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PNB FRAUD: प्रधानमंत्री मोदी के क्लीनिंग अभियान से खुल रहा कांग्रेस के पापों का कच्चा चिट्ठा !

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कांग्रेस के कार्यकाल में हुए एक और फर्जीवाड़े का कच्चा चिट्ठा खुल गया है। मोदी सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी द्वारा किए गए इस घोटाले को सामने लाकर बैंकों और उद्योगपतियों के उस नेक्सस का पर्दाफाश कर दिया है जो कांग्रेस की सरकारों की मिलीभगत से वर्षों से चलता आ रहा था। इस बात को हम जरूर जानेंगे कि पीएनबी घोटाले और नीरव मोदी को लेकर कांग्रेस पार्टी और मीडिया का एक धड़ा वर्तमान केंद्र सरकार पर क्यों हमलावर है और उसका कांग्रेस पार्टी से क्या कनेक्शन है? दरअसल नीरव मोदी और उनके परिवारों का कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार से बेहद गहरा नाता रहा है। कांग्रेस के नेता रहे शहजाद पूनावाला के ये ट्वीट्स यही खुलासे कर रहे हैं।

शहजाद पूनावाला के इन दो ट्वीट्स से ये तो साफ है कि नीरव मोदी और राहुल गांधी के गहरे ताल्लुकात रहे हैं और ये फर्जीवाड़ा 2011 से चल रहा है जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार थी। सवाल ये उठ रहा है कि ये फर्जीवाड़ा है क्या और कैसे हुआ ?

दरअसल नीरव मोदी मुंबई में एक आभूषण टाइकून हैं और इनका कांग्रेस के नेताओं से बेहद करीब का नाता रहा है। आप ये तस्वीरें देखिये तो खुद ब खुद समझ आ जाएगा कि कांग्रेस और नीरव मोदी का क्या कनेक्शन है?

सभी फोटो सौजन्य

मोदी सरकार के ‘क्लीनिंग’ अभियान से हुआ खुलासा
गौरतलब है कि नीरव मोदी ने वर्ष 2011 के बाद पंजाब नेशनल बैंक से 11,400 करोड़ रुपये कर्ज लिया और आठ साल बाद भी उसे लौटाने में असफल रहा है। कुछ दिन पहले रिजर्व बैंक ने सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों को एनपीए यानी गैर निष्पादन करने वाला और सभी ऋण वसूली करने के लिए समय सीमा निर्धारित की जो वर्षों से लटकते आ रहे हैं। इसके लिए आरबीआई ने 90 दिनों की सीमा तय की थी, जिसके बाद पंजाब नेशनल बैंक ने स्वीकृत ऋण और वसूली की जांच शुरू कर दी थी।

एक हफ्ते पहले ही प्रधानमंत्री ने देश को दी थी जानकारी
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ्ते ही लोकसभा में अपने भाषण में कहा था कि एनपीए घोटाला… कोलगेट या टू जी घोटाले से भी काफी बड़ा है। उन्होंने कहा था कि देश में 82 प्रतिशत से अधिक ऋण एनपीए थे। पिछली सरकार द्वारा ऋण के रूप में उद्योगपतियों को लगभग 52 लाख करोड़ का पैसा दिया गया था। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी पहली बार भारी मात्रा में कांग्रेस सरकार द्वारा दिए गए ऋण का खुलासा किया जो बिना किसी जिम्मेदारी या गारंटी के दे दिए गए थे। नीरव मोदी का घोटाला उन्हीं में से एक है।

कांग्रेस सरकार की देन है एनपीए घोटाला
दरअसल एनपीए सभी बैंकों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है जो राजनेताओं के पापों के कारण भारी धन संकट का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार मुख्य रूप से इन एनपीए पापों के लिए जिम्मेदार है, जहां मंत्रियों ने बैंकों को जमानत के बिना उद्योगों और व्यवसायियों को ऋण प्रदान करने में मजबूर करने में अहम भूमिका निभाई।

