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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का कमाल, बीजेपी बनी देश की सर्वमान्य पार्टी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वमान्य पार्टी बनकर उभरी है। राष्ट्रपति चुनावों से लेकर लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और निगमों तक के चुनावों में भाजपा का विजय पताका लहरा रहा है। आज पूरे देश में कमल ही कमल खिला दिख रहा है। 18 राज्यों में या तो भाजपा की सरकार है या फिर वह सरकार में शामिल है। पहले जहां पार्टी का कोई मजबूत संगठन भी नहीं था, वहां आज भाजपा या तो सत्ता में है या प्रमुख विपक्ष की भूमिका निभा रही है। श्री वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति निर्वाचित होने के साथ ही सभी शीर्ष निर्वाचित पदों पर अब भाजपा नेता आसीन हो गए हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष पर पार्टी काबिज हो गई है। आखिर ये संभव कैसे हुआ… आइए जानते हैं

मोदी जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को हमेशा सर्वोपरि माना है। जहां राष्ट्रहित का मामला उठता है प्रधानमंत्री सिर्फ उसी पर ध्यान देते हैं, उसी के लिए सोचते हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से दुनियाभर में भारत की जो शानदार छवि बनी है उसके बारे में सोचकर ही जनता गदगद हो जाती है। मोदी जी दुनिया में किसी भी देश के दौरे पर पहुंचते हैं उनकी लोकप्रियता देखकर दूसरे देश के नेता भी हैरान रह जाते हैं। विश्व के हर मंच पर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी बातें दमदार तरीके से रखी हैं। तय है कि अगर उन्होंने अपने नेतृत्व काल में विश्व भर में देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाया है तो ये सब देख-सुन कर देश की जनता भी अपने को गौरवांवित और सम्मानित महसूस करती है। देश की इस बुलंद होती छवि के पीछे मोदी जी का व्यक्तित्व निहित है और उनका यही व्यक्तित्व अंकुरित होकर चुनावों में भाजपा के लिए कमल खिला रहा है।

मोदी विरोध का मतलब बना राष्ट्र विरोध
प्रधानमंत्री मोदी दिन-रात देश के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, न्यू इंडिया का सपना लेकर के चल रहे हैं, देश में विकास की गति को देखकर दुनिया दंग हो रही है। लेकिन, विपक्ष के पास मोदी विरोध के अलावा कोई मुद्दा ही नहीं है। इस मोदी विरोध को देश की सामान्य जनता देश की अस्मिता से जोड़ रही है, देश के सम्मान से जोड़ रही है। राष्ट्र गौरव की यही भावना का लाभ भाजपा को मिल रहा है।

मोदी के समावेशी विचार का लाभ
श्री मोदी के नेतृत्व ने जैसे गुजरात में भाजपा को अजेय पार्टी बना दिया, वैसी ही तस्वीर अब अखिल भारतीय स्तर पर बनकर उभरी है। मोदी जी की सोच आसमान की तरह ऊंची है। वो जब भी बात करते हैं तो उनके हृदय में सवा सौ करोड़ देशवासियों की चिंता होती है। विरोधी चाहे जितना भी भ्रम फैलाएं, वो सबके लिए सोचते हैं। ‘सबका साथ-सबका विकास’ उनकी सरकार की नीतियों के मूल में है। जैसे-जैसे आम नागरिकों तक मोदी जी की ये भावना पहुंच रही है वो उनसे एक अपनापन एवं लगाव महसूस करने लगते हैं। तय है कि मोदी जी की इसी छवि का फायदा उनकी पार्टी को भी मिल रहा है और वो हर चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर से बेहतर करती चली जा रही है

प्रधानमंत्री होकर भी प्रधानसेवक जैसी सोच
स्वतंत्रता के 70 साल के इतिहास में जनता ने किसी ऐसे प्रधानमंत्री को नहीं देखा जो बिना एक भी छुट्टी लिए 18 से 20 घंटे तक लगातार बिना रुके, बिना थके काम करता हो। देश के जन-जन ने जैसे-जैसे इस बात को महसूस किया है, उनका मोदी जी के नेतृत्व पर भरोसा बढ़ता चला गया है। इसीलिए जब भी मतदान का समय आता है तो मोदी जी चाहे प्रचार करें या न करें, लेकिन मतदाता मोदी जी के नाम पर कमल का बटन दबा कर चले आते हैं। मोदी जी के व्यक्तित्व पर देश की गरीब से गरीब जनता अपने से ज्यादा भरोसा करती है। उन्हें लगता है कि ये ऐसा इंसान है जो सिर्फ और सिर्फ देश के लिए सोचता है, जिम्मेदारी निभाते हुए चलता है, देश के आम नागरिकों की हित के बारे में सोचता है।

नकारात्मक राजनीति से परहेज
विरोधी दल के लोग चाहे जितनी भी कोशिश करें, प्रधानमंत्री मोदी निगेटिव पॉलिटिक्स के दलदल में नहीं फंसते। वो सिर्फ देश, आम नागरिक, विकास, जिम्मेदारी की बात करते हैं और मिशन के तौर पर उन्हीं जिम्मेदारियों को निभाने में जुटे रहते हैं। यही वजह है कि विरोधी चाहे जितनी भी झूठी बातें फैलाएं, गंदी राजनीति करें, लेकिन देश की पब्लिक है जो सब जानती है। यही वजह है कि मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा को अपार जन समर्थन मिल रहा है।

