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संत कबीर के वचनों को जीवन में ढालने से सिद्ध होगा न्यू इंडिया का संकल्प: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में कबीरदास के महापरिनिर्वाण स्थल मगहर में संत कबीर अकादमी का शिलान्यास किया। इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने संत कबीर के दोहों, उनके विचारों की चर्चा करते हुए कहा, “वो धूल से उठे थे, लेकिन माथे का चन्दन बन गए। वो व्यक्ति से अभिव्यक्ति और इससे आगे बढ़कर शब्द से शब्दब्रह्म हो गए। वो विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हुए। संत कबीर दास जी ने समाज को सिर्फ दृष्टि देने का काम ही नहीं किया बल्कि समाज को जागृत किया।“ उन्होंने कहा कि संत कबीर दूरदृष्टा थे, समाज की बुराइयों और रूढिवादिता का उन्होंने सरल और सहज शब्दों में विरोध किया। समाजिक समरसता और एकता के संत कबीर के अमृत वचनों को जीवन में ढाल कर ही हम न्यू इंडिया के संकल्प को सिद्ध कर पाएंगे।

कबीर ने सारा जीवन सत्य की खोज और असत्य के खंडन में लगाया
प्रधानमंत्री मोदी ने मगहर की पुण्य धरती का बखान करते हुए कहा कि खुद कबीर दास जी ने कहा है, “तीरथ गए तो एक फल, संत मिले फल चार । सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।” श्री मोदी ने कहा कि कबीर दास जी का सारा जीवन सत्य की खोज तथा असत्य के खंडन में व्यतीत हुआ है। उन्होंने कहा, “कबीर की साधना मानने से नहीं जानने से आरम्भ होती है। वो सिर से पैर तक मस्तमौला, स्वभाव के फक्कड़, आदत में अक्खड़, भक्त के सामने सेवक, बादशाह के सामने प्रचंड दिलेर, दिल के साफ, दिमाग के दुरुस्त, भीतर से कोमल और बाहर से कठोर थे। वो जन्म के धन्य से नहीं, कर्म से वंदनीय हो गए।”

संत कबीर ने समाज की चेतना को जागृत किया
श्री मोदी ने कहा कि संत कबीरदास जी ने समाज को सिर्फ दृष्टि देने का ही काम नहीं किया बल्कि समाज की चेतना को जागृत करने का भी काम किया है। इसी के लिए वो काशी से मगहर आए। कबीरदास का मानना था कि यदि हृदय में राम बसते हैं तो मगहर भी सबसे पवित्र है। कबीरदास ने कहा था, “का काशी का ऊसर मगहर, राम हृदय बस मोरा..” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कबीर भारत की आत्मा का रस और सार कहे जा सकते हैं। उन्होंने गरीब, सामान्य जन के मन की बात को बोलचाल की भाषा में पिरोया था। उन्होंने जात-पात के भेद तोड़े और घोषित किया कि सब मानस की एक जाति। श्री मोदी ने कहा कि कबीरदास जी ने अपने भीतर के अहंकार को खत्म कर उसमें विराजे ईश्वर के दर्शन का रास्ता दिखाया। कबीर सबके थे, इसलिये सब उनके हो गए।

आडंबरों पर विश्वास नहीं करते थे संत कबीर
पीएम मोदी ने कहा कि कबीरदास जी किसी भी तरह के आडंबर में विश्वास नहीं करते थे। जो उनके मन में होता था साफ-साफ कह देते थे। कबीर ने कहा, “कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर।” कबीरदास जी कहते थे कि बाहर के आडंबरों में समय क्यों व्यर्थ करते हो, अपने भीतर बैठे राम को देखो। उनका कहना था, “ जब मैं था तब हरी नहीं, जब हरी हैं तब मैं नाहि। सब अंधियारा मिट गया जब भीतर देखा माही।।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज से करीब 600 वर्ष पहले कबीर दास जी ने बिना किसी लाज लिहाज के रूढियों पर सीधा प्रहार किया था। उन्होंने मनुष्यों के बीच भेद करने वाली व्यवस्था को चुनौती दी थी। वो वंचित, शोषित, पिछड़ों, गरीबों को सशक्त बनाना चाहते थे। वो कहते थे, “मांगन मरन समान है, मत कोई मांगो भीख। मांगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख।।”

इस अवसर प्रधानमंत्री ने देश के दूसरे हिस्सों में अवतरित होने वाले संतों, मुनियों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि कबीरदास की तरह ही समय के हर काल खंड में भारत में महान संत हुए हैं, जिन्होंने समाज की बुराइयों को समाप्त करने के लिए समय-समय पर मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि  सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ। 

पीएम मोदी ने किया संत कबीर अकादमी का शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी ने मगहर में 24 करोड़ की लागत से बनने वाली संत कबीर अकादमी का शिलान्यास भी किया। करीब 3 एकड़ में बनने वाली इस अकादमी में संत कबीर से जुड़ी स्मृतियों को संजोने वाली संस्थाओं का निर्माण किया जाएगा। कबीर गायन प्रशिक्षण भवन, कबीर नृत्य प्रशिक्षण भवन, रिसर्च सेंटर, लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, हॉस्टल, आर्ट गैलरी को विकसित किया जाएगा।

यह संयोग है कि 28 जून, 2018 को संत कबीरदास का 620वां जन्मदिवस और 500वां महापरिनिर्वाण दिवस है। प्रधानमंत्री मोदी ने कबीरदास की मजार पर चादर भी चढ़ाई और उस गुफा को भी देखा, जहां संत कबीर साधना किया करते थे।

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