बैडलोन और एनपीए की समस्या किस तरह बढ़ती चली गई इसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों के जरिये समझा जा सकता है।

दरअसल नीरव मोदी, उनके परिजनों और सहयोगियों द्वारा किया गया यह फर्जीवाड़ा बैड लोन और एनपीए का है। जाहिर है ये कुरीतियां भारतीय बैंकिंग सिस्टम में कांग्रेस सरकारों की देन हैं। सभी जानते हैं कि किस तरह से कांग्रेस सरकार ने 2008 से 2014 के बीच उद्योगपतियों को बिना जरूरी पड़ताल किए हुए जमकर लोन बांटे।

कांग्रेस के शासनकाल से चला आ रहा था फर्जीवाड़ा
हालांकि पंजाब नेशनल बैंक के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता ने भी साफ किया है कि ये फर्जीवाड़ा 2011 से चल रहा था और बैंकिंग सिस्टम को साफ करने के एजेंडे के तहत इस घोटाले का पता लगाया जा सका है और बिना किसी दबाव के इसपर कार्रवाई की जा रही है।

हालांकि मीडिया का एक धड़ा और प्रधानमंत्री मोदी से खार खाए कुछ राजनीतिक दल इसे मोदी सरकार की नाकामी बता रहे हैं। जनवरी महीने में दावोस की एक तस्वीरों को शेयर कर ये कहा जा रहा है कि पीएम मोदी से उनके निकट के संबंध थे। पहले ये तस्वीर देखते हैं। 

परन्तु यह जानना जरूरी है कि जब नीरव मोदी इस तस्वीर में दिख रहे हैं तब वे आरोपी नहीं थे, उनके फर्जीवाड़े के बारे में किसी को पता नहीं था। तथ्य ये भी है कि राहुल गांधी और कांग्रेस यह बताना भूल गए हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और नीरव के बीच कोई बैठक नहीं हुई थी। नीरव पीएम मोदी के बुलावे पर दावोस नहीं गए थे, बल्कि वह तो खुद ही वहां पहुंच गए थे। उसी दौरान नीरव ने प्रधानमंत्री के साथ तस्वीर खिंचवाई थी।

अब जब यह पता लगा है कि नीरव मोदी एक घोटालेबाज है तो उनकी सारी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया मोदी सरकार द्वारा लगातार की जा रही है और एक ही दिन में लगभग आधी रकम बरामद की जा चुकी है। जाहिर है 2011 से चले आ रहे इस फर्जीवाड़े को पकड़ने का काम मोदी सरकार ने ही किया है।

कांग्रेस ने जानकारी होने के बाद भी खुलकर बांटे लोन
बड़ा सवाल ये है कि जब 18 जुलाई 2013-SEBI और NSE और BSE ने गीताजंली ज्वेलर्स के मैनेजिंग डारेक्टर मेहुल चौकसी को Stock market के manipulation के लिए 6 महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया तब भी वे कारोबार कैसे करते रहे? (ये लिंक देखें) उन्हें बैंक गारंटी कैसे मिलती रही? सवाल ये है कि जब गीताजंली ज्वेलर्स के शेयर की कीमत 600 रुपये घटकर 100 रुपये के आसपास आ चुकी थी तब वित्त मंत्रालय ने 26 जुलाई 2013 को LIC से रिपोर्ट मांगी कि क्यों गीताजंली ज्वेलर्स में इतना अधिक निवेश किया गया है और शेयर के दाम गिरने के बावजूद भी इस कंपनी में निवेश को क्यों बनाये रखना चाहती है? तब भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? (लिंक देखें)

स्पष्ट है कि जब देनदारों ने इन ऋणों के पुनर्भुगतान में देरी की तो तत्कालीन सरकार ने 2008 से 2014 के बीच कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसलिए, एनपीए की समस्या के निर्माण के लिए तत्कालीन प्रशासन का योगदान है। ये सच है अनजाने में कांग्रेस के कुकर्मों का खामियाजा मोदी सरकार भुगतना पड़ है। बहरहाल राहुल गांधी की बेचैनी इस ट्वीट से समझी जा सकती है।

