Home समाचार हार के डर से भागी प्रियंका गांधी, बनारस से चुनाव नहीं लड़ेंगी

हार के डर से भागी प्रियंका गांधी, बनारस से चुनाव नहीं लड़ेंगी

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प्रियंका गांधी बनारस में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगी। कांग्रेस ने अजय राय को बनारस से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बीते कुछ दिनों से लगातार ऐसी चर्चाएं चल रही थीं कि प्रियंका बनारस से चुनावी मैदान में उतरेंगी। प्रियंका ने खुद इसकी इच्छा जताई थी और राहुल गांधी ने भी सस्पेंस बनाए रखकर इन चर्चाओं को हवा दी थी, लेकिन कांग्रेस के एक इंटरनल सर्वे के बाद पार्टी इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पाई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने बनारस में एक सर्वे कराया था जिसमें बताया गया कि मोदी के खिलाफ पार्टी का उम्मीदवार कोई भी हो, उसकी जमानत नहीं बचेगी। सर्वे के मुताबिक क्षेत्र में मोदी लहर का ये आलम है कि प्रियंका गांधी के उम्मीदवार बनने पर भी कांग्रेस को 5 हजार वोट मुश्किल से मिल पाते। इसके बाद पार्टी ने प्रियंका की बजाय उन्हीं अजय राय को टिकट दे दिया जो पिछले बार भी पीएम के खिलाफ लड़े थे और उन्हें करीब 80 हजार वोट मिले थे।

पहले बीजेपी में थे अजय राय
अजय राय पहले भाजपा में थे। तीन बार भाजपा के टिकट पर विधायक भी रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। इसके बाद वे 2009 में निर्दलीय विधायक रहे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। सपा ने वाराणसी से शालिनी यादव को टिकट दिया। शालिनी कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं। 

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वाराणसी में सातवें चरण में मतदान
वाराणसी लोकसभा सीट पर सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे। यहां के जातीय समीकरण को देखें तो ब्राह्मण, वैश्य और कुर्मी मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। करीब तीन लाख वैश्य, ढाई लाख कुर्मी, ढाई लाख ब्राह्मण, तीन लाख मुस्लिम, 1 लाख 30 हजार भूमिहार, 1 लाख राजपूत, पौने दो लाख यादव, 80 हजार चौरसिया, एक लाख दलित और एक लाख के करीब अन्य ओबीसी मतदाता हैं।

सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक
कांग्रेस के इस फैसले का लोग सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ा रहे हैं। यूजर्स का कहना है कि प्रियंका का चुनाव नहीं लड़ना पहले से तय था, कांग्रेस केवल माहौल बनाने की कोशिश कर रही थी। लोगों ने यह सवाल भी किया है कि जिस दिन पीएम मोदी बनारस में अपना रोड शो कर रहे हैं, उसी दिन अपने सबसे मजबूत उम्मीदवार को चुनाव में नहीं उतारने का फैसला लेकर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को क्या संदेश देना चाहती है।   

 

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