मोदी का प्रचंड और सामर्थ्यवान नेतृत्व
दूर दृष्टा, दिव्य सोच, कुशल प्रशासक, सूक्ष्म पर्यवेक्षक, मन की शक्ति से भरे, नेतृत्व कौशल, टीम लीडर, आत्मविश्वास से भरपूर, टेक्नोफ्रेंडली, स्मरण शक्ति से ओतप्रोत, अच्छे कम्यूनिकेटर और बेहतरी के लिए बदलाव की सोच रखने वाले सारे गुणों की खान हैं नरेंद्र मोदी। उनके इन्हीं गुणों का लाभ देश को मिल रहा है, देश की जनता को मिल रहा है और आखिरकार वही वोट में परिवर्तित होकर भाजपा को एक विजेता पार्टी बना दिया है।

मोदी ने की विकास की राजनीति, विपक्ष ने की जाति-धर्म की सियासत
विकास के जिस गुजरात मॉडल की चर्चा हर तरफ होती है उसके शिल्पकार देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सुनियोजित, समेकित और एकीकृत रूप से गुजरात को गढ़ने का सिलसिला शुरू किया। ढांचागत सुधार, खेती-किसानी, पशुपालन, सड़क, बिजली, उद्योग व्यापार से लेकर कानून व्यवस्था के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुए। लेकिन दूसरी तरफ विपक्ष रचनात्मक राजनीति से भागता रहा।

नरेंद्र मोदी का दमदार नेतृत्व
दूरदर्शी सोच के साथ विकास पुरुष के तौर पर नरेंद्र मोदी एक नये गुजरात के निर्माण में लगे हुए हैं। ओजस्वी वक्ता के रूप में नरेंद्र मोदी की प्रतिभा ने नयी पीढ़ी की नब्ज पकड़ी है और आने वाले कई सालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। टेक्नोफ्रेंडली नरेंद्र मोदी सोशल साइट के जरिये लोगों से जुड़े रहते हैं और जमीनी सच्चाई से रूबरू होते रहते हैं। इन तमाम विशेषताओं ने नरेंद्र मोदी को एक दमदार नेतृत्व के तौर पर पहचान दी। वहीं विपक्ष नरेंद्र मोदी के सामने कोई विकल्प नहीं दे पाया।

श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीन साल पहले लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा अब राज्यसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। संगठन के स्तर पर भी भाजपा 11 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। 1980 में पार्टी गठन के बाद 1984 लोकसभा चुनाव में महज दो सीटें जीतने वाली भाजपा अब 281 तक पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा को एक विजेता पार्टी बना दिया है। आइए एक नजर डालते हैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के प्रदर्शन पर-

केएएसी चुनाव में भी भाजपा को भारी बहुमत
कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद (केएएसी) चुनाव में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से चुनाव जीतने में कामयाब रही। भाजपा को 26 सीटों में से 24 सीटों पर सफलता मिली जबकि बाकी दो सीटों पर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले आर टकबी और डी उफिंग मासलाई को जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका। असम के पहाड़ी जिले कार्बी आंग्लांग के केएएसी चुनाव में कांग्रेस के साथ अगप और स्थानीय पार्टी एचएसडीसी का भी खाता तक नहीं खुल पाया। 30 सीटों वाले केएएसी में चार सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं। 

एमसीडी में प्रचंड जीत
दिल्ली नगर निगम चुनाव (एमसीडी) में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली। बीजेपी को तीनों एमसीडी में बहुमत हासिल हुआ। दिल्ली नगर निगम की 270 सीटों में से बीजेपी को 184, आम आदमी पार्टी को 45, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 सीटों पर जीत मिली। चुनाव में कांग्रेस के 92 और आम आदमी पार्टी के 40 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 

हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधान परिषद चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राज्य विधानपरिषद के चुनाव परिणाम के अनुसार 34 सीटों वाले जम्मू-कश्मीर के उच्च सदन में बीजेपी 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनावों में और चंडीगढ़ में हुए नगर निगम चुनाव में भी बीजेपी को पहले से काफी ज्यादा सीटें मिलीं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान के उप चुनावों में भी पार्टी ने बाजी मारी।

महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों के लिए हुए चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज की। बीएमसी की 227 सीटों में बीजेपी को 82 सीटें मिली। पुणे में बीजेपी को 74, नागपुर में 70, नासिक में 33, पिंपरी चिंचवाड़ में 70, इसी तरह उल्हासनगर में 34, सोलापुर में 49, अकोला में बीजेपी को 48 और अमरावती मे 45 सीटें मिली। 1514 जिला परिषद चुनाव में बीजेपी को 403, शिवसेना को 269, कांग्रेस को 300, एनसीपी को 344 सीटें मिली।

महाराष्ट्र की चंद्रपुर और लातूर महानगरपालिका चुनावों में बीजेपी को भारी सफलता मिली। लातूर में पिछली बार बीजेपी को एक भी सीट नही मिली थी। इस बार 41 सीटों पर कामयाबी मिली। आजादी के बाद पहली बार यहां कांग्रेस को करारी हार मिली।

कांग्रेस का सफाया

लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब चल रहा है। विधानसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र नगर निगम और जिला परिषद चुनाव में भी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। जो पार्टी कभी पहले पायदान पर रहती थी, अब तीसरे और चौथे स्थान के लिए संघर्ष करती दिख रही है। पार्टी का कई इलाकों में सफाया हो गया है।

ओडिशा में भी जय-जयकार
ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है।

चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले

नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी अव्वल

महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी ने 51 सीटें जीतीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में।

गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।

उपचुनाव में भी जीत

प्रधानमंत्री मोदी के जलवे के चलते पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में भी जोरदार झटका लगा। दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही है और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। भाजपा असम, अरुणाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सभी उपचुनाव जीतने में सफल रही।

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