अब बड़ा सवाल ये है कि राहुल गांधी ये सवाल पूछने से पहले ये क्यों भूल गए कि ये फर्जीवाड़ा उसी नीरव मोदी और उनके सहयोगियों ने किया जिनके साथ कभी वे होटलों में काफी वक्त बिताया करते थे। आखिर राहुल गांधी ये क्यों नहीं बताते कि मनमोहन सिंह की नाक के नीचे 2011 से 2014 तक जब यह फर्जीवाड़ा चलता रहा तो उन्होंने सवाल क्यों नहीं उठाए?

दूसरी ओर वर्तमान सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी नीरव मोदी के 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। हालांकि इनकी बाजार की कीमत इससे कहीं ज्यादा होगी। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के पासपोर्ट रद्द करने की सिफारिश विदेश मंत्रालय से भी कर दी है।

तो क्या नीरव मोदी को कांग्रेस ने भगाया !
बड़ा सवाल ये भी उभरकर सामने आ रहा है कि क्या नीरव मोदी को कांग्रेस ने भगाया है। दरअसल नीरव मोदी के बारे में जांच पड़ताल बीते महीने ही शुरू हो चुकी थी। इस बाबत 31 जनवरी को एफआईआर दर्ज कराने के तुरंत बाद सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन यह साफ है कि नीरव मोदी को भगाने के पीछे कहीं न कही राजनीतिक कनेक्शन का इस्तेमाल जरूर किया गया है। ये दुनिया जानती है कि प्रधानमंत्री मोदी का भ्रष्टाचार को लेकर क्या रुख है ऐसे में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामले को उछालकर कांग्रेस अपना राजनीतिक रोटी सेंकना चाहती है। क्योंकि वर्तमान सरकार ने तो ऐसे मामलों से निबटने के लिए कई कानून बनाए हैं जो अपना काम कर रहे हैं। आइये जानते हैं सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों को।

संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा (Asset Quality Review)
2015 की शुरुआत में, वर्तमान सरकार ने एसेट क्वालिटी रिव्यू (एक्यूआर) के बाद एनपीए की समस्या को मानते हुए वर्गीकृत किया। पीएसबी में एनपीए की सही मात्रा की मान्यता ने मार्च 2017 तक एनपीए की रकम 2.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.33 लाख करोड़ रुपये की कर दी।

बैंकरप्सी कोड
वर्तमान केंद्र सरकार ने 2016 में बैंकरप्सी को बैंकरप्सी कोड के तहत लाया है। सरकार ने कोड 1 अक्टूबर, 2017 को नियामक के रूप में भारतीय दिवालियापन और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) की स्थापना की है।

पीएसबी पुनर्पूंजीकरण (PSB Recapitalisation)
24 अक्टूबर 2017 को, अगले दो वर्षों में 2.11 लाख करोड़ रूपए की एक पूर्ण पीएसबी पुनर्पूंजीकरण योजना की घोषणा की गई। इसमें पूंजी अधिग्रहण योजना (capital infusion plan) का प्रमुख घटक (64%) के रूप में पुनर्पूंजीकरण बांड की घोषणा की गई। 24 जनवरी, 2018 को 88,000 करोड़ रुपये की पूंजी योजना की घोषणा के साथ, बैंक पुनर्पूंजीकरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई।

एफआरडीआई विधेयक (FRDI Bill)
ड्राफ्ट एफआरडीआई विधेयक एक और सक्रिय कदम है, जहां एक संकल्प निगम (आरसी) प्रस्तावित किया गया है, जो कि वित्तीय संस्थानों में संकट की शुरुआती चेतावनी के संकेतों की पहचान करेगा। यह भविष्य में दिवालिया होने से वित्तीय संस्थानों की रक्षा करेगा, और यदि ऐसा हो, तो निपटने के लिए एक ढांचा प्रदान करेगा। आज तक कोई ऐसी प्रणाली भारत में मौजूद नहीं है।

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