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प्रधानमंत्री के प्रयासों से मिली ऊर्जा कंपनियों को राहत, बकाया राशि का भुगतान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सकारात्मक सुधारों की दिशा में एक बड़ी उपलब्घि जुड़ गई है। वह यह कि अधिकांश राज्यों के DisCom [ Distribution Company} ने पवन ऊर्जा उत्पादक कंपनियों को उनका बकाया चुका दिया है। इनमें विशेष रूप से उल्लेखनीय राज्य हैं- महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रसिटी डिस्ट्रब्यूशन कंपनी का बकाया एक वर्ष से घटकर छह माह रह गया, जबकि राजस्थान दो माह और मध्य प्रदेश तीन माह।

श्रेय प्रधानमंत्री की उदय परियोजना को
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी [MSEDCL] के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार फरवरी 2017 तक यह बकाया 2300 करोड़ से घटकर 440 करोड़ पर सिमट गया है। इसके पीछे पिछले दो वर्षों के निरंतर प्रयासों की सफलता है। जयपुर विद्धुत वितरण निगम के अनुसार यह राहत उदय परियोजना [Ujwal Discom Assurance Yojana] के कारण संभव हो पाई है। 15 अगस्त, 2015 को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत की गई इस योजना का उदेश्य बिजली वितरण के संदर्भ में वित्तीय बदलाव लाना और उसमें आमूल-चूल बदलाव करना था।

हर घर तक बिजली का सपना
ऊर्जा के सीमित संसाधनों व आयात की ऊंची दर के मद्देनजर नरेंद्र मोदी जी का यह सपना है कि सौर व पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में नवीन खोजों व शोधों पर बल दिया जाए और ऐसा केवल साहस के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में निरंतर होते सुधारात्मक प्रयासों में एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। वह लिए नहीं करना है। इसका लक्ष्य यह होना चाहिए कि जिससे देश के हर घर तक उचित मूल्य पर बिजली पहुंचे। उनका मानना है कि हमें उस क्षेत्र में अपने काम की गति बढ़ाने की जरूरत है, जिनसे विकास सीधे रूप से जुड़ा है। पवन व सौर ऊर्जा क्षेत्र उन्हीं में से एक है।

पूर्व अनुभव से मिला सुदृढ़ आधार
इस विषय में उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इन विचारों के आधार पर प्रयासों का प्रारंभ गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ही नरेंद्र मोदी द्वारा कर लिया गया था। इस रूप में उनके अर्जित अनुभव को भी यदि ध्यान में रखा जाए तो सौर ऊर्जा का प्रयोग सिंचाई पंप चलाने व सूक्ष्म सिंचाई के जरिये कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने में किया जा सकता है। उनके उस समय के कार्यकाल में नहरों के ऊपर केवल सौर पैनल ही लगाए गए थे। उससे न केवल बिजली उत्पादन में, बल्कि जलवाष्पीकरण में भी 40 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य रखा गया था। उद्योगों के विकास का आधार ही ऊर्जाशक्ति होती है। यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि उन्हें समय पर और उचित मूल्य पर बिजली उपलब्ध कराई जाए। व्यावहारिक रूप में ऐसा होने से गुजरात में बिजली उत्पादन तथा बिजली वितरण क्षेत्र में इससे गुणात्मक सुधार के परिणाम दिखे।

इको फ्रेंडली ईंधन का संकल्प
पवन और सौर ऊर्जा मिलाकर भारत अभी केवल 28000 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करता है। इसमें पवन ऊर्जा 24000 मेगावॉट और सौर ऊर्जा की भागीदारी केवल 4000 मेगावॉट है। भारत यह लक्ष्य लेकर चल रहा है कि 2022 तक पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा मिलाकर 1,75000 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करे। इस लक्ष्य की प्राप्ति एक बड़ी छलांग साबित हो सकता है।

भारत ने जलवायु परिवर्तन के लिए 2030 तक जो कदम उठाने की बात की है, उसमें 40 प्रतिशत बिजली का उत्पादन साफ-सुथरे ईंधन से होने का संकल्प काफी अहम है। दूसरे अर्थों में 2030 में भारत जो भी बिजली पैदा करेगा, उसमें से 40 प्रतिशत के लिए वह कोयला या पेट्रोलियम जैसे कार्बन उत्सर्जक ईंधनों का प्रयोग नहीं करेगा।

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