Home नरेंद्र मोदी विशेष परीक्षा पर प्रधानमंत्री का अनोखा टाउनहॉल, करोड़ों विद्यार्थियों के साथ किया संवाद

परीक्षा पर प्रधानमंत्री का अनोखा टाउनहॉल, करोड़ों विद्यार्थियों के साथ किया संवाद

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देशवासियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नया रूप देखने को मिला है। देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी प्रधान शिक्षक के अवतार में नजर आए। मौका था शुक्रवार को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम का। इस कार्यक्रम के माध्यम से देशभर के 6 लाख स्कूल और 35 हजार कॉलेज के 10 करोड़ के ज्यादा विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री मोदी से परीक्षा के दौरान तनाव से मुक्त रहने के गुर सीखे।

पीएम मोदी का विद्यार्थियों से सीधा संवाद
यह सच है कि परीक्षा किसी भी विद्यार्थी के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। परीक्षा से जहां विद्यार्थियों की क्षमता का आकलन होता है, वहीं भविष्य का निर्धारण भी होता है। एक सच्चाई यह भी है कि माता-पिता की आकांक्षाओं के बोझ तले दबे विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने को लेकर बहुत तनाव में रहते हैं। इसी तनाव को दूर करने, विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाने और परीक्षा को उत्सव की तरह मनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूल, कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ सीधा संवाद किया और उनके सवालों के जवाब दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा यह मानते हैं कि कुछ बनने के बजाए कुछ करने के सपने देखना चाहिए। माता-पिता, शिक्षक सभी को बच्चों के सपने पूरा करने में सहयोग करना चाहिए। श्री मोदी ने बच्चों को तनाव मुक्त परीक्षा के लिए ‘एक्जाम वॉरियर्स’ नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। कुछ दिनों पहले रिलीज हुई इस पुस्तक में उन्होंने 25 मंत्रों के माध्यम से विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों सभी को संबोधित करते हुए परीक्षा को बोझ नहीं समझने की बात कही है। ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में भी उन्होंने इसी बात पर जोर दिया। कार्यक्रम में मौजूद छात्र-छात्रों से उन्होंने कहा कि ‘आप भूल जाइए कि किसी प्रधानमंत्री से बात कर रहे हैं, ये पक्का कर लीजिए में आपका दोस्त हूं।‘ श्री मोदी ने अपने उन शिक्षकों को नमन किया, जिन्होंने उन्हें आज भी विद्यार्थी बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि ‘सबसे बड़ी शिक्षा उन्हें मिली कि अपने भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना है, क्योंकि जिनके भीतर विद्यार्थी जीवित रहता है वो जीवनभर जीता है और ये हमें जीने की ताकत देता है।‘

विद्यार्थी के लिए आत्मविश्वास सबसे महत्वपूर्ण
एक विद्यार्थी के जीवन में आत्मविश्वास, एकाग्रता, समय का प्रबंधन, माता-पिता और शिक्षकों से परस्पर संवाद आदि चीजों का महत्वपूर्ण स्थान है। श्री मोदी अपनी पुस्तक ‘एक्जाम वॉरियर्स’ में भी इन सभी बातों पर विस्तार से लिख चुके हैं और यहां भी उन्होंने उदाहरणों के साथ इन सभी बातों का उल्लेख किया। आत्मविश्वास को किसी भी विद्यार्थी के लिए सबसे अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि परीक्षा की खूब तैयारी कर ली जाए, अगर परीक्षा के समय आत्मविश्वास डगमगा गया तो सब बेकार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि विवेकानंद जी कहा करते थे कि 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा पाठ करो, सभी तुम पर कृपा बरसाएं, अगर तुम्हारे अंदर आत्मविश्वास नहीं होगा तो ये देवता भी कुछ नहीं करेंगे। श्री मोदी ने कहा कि अपने आत्मविश्वास को हर पल कसौटी में कसने की आदत डालनी चाहिए और हमेशा जहां हैं उससे बेहतर करने की ललक होनी चाहिए।

पीएम मोदी ने एकाग्रता का महत्व समझाया
इसी प्रकार एकाग्रता को भी श्री मोदी ने विद्यार्थी जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ‘Concentration एक विधा है, जिसे सीखना पड़ता है। हर कोई दिन में कोई एक काम Concentration के साथ करता है, चाहे गाना सुनना हो या फिर कुछ और।‘ श्री मोदी ने कहा कि ‘इस बात का विश्लेषण खुद करना पड़ता है कि वो कौन सी बातें हैं जिनपर ध्यान केंद्रित करते हैं। एक बार यह समझ में आ गया तो फिर आप दूसरे काम भी मनोयोग से कर पाएंगे।‘ प्रधानमंत्री ने इसके लिए सटीक उदाहरण भी दिया और कहा ‘यदि किसी ने आपके बारे में दस बुरी बातें कहीं हैं तो वो आपको वर्षों बाद भी याद रहती हैं। इसका मतलब यह है कि जो बात दिल को छू जाती है यानी जिन चीजों में बुद्धि और हृदय दोनों जुड़ जाते हैं वो जीवन का हिस्सा बन जाता है।‘

