Home विशेष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूसरी पारी की विदेश यात्राओं से भारत हुआ...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूसरी पारी की विदेश यात्राओं से भारत हुआ और अधिक शक्तिशाली

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं ने भारत की कूटनीतिक रणनीति को पैनापन दिया है। इसका फायदा देश को आर्थिक और सामरिक दोनों ही क्षेत्रों में मिला। 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री के पद की शपथ लेने के एक माह के अंदर ही प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों की यात्राएं करना प्रारंभ कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं का समय और उन देशों के नेताओं से मुलाकात करके विश्वपटल पर जो कूटनीतिक संदेश देते हैं, वैसा दुनिया का अन्य कोई राष्ट्रध्यक्ष नहीं कर पाता है। आइए, आपको प्रधानमंत्री मोदी की इन विदेश यात्राओं के बारे में बताते हैं-

प्रधानमंत्री मोदी की आठवीं विदेश यात्रा

25-27 अगस्त, 2019,  बियारित्‍ज,फ्रांस 
जी-7 के शिखर सम्‍मेलन

भारत ने जी 7 देशों का सदस्य ना होने के बावजूद इस सम्मेलन में भाग लिया, इसका सबसे बड़ा कारण है फ्रांस और भारत की बढ़ती दोस्ती। प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के निमंत्रण पर पहुंचे।

जी 7 समूह दुनिया के सात विकसित राष्ट्रों का एक समूह है, इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इन 7 देशों का दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी पर कब्जा है।

जी 7 देशों के समूह सम्मेलन में पीएम मोदी को आमंत्रित किया जाना दुनिया में भारत की बढ़ती पहचान को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ,कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष को कष्ट न करने का संदेश देकर अमेरिका को इस द्विपक्षीय मुद्दे से दूर रहने का संकेत दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की सातवीं विदेश यात्रा

23-25 अगस्त 2019, यूएई और बहरीन

कूटनीतिक दृष्टि से भारत के लिए यूएई और बहरीन खाड़ी के दो प्रमुख देश हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन दोनों ही देशों के साथ रिश्तों को और मजबूत करने के लिए यात्रा की।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। पीएम मोदी को यह सम्मान भारत और यूएई के आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया। यूएई के संस्थापक पिता शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के नाम पर यह देश हर साल ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ सम्मान देता है। इस साल यूएई शेख जायद का शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस कारण भी प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार मिलने के खास मायने हैं।

यूएई की यात्रा के बाद 24 अगस्त प्रधानमंत्री मोदी बहरीन पहुंचे। बहरीन की यात्रा करने वाले नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। 25 अगस्त को क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमाद बिन ईसा अल खलीफा से प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात की और क्राउन प्रिंस ने उन्हें ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे समय में ये दोनों सम्मान मिले, जब पाकिस्तान कश्मीर से धारा 370 हटाने का विश्व स्तर पर भारत का विरोध कर रहा था।

प्रधानमंत्री मोदी की छठी विदेश यात्रा

22 अगस्त, 2019, फ्रांस

भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी बहुत ही मजबूत है। फ्रांस ने आतंकवाद की लड़ाई में भारत का विश्व के हर मंच पर साथ दिया है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस की यह यात्रा हर दृष्टि से महत्वपूर्ण रही।
इस दौरान प्रधान मंत्री मोदी की फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत हुई। फ्रांस ने भारत को 36 और राफेल लड़ाकू विमानों को देने का समझौता किया।

प्रधानमंत्री मोदी की पांचवीं विदेश यात्रा

17-18 अगस्त, 2019 भूटान यात्रा

यात्रा का महत्व-
भारत की ‘पहले पड़ोस’ की नीति पर काम करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान का दो दिवसीय दौरा किया। भूटान पहला देश था, जिसकी यात्रा साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद की थी। लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूटान नहीं गए थे। डोकलाम में चीन और भारत के बीच तल्ख हुए रिश्ते के बाद से ही प्रधानमंत्री ने भूटान का दौरा नहीं किया था। भूटान के प्रधानमंत्री त्सरिंग ने भी नवंबर-2018 में सरकार बनाने के बाद अपनी पहली यात्रा भारत ही की थी। इसी के साथ उन्होंने मई में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लिया था।

यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान में सिमकोझा जोंग में खरीदारी कर रुपे कार्ड लॉन्च किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान’ में युवा भूटानी छात्रों को संबोधित किया। दोनों देशों ने अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए 10 सहमति समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। इनमें अंतरिक्ष अनुसंधान, विमानन, आईटी, ऊर्जा और शिक्षा इत्यादि समझौते शामिल हैं। भारत ने भूटान के सामान्य लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एलपीजी की आपूर्ति को 700 से बढ़ाकर 1000 मिट्रिक टन प्रतिमाह करने का फैसला लिया। भूटान में दोनों देशों के सहयोग से हाइड्रो पॉवर उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट को पार कर आगे बढ़ गयी। भूटान में दक्षिण एशिया उपग्रह के इस्तेमाल हेतु इसरो के सहयोग के साथ विकसित ‘सैटकॉम नेटवर्क’ एवं ‘ग्राउंड अर्थ स्टेशन’ का भी संयुक्त तौर पर शुभारंभ किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी की चौथी विदेश यात्रा

