तर पर स्‍वीकार्य कौशल मानकों के अनुरूप बनाने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय कौशल मानकों को भी लागू किया गया है। कौशल विकास से जुड़े ये मानक सभी 82 चिन्हित रोजगारों के मामले में ब्रिटिश बेंचमार्क के अनुरूप हैं। ब्रिटिश मानकों का चयन इसलिए किया गया है क्‍योंकि खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सभी सदस्‍य देश ब्रिटिश कौशल प्रमाण-पत्र को ही मान्‍यता देते हैं। इसके लिए जिन रोजगारों को चुना गया है उनमें, ऑटोमोटिव, कृषि, जीवन विज्ञान, स्‍वास्‍थ्‍य, रक्षा, पूंजीगत सामान, परिधान, कपड़ा, सौंदर्य एवं वेलनेस, दूरसंचार, आतिथ्य, आईटी एवं आईटी आधारित सेवाएं, निर्माण, खुदरा, इलेक्ट्रॉनिक और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों से यह पता चले सकेगा कि भारतीय मानकों और ब्रिटिश मानकों के बीच क्या अंतर है? और इस अंतर को पाटने के लिए ‘ब्रिज ट्रेनिंग’दी जा रही है।

राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना की औपचारिक शुरुआत की। इसके तहत प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन दी जाती है। योजना की कुल लागत 10,000 करोड़ रुपये है और 2019-2020 तक 50 लाख लोगों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है। इसमें एक प्रशिक्षु को दिए जाने वाले कुल वजीफे (Stipend) का 25 प्रतिशत (अधिकतम 1500 रु.) प्रति महीने भारत सरकार सीधे उनके नियोक्ताओं को देती है।

प्रधानमंत्री युवा योजना
युवाओं में उद्यशीलता के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए मंत्रालय की ओर से ये योजना चलाई जा रही है। पांच साल (2016-17 से 2020-21 तक) में 499.94 करोड़ की परियोजना लागत से यह योजना 3050 संस्थानों के माध्यम से 7 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को उद्यमशीलता शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी। उद्यमशीलता शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए दो समर्पित संस्थानों – NIESBUD और III ने उद्यमिता कौशल के क्षेत्र में 125 से अधिक देशों के 2,600 व्यक्तियों समेत 7 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है। अब ये दोनों संस्थान देश भर में उभरते उद्यमियों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री युवा योजना के अधीन उच्च शिक्षा के 2200 संस्थान (कॉलेज, विश्वविद्यालय और प्रमुख संस्थान), 300 स्कूल, 500 ITI और 50 उद्यमिता विकास केंद्र मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (MOOC) के माध्यम से शामिल किए गए हैं।
कौशल विकास संस्थानों से तालमेल
विश्वस्तरीय स्किल ट्रेनिंग के लिए दुनियाभर के संस्थानों के साथ समझौते किए गए हैं। जैसे कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC)और अमेरिका की वाधवानी ऑपरेटिंग फाउंडेशन (WOF) के बीच ये करार हुआ है। इन समझौतों से कौशल विकास को बढ़ावा देने और उसके लिए पारिस्थितिक तंत्र तैयार करने में मदद मिल रही है। इसके साथ-साथ बहु कौशल संस्‍थानों तथा कौशल विश्‍वविद्यालयों के जरिए देश में कौशल विकास के बाकी पहलुओं में भी सहायता मिलेगी। वाधवानी ऑपरेटिंग फाउंडेशन कम से कम 3 करोड़ डॉलर और अधिकतम 4 करोड़ डॉलर का योगदान करेगा।

युवाओं का आदान-प्रदान
इसके तहत बहरीन, कुवैत, नेपाल, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, वियतनाम तथा ब्रिक्स देशों के साथ समझौता किया गया है। एक-दूसरे के कुशल युवाओं के आने-जाने से अंतरराष्ट्रीय नजरिए से उनके विचारों और हुनर को जानने-समझने में मदद मिलेगी। साथ ही वैश्विक शांति और मैत्रिपूर्ण संबंधों के लिए भी ये एक बेहतर सोच साबित हो सकता है।

UAE से समझौता
इससे दोनों देशों के बीच कौशल विकास और योग्यताओं की मान्यताओं पर द्विपक्षीय सहयोग का रास्ता साफ हुआ है। इस समझौते से कार्यबल की आवाजाही , कौशल विकास तथा संयुक्त अरब अमीरात में नौकरियों के लिए युवाओं के प्लेसमेंट में मदद मिल रही है।

भारत कौशल प्रतियोगिता
भारत कौशल, राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा श्रेष्‍ठ प्रतिभाओं का चयन करने के लिए शुरू की गई एक राष्‍ट्रीय प्रतियोगिता है। ये प्रतिभाएं इस साल आबू धाबी में आयोजित किये जाने वाले द्विवार्षिक विश्व कौशल अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। पिछला आयोजन अगस्त 2015 में साओ पोलो, ब्राजील, में आयोजित किया गया था, जिसमें 27 कौशल में 29 उम्‍मीदवारों (सभी 23 वर्ष से कम आयु के थे) ने भाग लिया और उत्‍कृष्‍टता के 8 पदक जीते थे।

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