बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी के इन शब्दों में गहरे तक अगर कोई डूबा है तो वे हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। शुक्रवार की सुबह 8.36 बजे पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘’केरल के सीएम पी. विजयन के साथ अभी टेलीफोन बातचीत हुई। हमने पूरे राज्य में बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की और बचाव अभियान की समीक्षा की। बाद में शाम को, मैं बाढ़ के कारण उपजी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का निरीक्षण करने के लिए केरल जा रहा हूं।‘’
Had a telephone conversation with Kerala CM Shri Pinarayi Vijayan just now. We discussed the flood situation across the state and reviewed rescue operations.
Later this evening, I will be heading to Kerala to take stock of the unfortunate situation due to flooding. @CMOKerala
— Narendra Modi (@narendramodi) August 17, 2018
दरअसल केरल में भीषण बाढ़ आई हुई है और वहां के लोग भीषण आपदा से जूझ रहे हैं। एक ओर पिता तुल्य अटल जी के निधन से मन आहत है, दूसरी तरफ ‘कर्तव्य की पुकार’ है! प्रधानमंत्री मोदी ने अटल जी की यह बात भी हर पल याद रखी है जिसमें वे कहते हैं, ‘’मैं तो समाज की थाति हूं, मैं तो समाज का हूं सेवक, मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय।‘’
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी गरीब परिवार में पैदा हुए। उनका बचपन काफी मुश्किलों के बीच गुजरा है। वे आम आदमी के जीवन और उनके कठिनाइयों को शिद्दत से अनुभव करते हैं। इसलिए वह अपने ‘कर्तव्य’ को हर हाल में पूरा करने का प्रयास करते हैं।
अप्रैल में लंदन में भारत की बात कार्यक्रम में उन्होंने राजा रंथीदेव की उक्ति को उद्धृत करते हुए कहा भी था, ‘’न मुझे राज्य की कामना है, न मोक्ष की कामना है, अगर मेरे हृदय में कामना है, तो सिर्फ दुखी दरिद्रों की भलाई की कामना है।‘’
इंडिया फर्स्ट और जन कल्याण की इसी भावना के कारण 68 वर्ष की उम्र में भी पीएम मोदी के चेहरे पर थकान नहीं दिखती। वे कहते हैं, ‘’125 करोड़ भारतीयों की दुआ ही उनकी ताकत है और उनका पूरा समय देश के लिए है।‘’
अपने हर विजन में वे इंडिया फर्स्ट को ध्यान में रखते हैं। जब वे विदेशयात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होटल की बजाय प्लेन में ही सोने की कोशिश करते हैं। इस वजह से वह एक साथ कई देशों की यात्रा कर पाते हैं।