27-29 जून 2019, जापान
भारत जापान वार्षिक सम्मेलन
जी-20 शिखर सम्मेलनयात्रा का महत्व-
सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान की अपनी पहली यात्रा की थी और अब तक उनकी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ 12 बार बैठक हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-जापान के बीच वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो पहुंचे थे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई और द्विपक्षीय रिश्तों को कैसे और मजबूत बनाया जाए इस पर भी मंत्रणा हुई। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ओशाका में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह छठा अवसर था जब प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में शामिल हुए। भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वर्ष 2022 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

यात्रा का प्रभाव-
भारत और जापान ने आपस में 75 अरब डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया। यह सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था समझौतों में से एक है। इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

जी 20 समिट से अलग भारत, जापान और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई, जिसे JAI नाम से जाना गया। इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी के साथ चीन और रूस के नेताओं की अलग से बैठक हुई। इस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मात्र एक ऐसे नेता थे, जिनको दोनों ही गुटों का विश्वास मिला है।

प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी विदेश यात्रा

13-14 जून 2019, किर्गिस्तान
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलनयात्रा का महत्व-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए 13 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे। लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से दोबारा जीतने के बाद पहले बहुपक्षीय सम्मेलन में भाग लिया।यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन से पहले किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सोरोनबे जीनबेकोव से मुलाकात की। SCO समिट के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने बिना नाम लिए आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कोई मुलाकात नहीं की, जबकि विश्व के अन्य सभी नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें हुईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंका आदि नेताओं से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी विदेश यात्रा

09 जून 2019, श्रीलंका

यात्रा का महत्व-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2015 में श्रीलंका की अपनी ऐतिहासिक यात्रा की थी, जब 28 साल के अंतराल के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। इस तरह से पिछले कुछ सालों में भारत श्रीलंका के बीच रणनीतिक संबंध स्थापित हुए हैं। इसी सबंध को और प्रगाढ़ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी 9 जून, 2019 को एक दिन के दौरे पर श्रीलंका पहुंचे।

यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व के पहले नेता थे, जिसने 21 अप्रैल, 2019 को ईस्टर के दिन कोलंबो के सेंट एटोंनी चर्च में हुए बम धमाकों के बाद श्रीलंका का दौरा किया। यह दौरा मूलरूप से श्रीलंका के साथ आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाना था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका में वर्तमान सुरक्षा स्थिति में सामान्य स्थिति के संबंध में एक मजबूत संदेश देने का प्रयास किया, जिससे श्रीलंका में विदेशी पर्यटकों और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

प्रधानमंत्री मोदी की पहली विदेश यात्रा

08 जून 2019, मालदीव

8 सालों में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री की मालदीव की यह यात्रा थी। हालांकि पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति सोलेह के शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं पहुंचे थे, लेकिन ये औपचारिक यात्रा नहीं थी।

यात्रा का महत्व-
हिंद महासागर में 1200 द्वीपों वाले मालदीव का भारत के लिए महत्व का अंदाजा इस बात से लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी दूसरे कार्यकाल में अपनी पहली विदेश यात्रा पर मालदीव पहुंचे। मालदीव रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए काफी अहम है क्योंकि इसके समुद्री रास्ते से भारत को उर्जा की सप्लाई होती है। वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह से पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में वहां चीन का प्रभुत्व बढ़ गया था, जिससे भारत की सामरिक रणनीति कमजोर हो रही थी। लेकिन नवंबर 2018 में राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत की सामरिक रणनीति एक बार फिर जीवंत हो उठी है।

यात्रा का प्रभाव-
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मालदीव का सर्वोच्च सम्मान ‘रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन’ से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव की संसद मजलिस को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह को भारतीय वर्ल्ड कप क्रिकेट टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर वाला बल्ला भेंट किया। राष्ट्रपति सोलेह क्रिकेट प्रेमी हैं और इसी दौरान इग्लैंड में क्रिकेट विश्व कप हो रहा था।

इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को कई सौगात दीं, जिनमें मालदीव में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण, विभिन्न द्वीपों पर पानी और सफाई की व्यवस्था,छोटे और लघु उद्योगों के लिए वित्त व्यवस्था, बंदरगाहों का विकास, कांफ्रेंस और कम्युनिटी सेंटर का निर्माण, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं, छात्रों के लिए फेरी की सुविधा आदि शामिल थी। इसके साथ ही अडू में बुनियादी ढांचा विकास और ऐतिहासिक जुमा मस्जिद के निर्माण में सहयोग का वादा भी किया। भारत ने मालदीव को करीब डेढ़ अरब डॉलर की वित्तीय मदद भी दी। अब तक मालदीव पर चीन का तीन अरब डॉलर का कर्ज है।

Leave a Reply