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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-विपक्ष सिर्फ मुझे हटाने के लिए एकजुट, कांग्रेस अब रीजनल पार्टी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों की एकजुटता, कांग्रेस की प्रासंगिकता, 2019 के लोकसभा चुनाव समेत तमाम राजनीतिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने बेबाक राय जाहिर की है। स्वराज्य मैगजीन को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कहा है कि भारतीय जनता पार्टी 2019 कका लोकसभा चुनाव विकास और सुशासन के मुद्दे पर लड़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने आर्थिक, सुरक्षा, सामाजिक न्याय और विदेश नीति के मापदंड पर अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, “2014 के बाद लगातार पूरे देश में हमें जनता का आशीर्वाद मिला है। एक के बाद एक राज्यों के चुनाव में हमें मिले जनादेश ऐतिहासिक रहे। ऐसे में हम आश्वस्त हैं कि जनता दोबारा हम पर अपना भरोसा जताएगी।”

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है कांग्रेस
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पार्टी के सिकुड़ते जनाधार पर कहा, ”कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह गई है। वह सिर्फ पंजाब, पुडुचेरी और मिजोरम में है। दिल्ली, आंध्र, सिक्किम की विधानसभा में उसका प्रतिनिधित्व नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कांग्रेस की ताकत के बारे में सभी को पता है।“ एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, ‘देश के लोगों को ये निश्चित तौर पर जानना चाहिए कि कांग्रेस गठबंधन की राजनीति के बारे में क्या सोचती है। 1998 में उनकी पार्टी की पचमढ़ी में हुई मीटिंग में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि गठबंधन की राजनीति गुजरे जमाने की बात है। कांग्रेस ने तब एक दल के शासन की इच्छा जाहिर की थी। पचमढ़ी उस अहंकार से अब तक कांग्रेस इधर-उधर भटकती रही है और अब वे सहयोगियों को तलाश रहे हैं। वे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसा देश की जनता की वजह से हुआ है, जिसने कांग्रेस के अभिमान को नकार दिया।‘

राष्ट्र हित नहीं निजी हित के लिए है महागठबंधन
विपक्षी दलों के महागठबंधन से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “आज के दौर के महागठबंधन की तुलना 1977 और 1989 से करना ठीक नहीं है। 1977 में गठबंधन का मकसद लोकतंत्र की रक्षा करना था, जो कि आपातकाल के दौर में संकट में पड़ गया था। 1989 में बोफोर्स के घोटाले ने पूरे देश को आहत किया था। आज के इन गठबंधनों का मकसद राष्ट्रहित नहीं, बल्कि सत्ता की राजनीति और निजी हित हैं। इनके पास कोई मुद्दा नहीं है, सिवाय मुझे हटाने के।”

विपक्षी नेताओं में प्रधानमंत्री बनने की होड़
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”देश में महागठबंधन जैसा कुछ नहीं है। सिर्फ प्रधानमंत्री बनने की होड़ लगी है। राहुल गांधी कहते हैं कि वे प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं। लेकिन ममता बनर्जी उनसे राजी नहीं हैं। ममताजी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं लेकिन उनसे लेफ्ट को दिक्कत है। समाजवादी पार्टी को लगता है कि किसी और नेता से ज्यादा उनके नेता प्रधानमंत्री पद के हकदार हैं। विपक्ष का पूरा ध्यान पावर पॉलिटिक्स पर केंद्रित है। यह जनता की तरक्की के लिए नहीं है। मोदी के प्रति नफरत ही वह इकलौता कारण है, जिसने विपक्ष को एकजुट रखा है।”

एनडीए 20 दलों का बड़ा और सुखी परिवार
क्या मौजूद एनडीए, 2014 की तुलना में कमजोर एनडीए है? इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एनडीए आज 20 दलों वाला एक बड़ा और सुखी परिवार है। कई राज्यों में भी एनडीए की सरकारें चल रही हैं। उन्होंने कहा, “2014 में प्रचार के दौरान कुछ लोग पूछते थे कि मोदी को क्या सहयोगी मिल पाएंगे? उस समय हमने 20 से अधिक दलों का गठबंधन बनाया। यह सही है कि 2014 में बीजेपी को अपार सफलता मिली थी, हम अकेले ही सरकार बना सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और एनडीए सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई।” पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा के लिए एनडीए मजबूरी नहीं है, यह हमारे विश्वास का विषय है। एक बड़ा और विविधितापूर्ण एनडीए देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा है।

आज पूरे देश की पार्टी है भाजपा
एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीजेपी को हिंदी बेल्ट और सीमित लोगों की पार्टी की बातें पुरानी हो गई है। पहले भाजपा को ब्राह्मण-बनिया की पार्टी कहा जाता था, फिर शहरी लोगों की पार्टी कहा जाने लगा और फिर उत्तर भारत की बार्टी कहा जाने लगा, लेकिन यह सब गलत है। भाजपा को पूरे देश में और समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिला है, हमारा सामाजिक दायरा काफी बड़ा है।

एक साथ चुनाव से संसाधनों का दुरुपयोग रुकेगा
एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मेरा मुद्दा नहीं है, यह मुद्दा विभिन्न मौकों पर कई लोगों द्वारा उठाया जा चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास में जाकर देखें तो 1947 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। इसका मतलब यह नहीं है कि ये कोई अनोखी बात है। उन्होंने कहा कि देश में एक तरह की मतदाता सूची नहीं है। लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अलग-अलग मतदाता सूची है। लगातार चुनाव होने की वजह से इस मतादाता सूचियों को अपडेट करने के लिए समय और संसाधन खर्च होता है। मतदाताओं को भी अलग-अलग सूचियों में अपना नाम देखना पड़ता है। एक मतदाता सूची और इसी प्रकार से एक चुनाव से यह सब बदल जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि लगातार चुनाव होने की वजह से देश में कहीं न कहीं चुनाव आचार संहिता लगी रहती है, इससे विकास कार्यों से जुड़े फैसले लेने मे देरी होती है। बार-बार चुनाव से देश के खजाने पर बोझ भी पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से संसाधनों को दुरुपयोग थमेगा और देश हित में केंद्र और राज्यों के बीच सहकारी संघवाद की भावना पनपेगी, जो देश के विकास को आगे बढ़ाएगी।

कर्नाटक में विकास का एजेंडा पीछे गया
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी दलों की एकजुटता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार में लड़ाईयां चल रही है। विकास का एजेंडा पिछली सीट पर जा चुका है। उन्होंने कहा, ”कर्नाटक में जनादेश के साथ धोखा कर सरकार बनाई गई, लेकिन कलह जारी है। मंत्रियों से उम्मीद होती है कि वह विकास के मसले पर बैठक बुलाएंगे, लेकिन कर्नाटक में झगड़ा सुलझाने के लिए मीटिंग होती है। विकास को पीछे धकेल दिया गया है।”

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