वर्तमान में जीना सबसे उत्तम
प्रधानमंत्री एक अच्छे Communicator हैं, यह हर कोई जानता है, बच्चों के बीच भी श्री मोदी ने आज की भाषा में बात करते हुए कहा कि ‘Offline रहने से काम नहीं चलेगा, कुछ करने के लिए Online होना चाहिए और हमेशा वर्तमान में जीना चाहिए।‘ उन्होंने बच्चों को अपने अंदर की शक्ति को पहचानने और पढ़ाई को लेकर किसी से होड़ नहीं करने का सुझाव दिया। श्री मोदी ने प्रतिस्पर्धा के बजाए स्वयं से अनुस्पर्धा पर जोर दिया और कहा कि ‘विद्यार्थियों में किसी दूसरे से नहीं बल्कि खुद से आगे निकलने की होड़ होनी चाहिए। अपनी क्षमता, सामर्थ्य को पहचानने के बाद उसी दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।‘ अपनी पुस्तक ‘एक्जाम वॉरियर्स‘ में भी श्री मोदी ने इस विषय पर विस्तार से लिखा है। उन्होंने कहा कि ‘खुद से दो कदम आगे बढ़ने का संकल्प लीजिए, इससे आपके अंदर ऊर्जा पैदा होगी और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।‘

बच्चों पर अपने सपने नहीं थोपें माता-पिता
बच्चों से माता-पिता की अपेक्षाएं और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के दबाव पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों के साथ-साथ बच्चों को भी समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि ‘यह स्वाभाविक है कि हर मां-बाप का सपना अपने बच्चे को कुछ बनते हुए देखने का होता है, इसलिए कभी भी उनके इरादों पर शक नहीं करना चाहिए।‘ इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों से कहा कि ‘अपने अधूरे सपनों को बच्चों के माध्यम से पूरा करने की कोशिश नहीं करें, बल्कि बच्चों के सपने पूरा करने में उनकी मदद करें, दूसरों के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना ठीक नहीं है।‘ यह वास्तविकता भी है कि हमारा समाज कुछ इस तरह का हो गया है कि हम अपने बच्चों की दूसरों से तुलना करते हैं और फिर उन पर वह सब करने का दबाव बनाते हैं, जो दूसरे के बच्चों ने किया है। श्री मोदी ने समाज की इसी मानसिकता को बदलने पर जोर दिया और बच्चों से मित्रवत व्यवहार करने की भी अपील की।

फोकस होना है तो डिफोकस होना सीखो
परीक्षा के दौरान तनाव से हर बच्चा प्रभावित होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर भी चर्चा करते हुए कहा कि ‘अगर फोकस होना है तो डिफोकस होना सीखिए। हमेशा परीक्षा, करियर, प्रैक्टिकल, पढ़ाई जैसे शब्दों में उलझे रहना ठीक नहीं है, अपनी नियमित दिनचर्या के हिसाब से खेल, टीवी देखना जैसे कार्य भी करते रहना चाहिए।‘ श्री मोदी ने ‘एक्जाम वॉरियर्स‘ पुस्तक में भी इस मुद्दे पर विद्यार्थियों के लिए बहुत कुछ लिखा है। उन्होंने लिखा है कि विद्यार्थियों को परीक्षा के समय भी अपने पसंद के कार्यों को करते रहना चाहिए, इससे उनका मन और दिमाग तरोताजा रहेगा और तनाव नहीं होगा।

एक शिक्षक की भूमिका को निभाते हुए प्रधानमंत्री ने IQ और EQ के महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि ‘बुद्धिमत्ता और भावनात्मकता दोनों का ही जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों का जीवन में संतुलन होना बहुत जरूरी है।‘ श्री मोदी ने कहा कि ’IQ सफलता दे सकता है, लेकिन EQ जिंदगी की बहुत बड़ी ताकत देता है। EQ आपको लोगों से जोड़ता है।‘

योग और अच्छी नींद बहुत जरूरी
पीएम मोदी ने ‘परीक्षा पर चर्चा‘ कार्यक्रम के दौरान योग, अच्छी नींद, करियर जैसे विषयों पर भी विद्यार्थियों को काफी कुछ समझाया। एक शिक्षक की भूमिका छात्र के जीवन में क्या होनी चाहिए इस विषय पर भी श्री मोदी ने चर्चा की। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि ‘पहले शिक्षक परिवार के सदस्य की तरह होता था, और माता-पिता जो बात बच्चों को खुद नहीं कह पाते थे, वो शिक्षकों के माध्यम से कहते थे। अब इसमें काफी बदलाव आ गया है, शिक्षक खुद को बच्चों से जोड़ नहीं पाते हैं, जबकि बच्चों की सफलता और असफलता दोनों के लिए शिक्षक काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं।‘

कार्यक्रम के दौरान एक पल ऐसा भी आया जब प्रधानमंत्री खुद को हंसने से रोक नहीं पाए। एक विद्यार्थी ने पूछा कि अगले वर्ष हमारी परीक्षा के साथ आपकी की भी परीक्षा है यानी लोकसभा चुनाव हैं। इस पर श्री मोदी ने बच्चे का उत्साहवर्धन करते हुए देश के सवा सौ करोड़ जनमानस को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि वह अपना सामर्थ्य, क्षमता, शरीर का कण-कण, क्षण-क्षण देशवासियों के लिए खपाते हैं। चुनाव के परिणाम बाइप्रोडक्ट हैं।‘ श्री मोदी ने कहा कि वे राजनीति में जरूर हैं लेकिन स्वभाव से नहीं है, उनके नेचर में कुछ करते रहना है और वही कर रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम मोदी ने विद्यार्थियों से कहा था कि ’आज मैं एक विद्यार्थी हूं और आप मेरे Examiner हैं।’ और कार्यक्रम के अंत में उन्होंने विद्यार्थियों से नंबर भी पूछे। विद्यार्थियों ने उन्हें दस में दस नंबर दिए, यानी श्री मोदी विद्यार्थियों की कसौटी पर सौ प्रतिशत खरे उतरे।

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